राजगीर जू सफारी के लोकार्पण के बाद नीतीश ने पत्रकारों से सफारी से जुड़े अपने सपने साझा किये
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नालंदा स्थित राजगीर जू सफारी का लोकार्पण करने के बाद कहा कि आज इसका .उद्घाटन हुआ है, यह बड़ी खुशी की बात है। वर्ष 2016 में जू सफारी का शिलान्यास किया गया था। इसके बाद इसका डिजाइन बना और इसको लेकर विभाग काफी सक्रिय रहा। शिलान्यास के बाद निर्माणाधीन जू सफारी का हमें अनेक बार अंदर से देखने का मौका मिलाहै। उसी समय हमने कहा था कि नेचर सफारी जो यहां बन रहा है, उसके बगल में काफी वन क्षेत्र है इसलिए यहां जू सफारी भी बने। नेचर सफारी को काफी लोगों ने पसंद किया है।
अब जू सफारी भी लोगों को काफी पसंद आयेगी। यह बहुत खुशी की बात है कि राजगीर जू सफारी में टिकट विंडों, कंट्रोल रुम, इटरप्रेटेशन सेंटर, 180 डिग्री थियेटर, ओरिएंटेशन हॉल आदि का निर्माण पूरा हो चुका है। यहां पर्यटकों के लिए फोटो एवं सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया है। पर्यटकों की सुविधा एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी जरुरी काम किये गये हैं।
बाघ, शेर, भालू, तेंदुआ और हिरण को यहां रखने का निर्णय हुआ है। हिरण यहां पहले से थे, जिन्हें हर्बीवोरस सफारी में रखा गया है। इन जानवरों के लिए पाँच अलग-अलग बड़े इन्क्लोजर (बाड़े) बनाए गए हैं जिनमें पर्यटक सुरक्षित वाहनों में बैठकर जंगली जानवरों को उनके प्राकृतिक वातावरण में नजदीक से देख सकेंगे। उन्होंने कहा कि जू सफारी बनाने का मकसद यह है कि यहां जानवर खुले में विचरण कर सकें और देखने वाले वाहन में बैठकर इसका आनंद लें सकें। राजगीर जू सफारी में पर्यटकों के भ्रमण के लिए 20 वाहन खरीदे गये हैं। एक वाहन में 22 पर्यटक बैठकर भ्रमण कर सकते हैं। फिलहाल राजगीर जू सफारी में 2 बाघ, 7 शेर, 2 तेंदुआ, 2 भालू एवं 200 के करीब की संख्या में हिरण हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां पर जब नेचर सफारी बनाने की बात हुई तो हमने प्रधानमंत्री जी से इस संबंध में बात की थी। हमने कहा कि नेचर सफारी में शेर सफारी बन रहा है। बाहर से 6 शेर लाये गये हैं। प्रधानमंत्री जी की बड़ी कृपा है। मैं उनका सम्मान
करता हूं और उन्हें धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मेरी बातों को सुना। तामिलनाडू से एक बाघ मिलने की उम्मीद है। महाराष्ट्र से भी वन्य जीवों को लाने के लिए बात हो रही है। जू सफारी में पांचों प्रकार के जानवरों की सुरक्षा, भोजन, आवासन एवं चिकित्सा का पूरा प्रबंध किया गया है। यहां इंट्री प्वाइंट बन गया है। हर्बीवोरस सफारी, लेपर्ड सफारी, टाइगर सफारी सहित पांचों जगहों पर इंट्री प्वाइंट बन गया है। जू सफारी के भ्रमण में करीब डेढ़ घंटे का समय लगेगा। अब पर्यटक यहां आकर जू सफारी का भ्रमण कर सकेंगे। यहां जो खाली जगह है उस पर वृक्षारोपण कराया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां जो नेचर सफारी बना है, वहां तक जाने के लिये सोन भंडार और जरासंध के अखाड़े को पार करना पड़ता है। इसको ध्यान में रखते हुए जू सफारी की बाउंड्री के बगल से नेचर सफारी तक सुगमतापूर्वक आवागमन हेतु रास्ता बनाया जायेगा।
