युवा लड़कियों को शिक्षा, स्वायत्तता और मुखरता से अपनी बात कहने से वंचित करने वाले समाज से लड़ने को कर रही प्रेरित
बाल विवाह की शिकार रोशनी परवीन के व्यक्तिगत अनुभव ने उन्हें ये हौसला दिया है कि वे युवा लड़कियों को शिक्षा, स्वायत्तता और मुखरता से अपनी बात कहने से वंचित करने वाले समाज से लड़ सकें। एक छोटे से गाँव से संबंध रखने वाली, रोशनी, न्गुवु कलेक्टिव के ‘शी क्रिएट्स चेंज‘ प्रोग्राम में अपने डिजिटल कैंपेनिंग ट्रेनिंग की मदद से, दुःख और प्रताड़ना के इस चक्र को तोड़ने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। और अब उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक खुला पत्र लिखकर 15 अगस्त को उनसे मिलने का मौका देने और 2024 के अंत तक सीमांचल क्षेत्र में बाल विवाह को समाप्त करने के मिशन को सशक्त करने का अनुरोध किया है।
रोशनी कहती हैं, 2017 में, गांधी जयंती के अवसर पर हमारे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाल विवाह के खिलाफ राज्यव्यापी अभियान शुरू किया था।2022 में अपने ‘समाज सुधार अभियान‘ के हिस्से के रूप में, उन्होंने बाल विवाह को समाप्त करने की जरूरत दोहराई। लेकिन अभी भी बाल विवाह बेरोकटोक जारी है। मुझे उम्मीद है, इस स्वतंत्रता दिवस पर, वह मुझे अपना अनुभव साझा करने के लिए समय देंगे ताकि मैं बता सकूं की व्यक्तिगत रूप से मैंने क्या झेला है, और साथ ही उन युवा लड़कियों की दुखद कहानियों को भी सुनेंगे जो मेरी ही जैसी नियति से गुजर रही हैं।
हाल ही में बाल विवाह पर शुरू की गई अपनी एक ऑनलाइन पेटिशन में वह कहती हैं, 14 साल की एक मासूम लड़की अपना दिन इस डर में बिताती है कि फिर से रात होगी और उसके शरीर पर उसके अधेड़ उम्र के पति का अधिकार हो जाएगा। यह डर उसे मानसिक रूप से पंगु बना सकता है। अपनी याचिका के माध्यम से, मैं एक आंदोलन शुरू करना चाहती हूं जो युवा लड़कियों की किस्मत बदल दे। इस आंदोलन की शुरुआत मैं बिहार में सीमांचल से कर रही हूं, जहां मैं रहती हूं।
भले ही किशनगंज, कटिहार और पूर्णिया जिलों में ‘जिला बाल संरक्षण इकाइयों‘ ने बाल विवाह पर अंकुश लगाने के प्रयास किए हैं, लेकिन रोशनी का कहना है कि ग्रामीण स्तर पर किया जाने वाला प्रयास पर्याप्त नहीं है।