संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ से निपटने हेतु जिला प्रशासन पूर्णतः तैयारः डीएम
जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह ने कहा है कि संभावित बाढ़ एवं जल-जमाव से निपटने हेतु जिला प्रशासन पूरी तरह तैयार है। आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार जिला स्तर पर सभी व्यवस्था की गई है। वे आज समाहरणालय स्थित सभागार में इस विषय पर आयोजित एक बैठक में पदाधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जल संसाधन विभाग के आँकड़ों के अनुसार गंगा नदी का वर्तमान जल-स्तर उच्चतम जल-स्तर से कम है। डेंजर लेवल से यह लगभग 5 मीटर कम है। गाँधी घाट में आज सवेरे 06.00 बजे नदी का जल-स्तर 43.74 मीटर था जबकि उच्चतम जल-स्तर 50.52 मीटर तथा खतरनाक जल-स्तर (डेंजर लेवल) 48.60 मीटर है। मौसम विभाग द्वारा दी गई सूचना के अनुसार अच्छी बारिश की संभावना है। अतिवृष्टि भी हो सकती है। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सम्पूर्ण प्रशासनिक तंत्र सजग, सक्रिय एवं तत्पर रहे। बाढ़ आने की स्थिति में प्रभावितों के जान-माल की सुरक्षा एवं ससमय राहत पहुँचाना प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। एसओपी के अनुसार क्षेत्रीय पदाधिकारी यथा अंचलाधिकारी, थाना प्रभारी, अनुमंडल पदाधिकारी एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी तुरंत रिस्पॉन्ड करेंगे।
इस बैठक में वरीय पुलिस अधीक्षक, पटना श्री राजीव मिश्रा, प्रबंध निदेशक बुडको श्री योगेश कुमार सागर, अपर समाहर्ता आपदा प्रबंधन, अपर जिला दंडाधिकारी विधि-व्यवस्था, अधीक्षण अभियंता बाढ़ नियंत्रण एवं जल निस्सरण अंचल, महाप्रबंधक पेसू, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला पशुपालन पदाधिकारी, सभी अनुमंडल पदाधिकारी, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, सभी अंचल अधिकारी, सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी, सभी नगर कार्यपालक पदाधिकारी एवं अन्य भी उपस्थित थे।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि आपदा की स्थिति में सामान्य जन-जीवन प्रभावित न हो यह सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन दृढ़-संकल्पित है। उन्होंने सभी पदाधिकारियों को मिशन मोड में काम करने का निदेश दिया। आपदा की स्थिति में मानक के अनुसार प्रभावित परिवारों को पॉलिथिन शीट्स एवं अन्य आवश्यक सामग्री तुरत उपलब्ध करा दें। सामुदायिक किचेन का संचालन बाढ़ प्रभावितों के लिए विधिवत करेंगे।
बैठक में स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि जिला में बाढ़ से निपटने हेतु 56 प्रकार की सभी आवश्यक दवा पर्याप्त संख्या में उपलब्ध है। जिला पशुपालन पदाधिकारी ने बताया कि पशु चिकित्सा हेतु 48 पशु अस्पतालों में 38 प्रकार की आवश्यक दवाइयों का भंडारण कर लिया गया है। जिलाधिकारी ने सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों को प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रों में आवश्यक दवाओं की उपलब्धता, एक्सपायरी डेट की जाँच करने का निदेश दिया। सभी अनुमंडल पदाधिकारियों को अनुमंडल अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता, एक्सपायरी डेट की जाँच, पशु चिकित्सा केन्द्रों में आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सहित बाढ़-पूर्व तैयारी के लिए आवश्यक सभी संसाधनों की उपलब्धता की जाँच करने का निदेश दिया गया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र भ्रमण के दौरान वे बाढ़ पूर्व तैयारियों एवं व्यवस्थाओं का जायजा लेंगे।
