
न्यूज़ डेस्क – बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने एक बार फिर सरकार के कामकाज पर हमला किया है ।इस बार तेजस्वी यादव पूरे आत्मविश्वास से भरे हुए नजर आ रहे हैं और सभी विश्वस्तरीय संगठनों की रिपोर्ट के आधार पर वे अपनी बातें रख रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि बिहार सरकार निरंतर सफेद झूठ बोल रही है और अपने जनता को भरमा रही है। अपनी जनता को दिग्भ्रमित कर रही है, क्योंकि विश्व के लगभग एक दर्जन संस्थाओं ने बिहार के प्रगति को बेहद कमजोर बताया है और यहां के पिछड़ेपन को ही रेखांकित किया है ।नीति आयोग ने भी बिहार को सबसे फिसड्डी राज्य बताया है, लेकिन नीतीश कुमार और उसके कुछ मंत्री निरंतर झूठ पर झूठ बोल रहे हैं और जनता को भरमा रहे हैं ।
तेजस्वी यादव ने शनिवार को पुनः साक्ष्यों के साथ अपने आरोपों का पुलिंदा खोला। उन्होंने कहा कि देश-विदेश के सभी प्रतिष्ठित मूल्यांकन व मानक संस्थानों जैसे नीति आयोग, कैग, एनसीआर बी, एनएचआरएम, एन एफ एच एस,एनएसएसओ, सीपीसीबी ,डब्लूएच ओ , संयुक्त राष्ट्र इत्यादि ने बिहार के बदहाल शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून व्यवस्था, गरीबी, बेरोजगारी, शराबबंदी, भ्रष्टाचार, पलायन, प्रदूषण, सत्तत विकास सहित अनेक सूचकांकों से संबंधित रिपोर्ट्स पेश की है। यह सारी रिपोर्ट बिल्कुल वैज्ञानिक आधार पर जमीनी स्तर पर गहन शोध और तकनीकी छानबीन के बाद तैयार की गई है ।इन रिपोर्ट को पूरे विश्व में सभी सरकारों ने माना भी है।
लेकिन बकौल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा सभी रिपोर्ट्स झूठी है और केवल और केवल वो और उनकी मुँह जुबानी वाली रिपोर्ट्स ही शास्वत सत्य है।
तेजस्वी ने कहा कि डबल इंजन सरकार की मानक संस्थाएं ही आँकड़ों और साक्ष्य सहित इनकी 16 वर्षों की विफलता एवं कागजी विकास को आइने में दिखा रही है। लेकिन फिर भी अहंकार में डूबी एनडीए सरकार अपनी गलतियों को मानने के लिए तैयार नहीं है। ये विपक्ष के नहीं आपकी सरकार और उनकी एजेंसियों के ही आँकड़े है।
तेजस्वी ने आगे कहा कि बताइए, जो अपनी गलती ही स्वीकार नहीं करेगा वह उन ख़ामियों को दूर कैसे करेगा?
30-40 वर्ष के भूतकाल में डूबे रहने वाले मुखिया को वर्तमान के आँकड़ों के साथ भविष्य, वर्तमान एवं अपने भूत के 16 वर्षों का आकलन अवश्य करना चाहिए कि उन्होंने उदारीकरण के बाद भी बिहार को सबसे फिसड्डी राज्य क्यों बनाया हुआ है?
उन्होंने कहा कि सबसे बुरी बात यह है कि भाजपा के समान मुख्यमंत्री भी अपनी विश्वसनीयता खो रहे हैं और निरंतर सफेद झूठ बोल रहे हैं। बिहार की गरीबी, पिछड़ापन और करोड़ों लोगों का पलायन सबको दिख रही है। यह एक वृद्ध राज्य बन चुका है ।