भाजपा सरकार ने देश के सबसे युवा प्रदेश बिहार को सबसे अधिक बेरोजगारों वाला राज्य बना दिया- तेजस्वी यादव

 बिहार के नेता प्रतिपक्ष  तेजस्वी यादव ने प्रेस वक्तव्य जारी करते हुए कहा है कि विडंबना ही है कि 15 लाख रुपए हर भारतीय के खाते में, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा व प्रतिवर्ष दो करोड़ नौकरियाँ देने का वादा करके 2014 में सत्ता में आई भाजपा सरकार ने देश के सबसे युवा प्रदेश बिहार को सबसे अधिक बेरोजगारों वाला राज्य बना दिया। 2 करोड़ सालाना नौकरियों की वादाखिलाफ़ी के बावजूद भी इन्होंने 2020 में बिहार के युवाओं को 19 लाख नौकरियों का वादा किया और फिर विश्वासघात कर युवाओं की पीठ में छुरा खोंपा।

इन सबके बावजूद भी इनका पेट नहीं भरा तो इन्होंने सेना की भर्तियों में ठेके पर #अग्निपथ योजना लागू कर युवाओं के सपनों को पुन: ध्वस्त किया। 17 साल से बिहार की सत्ता में बैठे संघ भाजपा के लोग अब 17 वर्षों के अपने ही कार्यों पर उंगली उठा रहे है। इसका सीधा अर्थ है कि इन्होंने 17 वर्षों तक बिहार के ख़ज़ाने की खूब लूटपाट की और अब अपने ही कामों से संतुष्ट नहीं है।

8 वर्षों से केंद्र और राज्य में भाजपा गठबंधन की डबल इंजन सरकार होने के बावजूद सत्तत विकास के हर सूचकांक में बिहार फिसड्डी क्यों है?

आम नागरिकों के जीवन में गुणात्मक सुधार को नापने वाली किसी भी राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय सूचकांक व रिपोर्ट में बिहार का पिछलग्गू व फिसड्डी होना दर्शाता है कि तथाकथित केंद्र की डबल इंजन सरकार का इंजन बिना ईंधन गैरेज में खड़ा कबाड़ हो चुका है तथा प्रदेश के विकास को बेपटरी कर दिया है।

हर चुनाव में केंद्र सरकार और भाजपा के बड़े-बड़े नेता व वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री बिहार आकर बड़े बड़े वादे करते है पर चुनाव या दौरा खत्म होने पर सब ढाक के तीन पात साबित होते हैं। सब कुछ यथावत बना रहता है। विशेष राज्य का दर्जा, विशेष पैकेज एवं बिहार में विकास को गति देने के वादे पर बार-बार बिहारवासियों को मुँह चिढ़ाने के लिए दोहराए जाते हैं।

भाजपा और एनडीए की नकारात्मक और शिथिल राजनीति के कारण के देश के सबसे युवा प्रदेश बिहार का वर्तमान और भविष्य बर्बाद हो रहा है। क्या भाजपा के अंतरराष्ट्रीय नेताओं को यह महसूस नहीं होता कि विगत 8 वर्षों में उनकी जनविरोधी, सांप्रदायिक एवं पूँजीपरस्त नीतियों की बदौलत बिहार में नफ़रत, भेदभाव, गऱीबी, पलायन और बेरोजगारी पहले से अधिक बढ़ी है?

केंद्र के बड़े नेता बताए कि NDA को 40 में से 39 सांसद देने वाले बिहार के साथ सौतेला व्यवहार क्यों हो रहा है? केंद्र सरकार की बिहार के लिए ना कोई प्रगतिशील सोच है, ना कोई दूरदर्शिता है और ना ही स्थिति में सुधार लाने के लिए कोई संकल्प!

अगर बिहार केंद्र सरकार के अधीन एजेन्सियों के हर पैमाने व सूचकांक में पीछे है तो उसमें सुधार के लिए उसी अनुपात में विकास राशि आवंटित क्यों नहीं की जाती जबकि बिहार से जनसंख्या में कम एवं आर्थिक, सामाजिक व सामरिक दृष्टि से कम महत्वपूर्ण राज्यों को अधिक विकास राशि दी जाती है?

बिहारवासियों के अंदर अंधकारमय दिख रहे भविष्य के प्रति घोर असंतोष और आक्रोश की भावना है। जो सरकार और नेता 100 वर्ष पुरानी बिहार की गौरवशाली पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा नहीं दे सकते वो बिहार और बिहारवासियों का क्या विकास करेंगे?

बिहार को अग्रणी राज्यों की श्रेणी में लाने के लिए अंबेडकर, लोहिया, कर्पूरी और गांधी के सिद्धांतों पर चलने वाली एक युवा, प्रगतिशील, सकारात्मक और विकासोन्मुख विचारों की समावेशी व समाजवादी सरकार की सख़्त ज़रूरत है।

You may have missed