गौरतलब है कि पटना जिला बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है, जिसमें कुल 06 अनुमण्डलों के 23 प्रखंडों में से 20 प्रखंड बाढ़ से आंशिक एवं पूर्ण रूप से प्रभावित क्षेत्र रहा है। कई क्षेत्र बाढ़ प्रवण है। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि गंगा के दियारा क्षेत्रों में मनेर से मोकामा तक तथा मसौढ़ी एवं पटना सिटी में पुनपुन नदी तथा दरधा नदी के क्षेत्रों में बाढ़ आने की संभावना रहती है। अत्यधिक मॉनसूनी वर्षा की स्थिति में तथा गंगा, सोन एवं पुनपुन नदियों के जल-स्तर में एक साथ असामान्य वृद्धि से बाढ़ की स्थिति बन जाती है। जब गंगा एवं पुनपुन दोनों नदी का जल स्तर अत्यधिक रहता है तो अतिवृष्टि की स्थिति में शहरी क्षेत्रों से नदियों के माध्यम से जल प्रवाह नहीं हो पाने पर जल-जमाव हो जाता है। ऐसी स्थिति वर्ष 2019 में आयी थी जब पटना शहर में जल-जमाव हो गया था। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि इसकी पुनरावृति रोकने के लिए हम सबको सजग रहना होगा। उन्होंने कहा कि वरीय पदाधिकारियों की टीम द्वारा नौ प्रमुख नालों की जाँच करायी गई थी। अनुमंडल पदाधिकारी मॉनसून पूर्व सभी नालों की सम्पूर्ण सफाई की मॉनिटरिंग करें। नालों को अतिक्रमणमुक्त रखें सभी ड्रेनेज पंपिंग स्टेशन को तैयार रखना होगा। सम्प हाउस के इन्लेट-आउटलेट का लगातार अनुश्रवण करें। सभी डीपीएस पर पम्प कार्यरत रहना चाहिए। कोई भी यांत्रिक या विद्युत त्रुटि नहीं रहनी चाहिए। विद्युत आपूर्ति निर्वाध होनी चाहिए। डीजल पम्पसेट एवं मोबाईल पम्पसेट की समुचित व्यवस्था रखें।
डीएम डॉ. सिंह ने अपर जिला दंडाधिकारी विधि-व्यवस्था को नालों को अतिक्रमणमुक्त रखने के लिए नगर कार्यपालक पदाधिकारियों की देख-रेख में टीम को तैनात रखने का निदेश दिया। उन्होंने सभी अनुमंडल पदाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा कि विभिन्न मार्गों पर कार्य कर रही क्रियान्वयन एजेंसियाँ समय से कार्य पूर्ण करें। सुरक्षात्मक मापदंडों का अनुपालन करें तथा सड़कों को मोटरेबुल रखें।
संभावित बाढ़, 2024 की पूर्व तैयारी से संबंधित विवरण निम्नवत हैः-
1. वर्षामापक यंत्र/दैनिक वर्षापात प्रतिवेदन- वर्तमान में जिले में 26 वर्षामापी यंत्र कार्यरत है। इनसे प्रतिदिन 08ः30 बजे पूर्वाह्न वर्षापात के आँकड़ों को संग्रहित किया जाता है। जिले के पंचायतों में कुल 320 स्वचालित वर्षामापी यंत्र (एआरजी) का अधिष्ठापन किया जा चुका है। नगर निगम के छः अंचलों के पार्को में ऑटोमैटिक वर्षा मापक यंत्र अधिष्ठापित किया जाना है जिसमें कंकड़बाग में अधिष्ठापित किया जा चुका है। सभी एआरजी से वर्षापात के आंकड़े नियमित एवं ससमय प्राप्त हो रहे हैं। साथ ही सभी प्रखंडों में स्वचालित मौसम केन्द्र की स्थापना की गई है जिससे वर्षापात के साथ-साथ तापमान, आर्द्रता, हवा की गति एवं दिशा संबंधी आंकड़े प्राप्त होते हैं। इन आंकड़ों को जिले के वेबसाईट पर वेदर डैसबोर्ड से आम जनता भी देख सकती है।