सोन भंडार और जरासंध का अखाड़ा ऐतिहासिक स्थल है, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पहुचते हैं। जू सफारी के बगल से अच्छी बाउंड्री बनायी जायेगी ताकि आसानी से पर्यटक नेचर सफारी तक पहुंच सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां बना ग्लास स्काई वॉक भी काफी लोकप्रिय हो गया है जो देश में कहीं नहीं है। वर्ष 2009 के दिसंबर माह में हमने यहां 7 दिनों तक रहकर एक-एक जगहों का मुआयना किया था। घोड़ाकटोरा में ईको टूरिज्म को बढ़ावा दिया गया है। वहां भगवान बुद्ध की प्रतिमा लगवायी गई है। घोड़ाकटोरा प्रांगण में पर्यटकों के आवागमन हेतु ई-रिक्शा का परिचालन कराया गया है। इसके लिए यहां के टमटम चालकों को निःशुल्क ई- रिक्शा मुहैया कराया गया। यहां पार्क का भी निर्माण कराया गया है। वेणुवन में भगवान बुद्ध रहा करते थे, जिसे विकसित एवं विस्तारित किया गया है ताकि नई पीढ़ी के लोग यहां आकर इससे अवगत हो सकें। पांडू पोखर का भी सौंदर्याकरण किया गया है। यहां जो पंच पहाड़ी है उसका संरक्षण किया जा रहा है एवं यहां पर पौधारोपण का कार्य भी कराया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार के बोधगया एवं गया के बाद सबसे ज्यादा पर्यटक राजगीर आते हैं। पूरे बिहार में पर्यटन को बढ़ावा देने का कार्य किया गया है। कोरोना काल के पहले तक प्रतिवर्ष बिहार में करीब 2 करोड़ टक आते थे। उन्होंने कहा कि राजगीर, गया, बोधगया एवं नवादा में गंगा नदी का जल बारहों महीने घर-घर तक उपलब्ध कराने का कार्य बड़े पैमाने पर किया जा रहा है ताकि लोगों को जल संकट की स्थिति का सामना नहीं करना पड़े। नालंदा विश्वविद्यालय के लिए भी काम किया गया। बिहार में पहला अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर राजगीर में बनवाया गया इसे भूलियेगा मत। यह काफी लोकप्रिय हो गया है।
अब देश के अन्य हिस्सों से भी लोग आकर यहां मीटिंग करते हैं। बिहार का दूसरा कन्वेंशन सेंटर पटना में सम्राट अशोक के नाम पर बनाया गया। अब बोधगया में बोधि सांस्कृतिक गृह का निर्माण किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बचपन से हम यहां कुंड में नहाने आते रहे हैं। राजगीर में पाँच समुदाय से जुड़े ऐतिहासिक स्थल हैं। हर धर्म के लोग यहां आते हैं। यहां पंच पहाड़ी के चारों तरफ जो साइक्लोपियन वॉल है, यह दुनिया में एक ही जगह है। विश्व धरोहर की सूची में नालंदा विश्वविद्यालय के बाद इसको शामिल कराने के लिए हमलोग प्रयासरत हैं। इसको लेकर केंद्र सरकार से भी अनुरोध किया गया है। उन्होंने कहा कि राजगीर का काफी विकास किया गया है। मेरा मकसद है कि यहां आकर नई पीढ़ी के लोगों को एक-एक चीजों का एहसास हो। राजगीर आकर लोग जू एवं नेचर सफारी का भ्रमण कर प्रकृति से जुड़ाव महसूस करेंगे। यहां 50 साल पहले विश्व शांति स्तूप बना था। वहां नये रोपवे का निर्माण कराया गया है। उन्होंने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा मिलने से राजगीर का और विकास होगा।