रेल मंत्री द्वारा ‘नेवर ए बाईस्टैण्डर: इंडियन रेलवेज इन ट्रांजिशन‘ नामक पुस्तक का विमोचन
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा भारतीय रेल के ट्रांसफॉर्मेशन सेल में योजना तथा रेल विद्युतीकरण के अतिरिक्त सदस्य के पद से सेवानिवृत्त श्री सुधीर कुमार द्वारा रचित पुस्तक ‘नेवर ए बाईस्टैण्डर: इंडियन रेलवेज इन ट्रांजिशन‘ का विमोचन किया गया ।
श्री सुधीर कुमार ने 1981 में जीबी पंत विश्वविद्यालय, पंतनगर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्वर्ण पदक के साथ स्नातक किया है। इन्होंने आईआईटी दिल्ली, इलिनोइस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, शिकागो, टेपर स्कूल ऑफ बिजनेस, पिट्सबर्ग और एचईसी बिजनेस स्कूल, पेरिस में अध्ययन किया है ।
श्री सुधीर कुमार, भारतीय रेलवे विद्युत इंजीनियरिंग सेवा (IRSEE) के 1983 बैच के अधिकारी हैं। 37 वर्ष की लंबी सेवा अवधि में विभिन्न क्षेत्रों जैसे परिचालन एवं रख-रखाव, टीओटी, ढांचागत विकास, सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी), चेंज मैनेजमेंट तथा नीति निर्माण केे क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल की है । वर्ष 2020 में श्री कुमार ट्रांसफॉर्मेशन सेल में योजना तथा रेल विद्युतीकरण के अतिरिक्त सदस्य के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। सेवानिवृत्ति के पश्चात् आपने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, हैदराबाद में अगस्त, 2020 में डॉक्टोरल प्रोग्राम में योगदान दिया । विदित हो कि श्री कुमार पूर्व मध्य रेल के धनबाद मंडल में 14.10.2011 से 14.09.2013 तक मंडल रेल प्रबंधक के पद पर अपनी महत्वपूर्ण सेवा दे चुके हैं ।
श्री सुधीर कुमार पर बचपन में पढ़ी गयी श्री सुदर्शन की कहानी ‘हार की जीत‘ और श्री मुरारीलाल शर्मा द्वारा रचित प्रार्थना ‘वो शक्ति हमें दो दयानिधी, कर्तव्य मार्ग पर डट जाए‘ ने गहरी छाप छोड़ी है ।
व्यक्ति द्वारा अनुभव किए गए परिवर्तन और उन्नयन की वास्तविक कहानियों का एक संग्रह है । इस पुस्तक में सरकारी संगठनों में सफलतापूर्वक परिवर्तन करने जैसे दुरूह कार्यों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया है । इस पुस्तक में मानवीय दृष्टिकोण तथा हितधारकों पर प्रभाव डालने वाली पहाड़ सी चुनौतियों को मेहनत, चेतना तथा बृद्धिमता कार्य से पार करने का उल्लेख है ।
अटल सत्यनिष्ठा, सर्विस ऑरिएंटेशन, सीखने की उत्सुकता और नैतिक बुद्धिमत्ता का आंतरिक उपयोग ही श्री कुमार के परिवर्तन एजेंडा के स्तंभ रहे हैं । उन्होंने दोषपूर्ण अवधारणाओं को हमेशा चुनौती दी है तथा स्वयं को कर्मस्थल पर कार्यरत लोगों के साथ सीधा जुड़ाव और सहयोग के माध्यम से सफलतापूर्ण परिवर्तन हासिल किया है । यह पुस्तक उनके इन्हीं महती प्रयासों को कहानी कहने की शैली में प्रस्तुत करती है।
इस पुस्तक में मोदी सरकार की मेक-इन-इंडिया नीति के अंतर्गत पीपीपी मोड के तहत बिहार के मधेपुरा में लगाये गये विद्युत लोकोमोटिव फैक्ट्री की स्थापना पर एक महत्वपूर्ण खंड है । इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, हैदराबाद ने इस परियोजना पर एक केस स्टडी भी कराया था जिसे जून 2020 में हार्वर्ड बिजनेस में प्रकाशित किया गया था ।
पुस्तक के अनुसार नेतृत्व के गुण –
1. निर्णय यदि व्यापक जनहित में हो तो, नियमों थोड़ा हटकर भी आगे बढ़ा जाना चाहिए ।
2. एक मार्गदर्शक गठबंधन बनाएं और सक्रिय सहयोगी बनें ।
3. सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाते हुए हमेशा जनहित को प्राथमिकता देना चाहिए ।
4. समावेशी, मानवीय तरीके से यथास्थितिवाद तथा निष्क्रिय कार्य प्रणालियों को चुनौती दिया जाना चाहिए ।
5. आंतरिक मनोवैज्ञानिक स्थिरता को अपनाएं तथा केंद्रित रहें।
6. वृहत लाभ के लिए हमेशा शांतचित्त भाव से कार्यरत रहें ।
7. सशक्तिकरण का वातावरण तैयार कर सशक्त नेतृत्व किया जाना चाहिए ।
8. अपने कार्यों में विशिष्ट तकनीकी और कार्यात्मक निपुणता लाएं।