वर्षापात की स्थितिः वर्ष 2024 के माह जनवरी से जुलाई तक अद्यतन सामान्य वर्षापात 232.30 एमएम, वास्तविक वर्षापात 92.06 एमएम, विचलनः माइनस 60.11 प्रतिशत।
डीएम डॉ. सिंह ने जिला सांख्यिकी पदाधिकारी, पटना को वर्षामापी यंत्रों, स्वचालित वर्षामापी यंत्रों (एआरजी) तथा स्वचालित मौसम केन्द्रों का गहनतापूर्वक जाँच कर प्रतिवेदन देने का निदेश दिया। सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों को प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारियों के साथ वर्षामापी यंत्रों का निरीक्षण करने का निदेश दिया। सभी प्रखण्ड सांख्यिकी पदाधिकारी एवं प्रखण्ड विकास पदाधिकारी संयुक्त रूप से पंचायतों में अधिष्ठापित ऑटोमैटिक वर्षामापक यंत्र का भौतिक सत्यापन कर जिला आपदा प्रबंधन शाखा, पटना को प्रतिवेदन समर्पित करेंगे। जिला सांख्यिकी पदाधिकारी, पटना, मौसम विज्ञान विभाग तथा बिहार मौसम सेवा केन्द्र से समन्वय स्थापित कर पूर्वानुमान की सूचना प्राप्त कर वर्षापात का आकलन सही ढंग से प्राप्त करना सुनिश्चित करेंगे।
2. संभावित बाढ़ प्रभावित क्षेत्र एवं संकटग्रस्त व्यक्ति-समूहों की पहचान- वर्ष 2023 में पटना जिला बाढ़ से प्रभावित नहीं हुआ था। साल 2022 में बाढ़ प्रखंड का मात्र 02 पंचायत (इब्राहिमपुरा एवं भटगाँव) आंशिक रूप से प्रभावित हुआ था। वर्ष 2021 में पटना जिलान्तर्गत 12 प्रखण्डों के 55 प्रभावित पंचायतों में 3.54 लाख लोग (84,243 परिवार) बाढ़ से प्रभावित हुए थे एवं कुल वितरित राशि 50.5 करोड़ रूपया (84,243/6,000 प्रति परिवार) है। संभावित बाढ़, 2024 की पूर्व तैयारी के तहत बाढ़ से प्रभावित होने वाले 20 प्रखंडों एवं 171 पंचायतों में गठित अनुश्रवण समिति के सहयोग से पंचायतों, गाँवों, टोलों एवं वाडर््स की पहचान कर ली गई है। आपदा पीड़ित परिवारों को पीएफएमएस के माध्यम से आनुग्रहिक राहत (जीआर) का भुगतान करने हेतु सभी अंचलों द्वारा आधार सत्यापन के पश्चात प्रावधानों के अनुसार कुल 1,63,654 परिवारों की सूची आपदा सम्पूर्ति पोर्टल पर अपलोड कर ली गई है तथा इसके सतत अद्यतीकरण की प्रक्रिया जारी है। जिलाधिकारी ने सभी अंचल अधिकारियों को आपदा प्रबंधन विभाग के गाइडलाईंस के अनुसार आपदा सम्पूर्ति पोर्टल पर लंबित सभी डाटा एवं विवरणी अविलंब अद्यतन करने का निदेश दिया ताकि आपदा की स्थिति में ससमय राहत पहुँचाई जा सके।
3. संसाधनों की उपलब्धता- सभी अंचलाधिकारियों द्वारा अभी तक 147 नाव मालिकों के साथ एकरारनामा किया जा चुका है। नावों का स्थानीय स्तर पर संबंधित अंचल अधिकारी के द्वारा आवश्यकता के अनुरूप डिप्लॉयमेंट प्लान (तैनाती की योजना) तैयार की गई है। जलप्लावित क्षेत्रों से सुरक्षित स्थानों/राहत शिविरों में बाढ़ पीड़ितों को लाने के लिए नावों की पर्याप्त व्यवस्था है। संभावित बाढ़, 2024 की पूर्व तैयारी के तहत बाढ़ प्रभावित परिवारों के बीच वितरण हेतु बाढ़ राहत सामग्रियों का दर निर्धारण निविदा के माध्यम से कर लिया गया है। पॉलीथिन शीट्स का दर निर्धारण दो वर्षों के लिए कर लिया गया है। जिला-स्तर पर उपलब्ध पॉलीथिन शीट्स की संख्या-24,382 (जिला मुख्यालय में 8,100 तथा अंचल स्तर पर 16,282), महाजाल-02, लाईफ जैकेट-35, इन्फ्लेटेबल लाईटनिंग सिस्टम-06, प्रशिक्षित गोताखोरों की संख्या-236, राहत शिविरों की संख्या 128, चिन्हित शरण स्थलों की संख्या-126, खोज बचाव एवं राहत दलों की संख्या-148
