समाज में 10 प्रतिशत गड़बड़ करने वाले लोग शराबबंदी को लेकर तरह-तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं -नीतीश कुमार

मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार आज सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र स्थित बापू सभागार में पूर्ण नशामुक्ति, दहेज प्रथा उन्मूलन एवं बाल विवाह से मुक्ति हेतु आयोजित समाज सुधार अभियान में शामिल हुए।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए मैं आप सबका अभिनंदन करता हूं। आप सब इस अभियान में शामिल हैं। सभी ने अपनी-अपनी बातों को रखा है। जीविका दीदियों ने भी अपने अनुभव साझा किये हैं। उन्होंने कहा कि आप जानते हैं कि हमने समाज सुधार अभियान दिसंबर 2021 से शुरु किया है। वर्ष 2016 में हम सभी 9 प्रमंडलों में शराबबंदी अभियान को लेकर जगह-जगह जाकर महिलाओं के अनुभवों की जानकारी ली थी। इस बार 12 जगहों पर जा रहे हैं। जनवरी माह में पूरी दुनिया, देश और बिहार में कोरोना का तीसरा दौर शुरू हो गया, जिसके चलते अभियान को बीच में ही रोकना पड़ा। खुशी की बात है कि इसका असर तेजी से खत्म होने लगा और अब अभियान की फिर से शुरुआत की गई है और आज इसका 10वां पड़ाव है। कोरोना के मामले तेजी से घंटे हैं अब नालंदा जिला में 6 और पटना जिला में 138 मामले रह गए हैं। समाज सुधार अभियान में पूर्ण नशामुक्ति, दहेज प्रथा उन्मूलन एवं बाल विवाह को लेकर काम किया जा रहा है, इसके लिए कानून भी बनाए गए हैं। जननायक कर्पूरी ठाकुर वर्ष 1977 में मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने शराबबंदी लागू की थी, लेकिन 2 वर्ष बाद उसे हटा दिया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रारंभ से ही हमलोग शराबबंदी के पक्ष में हैं और वर्ष 2011 से ही इसको लेकर हमने अभियान चलाना शुरू कर दिया था। शराब बिक्री से राज्य सरकार को 5 हजार करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्त हो रही थी। हमने इसकी परवाह नहीं करते हुए जनहित में शराबबंदी को लागू किया। शराबबंदी करने को लेकर मेरे मन में दुविधा थी कि इसे पूरे तौर पर लागू कर पाएंगे या नहीं। 9 जुलाई 2015 को पटना में श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में जीविका के एक कार्यक्रम में महिलाओं ने शराबबंदी को लेकर आवाज उठाना शुरु किया। मेरे मन शराबबंदी को लेकर जो दुविधा थी, वो खत्म हो गई। उसके बाद मैं वापस माइक पर आया और कहा कि अगली बार सरकार में आएंगे तो बिहार में शराबबंदी लागू करेंगे। उसके तीन माह बाद ही बिहार में विधानसभा का चुनाव था। बिहार की जनता ने पुनः हमलोगों को काम करने का मौका दिया और हमने शपथ लेने के बाद 26 नवंबर को ही मीटिंग बुलाकर शराबबंदी को लेकर अभियान चलाने का निर्णय लिया। इसके लिए लगातार अभियान चलता रहा। इसको लेकर कानून बनाया। पहले 1 अप्रैल 2016 को ग्रामीण इलाके में देशी और विदेशी शराब पर रोक लगायी गई। जबकि शहरी इलाकों, नगर निगम और नगर परिषद् में अभी विदेशी शराब बंद नहीं करने का निर्णय लिया गया था। शहरों में कई जगहों पर महिलाएं, युवक-युवतियां और पुरुषों ने भी शराब की आवंटित दुकानों के खोले जाने पर कड़ा विरोध जताया। इसके बाद 4 अप्रैल को हमने मीटिंग बुलाई और 5 अप्रैल 2016 सेमुख्यमंत्री ने कहा कि उस अभियान के दौरान एक जगह पर एक महिला ने अपनी