यात्रा पूरी होने पर रेलवे की खुली नींद ,ट्रेन से उतरने के 5 घंटे बाद दर्ज की गयी शिकायत

हुआ यूँ कि मैं अपने परिवार के साथ पटना से हरिद्वार की यात्रा 12369 कुम्भ एक्सप्रेस से शुरू की ,पहले तो मुझे पटना से इस ट्रेन में शुरुआत में ही लगभग चालीस मिनट का इन्तजार करना पड़ा

31 अक्टूबर के रात्री  में हमने लगभग दस बजे पटना से हरिद्वार की यात्रा शुरू की लेकिन कोच कि स्थिति देखकर हम काफी आहत हुए मेरे बच्चे मुझे कोसने लगे इतनी गन्दी कोच वाली ट्रेन में क्यूँ टिकट लिया .. ये मेरे बच्चों के लगभग दस वर्ष बाद की दूसरी ट्रेन सफर  थी जो बच्चों के लिए काफी खराब एक्सपिरियंस रहा .. हम इन्तजार करते रहे कि कोई आएगा और कोच को साफ़ करेगा लेकिन पूरी रात कोई नहीं आया … न खाना वाला न पानी वाला और अन्य कोई …………. न  tt साहेव कोई टिकट चेक करने भी नहीं आया ,,,,,, लगभग 2 या 3 बजे कोई बाहर का व्यक्ति पानी बेचने आया वो भी खराब कंडीशन में जो देखने से ही कोई चोर उचक्का टाइप दिख रहा था उसने कहा पानी लेना है तो ले लो क्योंकि पूरी रात कोई भी नहीं आने वाला प्यासे ही सोना पड़ेगा ,तब मजबूरन पानी खरीदना पड़ा जिसे बच्चों ने पिने से इनकार कर दिया इस बिच ट्रेन रुक रुक कर बढती रही ….. रात बीती और सुबह करीब चार बजे मेरे बगल वाले सीट का एक व्यक्ति अपनी यात्रा के लिए पहुंचे और फिर रात पूरी हुई सुबह जब सुल्तानपुर  पहुंचे तब जाकर रेलनीर नसीब हुआ तब जाकर जान में जान आई …….

तब फिर हम उम्मीद करने लगे कि सफाई वाला जरुर आएगा लेकिन जो भी आया सिर्फ शौचालय साफ़ कर खाना पूर्ति कर वापस लौट गया फिर आलू पकौड़ा नास्ता चिप्स बेचने वाला आया इस बिच कोच में गंदगी और बढती गयी मेरे दोनों बच्चे  सीट से बाथरूम जाने को भी तैयार नहीं हुए गंदगी देखकर ,,,,, हमने कई पेंट्री वालो को कहा ……… शौचालय साफ़ करने वालो को कहा कि कोच साफ़ करने वाला नहीं है क्या ..तो उसने बोला की दुसरे डब्बे की सफाई करते हुए आ रहा है लेकिन 12 बजे तक नहीं आया और तब थक हारकर और उम्मीद लगाकर x पर पोस्ट किया ….

लेकिन कोई असर नहीं हुआ …….. मेरा मोबाइल n. माँगा गया … pnr n. माँगा गया लेकिन कुछ नहीं हुआ 4 बजे हम हरिद्वार उतर गये तबतक रेल सेवा मदद से कोई रिप्लाई नहीं आया ………….

जब रात को हमने x को चेक  किया तब हमने उसपर अपनी बात रखी तब मुझे नौ बजकर सैतीस मिनट पर 9002020886 से किसी सज्जन ने फोन कर पूछा की आपने शिकायत दर्ज कराई है तब मुझे अहसास हुआ कि रेलवे कि नींद आखिर टूटी तो सही भले ही मेरे परिवार की यात्रा जैसे तैसे पूरी जो हो गयी थी ……………. मेरे साथ 72 साल की माँ भी साथ थी और मैं उन्हें चाहकर भी कुछ नहीं बता सका कि ऐसा क्यूँ हुआ ……..

बहरहाल मुझे ये सफ़र कभी न भूलने वाली सफ़र जरुर बन गयी जो आपके साथ साझा किया कि आपके साथ कभी ऐसा न इसके लिए आप जरुर सतर्क रहिएगा …………… धन्यबाद

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