4. नाव का निर्धारित दर – संभावित बाढ़, 2024 की पूर्व तैयारी के तहत नाव का दर निर्धारण कर लिया गया है।
5. शरण स्थल- 126 शरण स्थलों को चिन्हित किया गया है। सामुदायिक रसोई के संचालन हेतु 126 स्थलों को चिन्हित किया गया है। वर्ष 2021 में 30 सामुदायिक रसोई केन्द्रों तथा 17 राहत केन्द्रों का संचालन किया गया था। वर्ष 2021 में सामुदायिक रसोई केन्द्रों एवं आपदा राहत केन्द्रों में भोजन करने वाले कुल व्यक्तियों की संख्या 4,17,063 थी। वर्ष 2024 में बाढ़ प्रभावितों के बीच वितरण हेतु ड्राय राशन पैकेट/फूड पैकेट की पैकेटिंग हेतु जगह चिन्हित कर लिया गया है तथा दर निर्धारण भी कर लिया गया है। बाढ़ की स्थिति में पशुओं के लिए 32 उच्च स्थलों को चिन्हित किया गया है।
6. एसडीआरएफ/एनडीआरएफ की प्रतिनियुक्ति तथा मोटरबोट की स्थिति- एसडीआरएफ की 01 कम्पनी (12 बोट, 36 व्यक्ति, 4 गोताखोर) गायघाट, पटना सिटी में प्रतिनियुक्त है एवं आवश्यकता पड़ने पर बिहटा से टीम उपलब्ध करायी जाती है। एनडीआरएफ का 01 टीम (05 बोट, 30 व्यक्ति) दीदारगंज बाजार समिति में प्रतिनियुक्त है। तैनात की गई टीम आपदा की स्थिति में राहत एवं बचाव का कार्य करेगी।
7. कोषांगों का गठन एवं जिला स्तरीय 24’7 नियंत्रण कक्ष की स्थापना- आपदा प्रबंधन हेतु 11 बाढ़ राहत कोषांग क्रियाशील है। ज़िला आपातकालीन संचालन केंद्र में जिला-स्तरीय नियंत्रण कक्ष स्थापित है जिसकी दूरभाष संख्या 0612 – 2210118 है।
8. गोताखोरों का प्रशिक्षण – बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निदेशानुसार 236 गोताखोरों को प्रशिक्षित किया गया है।
9. राहत एवं बचाव दल का गठन – 148 दल गठित है।
10. जल संसाधन विभाग अन्तर्गत तटबंधों की सुरक्षा- पटना जिला में जल संसाधन विभाग के तटबंध सुरक्षा से संबंधित पाँच प्रमंडल कार्यरत है। सभी प्रमंडलों में कुल 86 तटबंधों, जमींदारी बाँध, रिंग बाँध/लघु बांध एवं पटना शहरी सुरक्षा दीवार की मरम्मति एवं सुदृढ़ीकरण का सभी कार्य पूर्ण कर लिया गया है। सभी तटबंध पूरी तरह सुरक्षित है। तटबंधों एवं संवेदनशील स्थलों की पहचान तथा बाढ़ के दौरान टूटने से बचाने के लिए खाली बोरा, बालू से भड़़े बैग, लोहे की जाली, बोल्डर एवं अन्य आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली गई है। अनुमंडल पदाधिकारियों एवं कार्यपालक अभियंताओं द्वारा तटबंधों का संयुक्त निरीक्षण किया गया है तथा निरीक्षण प्रतिवेदन में पाये गए तथ्यों के अनुसार कार्रवाई की गई है। जिलाधिकारी द्वारा सभी अनुमंडल पदाधिकारियों एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारियों को कार्यपालक अभियंताओं के साथ तटबंधों का समय-समय पर निरीक्षण करने का निदेश दिया गया। उन्होंने अनुमंडल पदाधिकारियों को निदेश दिया कि नदियों से अवैध मिट्टी की कटिंग को रोकने के लिए रेड करें। तटबंधों की निगरानी की त्रुटिरहित व्यवस्था सुनिश्चित करें।
11. मानव दवा की व्यवस्था एवं मोबाईल मेडिकल टीम – (क) सिविल सर्जन की अध्यक्षता में कमिटी का गठन किया गया है तथा नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई है।
(ख) संभावित बाढ़ प्रभावित कमजोर नवजात शिशु को चिन्हित किया गया है।
(ग) सरकारी तथा गैर सरकारी क्षेत्र के महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संस्थानों, ब्लड बैंकों की पहचान कर ली गई है।