आप बीती सुनाई कि मेरे पति काम से लौटते थे तो दारू पीकर आते थे. मारपीट करते थे, हंगामा करते थे। परिवार में सभी को बुरा लगता था और देखने में भी खराब लगते थे। अब जब शराबबंदी हो गई तो बाजार से तरकारी (सब्जी) लेकर आते हैं और घर में आते हैं तो मुस्कुराते हैं और घर के काम में भी सहयोग करते हैं। अब वे देखने में भी अच्छे लगते हैं। शराबबंदी के बाद घर और समाज का माहौल बदल गया। शराब पीने के पक्षधर कुछ लोग मेरे खिलाफ बोलते रहते हैं। वे खुद को ज्यादा काबिल, पढ़ा लिखा और विद्वान समझते हैं लेकिन ऐसे लोग काबिल नहीं हो सकते हैं। जो शराब के पक्ष में बोलेगा वह गलत ही होगा। समाज में 10 प्रतिशत गड़बड़ करने वाले लोग होते हैं। शराबबंदी को लेकर कुछ लोग तरह-तरह के सवाल खड़े करने लगे। जहरीली शराब पीकर लोग मरते हैं। हम तो शुरु से कहते हैं कि शराब कितना खराब चीज है। इसका सेवन मत करो, शराब पीने से मौत भी हो सकती है। हमने आकलन कराया तो पता चला कि शराबबंदी लागू होने के बाद 1 करोड़ 64 लाख से ज्यादा लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है। हमने पुनः इसका आकलन कराने को कहा है। उन्होंने कहा कि विधानमंडल से सभी दलों ने सर्वसम्मति से शराबबंदी कानून पास कराया गया और सभी सदस्यों ने शराबबंदी के पक्ष में शपथ लिया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2 अक्टूबर 2017 को बापू सभागार का उद्घाटन किया था और उसी कार्यक्रम में दहेज प्रथा और बाल विवाह को लेकर अभियान चलाने की शुरुआत की गई थी। उस समय 5 हजार जीविका दीदियां आयी थीं। वर्ष 2018 शराबबंदी के पक्ष में लोगों ने बहुत बड़ी मानव श्रृंखला बनायी थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जब देश की आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे तो उस समय भी वे कहा करते थे कि शराब, आदमी से न सिर्फ उसका पैसा छीन लेता है बल्कि उसकी बुद्धि भी हर लेती है। शराब पीने वाला इंसान हैवान हो जाता है। अगर एक घंटे के लिए मुझे तानाशाह बना दिया जाए तो शराब को पूरे तौर पर बंद कर देंगे। उन्होंने कहा कि कुछ लोग खुद को काबिल समझते हैं लेकिन वे बापू की बातों को भी नहीं मानते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पूरी दुनिया का वर्ष 2016 में सर्वेक्षण कराया और 2018 में रिपोर्ट प्रकाशित की। उस रिपोर्ट में बताया गया है कि शराब पीने से दुनियाभर में एक साल में 30 लाख लोगों की मृत्यु होती है यानि दुनिया में जितनी मृत्यु हुई है उसका 5.3 प्रतिशत मौत शराब पीने से होती है। 20 से 39 आयु वर्ग के लोगों में 13.5 प्रतिशत मृत्यु शराब पीने के कारण होती है। शराब के सेवन से 200 प्रकार की बीमारियां होती हैं। 18 प्रतिशत लोग शराब पीने से आत्महत्या कर लेते हैं, जबकि शराब पीने के कारण 18 प्रतिशत आपसी झगड़े होते हैं। शराब पीने के कारण दुनियाभर में 27 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। हमलोगों ने इस बुकलेट में शराब के सेवन से होनेवाली हानियों के बारे में एक-एक बातों को लिखवाया है। इस बुकलेट के बारे में लोगों को विस्तार बताएं। नई पीढ़ी के लोगों को भी इन सब चीजों के बारे में जानकारी दें ताकि वे सचेत रहें। उन्होंने कहा कि बहुत लोग तो बहुत तरह की बातें करते रहते हैं। कुछ लोग हमको कहते थे कि शराबबंदी से पर्यटकों की संख्या