भारत रंग महोत्सव के तहत थिएटर फेस्टिवल में तीसरे दिन गिरीश करनाड द्वारा लिखित असमिया नाटक ‘नागमंडल’ का मंचन
भारतीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी,नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा), दिल्ली के तत्वाधान में पटना में भारत रंग महोत्सव के तहत थिएटर फेस्टिवल के तीसरे दिन पटना के कालीदास रंगालय में प्रसिद्ध नाटककार गिरीश करनाड द्वारा लिखित असमिया नाटक नागमंडल का मंचन किया गया। इसके अनुवादक और निर्देशक बर्नाली गोगोई हैं तथा इसे इडिविजुअल नाट्य समूह ने तैयार किया है।
नागमंडल महान नाटककार गिरीश कर्नाड का अत्यंत लोकप्रिय नाटक है। नाटक में, रानी एक युवा दुल्हन है, जिसे उसके उदासीन और बेवफा पति अप्पन्ना द्वारा उपेक्षित किया जाता है। अप्पन्ना अपना अधिकांश समय अपनी उपपत्नी के साथ बिताता है और केवल दोपहर के भोजन के लिए घर आता है। रानी उन विशिष्ट पत्नियों में से एक है, जो किसी भी क़ीमत पर पति का स्नेह जीतना चाहती हैं। घोर एकाकीपन और दमन के बलि के बकरे के रूप में, वह कुरुदवा से मिलती है, जो उसे एक मंत्रसिद्ध पौधा देती है, जो अंततः अप्पन्ना को उससे प्यार करने के लिए उकसाएगा, और उसे उपपत्नी की उपेक्षा करने के लिए प्रेरित करेगा। इस जादुई पौधे को पकाने के दौरान, रानी को इसमें विकसित होने वाले लाल रंग का पता चलता है, और परिणामस्वरूप वह इसे नष्ट कर पास के बिल (बॉबी) पर फेंक देती है और फिर नाग उसे पी लेता है। नागा, जो एक इंसान का रूप ले सकता है, रानी पर मोहित हो जाता है और हर रात उसके पति के रूप में उससे मिलने आता है। इससे रानी का जीवन पूरी तरह से बदल जाता है, क्योंकि वह जीवन में अच्छी चीज़ों का अनुभव करना शुरू कर देती है, हालाँकि उसे कभी यह पता नहीं चलता कि उसके साथ जो व्यक्ति है, वह उसका पति नहीं है। एक दिन वह गर्भवती हो जाती है और अपन्ना को खबर देती है। वह तुरंत उस पर व्यभिचार का आरोप लगाता है और कहता है कि वह बच्चे का पिता नहीं है। मामला ग्राम पंचायत के पास जाता है। फिर उसे साँप के बिल में अपना हाथ डालकर और यह शपथ लेकर अपनी वफ़ादारी साबित करने के लिए कहा जाता है कि उसने व्यभिचार नहीं किया है। यह एक लोकप्रिय मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति साँप को हाथ में पकड़कर झूठ बोलता है, तो उसे साँप देवता तुरंत मार देंगे। जैसे ही रानी अपना हाथ रखती है, साँप (वही रानी को समर्पित नाग) उसके कंधे से लिपट जाता है। पंचायत, इस परिदृश्य से चकित होकर, रानी को न केवल निर्दाेष, बल्कि उसे देवी भी घोषित करती है। उसका पति, अप्पन्ना भी उसे देवी समझता है और उसे दोषमुक्त करने का प्रयास करता है।
पटना के कालीदास रंगालय में भारत रंग महोत्सव के तहत थिएटर फेस्टिवल का आरंभ 14 फरवरी को साजिदा साजी द्वारा निर्देशित ‘दोजख’ नाटक की प्रस्तुति के साथ हुआ। 19 फरवरी तक चलने वाले इस समारोह का उद्घाटन कला एवं संस्कृति विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बमराह ने द्वीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर मुख सूचना आयुक्त श्री त्रिपुरारी शरण सिंह, श्री हरिकेश सुलभ तथा राष्टीय नाट्य विद्यालय के फैकल्टी मेंबर आसिफ अली हैदर खान भी अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
इस बार भारत रंग महोत्सव (बीआरएम) अपना 25वां वर्ष मना रहा है। ये महोत्सव 1 फ़रवरी से 21 फ़रवरी तक भारत के 15 शहरों में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें दिल्ली, मुंबई, पुणे, भुज, विजयवाड़ा, जोधपुर, डिब्रूगढ़, भुवनेश्वर, पटना, रामनगर और श्रीनगर आदि शहर शामिल हैं. इस 21 दिवसीय थिएटर फेस्टिवल में 150 से अधिक प्रदर्शन, कार्यशालाएं, चर्चाएं और मास्टरक्लास शामिल हैं। इस वर्ष भारत रंग महोसव की रजत जयंती मनाई जा रही है। इस वर्ष भारंगम की विषयवस्तु ष्वसुधैव कुटुंबकम-वंदे भारंगम् है। यह रंगमंच के माध्यम से वैश्विक एकता को बढ़ावा देने, सामाजिक सद्भाव को समृद्धि प्रदान करने के उद्देश्य का प्रतिरूप है। इस प्रदर्शन कला के माध्यम से विविध संस्कृतियों को एक साथ लाते हुए, एक साझा वैश्विक परिवार की भावना विकसित करने का उद्देश्य है।