कोरोना काल में बिहार में 8.71 करोड़ लोगों को 22,800 करोड़ रूपए के 58.81 लाख मैट्रिक टन अनाज का हुआ वितरण : अश्वनी चौबे चौबे

न्यूज़ डेस्क –   केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा उपभोक्ता मामले खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि कोरोना काल में बिहार में 8.71 करोड़ लोगों को 22,800 करोड़ रूपए के 58.81 लाख मैट्रिक टन अनाज का वितरण हुआ वही देशभर में 80 करोड़ लोगों 565 लाख मैट्रिक टन अनाज वितरित हुआ।

श्री चौबे आज हाजीपुर में आयोजित “आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम” में गरीबों के बीच अनाज वितरण के दौरान अपने संबोधन में ये बातें कही। इस अवसर पर एफ. सी. आई के महाप्रबंधक संजीव भदानी, उपमहाप्रबंधक आनंद कुमार, लालगंज विधायक संजय सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि खाद आपूर्ति एवं जन वितरण विभाग, भारत सरकार खाद्य सुरक्षा प्रतिष्ठित सप्ताह मना रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत सरकार आज खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और 130 करोड़ के जनतंत्र को सशक्त बनाने के लिए प्रयासरत है। इन्हीं प्रयासों के फलस्वरूप कोरोना महामारी के बावजूद किसान भाइयों से जहां रिकॉर्ड खरीद हुई वहीं देश के 80 करोड़ जनता के बीच अभूतपूर्व परिमाण में अनाज वितरित भी हुआ। योजना के अंतर्गत 15 महीनों के लिए प्रत्येक लाभुकों को प्रतिमाह मुफ्त 5 किलोग्राम गेहूं चावल आवंटित किया गया।

राज्यों के खाद्य रूचि के अनुसार अनाज का अनुपात निश्चित किया गया। बिहार राज्य में 2 किलो गेहूं और 3 किलो चावल दिया गया वहीं पूर्वोत्तर राज्यों में 5 किलो चावल ही दिया गया। इस योजना में 15 महीनों के लिए कुल 565 लाख मीट्रिक टन आवंटित हुआ। आवंटित अनाज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पूरे भारतवर्ष में भारतीय खाद्य निगम के कर्मियों ने लगभग छह लाख मैट्रिक टन खाद्यान्न का परिचालन किया। बिहार क्षेत्र में 22800 करोड रुपए के अनाज मंगवा कर आम जनता को वितरण किया गया जिसका लाभ 8.71 करोड़ जनता को प्राप्त हुआ। वैशाली जिले में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत लगभग 2.8 मीटर खाद्यान्न का वितरण किया।

श्री चौबे ने कहा कि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आत्म निर्भर भारत का स्वप्न करने के लिए संकल्प है। देश की 60% से अधिक जनता कृषि पर आधारित है। आत्मनिर्भर भारत के लिए किसानों का विकास महत्वपूर्ण है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार ढेरों कदम उठा रही है।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट के अनुसार लागत के डेढ़ गुना ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी हो रही है बिचौलियों एवं फर्जीवाड़ा बंद करने के लिए सूचना एवं प्रौद्योगिकी की सीधी खरीद की जा रही है एवं उनके खाते में डीबीटी के माध्यम से सीधे पैसे भेजे जा रहे हैं ताकि समर्थन मूल्य के लाभ किसानों को मिल सके। हजारों अन्नदाता साहूकारी प्रणाली से मुक्ति पा रहे हैं। हम रिकॉर्ड रिकॉर्ड खरीदारी कर रहे हैं। वर्ष 2021 में भारत सरकार ने बिहार सरकार के साथ निश्चय किया है कि यहां 30 लाख मैट्रिक टन चावल की अधिप्राप्ति की जाएगी जिससे यहां की कुल वार्षिक आवंटन को पूरा किया जा सकेगा और बिहार आत्मनिर्भर बन पाएगा। खाद्य सुरक्षा को और सशक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में यह मंत्रालय सभी राज्यों के सहयोग से एक देश एक राशन कार्ड (वन नेशन वन राशन कार्ड) योजना पर भी तेजी से काम कर रहा है जिससे कोई भी लाभुक किसी भी परिस्थिति में अपने हक से वंचित से ना हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक भारत श्रेष्ठ भारत की कल्पना को साकार करने के लिए और सारे राज्यों को इस मुहिम में जोड़ते हुए एक देश एक एम एस पी, एक डी बी टी और एक राशन कार्ड की तरफ तेजी से अग्रसर हो रहे हैं।

श्री चौबे ने कहा कि खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ हम पौष्टिकता सुरक्षा की भी गारंटी दे रहे हैं जिसके लिए प्रधानमंत्री ने लाल किले के प्राचीर से संबोधित करते हुए 2024 तक सभी लाभकारी योजनाओं के तहत फोर्टीफाइड राइस का वितरण करने का संकल्प लिया है। वर्तमान में हम फोर्टीफाइड मिड डे मील स्कीम तथा आंगनबाड़ी के तहत आईसीडीएस स्कीम में बिहार के सभी जिलों में प्रदान कर रहे हैं। इससे माताओं एवं बच्चों को कुपोषण का शिकार होने से बचाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि खाद सुरक्षा को प्रबल करने के लिए बिहार में भारतीय खाद्य निगम की भंडारण क्षमता 2015 में जो 5.5 मैट्रिक टन बढ़कर 2020 में 10.5 कर दिया गया है। भंडारण में हम आधुनिक करण की ओर बढ़ रहे हैं। भारत के पहले राइस साइलो गोदाम कैमूर और बक्सर में बनाए जा रहे हैं जिसे अगले एक वर्ष के अंदर चालन में लाया जाएगा। इसके अतिरिक्त बिहार राज्य में 13 लाख मैट्रिक टन गोदाम के निर्माण हेतु अनुमति प्रदान कर दिया गया है। अखिल भारतीय स्तर पर 108 लाख मैट्रिक टन निर्माण के लिए अनुमति दे दी गई है। मोदी सरकार से इन निर्णयों से अभूतपूर्व विकास हो रहा है।