घट जाएगी, मगर यहां शराबबंदी के बाद पर्यटकों की संख्या और बढ़ गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अवैध शराब के धंधेबाजों पर तेजी से कार्रवाई हो रही है। अब ड्रोन का भी उपयोग किया जा रहा है। शराब के धंधेबाजों पर मद्य निषेध और पुलिस विभाग की पूरी नजर है। धंधेबाज ड्रोन ऊपर से चित्र लेता रहेगा और कार्रवाई होती रहेगी। अभी 26 ड्रोन की सहायता ली जा रही है। ड्रोन हेलीकॉप्टर का भी उपयोग किया जा रहा है। ड्रोन के माध्यम से गंगा नदी के दोनों किनारों पर भी निगरानी की जा रही है। अगर कोई भी गड़बड़ी करेगा तो बच नहीं जाएगा। बालू के अवैध धंधेबाजों और क्राइम करने वालों पर भी नजर रहेगी। आप सभी से अपील है लोगों को जागरुक कीजिए और गड़बड़ी करने वालों सूचनादीजिए। उन्होंने कहा कि 2 लाख 17 हजार से अधिक छापेमारी अब तक की गई है। अपराध नियंत्रण के लिए भी लगातार काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में नालंदा में 8 आदमी की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई थी। दोषियों पर कार्रवाई की जा रही है। समाज सुधार अभियान सिर्फ नशामुक्ति के लिए ही नहीं है बल्कि बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के खिलाफ भी यह निरंतर चलते रहना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2005 से आपने सेवा करने का मौका दिया तब से आपकी सेवा कर रहे हैं। बिहार की पहले क्या हालत थी। शाम के बाद घर से निकलने की किसी की हिम्मत नहीं होती थी। सड़कें काफी जर्जर थीं। चाहकर भी कोई कहीं जा नहीं पाता था। बाढ़ लोकसभा क्षेत्र से हम 5 बार सांसद थे और केंद्र सरकार में श्रद्धेय अटल जी की सरकार में मंत्री भी थे। उस समय अपने संसदीय क्षेत्र में एक दिन में लगभग 12 किलोमीटर तक हम पैदल चला करते थे। उन्होंने कहा कि सरकार में आने के बाद से सड़क, स्कूल, अस्पताल सहित सभी क्षेत्रों में विकास का काम तेजी से किया जा रहा है। अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक समाज के बच्चों को स्कूलों तक पहुंचाने के लिए काम किया गया। पहले बिहार में शिक्षा की काफी बुरी स्थिति थी। पांचवी क्लास से आगे लड़कियां नहीं पढ़ पाती थीं। हमलोगों ने वर्ष 2007 से पोशाक योजना की शुरुआत की। इसके बाद 9वीं कक्षा में पढ़नेवाली लड़कियों के लिए साइकिल योजना की भी शुरुआत की। वर्ष 2009 में लड़कों के लिए भी हमने साइकिल योजना की शुरुआत करायी। इसकी चर्चा देश-दुनिया में हुई और दुनिया के में तीन मुल्क के लोग यहां आकर इसके बारे में विस्तृत जानकारी ली। मैट्रिक की परीक्षा में पिछले साल की लड़कियों की संख्या लड़कों से 300 अधिक थी। कुछ लोगों को मौका मिला तो उन्होंने अपने घर की महिला को मुख्यमंत्री बना दिया लेकिन प्रदेश की महिलाओं का कुछ भी कल्याण नहीं हुआ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों ने वर्ष 2006 से नगर निकाय एवं पंचायत चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया। ऐसा करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बना। कुछ लोग इसको लेकर मेरे खिलाफ रहे। इससे बड़ी संख्या में महिलाएं चुनाव जीतकर आयीं। पुलिस एवं सभी सरकारी सेवाओं में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया। इसका नतीजा है कि आज बिहार पुलिस में 25 हजार से ज्यादा महिलाएं हैं।

