बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के राज्य कार्यालय के कर्पूरी सभागागार में विधान पार्षद कारी मोहम्मद सोहैब ने प्रदेश राजद के मुख्य प्रवक्ता श्री शक्ति सिंह यादव, प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद, श्रीमती मधु मंजरी, श्री अरूण कुमार यादव, मो0 आरजू खान एवं अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के उपेन्द्र चन्द्रवंशी की उपस्थिति में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जनता दल यू के मुस्लिम नेताओं के दावे पर कहा कि इनलोगों ने झूठ बोलकर बिहार और देश के लोगों को गुमराह किया है ,जबकि राष्ट्रीय जनता दल की ओर से जेपीसी में 18 प्वाइंट के साथ राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता सह राज्यसभा सांसद प्रो0 मनोज कुमार झा ने दिल्ली में जेपीसी के समक्ष राजद की ओर से सुझाव रखा और मजबूती से अपनी बातें रखी। जबकि पटना में जेपीसी के समक्ष राजद की ओर से मैं स्वयं उपस्थित रहकर जेपीसी के समक्ष राष्ट्रीय जनता दल की बातों को मजबूती से रखा। राष्ट्रीय जनता दल ने लोकसभा में सांसद श्री सुधाकर सिंह और राज्यसभा में प्रो0 मनोज कुमार झा जी के द्वारा मजबूती से इस बिल का कड़े शब्दों मंे विरोध किया गया और इसके खिलाफ वोट भी किया गया। तेजस्वी जी स्वयं इस मामले पर निगाह बनाये हुए थे। जनता दल यू के नेताओं के दावे पर कहा कि उन लोगों ने कौन से पांच सुझाव दिए थे जिसे जेपीसी ने माना है उसको सामने रखें गलत बयानी नहीं करें। और यह भी बताएं कि वक्फ विधायक में जो गैर मुस्लिम सदस्य रखने की बात है ,क्या वह जनता दल यू के सुझाव पर ही रखा गया है। और वक्फ बाई यूजर को जो समाप्त किया गया है क्या यह भी जनता दल यू का ही सुझाव था।
कारी सोहैब ने आगे कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक मुसलमानों के धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला है। इसके जरिये सरकार वक्फ जैसी धार्मिक संस्थाओं पर कब्जा करना चाहती है। राष्ट्रीय जनता दल ने स्पष्ट रूप से कहा था कि इसमें गैर मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्ड का सदस्य बनाना वक्फ शरियत आधारित संस्था और धार्मिक प्रवृति में सीधा हस्तक्षेप है। वक्फ सम्पति में जो मस्जिदें और कब्रिस्तान सालों से इस्तेमाल में है लेकिन उनके पास कागज नहीं है तो उन्हें वक्फ की संपत्ति नहीं माना जायेगा। ये बातें वक्फ बाई यूजर का अधिकार खत्म करने से कहीं न कहीं हजारों धार्मिक स्थलों पर जबरदस्ती जप्ती का खतरा उत्पन्न हो गया है। ये संविधान के अनुच्छेद 26 के अन्तर्गत धार्मिक संस्थाओं को मिले प्रबंधन के अधिकार का हनन है। हिन्दू मंदिर ट्रस्ट या चर्च के अधिकारों में छेड़छाड़ नहीं होती है लेकिन सिर्फ वक्फ के सम्पति को ही निशाना बनाया गया है।