‘सीएजी बनाम सरकार’ की मानसिकता बदल गई है; आज लेखा-परीक्षण को मूल्य संवर्धन का अहम हिस्सा माना जा रहा है”

न्यूज़ डेस्क –  प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने पहले लेखा-परीक्षण दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा का अनावरण भी किया। इस कार्यक्रम में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक श्री गिरीश चंद्र मुर्मू भी उपस्थित थे।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सीएजी न केवल राष्ट्र के लेखा-खातों पर नज़र रखता है, बल्कि उत्पादकता और दक्षता में मूल्यवर्धन भी करता है, इसलिए लेखा-परीक्षण दिवस पर विचार-विमर्श और संबंधित कार्यक्रम हमारे सुधार व आवश्यक बदलाव का हिस्सा हैं। सीएजी एक ऐसी संस्था है, जिसका महत्व बढ़ गया है और इसने समय बीतने के साथ एक विरासत को विकसित किया है।

प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी, सरदार पटेल और बाबासाहेब अम्बेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि इन महान नेताओं ने हमें बड़े लक्ष्य निर्धारित करना और उन्हें प्राप्त करना सिखाया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय था, जब देश में लेखा-परीक्षण को आशंका और भय के साथ देखा जाता था। ‘सीएजी बनाम सरकार,’ यह हमारी व्यवस्था की सामान्य सोच बन गई थी। लेकिन, आज इस मानसिकता को बदला गया है। आज लेखा-परीक्षण को मूल्य संवर्धन का अहम हिस्सा माना जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले देश में बैंकिंग सेक्टर में पारदर्शिता की कमी के चलते तरह-तरह के गलत कामकाज होते थे। इसके परिणामस्वरूप बैंकों के फंसे कर्जे बढ़ते गये। उन्होंने कहा, “आपको अच्छी तरह पता है कि अतीत में फंसे हुए कर्जों को दरी के नीचे कवर करने का कार्य किया जाता था। बहरहाल, हमने पूरी ईमानदारी के साथ पिछली सरकारों का सच देश के सामने रखा। हम समस्याओं को पहचानेंगे, तभी तो समाधान तलाश कर पायेंगे।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “आज हम ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं, जिसमें ‘सरकार सर्वम्’ की सोच, यानी सरकार का दखल भी कम हो रहा है और आपका काम भी आसान हो रहा है।” उन्होंने लेखा-परीक्षकों को बताया, “यह मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस के अनुसार किया जा रहा। संपर्क रहित प्रक्रिया, स्वचालित नवीनीकरण, व्यक्ति की उपस्थिति के बिना मूल्यांकन, सेवाओं के लिये ऑनलाइन आवेदन – इन सभी सुधारों ने सरकार की अनावश्यक दखलंदाजी को खत्म कर दिया है।”

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि सीएजी ने सरकारी फाइलों और बहीखातों के बीच माथापच्ची करने वाली संस्था की छवि से मुक्ति पा ली है। उन्होंने कहा, “सीएजी आधुनिक प्रक्रियाओं को अपनाकर तेजी से बदल रही है। आज, आप उन्नत विश्लेषण उपकरण, जियो-स्पेशल आंकड़ों और सेटेलाइट इमेजरी का इस्तेमाल कर रहे हैं।”

सदी की सबसे बड़ी महामारी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि महामारी के खिलाफ देश की लड़ाई भी असाधारण रही है। आज हम दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम चला रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुछ सप्ताह पहले ही देश ने 100 करोड़ वैक्सीन डोज का पड़ाव पार किया है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस बड़ी लड़ाई के दौरान जिस तरह काम किया गया, सीएजी को उसका अध्ययन करना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पुराने समय में सूचनायें, कहानियों के जरिये प्रसारित होती थीं। कहानियों के जरिये ही इतिहास लिखा जाता था। उन्होंने कहा कि आज 21वीं सदी में आंकड़े ही सूचना हैं और आने वाले समय में हमारा इतिहास भी आंकड़ों के जरिये ही देखा और समझा जायेगा। प्रधानमंत्री ने आखिर में कहा कि भविष्य में आंकड़े ही इतिहास को दिशा दिखायेंगे।

 

नीतीश सरकार के 16 साल पूरे होने पर जदयू ने ‘समदर्शी नेतृत्व और समावेशी विकास के 15 साल बेमिसाल’ का नारा दिया