स्वयं सहायता समूह की संख्या बिहार में न के बराबर थी, हमलोगों ने विश्व बैंक से कर्ज लेकर इस काम को आगे बढ़ाया। हमने इसका नामकरण जीविका किया। हमलोगों ने 10 लाख स्वयं सहायता समूह बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया था और अब तक 10 लाख 28 हजार स्वयं सहायता समूहों को गठित किया जा चुका है जिनसे 1 करोड़ 27 लाख से परिवार जुड़ गया है। उस समय की सरकार ने जीविका का अध्ययन किया और इसे पूरे देश में आजीविका के नाम से यह योजना चलायी। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति, अति पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कई काम किए गए। उन्होंने कहा कि अब मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी एक तिहाई सीट लड़कियों के लिए आरक्षित कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा सड़क, स्वास्थ्य, पुल-पुलिया, महिलाओं के उत्थान काम किया है। हर घर तक पक्की गली-नाली का निर्माण कराया। हर घर नल का जल पहुंचाने का काम किया। हर घर में शौचालय का निर्माण कराया गया। हर घर तक बिजली पहुंचाई गई। हमलोग वर्ष 2005 से न्याय के साथ विकास के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में बाल विवाह और दहेज प्रथा को रोकने के लिए कानून बना हुआ है। इसके बावजूद यह कुप्रथा आज भी देखने को मिल जाती है। लोग लड़के की शादी में दहेज मांगते हैं बहुत बुरी चीज है। समाज में अगर पुरुष – स्त्री नहीं रहते तो हम सबका अस्तित्व नहींरहता। समाज को आगे बढ़ाने में महिलाओं की बड़ी भूमिका है। लड़की नहीं होगी तो लड़के की शादी आप किससे करेंगे। इसलिए दहेज प्रथा के खिलाफ निरंतर अभियान चलाते रहिए। दहेज मुक्त शादी समारोह में ही हमने जाने का निर्णय लिया है। शादी के कार्ड पर दहेज मुक्त शादी की बात लिखी जायेगी तो ही हम उस शादी समारोह में जायेंगे। आप सब भी ऐसा ही करें। उन्होंने कहा कि बाल विवाह से अनेक प्रकार की बीमारियां होती है। केंद्र सरकार का प्रस्ताव आया है कि लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले बिहार में प्रजनन दर 4.3 था जो घटकर अब 3 हो गया है। हमलोग इसके लिए लड़कियों को शिक्षित कर रहे हैं। लड़कियां पढ़ेंगी तो प्रजनन दर में और कमी आएगी। बिहार का क्षेत्रफल कम है, जनसंख्या का घनत्व अधिक है, इसलिए हमलोगों को प्रजनन दर घटाना है। उन्होंने कहा कि ताड़ी की जगह नीरा के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए तेजी से काम करें। सतत् जीविकोपार्जन योजना के तहत 1 लाख रूपये तक की इसमें मदद की जा रही है। इससे लोगों की आमदनी भी बढ़ेगी और रोजगार भी बढ़ेगा। प्रेम और भाईचारा के साथ हमलोग मिलकर आगे बढ़ते रहें। आप आगे बढ़ेंगे तो राज्य बढ़ेगा, देश बढ़ेगा।