(घ) असामान्य स्थिति से निपटने हेतु चलन्त मेडिकल टीम का गठन सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों द्वारा किया गया है।
(च) आपदा के कारण हुई मौतों तथा डायरिया इत्यादि बीमारियों के फैलाव के अनुश्रवण हेतु आईडीएसपी कोषांग क्रियाशील है। एएनएम, आशा एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा बीमारियों के लक्षण एवं बचाव हेतु आम जनता को जागरूक किया जा रहा है।
(छ) प्रखण्डवार ब्लीचिंग पाउडर, हैलोजन टेबलेट एवं लाईम पाउडर उपलब्ध है।
(ज) मानव दवा की व्यवस्था एवं मोबाईल मेडिकल टीमः-जिला में बाढ़ से निपटने हेतु 56 प्रकार की सभी आवश्यक दवा पर्याप्त संख्या में उपलब्ध है। मोबाईल मेडिकल टीम क्रियाशील है। असैनिक शल्य चिकित्सक-सह- सिविल सर्जन, पटना से प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार जिला ड्रग स्टोर तथा स्वास्थ्य संस्थानों (प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, रेफरल अस्पताल एवं अनुमंडल अस्पतालों) में निम्नलिखित प्रकार की दवा उपलब्ध हैः-
ओआरएस-3,25,708
एंटि-रेविज वैक्सिन (एआरवी) वायल-92,467
सांप काटने की दवा (एएसवीएस) वायल-2,717
डेक्स्ट्रोज 10 प्रतिशत 500 एम.एल.-5,943
डीएनएस 500 एम.एल.-25,264
मैट्रोनाईडाजोल 400 एमजी टैबलेट-2,38,587
एनएस 500 एम.एल.-19,093
ऑण्डेन्सट्रॉन इन्जेक्शन-29,490
ऑण्डेन्सट्रॉन/डॉम्पेरिडोन-1,54,923
आरएल 500 एम.एल.-28,697
आईवी सेट (एडल्ट)-69,124
ब्लीचिंग पाउडर-1,587 बैग
लाईम पाउडर-424 बैग
हैलोजेन टैबलेट-78,971
12. पशुचारा/चुन्नी-चोकर एवं पशुदवा की व्यवस्था -(क) जिला स्तरीय बाढ/सुखाड़ सहाय्य कोषांग का गठन कर लिया गया है जो 24 घंटे कार्यरत है। (ख) बाढ़ की स्थिति में 32 उच्च स्थल की पहचान कर ली गई है। 24 बाढ़/सुखाड़ सहाय्य मुख्य केन्द्रों एवं 08 उपकेन्द्रों की स्थापना की गई है तथा इन पर चिकित्सकों/ कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति कर ली गई है। (ग) लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा 12 जगहों पर पशुपेय जल सुविधा निर्मित है जिसका उपयोग सुखाड़ की स्थिति में किया जाता है। (घ) पशु चिकित्सालयों में 38 प्रकार की दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। (च) जिला पशुपालन पदाधिकारी, पटना से प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार संभावित बाढ़/सुखाड़, 2024 हेतु पशुचारा एवं चोकर का दर निर्धारित कर लिया गया है।
13. पॉलीथिन शीट्स/सतु/गुड़/चूड़ा की व्यवस्था- (क) पॉलीथिन शीट्स की आपूर्ति हेतु दो वर्षों के लिए दर निर्धारित कर लिया गया है। पटना जिला में पॉलीथिन शीट्स 24,382 उपलब्ध है। (ख) खाद्य एवं अन्य सामग्रियों का दर निर्धारित कर लिया गया है।
14. नोडल पदाधिकारी/जिला स्तरीय टास्क फोर्स- पंचायत स्तरीय/प्रखण्ड स्तरीय नोडल पदाधिकारी/जोनल पदाधिकारी तथा सुपर जोनल पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की गई है। जिला स्तरीय टास्क फोर्स का भी गठन कर लिया गया है।
15. आकस्मिक फसल योजना -जिला कृषि पदाधिकारी, पटना द्वारा आकस्मिक फसल योजना 2024-25 का सूत्रण किया गया है।