न्यूज़ डेस्क –  नीतीश सरकार के 16 साल पूरे होने पर प्रेस को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को शुभकामना देते हुए कहा कि  मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार  के नेतृत्व में सरकार की चौथी पारी के एक वर्ष पूरे हो चुके हैं। इस बीच सरकार ने कई उपलब्धियां हासिल की। सात निश्चय योजना के प्रथम फेज में बिहार के हर पंचायत और हर वार्ड की तस्वीर बदली हैं। उन्होंने कहा कि सात निश्चय के दूसरे फेज में भी बिहार के विकास के लिए कई योजनाएं चल रही हैं। सरकार का लक्ष्य है कि किसानों के हर खेत तक पानी पहुंचाया जाए, इसको लेकर सरकार लगातार काम कर रही है। पानी, बिजली, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा समेत हर क्षेत्र में क्रांति लाई गई है। माननीय मुख्यमंत्री जी की सोंच का ही प्रतिफल है कि आज बिहार विकास की गाथा लिख रहा है। बीते 16 वर्षों में बिहार ने जो ऊंचाई प्राप्त किया है, यह देश और दुनिया देख रही है। प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि सुशासन की सरकार के 16 वर्ष पूरा करने के उपलक्ष्य में 24 नवंबर 2021 को पार्टी द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। जिसमें सरकार की उपलब्धियों पर चर्चा की जाएगी। कार्यक्रम में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष  ललन सिंह शामिल होंगे।
वहीं संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए  विधान पार्षद सह पार्टी के मुख्य प्रवक्ता  नीरज कुमार ने बताया कि सरकार के 16 साल पूरे होने पर पार्टी ने तय किया है कि ‘समदर्शी नेतृत्व और समावेशी विकास के 15 साल बेमिसाल’ पार्टी का नारा होगा।  नीरज कुमार ने बताया कि आगामी 24 नवंबर को प्रदेश मुख्यालय के साथ साथ सभी जिला मुख्यालयों में भी कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। जिसमें सरकार की उपलब्धि और सरकार द्वारा चलाए जा रहे विकास कार्यक्रमों के सामाजिक प्रभाव पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी देश की राजनीत में एक मात्र ऐसे नेता हैं जो घोषणा पर नहीं बल्कि निश्चय की बुनियाद पर लड़ते हैं। यही राजनीत की भीड़ में उन्हें दूसरों से अलग करता है। वे जनता से जो वादा करते हैं उसे पूरा करने के बाद वोट मांगने के लिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि पॉलिटिक्स विद डिफरेंट के साथ काम करनेवाले मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में सरकार ने बिहार में विकास की पटकथा लिखी है। सात निश्चय पार्ट वन की अपार सफलता के बाद जनता का जनादेश मिलने के बाद सात निश्चय पार्ट टू पर हमलोग काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के विकास के लिए सरकार ने जो काम किया है उससे कोई इनकार नहीं कर सकता है। मानव विकास सूचकांक को बेहतर करने के लिए हमारी सरकार लगातार काम कर रही है।

भारत सरकार ने अपनी ओर से पीआईबी में फैक्ट चेक यूनिट की स्थापना जैसे उपाय किए हैं -अनुराग ठाकुर

न्यूज़ डेस्क –  केन्‍द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री  अनुराग सिंह ठाकुर ने आज राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर देश के पत्रकारों को बधाई दी है। पत्रकारों के लिए एक संदेश में श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा, ‘‘सरकार ने नागरिक केन्द्रित संवाद पर जोर दिया है – जिस भाषा में वे समझते हैं और जिस प्लेटफॉर्म के माध्यम से वे पहुंच करते हैं – चाहे वह टीवी समाचार, रेडियो, सोशल मीडिया या ऑनलाइन डिजिटल मीडिया हो।’’

उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय प्रेस दिवस भारत के नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने में मीडिया और प्रेस की भूमिका को दर्शाने करने का दिन है। मीडिया एक प्रहरी है और भारत जैसे एक सशक्‍त लोकतंत्र में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका भी है।”

फर्जी खबरों के खिलाफ सामूहिक लड़ाई का आह्वान करते हुए श्री ठाकुर ने कहा, “इस दिन मैं अपने मीडिया के मित्रों से अफवाहों और फर्जी खबरों के खतरे को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने का आह्वान करता हूं। भारत सरकार ने अपनी ओर से पीआईबी में फैक्ट चेक यूनिट की स्थापना जैसे उपाय किए हैं, जिसने लोकप्रियता हासिल की है।’’

सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने एक नए आकांक्षी भारत के निर्माण के लिए मीडिया को आमंत्रित करते हुए अपनी बात समाप्त करते हुए कहा, ‘‘जैसा कि हम भारत की स्वतंत्रता का 75वां वर्ष मना रहे हैं और अगले 25 वर्षों की ओर ध्‍यान रखते हैं – आइए हम प्रत्येक भारतीय के सपनों को साकार करने में साझेदारों के रूप में एक साथ मिलकर काम करें।’’

शिक्षा के साथ बच्चों को संस्कार देना भी है जरुरी : डॉ मानव

न्यूज़ डेस्क –  हिलसा प्रखंड के अकबरपुर गाँव में रविवार को आर.पी.एस स्कूल मोमिंदपुर की नई शाखा का विधिवत उद्घाटन किया गया जिसमें सैंकड़ों ग्रामीणों के अलावे शिक्षाविदों ने भी हिस्सा लिया . स्कूल के निदेशक अश्विनी कुमार उपेन्द्र की अध्यक्षता में आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि डा. आशुतोष कुमार मानव ने कहा कि पढ़ाई – लिखाई के साथ साथ बचपन से ही अगर बच्चों को संस्कार दिया जाए तो वह निश्चित रूप से तरक़्क़ी करेगा. अभिभावकों को चाहिए कि वो अपने बच्चों को ऐसी शिक्षा प्रदान करें जिससे वह एक आदर्श नागरिक बन सके . उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई वर्षों से काम कर रहे विद्यालय के निदेशक अश्विनी कुमार , उपेन्द्र कुमार के द्वारा जारी प्रयासों की सराहना करते हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों की भी हौसला आफ़जाई की

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इस अवसर पर निजी विद्यालय संघ के अध्यक्ष संजय प्रभाकर एवं प्रवक्ता सन्तोष कुमार पार्थ ने कहा कि शिक्षा समाज की रीढ़ है . बेहतर शिक्षा प्राप्त किए बग़ैर मानव जीवन अधूरा है . उन्होंने विद्यालय के निदेशक के प्रति आभार प्रकट करते हुए उन्हें शुभकामनाएँ दीं . कार्यक्रम के तहत कई गीत – संगीत , नाटक के माध्यम से समाज में फैली बुराइयों को दर्शाया गया तथा उसके समाधान पर भी बल दिया गया .