कार्यक्रम के दौरान जीविका दीदियों के साथ संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत जीविका समूह की दीदियों ने शराबबंदी, बाल विवाह एवं दहेज प्रथा मुक्त समाज बनाने के साथ ही समाज सुधार अभियान के प्रति अपनी-अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की। मुख्यमंत्री द्वारा विकास कार्यों के साथ-साथ चलाए जा रहे समाज सुधार अभियान की सराहना करते हुए श्रीमती बबली कुमारी, श्रीमती शाहीन परवीन, श्रीमती ममता देवी, श्रीमती नेहा देवी, श्रीमती सविता देवी एवं श्रीमती माधुरी देवी ने अपनी आपबीती और अनुभवों को साझा किया।

पटना जिले के नेउरा की रहनेवाली श्रीमती बबली कुमारी ने बताया कि जब मैं छोटी थी तभी मेरे पिता का देहांत हो गया। पैसे के अभाव में गरीब परिवार में शादी हो गई। मेरे 9वीं पास पति पटना में मजदूरी करते थे उन्हें 2000 रुपये मिलता था। मेरे तीन बच्चे हैं। मैं जबसे जीविका समूह से जुड़ी और मुझे काफी मदद मिली। अब घर पर हमलोग दुकान चलाते हैं और उससे 10 से 15 हजार की आमदनी हो रही है। मुझे कांति दीदी ने एक बार कहा कि मैं गरीब हूं और मुझे पांच बेटियां हैं कैसे शादी करुं। लड़की को एक परिवार ने देखा उसके बाद उनको मुखिया जी के पास ले गए जहां उन्होंने सहायता की और बिना दहेज की शादी हुई। बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ लोगों को जागरुक कर रहे हैं तथा प्रेरित कर रहे हैं।

नालंदा के अस्थावां प्रखंड के जंगीपुर की रहने वाली श्रीमती शाहिन परवीन ने बताया कि मेरे पति की मृत्यु के बाद अपने चार बच्चों की जिम्मेवारी मेरे ऊपर थी। मैं 2017 में जीविका से जुड़कर काम करने लगी। मुझे तीन बेटी और एक बेटा है। सभी की पढ़ाई चल रही है। मुख्यमंत्री जी जब महिलाओं के सपोर्ट में हैं तो हमलोगों की किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है। मुख्यमंत्री जी के उद्देश्य को हमलोग मिलकर पूरा करेंगे, जिससे बिहार आगे बढ़ेगा। मैं तो सभी को जीविका से जुड़ने का आह्वान करती हूं। जीविका से जुड़कर हमारे गॉव की सभी महिलायें स्वावलंबी बन गयी है। हमारे गांव में एक भी गरीब महिला नहीं हैं।

पटना जिले के फुलवारी प्रखंड के कुरथौल की रहने वाली श्रीमती ममता देवी का परिवार पहले जीविकोपार्जन के लिए ताड़ी का व्यवसाय करता था। 2016 में नशाबंदी अभियान से मेरा व्यवसाय प्रभावित हुआ। उसके बाद 2018 में जीविका समुदाय से जुड़ गई। वर्ष 2020 में सतत जीविकोपार्जन से मुझे आर्थिक सहायता मिली। ताड़ी का व्यवसाय छूट गया और आज श्रृंगार की दुकान चला रही हूं और बाद में बकरी पालन का काम शुरु किया।आज की तारीख में 10 से 12 हजार तक की आमदनी हो रही है। मेरा पूरा परिवार आज खुश हैं। इस खुशी के लिए मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देती हूं कि आपने ताड़ी का व्यवसाय को बंद कराया। अब मुझे ताड़ी वाली नहीं बल्कि श्रृंगार वाली दीदी कहकर सम्मान मिलता

पटना जिले के मनेर प्रखंड की नगमा गाँव की रहनेवाली श्रीमती नेहा देवी ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि मैं आर्थिक तंगी से परेशान थी। आगे चलकर जीविका समूह से जुड़ी उसके बाद मुर्गी पालन, बकरी पालन किया तथा सब्जी का व्यवसाय करना शुरू किया जिसका नतीजा है कि हमारी आर्थिक समस्या दूर हो रही है। एक दीदी हमारे पास आयी और बोली कि मेरे पति शराब पीते हैं पूरे परिवार की स्थिति खराब है। बच्चे पढ़ नहीं पाते हैं। इस बात को हमलोगों ने संगठन में अपनी बात रखी। उनके घर जाकर समझाया शराब बुरी चीज है, इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रहा है। उसके बाद शराब भट्ठी पर जाकर हमलोगों ने उनको मना किया कि आप हमारे गांव के लोगों को शराब मत बेचिए। भट्ठी पर जाकर सारे सामान को हमलोगों ने नष्ट कर दिया और हमारे गाँव के लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया और गाँव में शराब बिकना भी बंद हो गया। मैं मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देती हूँ कि वे राज्य का विकास करने के साथ-साथ शराबमुक्त बिहार बनाने के लिये प्रयासरत हैं। हम सब दीदी उनके साथ हैं।

