यह आश्चर्य और चिंता का विषय है कि अभी तक हिंदी को वह स्थान नहीं मिल सका है,जो इसे संविधान सभा ने देना चाहा था – सभापति

हिंदी भारत की सबसे लोकप्रिय भाषा है।वह दिन दूर नही जब यह अपनी वैज्ञानिकता और सरसता के कारण हर जिह्वा पर छा जाएगी और पूरी दुनिया में इसकी गूंज होगी ,जिस पर प्रत्येक भारत वासी को भी गौरव होगा। शीघ्र ही यह देश की राष्ट्र भाषा भी बनेगी ,क्योंकि यह सबके दिल में उतर जाएगी,खुशबू बनकर महकेगी और धड़कन धड़कन बन जाएगी।यह बातें गुरुवार को हिंदी साहित्य सम्मलेन में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डॉक्टर अनिल सुलभ ने कही ।डॉक्टर सुलभ ने कहा कि वर्ष २००५ से बिहार हिंदी साहित्य सम्मलेन हिंदी दिवस पर उत्सव मनाना छोड़ देगा,क्योंकि जिस लिए यह दिवस मनाया जाता है,संविधान सभा के उस निर्णय का तो अनुपालन आज तक हुआ ही नहीं।अगले १४ सितंबर को भारत की सरकार औपचारिक रूप से हिंदी को देश की राष्ट्र भाषा घोषित कर दे ,तभी आगे से इस उत्सव का कोई महत्व है, अन्यथा यह तो भारत के लोगों का उपहास ही माना जाएगा।इसके पूर्व समारोह का उद्घाटन करते हुए ,बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि यह आश्चर्य और चिंता का विषय है कि अभी तक हिंदी को वह स्थान नहीं मिल सका है,जो इसे संविधान सभा ने देना चाहा था।यह शुद्ध वैज्ञानिक भाषा है, संस्कृत पर आधारित है।

श्री ठाकुर ने इस अवसर पर ,वरिष्ठ साहित्यकार एम के मधु की पुस्तक “रानी रूपमती की चाय दुकान” का लोकार्पण भी किया।समारोह के मुख्य अतिथि और उपभोक्ता संरक्षण आयोग ,बिहार के अध्यक्ष न्यायमूर्ति संजय कुमार ने कहा कि हिंदी दिवस के अवसर पर हमे संकल्प लेना चाहिए कि जब तक हिंदी देश की राष्ट्र भाषा नही बनाई जाती हमे संघर्ष जारी रखना होगा।हिंदी भाषा का भविष्य उज्जवल है,क्योंकि यह बाजार की भाषा बन चुकी है दूरदर्शन के कार्यक्रम प्रमुख डॉक्टर राज कुमार नाहर,सम्मेलन के वरीय उपाध्यक्ष जियालाल आर्य , आकाशवाणी के समाचार एकांश के उप निदेशक अजय कुमार ,डॉक्टर मधु वर्मा ,डॉक्टर कल्याणी कुसुम सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।इस अवसर पर हिंदी भाषा के उन्नायन में मूल्यवान योगदान देने वाले १४ हिंदी सेवियों डॉक्टर प्रतिभा रानी, दिवेश प्रसाद पाठक,चंद्र शेखर प्रसाद साहू,सुजाता मिश्र, मीरा श्रीवास्तव ,डॉक्टर राज कुमार नाहर ,अजय कुमार,लवकुश प्रसाद सिंह,पूनम देवा,विनीता शर्मा,चंदन द्विवेदी,शंकर कैमूरी,प्रो समरेंद्र नारायण तथा शंभू नाथ पांडे को साहित्य सम्मलेन हिंदी सेवी सम्मान से अलंकृत किया गया।

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