अब घर बैठे ऑनलाइन जमा करें ई-चालान की राशि

न्यूज़ डेस्क –  मोटरवाहन अधिनियमों/यातायात नियमों के उल्लंघन में ई चालान कटने पर जुर्माने की राशि कहीं से भी घर बैठे आसानी से ऑनलाइन जमा कर सकते हैं। इसके लिए परिवहन विभाग ने राज्यभर में ऑनलाइन व्यवस्था शुरु की है। इस संबंध में परिवहन विभाग द्वारा सभी जिलों के संबंधित पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है। ई चालान ऑनलाइन करने के लिए पूर्व की समीक्षा बैठक में परिवहन विभाग मंत्री श्रीमती शीला कुमारी द्वारा निर्देश दिया गया था।

 परिवहन विभाग मंत्री श्रीमती शीला कुमारी ने बताया कि ई चालान ऑनलाइन किये जाने से बिहार एवं दूसरे राज्यों के वाहन चालकों का बिहार में ई चालान कटने पर जुर्माने की राशि जमा करने में काफी सहूलित होगी।

 परिवहन सचिव श्री संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि यातायात नियमों के उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों से हैंड हेल्ड डिवाइस के माध्यम से ई चालानिंग की व्यवस्था पूर्व से पटना सहित सभी जिलों में लागू है। अब यातायात उल्लंघनकर्ता ऑनलाइन https://echallan.parivahan.gov.in/index/accused-challan जुर्माने की राशि जमा कर सकते हैं।

 बिहार में विभिन्न मोटरवाहन अधिनियमों के उल्लंघन में पकड़े गए दूसरे राज्यों के ट्रक चालक या अन्य वाहन चालक जिनका ई चालान कट गया है वह अपने घर बैठे कहीं से भी जुर्माने की राशि ऑनलाइन जमा कर सकते हैं। पहले ऑनलाइन सुविधा नहीं मिलने की वजह से दूसरे राज्य के ट्रक चालक या वाहन चालक को बिहार आकर जुर्माने की राषि जमा करना पड़ता था।

 कई बार मोटरवाहन अधिनियमों के उल्लंघन में दूसरे राज्यों के ट्रक चालकों एव अन्य वाहन चालकों का बिहार में ई चालान कटने पर तत्काल पैसा जमा करने में सक्षम नहीं हो पाते थे। वैसी स्थिति में जुर्माना का पैसा जमा करने के लिए उन्हें बिहार आना पड़ता था।

 दूसरे राज्यों के ट्रक ऑपरेटरों द्वारा लंबे समय से ई चालान ऑनलाइन करने की मांग की जाती रही है।

 पूर्व में यातायात उल्लंघनकर्ताओं को ई चालान जुर्माने की राशि ऑनस्पॉट या जिला परिवहन पदाधिकारी के कार्यालय या ट्रैफिक एसपी कार्यालय में जाकर जमा करना पड़ता था। ई चालान ऑनलाइन किये जाने से लोगों को जुर्माना राशि जमा करने के लिए किसी कार्यालय में जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। बल्कि अपनी सुविधानुसार ऑनस्पॉट या ऑनलाइन माध्यम से कर सकते हैं।

 राज्य में यातायात नियमों के उल्लंघन करने पर हैंडहेल्ड डिवाइस के माध्यम से ई चालान काटा जा रहा है। हैंड हेल्ड डिवाइस के माध्यम से ई चालान की प्रक्रिया की सभी आरटीए सेक्रेट्ररी, जिला परिवहन पदाधिकारी ,मोटरयान निरीक्षक, प्रवर्तन अवर निरीक्षक एवं सभी ट्रैफिक थाने के पुलिस पदाधिकारियों द्वारा जा रही है।

ऐसे जमा करें ऑनलाइन ई चालान की राशि

1. वेबसाइट https://echallan.parivahan.gov.in/index/accused-challan पर जाएं।

2. चालान डिटेल्स में चालान नंबर/वाहन का नंबर/डीएल नंबर इन तीनों में से किसी एक विकल्प पर क्लिक करें और नंबर भरें।

3. कैप्चा भरने के बाद गेट डिटेल्स को क्लिक करें।

4. मोबाइल वेरिफिकेशन पेज पर मोबाइल नंबर डालें, ओटीपी प्राप्त होगा। ओटीपी डालने के बाद सबमिट क्लिक करें।

5. स्क्रीन पर मिनीस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे का पेमेंट गेटवे खुलेगा, जिसमें ओग्रास सलेक्ट कर कंटीन्यू करें।

6. ई पेमेंट और बैंक का चयन कर आगे बढ़ें।

7. नेटबैंकिंग/ कार्ड का चयन कर पेमेंट करें।

शराबबंदी पर समीक्षा बैठक से पूर्व तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 15 सवाल किये हैं

न्यूज़ डेस्क –  बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शराबबंदी पर समीक्षा बैठक किये जाने पर नीतीश सरकार से कई सवाल किये है और कहा है कि आशा है आज की समीक्षा बैठक से पूर्व वो इनका उत्तर देंगे अन्यथा बैठक में इन पर विमर्श करेंगे। अगर ऐसा नहीं होगा तो फिर यह विशुद्ध नौटंकी होगी।

1. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी बताए कि वो शराबबंदी पर आज कौन से नंबर की समीक्षा बैठक कर रहे है? क्या यह 1100वीं समीक्षा बैठक है?