नालंदा जिले के गिरियक प्रखंड के दुर्गापुर की रहनेवाली सविता दीदी ने बताया कि वो ताड़ी का व्यवसाय करती थी। एक दिन ताड़ के पेड़ से फिसल जाने से मेरे पति का कमर और पैर खराब हो गया। बहुत पैसा खर्च करके इलाज कराया लेकिन उनका निधन हो गया एक बच्चा था उसके लिए ताड़ी बेचने का काम करने लगी। कुछ दिनों के बाद जीविका समूह से जुड़ी उसके बाद दीदी की बात मानकर सतत जीविकोपार्जन के तहत मनिहारी की दुकान खोली। उसके बाद अंडा दुकान खोली। बकरी पालन, मुर्गी पालन भी करने लगी। स्थिति में सुधार हुआ और 10 से 12 हजार की आमदनी हमारी हो रही है। मैं मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देती हूँ कि मेरा परिवार आज सुखमय जीवन जी रहा है।

नालंदा जिले के हरनौत प्रखण्ड के मोहनखंदा गॉव की रहने वाली श्रीमती माधुरी देवी ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि मेरा अतीत बहुत बुरा था लेकिन जीविका समूह से जुड़ने के बाद बदलाव हुआ। मेरी शादी में पैसा नहीं दिए जाने के कारण मेरे घर पर बारात नहीं आयी। मेरे मामा और फूफा ने पैसा दिया और उसके बाद दूसरे दिन मेरी शादी हुयी। मुझे ससुराल में दहेज के कारण प्रताड़ना होने लगा लेकिन हमने इसका सामना किया। मेरे पति कुछ दिनों के बाद दोनों पैर से लाचार हो गए। बाद में कोई काम कर पाने में असमर्थ हो गए। पति के इलाज के लिए 6 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज लेकर कराया। कर्ज से पूरी तरह से दब गई। मगर जीविका समूह से 2011 में जुड़कर जीवन में ब बड़ा परिवर्तन आया। वर्ष 2018 में दहेज प्रथा के खिलाफ मुख्यमंत्री जी का अभियान चला। अगर यह अभियान मेरे शादी के समय चला होता तो मैं दोषियों को जेल भेजवा देती। दहेज एक अभिशाप है, दो परिवारों के खिलनेवाले फूलों को यह नष्ट कर देता है। मैं सात परिवारों के साथ रहती हूं। बेटी को पढ़ा रही हूं वो खुद ही सशक्त हो जाएंगी। आज खुशहाली की जिंदगी जी रही हूं।कार्यक्रम में शामिल होने के पूर्व मुख्यमंत्री ने बापू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम के पूर्व महिला हेल्पलाइन सह वन स्टॉप सेंटर, नीरा उत्पाद एवं अन्य प्रदर्शनियों का मुख्यमंत्री ने अवलोकन किया। कार्यक्रम के दौरान आयुक्त पटना प्रमंडल श्री कुमार रवि ने मुख्यमंत्री को पौधा एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत किया।

कार्यक्रम के दौरान जीविका दीदियों द्वारा दहेज उन्मूलन एवं नशामुक्त समाज पर आधारित गीत को प्रस्तुत किया गया तथा सतत् जीविकोपार्जन योजना पर आधारित लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया।

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को लाभान्वित किया। सतत् जीविकोपार्जन योजना के अंतर्गत 3379 हितग्राहियों को 5.03 करोड़ रुपये का डमी चेक एवं विभिन्न बैंको के माध्यम से स्वयं सहायता समूह को कैश क्रेडिट लिमिट के तहत 202.5 करोड़ रूपये का डमी चेक प्रदान किया।

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