
प्रो० विजय पॉल शर्मा, अध्यक्ष, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की अध्यक्षता में रबी विपणन मौसम 2026-27 के लिए रबी फसलों की मूल्य नीति निर्धारण हेतु एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय बैठक का आयोजन आज कृषि भवन, मीठापुर, पटना में किया गया। इस अवसर पर कृषि विभाग के सचिव श्री संजय कुमार अग्रवाल उपस्थित थे।
एम॰एस॰पी॰ निर्धारण में सभी अवयवों का गहराई से मूल्यांकन किया जाये
बैठक को संबोधित करते हुए कृषि विभाग के सचिव श्री संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि कृषि क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती किसानों की आय को स्थायी रूप से बढ़ाना है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित करना आवश्यक है ताकि यह क्षेत्र जीवंत बना रहे और तकनीकी नवाचारों को अपनाया जा सके। उन्होंने सुझाव दिया कि कृषि केवल बटाईदार तक सीमित न रहे, बल्कि इसमें सभी प्रकार के कृषकों को समान रूप से अवसर मिले। श्री अग्रवाल ने यह भी कहा कि लागत मूल्य निर्धारण में फसल की कटाई (हार्वेस्टिंग) लागत तथा गोदामों तक कृषि उत्पाद पहुंचाने में होने वाले परिवहन व्यय को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने आग्रह किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम॰एस॰पी॰) निर्धारण के दौरान सभी संबंधित अवयवों का गहराई से मूल्यांकन किया जाए ताकि नीति अधिक समावेशी एवं न्यायसंगत बन सके। बैठक का उद्देश्य पूर्वी राज्यों विशेषकर बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल की कृषि परिस्थिति, लागत संरचना और बाजार स्थितियों को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण हेतु महत्वपूर्ण इनपुट प्राप्त करना था।
न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों के लिए महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच
बैठक की अध्यक्षता करते हुए कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सी॰ए॰सी॰पी॰) के अध्यक्ष प्रो० विजय पॉल शर्मा ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम॰एस॰पी॰) किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच है, जो उन्हें बाजार की अनिश्चितताओं से बचाते हुए एक सुनिश्चित आय प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि किसानों को बाजार की माँग के अनुसार लाभकारी मूल्य उपलब्ध कराया जाना चाहिए, जिससे वे कृषि को एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में अपनाएँ। प्रो० शर्मा ने विशेष रूप से दलहन एवं तेलहन फसलों के उत्पादन में वृद्धि की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि देश की खाद्य तेलों पर निर्भरता कम हो सके। उन्होंने कहा कि किसानों को न केवल अधिक उत्पादन के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए, बल्कि उन्हें नवीनतम कृषि तकनीकों और आधुनिक तरीकों को अपनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जिससे कृषि की उत्पादकता और गुणवत्ता दोनों में सुधार हो सके।
राज्य के विभिन्न जिलों से आए प्रगतिशील किसानों ने बैठक में सक्रिय भागीदारी निभाई और अपने जमीनी अनुभवों को साझा किया। उन्होंने फसल लागत, बाजार उपलब्धता, भंडारण सुविधा से संबंधित चुनौतियों को रेखांकित किया। मखाना उत्पादक किसान ने विशेष रूप से मखाना की उत्पादन लागत, मूल्य निर्धारण पर प्रकाश डाला।
इस बैठक में श्री वीरेन्द्र प्रसाद यादव, विशेष सचिव, कृषि विभाग, श्री शैलेन्द्र कुमार, अपर सचिव, श्रीमती कल्पना कुमारी, अपर सचिव, श्री मदन कुमार, संयुक्त सचिव, कृषि विभाग, श्री गिरीयक जार्ज, सदस्य, सी॰ए॰सी॰पी॰, डॉ॰ प्रेम चन्द्र, सदस्य, सी॰ए॰सी॰पी॰, श्री सी॰बी॰ लाडेकर, अपर संचालक, छतीसगढ़, डॉ॰ प्रवीण वर्मा, उपयोगी सहयोगी विश्वविद्यालय, छतीसगढ़, श्री दीपक कुमार मंडल, पश्चिम बंगाल एवं विभागीय वरीय पदाधिकारी सहित किसानों, विशेषज्ञों, राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों एवं संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।