2. विगत 6 वर्ष में शराबबंदी पर की गयी पूर्व की हज़ारों समीक्षा बैठकों का क्या परिणाम निकला? अगर प्रदेश के मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिले तो यह प्रशासन की नहीं, सरासर मुख्यमंत्री की घोर विफलता है?

3. मुख्यमंत्री शराबबंदी के नाम पर लाखों ग़रीबों-दलितों को जेल में डाल चुके है लेकिन वो बताएँ कि अब तक उन्होंने शराब की पूर्ति करने वाले कितने माफिया, कारोबारी, तस्करों और अधिकारियों को जेल भिजवाया है? अगर नहीं तो क्यों? क्या यह क़ानून गरीब पर ही लागू होता है?

4. नीतीश सरकार शराब माफिया के साथ मिलीभगत के चलते न्यायालय में साक्ष्य प्रस्तुत नहीं करती जिससे एक-आध माफिया जो पकड़ाया जाता है उसे बरी होने में आसानी होती है। मुख्यमंत्री अगर शराबबंदी को लेकर गंभीर है तो वो बताएँ शराबबंदी के कितने मामलों में हारने के बाद बिहार सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की है?

5. मुख्यमंत्री जी, बताएँ शराबबंदी के नाम पर आज तक कितने डीएसपी और एसपी स्तर के अधिकारी बर्खास्त हुए है? क्या शीर्ष पुलिस अधिकारी शराबबंदी के प्रति जवाबदेह नहीं है?

6. मुख्यमंत्री जी, बताएँ शराबबंदी के नाम पर वो सिर्फ़ सिपाहियों को ही क्यों निलंबित करते है? निलंबित करने बाद उन्हीं 80% सिपाहियों को दुबारा बहाल क्यों करते है? अगर उन अधिकांश सिपाहियों की कोई गलती नहीं होती तो फिर आप उनके निलंबन का नाटक क्यों रचते है? क्या इसलिए कि शीर्ष अधिकारी बच जाए और सिपाहियों को निलंबित कर कुछ समय तक मामला ठंडा कर दिया जाए?

7. मुख्यमंत्री जी बताए, शपथ लेने वाले अधिकांश पुलिसकर्मी और जेडीयू नेता शराब क्यों पीते है?

8. मुख्यमंत्री जी अगर शराबबंदी की लेकर गंभीर है तो हमारे द्वारा सदन में साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद मंत्री रामसूरत राय और उनके भाई के ख़िलाफ कारवाई करने में आपके हाथ क्यों काँप गए? आप Biased और Selective Approach के साथ शराबबंदी करने की सोच भी कैसे सकते है?

9. हम शराबबंदी में सहयोग करते है, साक्ष्य प्रस्तुत करते है तो आप कारवाई करने की बजाय सदन में बैठे-बैठे मास्क के अंदर मुस्कुराते है। आपके लिए शराबबंदी नहीं कुर्सी महत्वपूर्ण है। है कि नहीं??

10. आपके राष्ट्रीय अध्यक्ष के करीबी, जेडीयू के वरिष्ठ नेतागण, सीतामढ़ी के उपाध्यक्ष, नालंदा के प्रखंड अध्यक्ष, सहित श्याम बहादुर सिंह जैसे अनेक विधायकों और आपके करीबी नेताओं के हमने साक्ष्य और video आपके सामने रखे। जनता को प्रवचन देने से पूर्व आप यह बताए उनके विरुद्ध आपने क्या कारवाई की? कई ईमानदार अधिकारियों द्वारा आपके नेताओं के विरुद्ध कारवाई करने पर आपने उन अधिकारियों को ही हटा दिया। यही आपकी शराबबंदी को लेकर प्रतिबद्दता है।

11. मुख्यमंत्री जी, आप विपक्ष के किसी भी सकारात्मक फ़ीड्बैक, सुझाव और ज़मीनी हक़ीक़त को हमेशा राजनीतिक चश्मे से देखते है इसलिए हर बात में आपको राजनीति ही नज़र आती है। हमारी नहीं तो अहंकार त्याग कम से कम आपके वरिष्ठ सहयोगी और पूर्व मुख्यमंत्री आदरणीय जीतनराम माँझी जी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सहित अनेक सांसद जो इसकी ख़ामियाँ गिनाते है, उन पर तो गौर कीजिए।

12. वह शराब माफिया जिसकी वजह से अनेक मौतें हो जाती है वह आपके बेडरूम तक कैसे पहुँचता है? उसके चुनाव जीतने पर आपकी पूरी पार्टी उसे बधाई देने पहुँचती है? यह संबंध क्या कहलाता है?

13. विगत 15 दिनों में विभिन्न जिलों में ज़हरीली शराब से हुई 65 मौतों का दोषी कौन है?

14. शराबबंदी के बावजूद प्रदेश की सीमा के अलावा 4-5 जिलों की सीमा पार कर करोड़ों लीटर शराब गंतव्य स्थल तक कैसे पहुँचती है? क्या आपके कथन अनुसार शासन-प्रशासन में सिवाय आपको छोड़ “सब लोग ही गड़बड़” है?

15. अगर बिहार में कथित लाखों लीटर शराब ज़ब्त हुई है, तो वह प्रदेश के अंदर कब, कैसे और क्यों पहुँची? इसमें किसका दोष है? यह किसकी विफलता है? अगर सरकार में बैठे माफिया, तस्कर, सत्तारूढ़ नेता और अधिकारी बिहार में प्रति माह करोड़ों लीटर शराब की पूर्ति नहीं कराते तो क्या अदृश्य “सुशासनी भूत” यह सप्लाई करता-कराता है?