इन्होंने आगे कहा कि बिना सलाह के ना तो मुस्लिम उलेमा से और ना ही वक्फ के जिम्मेदार से बात की गई और मुस्लिम संगठनों और राजद सहित विपक्षी दलों ने जो अपने सुझाव दिये थे उसको भी जेपीसी ने नजरअंदाज कर दिया और जबरदस्ती सरकार ने संख्या बल के आधार पर वक्फ संशोधन विधेयक के माध्यम से कानून को थोपा गया। इस तरह के मामले के सामने आने के बाद मुकदमेबाजी बढ़ेगी, कानूनी पेचीदगियो में फंसाकर वक्फ की जमीन को सरकार अपने अनुसार ले सकती है। इस तरह के कानूनी बदलाव मुसलमानों की धार्मिक, शैक्षणिक और ऐतिहासिक पहचान को मिटाने का प्रयास है। साथ ही साथ संवैधानिक सुरक्षा को भी यह कमजोर करता है। जो लोग इस बिल के माध्यम से पसमांदा और महिलाओं को अधिकार देने की बात कर रहे हैं वो झूठ बोल रहे हैं। दरअसल वक्फ बोर्ड का गठन संबंधित राज्य सरकार के द्वारा किया जाता है और इसमें सभी वर्गों के लोगों को पहले भी रखा गया है लेकिन सिर्फ इस तरह का नैरेटिव इसलिए गढ़ा जा रहा है कि इससे लोगों के बीच भ्रम फैलाकर सरकार इस कानून को पास कराने का मकसद को सामने नहीं आने दिया जाये।
इन्होंने कहा कि नीतीश कुमार कभी भी सेक्युलर नहीं रहे और हमेशा भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए उनके साथ खड़े दिखाई दिये। ऐसे लोगों को मुसलमान कभी माफ नहीं कर सकता जो तीन तलाक, सी.ए.ए., एन.आर.सी और 370 के मुद्दों पर भाजपा के साथ खड़े दिखाई दिये। जिस तरह का जनता दल यू के द्वारा प्रचार किया जाता है उन्हें यह बताना चाहिए कि नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री रहते हुए बिहार में कितने साम्प्रदायिक दंगे हुए हैं। जबकि एनसीआरबी के आंकड़े के अनुसार इधर पांच सालों में बिहार में 2018 में 33 प्रतिशत, 2019 में 31 प्रतिशत, 2020 में 14 प्रतिशत, 2021 में 13 प्रतिशत साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुई और इस तरह की घटनाओं पर सरकार ने चुप्पी साधे रखी। वक्फ सम्पति पर हमले के जिम्मेदार नीतीश कुमार और वो लोग होंगे जो भाजपा को वक्फ संशोधन विधेयक में साथ देकर कहीं न कहीं वक्फ सम्पतियों पर कब्जा करने वालों के लिए रास्ता खोल दिया है। सच्चर कमिटी ने माना है कि सरकार की ओर से सबसे अधिक वक्फ की जमीन पर कब्जा किये गये हैं और जिस तरह से वक्फ बाई यूजर खत्म किया गया है ये कहीं न कहीं उनलोगों के लिए जो मामले को विवादित बनाकर वक्फ सम्पतियों पर कब्जा करना चाहते हैं उनके लिए इस कानून से रास्ता आसान हो जायेगा।
कारी सोहैब ने आगे कहा कि जनता दल यू के नेता और मंत्री जिस तरह से हमारे उलेमा-दीन और मौलानाओं पर जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा ।
अशोक चौधरी जैसे नेता जो इस तरह के अपशब्दों का इस्तेमाल किये हैं उसके लिए उन्हें मुसलमानों से माफी मांगने की बात कही। जनता दल यू अपने नेताओं पर इस तरह के अभद्र और अपशब्द भाषा बोलने वालो पर कार्रवाई करे।
प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता श्री शक्ति सिंह यादव ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक मुसलमानों के धार्मिक अधिकार पर सीधा हमला है। संख्या बल के आधार पर तो केंद्र सरकार ने इस बिल को पास करा लिया है। तेजस्वी जी ने पहले ही कहा है कि हमारी सरकार आयेगी तो इसे किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने दिया जायेगा और इसे कूड़ेदान में फेंक दिया जाएगा। ये जनता के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा ने एजेंडा की राजनीति के लिए इस तरह का असंवैधानिक बिल को पास कराया है। राष्ट्रीय जनता दल इस मामले को लेकर सदन, सड़क के साथ-साथ कानूनी प्रक्रिया में न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया है । और चार याचिकाएं माननीय सर्वोच्च न्यायालय में न्याय के लिए दाखिल की है।