आटिज्म एवं सेरेब्रल पाल्सी वाले बच्चे हो सकते हैं बिल्कुल सामान्य – डॉ नेताल सिंह
राजधानी पटना में आटिज्म एवं सेरेबल पाल्सी से जुड़े चिकित्सकों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन रिहैब टच फिजियोथैरेपी एंड रिहेबिलिटेशन केंद्र पर आज शुभारंभ हुआ। प्रशिक्षण का शुभारंभ जाने माने सामाजिक कार्य मां वैष्णो देवी सेवा संस्थान के मुकेश हिसारियां हॉ अजय कुमार हॉ हेमंदु कुमार सिंह
डॉ संतोष कुमार सर्वदा शंकर लाल द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया गया। प्रशिक्षण शिविर में एबीए थेरेपी और न्यूरो डेवलपमेंट थेरेपी विषय पर नई तकनीक की जानकारी प्रशिक्षणार्थियों को उपलब्ध कराई गई। प्रशिक्षण शिविर का आयोजन ऑटिज्म और मेरेब्रल पाल्सी प्रभावित बच्चों को लेकर काम करने वाली उत्तर भारत के सबसे बड़े संस्था स्ट्रीम स्कूल फॉर ऑटिज्म एंड स्पेशल या काउंडेशन के द्वारा रिहैब टच फिजियोथैरेपी एंड रिहेबिलिटेशन बैंड के सदमें आयोजित की गई। प्रशिक्षण शिविर में सैकड़ों ऑक्यूपेशनल डीपिस्ट, फिजियोथैरेपिस्ट स्पीच थैरेपिस्ट क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट रेपिस्ट शामिल हुए। प्रशिक्षण शिविर को देश के जाने माने BCatA यूएसए सर्टिफाइड और गुड़गांव से आई डॉ योगेश्वरी सिंह और आगरा के डॉ नेताल सिंह द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान डॉ योगेश्वरी सिंह ने कहा कि एबीए अप्लाइड बिहेवियर एनालिसिस थेरेपी ऑटिज्म और अन्य व्यवहार संबंधी पुनौतियाँ वाले बच्चों के लिए प्रमुख परिवर्तन तकनीक है बच्चों में कौशल विकास समझ सामाजिक संपर्क संचार और अनुकूल व्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करती है। भावी जीवन में स्थायी प्रदान करने में एबीए पद्धति काफी कारगर है। पटना शहर में भी आटिज्म वाले बच्चे बहुत देखने को मिले हैं जिनके उत्तम सुधार के लिए यह पद्धति मील का पत्थर साबित होगी। आगरा से आए डॉ लाल सिंह ने कहा की न्यूरो डेवलपमेंटल थेरेपी एक विशेष प्रकार की चिकित्सा है जो बच्चों और वयस्कों के विकास को समर्पित करने के लिए उपयोगी होती है। इस थेरेपी का मुख्य उद्देश्य शारीरिक और मानसिक क्षमताओं को बढ़ाने तथा संवेदनशीलता विकसित करने में मदद करना होता है। यह थेरपी विभिन्न चिकित्सा तकनीको व्यायामी और गतिविधियों का उपयोग करती है जो शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में विकसित की गई है। न्यूरोडेवलपमेंटल थेरेपी के माध्यम से विशेष चिकित्सा पेशेवर थेरेपिस्ट बच्चों और वयस्कों के विकास में सहायता प्रदान करते हैं ताकि उन्हें उनके संदर्भ में अधिक स्वायत्तता और स्वावलंबन मिल सके।
प्रशिक्षण के दौरान ऑटिज्म से प्रभावित छोटे बच्चे भी मौजूद थे। संस्था के फाउंडर निदेशक चाइल्ड न्यूरोलॉजिस्ट डॉ अजय कुमार ने कहा कि बच्चों के लिए फाउंडेशन द्वारा विशेष सुविधा दी जा रही है ताकि बच्चे अपने भावी जीवन में चैन से जिंदगी जी सके। सेरेब्रल पाल्सी से प्रभावित बच्चे फिजियो थेरेपी की नई तकनीक द्वारा खुद में बदलाव ला रहे हैं। डॉ हेमेंदु सिंह और डॉ संतोष कुमार का कहना है कि जन्मही पता चल जाता है कि बच्चे सामान्य है या असामान्य ऐसे में समय रहते चिकित्सक से संपर्क कर लेना | चाहिए। सह संस्थापक सर्वदा शंकरलाल ने कहा कि यह प्रशिक्षण शिविर पहली बार पटना में आयोजित हो रही है जिसका लाभ बिहार वासियों को मिलेगा।