मुख्यमंत्री जी, दिखावटी समीक्षा बैठक से पूर्व आपको गहन आत्म चिंतन, मनन और मंथन की ज़रूरत है। तब तक आप स्वयं की तथा खुलेमन से शासन- प्रशासन की ग़लतियाँ स्वीकार नहीं करेंगे तब तक ये बैठके एवं शराबबंदी अन्य दिनों की भाँति सामान्य रूप से चलती रहेगी और इनका कोई अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आएगा।

प्रथम लेखा दिवस के प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आज ऑडिट को वैल्यू एडिशन का अहम हिस्सा माना जा रहा है

न्यूज़ डेस्क – प्रथम लेखा दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा प्रधानमंत्री मोदी ने जो भी कहा उसे उनके ही शब्दों में जाने

कार्यक्रम  में हमारे साथ उपस्थित देश के कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल श्री जीसी मुर्मू जी, डिप्टी CAG सुश्री परवीन मेहता जी, इस महत्वपूर्ण संस्था के माध्यम से देश की सेवा के लिए समर्पित सभी सदस्यगण, देवियों और सज्जनों! आप सभी को ऑडिट डे की हार्दिक शुभकामनाएं।

एक संस्था के रूप में CAG, न केवल देश के खातों का हिसाब-किताब चेक करता है, बल्कि productivity में, efficiency में ‘वैल्यू एडिशन’ भी करता है। इसीलिए, ऑडिट डे और इससे जुड़े कार्यक्रम, इस अवसर पर हमारे चिंतन-मंथन हमारे improvement और improvisation का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। मैं आप सभी को आपकी निष्ठा के लिए, CAG की प्रासंगिकता और गरिमा को लगातार नई दिशा देने के लिए बधाई देता हूँ।

साथियों,

बहुत कम Institution ऐसे होते हैं जो समय बीतते-बीतते अधिक मजबूत होते हैं अधिक mature होते हैं और अधिक उपयोगी होते हैं। ज्‍यादातर Institution जन्‍म लेते हैं, तीन दशक, चार दशक, पांच दशक आते-आते स्थितियां इतनी बदल जाती हैं कि वो कभी-कभी अपना relevance ही खो देते हैं। लेकिन CAG के संबंध में हम कह सकते हैं कि इतने सालों के बाद ये Institute अपने-आप में एक बहुत बड़ी विरासत है, बहुत बड़ी अमानत है। और हर पीढ़ी को उसे संभालना, उसे संवारना, उसको सजाना और आने वाली पीढ़ियों के लिए और अधिक उपयुक्‍त बना करके उसको संक्रमित करना, ट्रांसपोर्ट करना, मैं समझता हूं कि एक बहुत बड़ी जिम्‍मेदारी भी है।

 

साथियो,

पिछली बार जब मैं यहां आया था, आप लोगों से मुलाक़ात हुई थी, तब हम महात्मा गांधी जी की 150वीं जन्म-जयंती मना रहे थे। उस कार्यक्रम में बापू की प्रतिमा का अनावरण किया गया था। और आज, जब ऑडिट-डे का ये महत्वपूर्ण कार्यक्रम हो रहा है, तब देश अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पर अमृत महोत्सव मना रहा है। आज हमें देश की अखंडता के नायक सरदार पटेल जी की प्रतिमा के अनावरण का सौभाग्य मिला है। गांधी जी हों, सरदार पटेल हों, या फिर बाबा साहेब आंबेडकर, राष्ट्र निर्माण में इन सभी का योगदान, CAG के लिए, हम सभी के लिए, कोटि-कोटि देशवासियों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा हैं। देश के लिए कैसे बड़े लक्ष्य तय किए जाते हैं, कैसे उन्हें हासिल किया जाता है, कैसे व्यवस्था में परिवर्तन लाया जाता है, इन महान व्यक्तित्वों की जीवन गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है।

साथियों,

एक समय था, जब देश में ऑडिट को एक आशंका, एक भय के साथ देखा जाता था। ‘CAG बनाम सरकार’, ये हमारी व्यवस्था की सामान्य सोच बन गई थी। और कभी-कभी तो ये भी हो जाता था कि बाबू लोग ऐसे हैं, ऐसा ही देते हैं। बाबुओं को लगता था CAG वाले ऐसे ही हैं कि हर चीज में उनको नुक्‍स ही नजर आता है। हरेक की अपनी-अपनी बात थी। लेकिन, आज इस मानसिकता को बदला गया है। आज ऑडिट को वैल्यू एडिशन का अहम हिस्सा माना जा रहा है।

सरकार के कामकाज का आकलन करते समय CAG के पास outsider viewpoint का advantage होता है। आप जो कुछ हमें बताते हैं, उससे हम Systemic Improvements करते हैं, उसे हम अपने लिए एक सहयोग के तौर पर देखते हैं।

मुझे लंबे अर्से तक सरकारों का नेतृत्‍व करने का सौभाग्‍य मिला है। मैं जब गुजरात में मुख्यमंत्री था तब भी अपने अधिकारियों से कहता था, और आज भी यही कहता हूँ, CAG में जो document और डेटा मांगे जाते हैं वो तो आप जरूर दीजिये, अपने काम से जुड़ी दूसरी फाइल्स भी उन्हें दीजिये। इससे हमारे लिए और बेहतर काम करने का स्कोप तैयार होता है। हमारा सेल्फ assessment का काम आसान हो जाता है।

