लालू प्रसाद ने सिर्फ जीप ही नहीं चलाई बिहार को भी चलाने का दिया संदेश ,विरोधियों के उड़े होश
न्यूज़ डेस्क – राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने बुधवार को एकाएक यूं ही अपनी पुरानी जीप नहीं चलाई। उन्होंने चार दशक पुरानी जीप चलाकर राजनीतिक हलकों में कई संदेश दे दिया। यह साफ संदेश दे दिया की उम्र के इस पड़ाव में भी उनके बाजूओं में काफी ताकत है। दिमाग में काफी ताकत है ।ताजगी भरा दिमाग न सिर्फ जीप चला सकता है बल्कि बिहार को भी आगे प्रगति के रास्ते पर ले जा सकता है।बिहार में गरीबों के मसीहा के रूप में चर्चित लालू प्रसाद के जनाधार में भी इस जीप चालन का गहरा संदेश गया है।
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गरीबों ,पिछड़ों ,अत्यंत पिछड़ों ,दलितों, अल्पसंख्यकों के बीच एक नई खुशी की लहर भी देखी जा रही है । उनके सामने भी यह साफ संदेश गया है कि उनका नेता, उनका बहादुर जांबाज लड़ाका अभी पूरी तरह फिट है और आगे की लड़ाई लड़ने को तैयार है।
वास्तव में उनके जीप वाले संदेश को उनके पुराने मित्र नीतीश कुमार और सुशील मोदी बखूबी समझ रहे हैं । लेकिन उन्होंने मौन लगा रखा है। जीप चला कर विरोधियों को लालू जी ने संदेश दे दिया की वह अभी भी अपने विरोधियों पर हावी हो सकते हैं । चाहे वे विरोधी पुराने हो या नए उनकी बोलती बंद कर सकते हैं। बिहार में अभी भी उनकी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी है। चला सकते हैं बल्कि नए पुराने विरोधियों पर भी बखूबी काबू भी रख सकते हैं।
राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक लालू प्रसाद ने आने वाले दिनों में बिहार में अपने गतिविधियों के बढ़ने के भी संकेत दे दिए हैं । उन्होंने साफ कर दिया है कि बिहार की राजनीति को वे अब मूकदर्शक बनकर नहीं देख सकते हैं ।
17 साल पुरानी और जर्जर बिहार सरकार की गतिविधियों के पर्दाफाश करने में वे हस्तक्षेप करेंगे।
बिहार में सिर्फ भाजपा और नीतीश कुमार की खबरें नहीं छाई रहेंगी। बिहार का भाग्य किन्ही दो दलों के भरोसे छोड़ा भी नहीं जा सकता है ।
उन्होंने साफ कर दिया कि लिवर की खराबी, डायलिसिस की बातें के बाद भी उनके अंदर की आत्मशक्ति ,आत्मविश्वास कितना मजबूत है,
क्योंकि उन्होंने जिस 1977 के मॉडल का जीप चलाया, उसमें कोई पावर स्टेरिंग भी नहीं होता है। लेकिन उन्होंने उसे बखूबी कई किलोमीटर तक चलाया।
इस जीप चालन में एक संदेश छुपा है कि निरंतर कठिन होते बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में भी वे अपने पार्टी को आगे बढ़ा सकते हैं ।
विरोधी माहौल में भी अपने दल की गाड़ी को तेजी से ऊपर ले जा सकते हैं । उनके स्वास्थ्य या उम्र अधिक होने का कोई लाभ विपक्षी दलों को नहीं मिलेगा, बल्कि उनका मार्गदर्शन और उनकी सक्रियता का लाभ राजद उठाएगा ।
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भले ही राजद के नेतृत्व में की बागडोर तेजस्वी प्रसाद यादव को सौंप चुके हैं। लेकिन उनकी स्थिति अभी भी भीष्म पितामह वाली है। वह उनके तरकश में कई ऐसे वाण हैं जिनका विरोधियों के पास कोई जवाब नहीं है । उनकी आंतरिक तंदुरुस्ती भी इतनी है कि आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति को अपने हिसाब से चला सकेंगे। अगर राजद अकेले सत्ता में आती है तो उनके अनुभवों का भी पूरा लाभ तेजस्वी प्रसाद यादव को मिलेगा।
भाजपा के नेतृत्व वाली दक्षिणपंथी ताकतों को जो खुराक लालू प्रसाद के अनुपस्थिति से मिल रही थी वह भी आने वाले दिनों में शायद नहीं मिल सके। क्योंकि भाजपा के सभी दलीलों की परखच्चे लालू प्रसाद अकेले ही उड़ा देते हैं उनके पास तर्क का लंबा जखीरा भी है। भाजपा के खिलाफ उनके पास कई अकाट्य प्रमाण भी हैं , जिसे वे मजबूती से सरल शब्दों में जनता के सामने पेश भी कर देते हैं ।
बहरहाल लालू प्रसाद ने 6 टन वजनी लालटेन के दीप जलाकर अपनी तंदुरुस्ती का एहसास दिलाया बल्कि आने वाले समय में राजनीति में अपनी सक्रियता का संदेश भी दिया है ।