वर्तमान में मुख्यमंत्री राहत कोष में 665 करोड़ रूपये की राशि हैं जिससे आपदा की स्थिति में लोगों की मदद की जाती है
न्यूज़ डेस्क – मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में 1 अणे मार्ग स्थित संकल्प में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री राहत कोष न्यासी पर्षद की 21वीं बैठक सम्पन्न हुयी। मुख्यमंत्री राहत कोष न्यासी पर्षद की बैठक में मुख्यमंत्री राहत कोष से संबंधित विभिन्न बिन्दुओं पर विस्तृत चर्चा की गयी एवं चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये गये। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार ने 20वीं बैठक की हुई कार्यवाही का अनुपालन प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि हर बिंदु पर कार्यवाही पूर्ण की गई है। मुख्यमंत्री राहत कोष की लेखा में प्राप्त राशि वितरित राशि एवं शेष जमा राशि का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया । बैठक में मुख्यमंत्री को जानकारी दी गयी कि वर्ष 2006-07 में मुख्यमंत्री राहत कोष में महज 29 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त होती थी, जो मुख्यमंत्री की विशेष पहल से वर्ष 2021-22 में 1502 करोड़ रुपये हो गई। इसमें से 859 करोड़ की राशि व्यय की गई है और वर्तमान में मुख्यमंत्री राहत कोष में 665 करोड़ रूपये की राशि शेष है। मुख्यमंत्री राहत कोष से आपदा की स्थिति में लोगों की मदद की जाती है। इसके अलावा विविध कार्यों में लोगों की मदद की जाती है। इससे लोगों की काफी सहायता होती है। मुख्यमंत्री राहत कोष की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है।
बैठक में बताया गया कि कोरोना वायरस से मृत्यु होने पर मृतक के आश्रितों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 4 लाख रूपये की राशि की मदद दी जा रही है। अब तक 3704 मृतकों के आश्रित को प्रति मृतक 4 लाख रुपये की दर से कुल 148.16 करोड़ रुपये की राशि मुख्यमंत्री राहत कोष से निर्गत की जा चुकी है।
बैठक में यह भी जानकारी दी गयी कि कोरोना संक्रमण के रोकथाम हेतु लागू किये गये लॉकडाउन की स्थिति में अन्य राज्यों में फंसे बिहार के लोगों के आवासन एवं खाने की व्यवस्था हेतु मुख्यमंत्री राहत कोष से 100 करोड़ रुपये दिये गये। मुख्यमंत्री विशेष सहायताके रुप में मुख्यमंत्री राहत कोष से करीब 21 लाख लोगों के खाते में 1000 रुपए की राशि भेजी गई। कोरोना महामारी में मुख्यमंत्री राहत कोष से अब तक 448 करोड़ 16 लाख रूपये की राशि से लोगों को सहायता दी गयी है।
बैठक में बताया गया कि 10 बाढ़ प्रभावित जिलों में 100 बाढ़ आश्रय स्थल के निर्माण हेतु अब तक 59 करोड़ 2 लाख 60 हजार रुपये निर्गत की जा चुकी है। 40 बाढ़ आश्रय स्थल का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है और शेष का निर्माण कार्य प्रगति पर है। बाढ़ राहत शिविरों में बाढ़ पीड़ितों को बर्तन, वस्त्र आदि के मद में 600 रुपये प्रति व्यक्ति की दर से मदद की गई। बाढ़ के दौरान राहत शिविरों में लड़के के जन्म लेने पर 10 हजार रुपये एवं लड़की के जन्म लेने पर 15 हजार रुपये का भुगतान किया गया । कालाजार रोग से पूर्ण मुक्ति के लिये मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के अंतर्गत प्रत्येक कालाजार रोगियों को 6600 रूपये की मदद दी जा रही है। अब तक उक्त योजना हेतु 12 करोड़ रुपये राज्य स्वास्थ्य समिति को भेजी जा चुकी है। ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री की विशेष पहल से इस योजना की शुरुआत वर्ष 2011 में की गई थी। इस योजना से राज्य में कालाजार रोग के उन्मूलन में काफी सहायता मिली है। अब राज्य में दो हजार से भी कम संख्या में कालाजार रोग से पीड़ित मरीज बच गये हैं।
बैठक में बताया गया बाल श्रम उन्मूलन हेतु मुक्त कराये गये प्रत्येक बाल श्रमिकों को आवासन के लिये 25 हजार रूपये की मदद दी जा रही है। मुक्त कराये गये अब तक 1700 बच्चों को इसका लाभ दिया जा चुका है।
बैठक में श्री अनुपम कुमार मुख्यमंत्री के सचिव को सदस्य सचिव मुख्यमंत्री रहत कोष के रूप में नामित करने के प्रस्ताव पर स्वीकृति प्रदान की गयी।
बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार एवं मुख्यमंत्री के सचिव श्री अनुपम कुमार उपस्थित थे, जबकि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आपदा प्रबंधन मंत्री श्रीमती रेणु देवी, मुख्य सचिव श्री आमिर सुबहानी, पुलिस महानिदेशक श्री एस0के0 सिंघल, अपर मुख्य सचिव शिक्षा श्री संजय कुमार, अपर मुख्य सचिव वित्त श्री एस० सिद्धार्थ, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्री प्रत्यय अमृत, राज्यपाल के सचिव श्री आर०एल० चोंग्थू एवं सचिव आपदा प्रबंधन श्री संजय कुमार अग्रवाल जुड़े हुए थे।