साथियों,

शुचिता और पारदर्शिता हमारे व्यक्तिगत जीवन में हों या सरकार में, ये हमारे लिए सबसे बड़े morale booster होते हैं। उदाहरण के तौर पर, पहले देश के बैंकिंग सेक्टर में transparency की कमी के चलते तरह-तरह की practices चलती थीं। परिणाम ये हुआ कि बैंको के NPAs बढ़ते गए। NPAs को कार्पेट के नीचे कवर करने का जो कार्य पहले के समय किया गया, वो शायद मुझसे ज्‍यादा आप लोग जानते हैं। लेकिन हमने पूरी ईमानदारी के साथ पिछली सरकारों का सच, जो भी स्थिति थी, देश के सामने खुल करके रख दी। हम समस्याओं को पहचानेंगे तभी तो समाधान तलाश कर पाएंगे।

इसी तरह, आपकी तरफ से fiscal deficit को लेकर, सरकारी खर्चों को लेकर लगातार आगाह किया जाता था। हमने आपके concerns को सकारात्मक तरीके से लिया, Unused और Under-Used elements को monetize करने के साहसिक निर्णय लिए। आज इन फैसलों के परिणाम, फिर से गति पकड़ रही अर्थव्यवस्था, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है, उसका स्‍वागत-सम्‍मान हो रहा है। CAG में जब आप इनका व्यापक आकलन करेंगे तो मुझे लगता है कि इन फैसलों के कई ऐसे पहलू सामने आएंगे जो कभी-कभी विशेषज्ञों से भी छूट जाते हैं।

साथियों,

आज हम ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं जिसमें जो पुरानी सोच है, ‘सरकार सर्वम्, सरकार जानम, सरकार ग्रहणम’ इस पुरानी सोच को हमने बदलने का तय कर लिया है। और उसका परिणाम, सरकार का दखल भी कम हो रहा है, और आपका काम भी आसान हो रहा है। ‘मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस’ Contactless customs, automatic renewals, faceless assessments, service delivery के लिए online applications, इन सारे reforms ने सरकार के गैर-जरूरी दखल को खत्म किया है।

सिस्टम में जब ये ट्रांसपरेंसी आती है तो नतीजे भी हमें साफ-साफ दिखाई देने लगते हैं। आज भारत पूरी दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप eco-system बन चुका है। आज 50 से ज्यादा हमारे भारतीय यूनिकॉर्न खड़े हो चुके हैं। हमारे IITs आज चौथे सबसे बड़े यूनिकॉर्न प्रोड्यूसर बनकर उभरे हैं। ‘मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस’ के इस अभियान में आप सभी को, देश की हर संस्था को सहभागी बनना है, Ownership लेनी है, Co-traveler के रूप में चलना ही चलना है। हमारी हर संवैधानिक संस्था के लिए ये अमृतकाल का एक संकल्प, 2047 में जब हिंदुस्‍तान शताब्‍दी मनाएगा, तब देश को बहुत ऊंचाई पर ले जाने की ताकत के रूप में काम आएगा।

साथियों,

दशकों तक हमारे देश में CAG की पहचान, सरकारी फाइलों और बहीखातों के बीच माथापच्ची करने वाली संस्था के तौर पर रही है। CAG से जुड़े लोगों की यही इमेज बन गई थी। और इसका ज़िक्र मैंने 2019 में भी जब आपके बीच में आया था, मैंने उल्‍लेख किया था। मुझे खुशी है कि आप तेजी के साथ परिवर्तन ला रहे हैं, प्रक्रियाओं को आधुनिक बना रहे हैं। आज आप advanced analytics tools इस्तेमाल कर रहे हैं, Geo-spatial data और satellite imagery का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये इनोवेशन हमारे संसाधनों में भी होना चाहिए, और हमारी कार्यशैली में भी होना चाहिए।

मुझे बताया गया है कि आपने preliminary findings को field audit से पहले ही departments के साथ शेयर करना शुरू किया है। ये एक healthy practice है। जब आप इन preliminary findings को अपनी Field Study के साथ Combine करेंगे, तब इसके परिणाम और भी अच्छे निकलेंगे। इसी तरह, मैंने आपको सुझाव दिया था कि आप ऑफिस से बाहर निकलकर auditees और स्टेकहोल्डर्स से मिलें। आपने इस सुझाव को स्वीकार किया है। पिछले साल फरवरी में CAG के सीनियर ऑफिसर्स और मिनिस्ट्रीज़ के सेक्रेटरीज़ ने एक सेमीनार भी किया था। मैं इन प्रयासों की सराहना करता हूँ, और उम्मीद करता हूँ कि ये सिलसिला सेमीनार्स तक नहीं रुकेगा।

ये CAG और विभागों के बीच पार्टनर्शिप में progress करने का माध्यम बनेगा। जब मैं ये सुनता हूँ कि एक ग्राम पंचायत की महिला प्रधान को आपने इस प्रक्रिया में शामिल किया है तो हम सबके लिए ये गर्व की बात है कि आज हमारी संस्थाएं इस तरह के open environment में जमीन से जुड़कर काम कर रही हैं। ये evolution, ये अनुभव CAG को और उसके साथ-साथ हमारी auditing mechanism को एक नई ऊंचाई तक लेकर जाएगा। जितनी strong और scientific हमारी auditing होगी, उतनी ही हमारी व्यवस्थाएं transparent और मजबूत होंगी।

साथियों,

कोरोना के मुश्किल समय में भी CAG ने कितनी तन्मयता के साथ काम किया, इसकी जानकारी मुझे मिलती रही है और अभी कुछ बातें मुर्मू जी से भी सुनने को मिलीं। दुनिया के दूसरे बड़े देशों से होती हुई कोरोना की लहर हमारे यहाँ पहुंची थी, इतनी बड़ी आबादी की चुनौती हमारे सामने थी, सीमित संसाधनों का दबाव हमारे हेल्थ वर्कर्स पर था, लेकिन देश ने इलाज से लेकर बचाव तक हर फ्रंट पर युद्ध स्तर पर काम किया। बड़े-बड़े देशों के पास अगर व्यापक संसाधन थे, तो हमारे पास अतुलनीय सामाजिक शक्ति थी।