16. शुद्ध पेयजल की व्यवस्था- कार्यपालक अभियंता लोक स्वास्थ्य प्रमण्डल, पटना पूर्वी के अन्तर्गत 11 प्रखण्ड एवं पश्चिमी अन्तर्गत 12 प्रखण्ड है। (क) चालू चापाकलों की संख्या-पूर्वी-13,140, पश्चिमी-15,023 कुल-28,163
(ख) चापाकल मरम्मती दल सभी प्रखंड़ों में कार्यरत है। चापाकलों की मरम्मती दिनांक 01.03.2024 से अबतक- पूर्वी-1,286, पश्चिमी-1,210 कुल-2,496. चापाकल मरम्मती दल हेतु टॉल फ्री नं.- 18001231121, पूर्वी- 0612 – 2225796, पश्चिमी- 0612 – 2280879
(ग) जलस्तर अधिकतम 41’3’’ (धनरूआ, पंचायत-छाती)
(घ) जलस्तर न्यूनतम 18’00’’ (पटना सदर पंचायत-नकटा दियारा)
वर्तमान में जिले में पेयजल संकट की स्थिति-नगण्य
कार्यरत टैंकर की संख्या-14,
कार्यरत वाटर एटीएम की संख्या-04,
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण प्रमण्डल, पटना पूर्वी एवं पटना पश्चिमी अन्तर्गत क्रमशः 643 वार्डों में से 639 वार्डों में तथा 498 वार्डों में से 498 वार्डों में हर-घर नल का जल योजना से जलापूर्ति की जा रही है।
पीएचईडी पटना पूर्वी अन्तर्गत एक अदद तथा पटना पश्चिमी अन्तर्गत 11 अदद पशु पेयजल सुविधा क्रियाशील है।
17. पटना शहरी क्षेत्र के नालों की सफाई एवं सम्प हाउस की स्थिति- पटना जिलान्तर्गत 09 बड़े नालों यथा-सर्पेन्टाईन नाला, मंदिरी नाला, कुर्जी/राजीव नगर नाला, आनन्दपुरी नाला, बाकरगंज नाला, बाईपास नाला (एनसीसी क्षेत्र), बाईपास नाला (केबीसी क्षेत्र), योगीपुर नाला तथा सैदपुर नाला सहित समस्त मध्यम एवं छोटे खुले/बॉक्स नालों, मैन होल इत्यादि की उड़ाही का कार्य किया गया है। नालों की उड़ाही एवं सम्प हाउस की क्रियाशीलता का नियमित अनुश्रवण किया जाता है।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि संभावित आसन्न आपदाओं का पूर्वानुमान, ससमय एवं शीघ्र चेतावनी और आम जनता के बीच उनका प्रभावी प्रचार-प्रसार सफल आपदा प्रबंधन के मुख्य घटक हैं। प्रबंधन के विभिन्न चरणों यथा आपदा का निवारण, कमी एवं आपदा के प्रति प्रत्युत्तर के लिए सम्पूर्ण तंत्र सक्रिय है।
विदित हो कि डीएम डॉ. सिंह द्वारा संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ से निपटने हेतु तैयारी की नियमित समीक्षा की जा रही है। उन्होंने तटबंधों की लगातार पेट्रोलिंग सुनिश्चित करने का निदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि संवेदनशील स्थलों पर तटबधों का सुदृढीकरण एवं मरम्मति करें। संचार तंत्र एवं सूचना प्रणाली को सुदृढ़ रखें। शरण स्थलों पर मोबाइल मेडिकल टीम, शौचालय एवं पेयजल की समुचित व्यवस्था रहनी चाहिए। यहां मेडिकल कैंप, शिशु टीकाकरण, प्रसव, भोजन का उपस्कर, बच्चों हेतु विशेष भोजन, मच्छरदानी, सैनिटरी किट के लिए विशेष रूप से निर्मित योजनाओं का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित करें। उन्होंने पुल-पुलियों एवं मुख्य सड़कों विशेषकर जिला मुख्यालय से प्रखंड को जोड़ने वाले लिंक रोड की नियमानुसार मरम्मती एवं संधारण कार्य पर विशेष ध्यान देने को कहा। डीएम डॉ. सिंह ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में संकटग्रस्त एवं भेद्य समुदायों का प्रशिक्षण कर क्षमता वर्धन कार्य पर विशेष ध्यान देने का निदेश दिया है।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि सार्थक संचार तंत्र सफल आपदा प्रबंधन की रीढ़ है। उन्होंने सभी पदाधिकारियों को इसे सुदृढ़ एवं सक्रिय रखने का निर्देश दिया।