भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने सत्यापन संस्थाओं से आधार के स्वच्छ उपयोग के निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया है
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने ऑफ़लाइन सत्यापन करने वाली संस्थाओं (ओवीएसईएस) के लिए दिशा-निर्देशों का एक सेट जारी किया है। इसमें कई स्वच्छ उपयोग के मुद्दों, उपयोगकर्ताओं के स्तर पर बेहतर सुरक्षा तंत्र और स्वेच्छा से आधार का कानूनी उद्देश्यों के लिए उपयोग करते समय नागरिकों के विश्वास को और बढ़ाने के तरीकों पर प्रकाश डाला गया है।
आधार संख्या धारक की स्पष्ट सहमति के बाद संस्थाओं को आधार का सत्यापन करने के लिए सूचित किया गया है। इन संस्थाओं को नागरिकों के प्रति विनम्र होना चाहिए और उन्हें ऑफ़लाइन सत्यापन करते समय अपने आधार की सुरक्षा एवं गोपनीयता के बारे में आश्वस्त करना चाहिए।
संस्थाओं को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण या किसी अन्य कानूनी एजेंसी द्वारा भविष्य में किसी भी ऑडिट के लिए नागरिकों से प्राप्त स्पष्ट सहमति का लॉग/रिकॉर्ड बनाए रखना आवश्यक है।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने ऑफ़लाइन सत्यापन करने वाली संस्थाओं को पहचान के प्रमाण के रूप में आधार को भौतिक या इलेक्ट्रॉनिक रूप में स्वीकार करने के बजाय आधार के सभी चार स्वरूपों (आधार पत्र, ई-आधार, एम-आधार और आधार पीवीसी कार्ड) पर मौजूद क्यूआर कोड के माध्यम से आधार को सत्यापित करने के लिए कहा है।
ऑफ़लाइन सत्यापन भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की केंद्रीय पहचान डेटा कोष से जुड़े बिना पहचान सत्यापन और केवाईसी प्रक्रियाओं को स्थानीय रूप से करने के लिए आधार का उपयोग किया जाता है। एक वैध उद्देश्य के लिए आधार संख्या धारक का ऑफ़लाइन सत्यापन करने वाले संगठनों को ऑफ़लाइन सत्यापन करने वाली संस्था कहा जाता है।
संस्थाओं से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है कि किसी भी नागरिक को आधार के ऑफ़लाइन सत्यापन से इनकार करने या असमर्थ होने पर कोई भी सेवा देने से इनकार नहीं किया जाता है, बशर्ते निवासी अन्य व्यवहार्य विकल्पों के माध्यम से स्वयं की पहचान करने में सक्षम हो। यह रेखांकित किया गया है कि ऑफ़लाइन सत्यापन करने वाली संस्था को सेवा प्रदान करने के लिए निवासियों को आधार के अलावा पहचान के व्यवहार्य वैकल्पिक साधन प्रदान करने की आवश्यकता है।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण-यूआईडीएआई ने ऑफ़लाइन सत्यापन करने वाली संस्थाओं को सूचित किया है कि सत्यापन संस्थाओं को आम तौर पर आधार के ऑफ़लाइन सत्यापन के बाद नागरिक की आधार संख्या एकत्र, उपयोग या संग्रहीत नहीं करनी चाहिए। सत्यापन के बाद, यदि ऑफ़लाइन सत्यापन करने वाली संस्था को किसी भी कारण से आधार की एक प्रति संग्रहीत करना आवश्यक लगता है, तो ऑफ़लाइन सत्यापन करने वाली संस्था को यह अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए कि आधार संख्या संशोधित/मास्क्ड और अपरिवर्तनीय है।
किसी भी आधार को एमआधार ऐप या आधार क्यूआर कोड स्कैनर का उपयोग करके आधार के सभी स्वरूपों (आधार पत्र, ई-आधार, आधार पीवीसी कार्ड, और एम-आधार) पर उपलब्ध क्यूआर कोड का उपयोग करके सत्यापित किया जा सकता है। आधार दस्तावेजों की छेड़छाड़ के बारे में ऑफ़लाइन सत्यापन द्वारा पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा छेड़छाड़ एक दंडनीय अपराध है और आधार अधिनियम की धारा 35 के अंतर्गत दंड का भागीदार हो सकता है।
यदि संस्थाओं को जानकारी के किसी भी दुरुपयोग की सूचना मिलती है, तो सत्यापन संस्थाओं को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण और नागरिक को इस बारे में 72 घंटों के भीतर सूचित करने की आवश्यकता होती है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा ऑफ़लाइन सत्यापन करने वाली संस्थाओं को किसी अन्य संस्था या व्यक्ति की ओर से ऑफलाइन सत्यापन नहीं करने और आधार के दुरुपयोग से जुड़ी किसी भी जांच के मामले में प्राधिकरण या कानून प्रवर्तन एजेंसियों को पूर्ण सहयोग सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है।