बिहार के ग्रामीण इलाकों में शराब बनाने और बेचने का धंधा कुटीर उद्योग का रूप लेता जा रहा है जिसका मौखिक परमिट और लाइसेंस स्थानीय पुलिस द्वारा दी जाती है

न्यूज़ डेस्क -आप मानें या नहीं मानें। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लाख पटना में बैठकर पूरे बिहार के लिए शराबबंदी कानून बना लें ।
पटना में बैठकर वे भले ही एसी भवन में लंबा लंबा भाषण झाड़ लें। अपने कर्मचारियों ,अफसरों से लेकर पुलिस कर्मियों को शराब नहीं पीने की कसम दिलवा लें।शपथ दिलवा लें। लेकिन आलम है कि शपथ लेने के चंद मिनटों बाद ही हॉल से निकलने के कुछ ही देर के बाद उनके कर्मचारी और अफसर यहां तक कि पुलिसकर्मी शराब की बोतल खोजने लगते हैं और उसे मिलते ही चखना के साथ सुरक्षित ढाबे में बैठ जाते हैं ।सुरक्षित स्थानों पर दारू का आनंद लेने लगते हैं। मुख्यमंत्री की बातों का शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मजाक उड़ाया जाता है। उसका चुटकुला बनाकर लोग हंसते भी हैं।उनकी बातों को जिलों में ठेंगा दिखा देती है स्थानीय थाना पुलिस। स्थानीय थाना पुलिस थानाध्यक्ष से लेकर चौकीदार तक की चांदी है। सभी मिलजुल कर शराब बनाते और बेचते हैं ।


शराब के बड़े-बड़े कंटेनर, ट्रक पकड़े जाते हैं और लेन-देन के बाद वसूली के बाद मामला रफा-दफा कर दिया जाता है । अज्ञात आदमी के नाम पर दस पांच बोतल की बरामदगी दिखा दी जाती है और पूरा माल वापस शराब माफिया को सौंप दिया जाता है । इसी का एक नमूना पिपरा थाना क्षेत्र में देखने को मिला है ।


वहां के लोगों से बातचीत और वीडियो से साफ जाहिर हो रहा है कि किस प्रकार पुलिस की मिलीभगत और शराब कारोबारियों को है।

https://youtu.be/QACgoY1AvQY

सुपौल जिला में यह बात साफ लिखी जाती है । वहां पर पुलिसकर्मी यह मानते हैं कि बदन रहे खाकी वर्दी तो डर किस की बात का।
जी हां , ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि बिहार में पूर्ण शराब बंदी लागू होने के बावजूद खुल्लम खुल्ला शराब बिक रही है।पुलिस के लिए तो चिट भी मेरा पट भी मेरा वाली हालत है ।जिले में लगातार अवैध शराब की बिक्री जारी है, जबकि बड़े-बड़े वाहनों में भरी शराब से पकड़े जाते हैं कुछ बुद्धिजीवीयों का का मानना है, कि गांव और देहातों में देसी शराब का बनाने का एजेंसी पुलिस दे दी है।


, बड़े पेमाने से गांव और देहातों में देसी शराब बनाया जाता है। क्षेत्रीय चौकीदार मुख्य दर्शक बने हुए हैं ।
मजे की बात यह है, कि जिस क्षेत्र में देशी शराब बन रही है, वहां आखिर चौकिदार क्या कर रहे हैं, इसकी सुचना थाने को क्यो नही देते हैं ।
इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं, एक ऐसा ही नजारा जिले के पिपरा थाना क्षेत्र में देखने  को मिला है जहां थाना क्षेत्र अंतर्गत दुबियाही पंचायत के वार्ड नं0 14 एवं 17 में बड़े पैमाने पर देशी दारू बनवाई जाती है। वह भी पुलिस के संरक्षण में।
यहाँ दारू बनवाने वाले चौकीदार (नवनिर्वाचित मुखिया पति दुबियाही पंचायत )को शराब और मांस परोस कर उन्हीं के संरक्षण में दारू चुलाई जाती है, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वारयल हो रहा है।


आलम यह है कि पिपरा थाना क्षेत्र बड़े- बड़े शराब तस्कर के लिये सेफ जोन बना हुआ है । यहाँ बड़े पैमाने पर शराब बेची जाती है । नीचे से ऊपर तक सभी पदाधिकारी को इनकी जानकारी रहती है । लेकिन कभी कभार शराब पकड़कर इनकी खाना पूर्ति की जाती है ।
हद तो इस बात की है थानाध्यक्ष से लेकर वरीय पदाधिकारी तक अपनी छवि बचाने के लिये मीडिया के सामने सही जानकारी या बयान देना मुनासिब नहीं समझते हैं । आखिर क्यों ।

हाल ही में एक कंटेनर में महेशपुर कदम चौक पर अंग्रेजी शराब पकड़ाया लेकिन पुलिस बताने से परहेज कर रही है ।वहीं आज एक पिकअप वैन में बताया जाता है कि 50 से अधिक कार्टून में अंग्रेजी शराब ठाढ़ी पंचायत के बच्चा देवी के यहाँ से मिली। जिसमें ड्राइवर सहित एक अन्य को हिरासत में लिया गया है ।बताया जाता है पकड़े गये अन्य लोगों को छोड़ने की कवायद चल रही है । थानाध्यक्ष पिपरा नागेंद्र कुमार इस सम्बंध में कुछ भी बताने से परहेज कर रहे हैं। पुलिस के ही सूत्रों का कहना है कि आज देर शाम तक उसे जरूर छोड़ दिया जाएगा और मामला रफा-दफा कर दिया जाएगा। ऐसी ही कई घटनाएं रोजाना यहां होती हैं।

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