मुझे बताया गया है कि CAG ने भी अपने दायित्वों से आगे बढ़कर, आम जनता को वैक्सीनेशन में भी मदद की। इसी स्पिरिट के साथ देश की हर संस्था, हर देशवासी अपने कर्तव्य के पालन में जुटा हुआ था। हमने ये नहीं देखा कि हमारा काम क्या है, हमने ये देखा कि हम क्या कर सकते हैं! इसीलिए, सदी की ये सबसे बड़ी महामारी जितनी चुनौतीपूर्ण थी, उतनी ही इसके खिलाफ देश की लड़ाई भी असाधारण रही है।

आज हम दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम भी चला रहे हैं। कुछ सप्ताह पहले ही देश ने 100 करोड़ वैक्सीन डोज का पड़ाव पार किया है। मैं चाहूँगा कि अपने रूटीन कामकाज के साथ-साथ CAG, महामारी के खिलाफ देश की इस लड़ाई के दौरान जो अच्छी प्रैक्टिसेस डवलप हुईं, उनका अध्ययन करें। देश ने इससे जो कुछ नया सीखा, नया अपनाया, जो Systemic Learning हुईं, वो भविष्य में Global Good Practices बनने में भी मदद करेंगी, दुनिया को भावी महामारियों से लड़ने के लिए तैयार करेंगी, मजबूती देंगी।

साथियों,

पुराने समय में information, stories के जरिए प्रसारित होती थी। कहानियों के जरिए ही इतिहास लिखा जाता था। लेकिन आज 21वीं सदी में, डेटा ही information है, और आने वाले समय में हमारी history भी data के जरिए देखी और समझी जाएगी। In future, data will be dictating the history! और, बात जब डेटा और उसके assessment की होती है तो आप से बढ़ करके कोई मास्‍टर नहीं है इसका। इसलिए, आज आजादी के अमृत महोत्सव में देश जो प्रयास कर रहा है, जिन लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है, भविष्य में जब देश के इन प्रयासों का, इस कालखंड का आकलन किया जाएगा तो आपका काम, आपके दस्तावेज़ उसका एक प्रामाणिक आधार बनेंगे। जैसे आज हम अपने स्वाधीनता संग्राम से जुड़े इतिहास को देखते हैं, उससे प्रेरणा लेते हैं, वैसे ही जब देश आज़ादी के सौ साल पूरे करेगा तो आपकी आज की स्टडी रिपोर्ट्स उस समय के भारत के लिए अपने इतिहास में झाँकने का, उससे सीखने का जरिया बन सकती हैं।

साथियों,

आज देश ऐसे कितने ही काम कर रहा है जो अपने आपमें अप्रत्याशित भी हैं, और अभूतपूर्व भी हैं। दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान का ज़िक्र अभी जब मैं आपसे एक उदाहरण के तौर पर कर रहा था, इसी तरह, आप अनेकानेक संकल्पों में लगे हुये देशवासियों के कितने ही प्रयासों को देख सकते हैं। कुछ साल पहले तक हम सरकारी खातों में लाखों-करोड़ का हिसाब किताब तो करते थे, लेकिन सच्चाई ये भी थी कि देश के करोड़ों नागरिकों के पास अपना बैंक अकाउंट तक नहीं था। कितने ही परिवार ऐसे थे जिनके पास रहने के लिए अपना घर नहीं था, सर के ऊपर पक्की छत नहीं थी। पीने के पानी की सुविधा हो, बिजली का कनेक्शन हो, घर में शौचालय हो, गरीब से गरीब को इलाज की सुविधा हो, हमारे ही देश में करोड़ों लोगों के लिए ये बुनियादी जरूरतें, luxury हुआ करती थीं। लेकिन आज ये परिस्थिति बदली है, और तेजी से बदल भी रही है। देश अगर इस मुकाम तक पहुंचा है तो इसके पीछे कितने ही देशवासियों की दिन रात की मेहनत है, उनका कितना परिश्रम इसके पीछे लगा है। हमारे हेल्थ सेक्टर के लोग हों, बैंकिंग सेक्टर के लोग हों, सरकारी विभागों और प्रशासन के लोग हों, या फिर हमारा प्राइवेट सेक्टर हो, इन सबने एक अभूतपूर्व सामंजस्य के साथ असाधारण स्तर पर काम किया है। तब जाकर गरीब की चौखट तक उसके अधिकारों की डिलीवरी संभव हुई है, तब जाकर देश के विकास को ये गति हासिल हुई है।

साथियों,

समाज में इन फैसलों का असर इतना व्यापक होता है कि उन्हें हम तभी समझ पाते हैं जब इस दिशा में focused studies की जाएँ! CAG को भी देश के इन प्रयासों का, इन परिणामों का आकलन करना चाहिए। ये लेखा-जोखा देश के सामूहिक प्रयासों का प्रकटीकरण होगा, देश के सामर्थ्य और उसके आत्मविश्वास का एक जीता-जागता document होगा। साथ ही, इससे आने वाली सरकारों के लिए कामकाज के और बेहतर तरीके तलाशने में भी ये आपके दस्‍तावेज काम आएंगे।

मुझे पूरा भरोसा है कि देश के लिए आपका योगदान अनवरत जारी रहेगा, देश के विकास को नई गति देता रहेगा।

इसी विश्वास के साथ, आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद! और आप सबको अनेक-अनेक शुभकामनाएं।