बिहार की सहकारी समितियां आगे आकर इसमें भी अपना अमूल्य योगदान दे : सुरेश प्रभु

वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबन्ध संस्थान (सहकारिता मंत्रालय, भारत सरकार) पुणे, महाराष्ट्र के द्वारा शनिवार (25 नवम्बर 2023) को “नई राष्ट्रीय सहयोग नीति 2023” पर ज्ञान भवन, पश्चिमी गांधी मैदान, पटना में क्षेत्रीय कार्यशाला आयोजित की गई।

कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय सहकारिता नीति, सेक्रेट्रीएट, वैमनीकॉम द्वारा हाइब्रिड मोड में किया गया। सुरेश प्रभु, अध्यक्ष, राष्ट्रीय सहकारिता नीति समिति और पूर्व-केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार नई सहकारिता नीति 2023, का ड्राफ्ट नीति में अपनाए जाने वाले दृष्टिकोण और मुख्य प्रावधानों के बारे में कार्यशाला में विस्तार से बताया गया। उन्होंने कहा कि जिस तरह जय प्रकाश जी ने क्रांति कर बिहार का नाम रोशन किया ठीक उसी प्रकार बिहार की सहकारी समितियां आगे आकर इसमें भी अपना अमूल्य योगदान दे और मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि यह प्रदेश ऐसा जरुर करेगा।

मौक़े पर नेशनल कोऑपरेशन पॉलिसी, 2023 को लेकर सहकारिता विभाग, बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव, दीपक कुमार सिंह ने कहा कि इस पालिसी से सभी को लाभ मिलेगा और सारी सहकारी समितियां मिलकर काम करेगी तो प्बिहार के साथ-साथ देश का भी विकास होगा।

इस अवसर पर राजेश मीना, आई.ए.एस., रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, बिहार ने भी नीति तैयार करने में विचारों और सुझावों का समर्थन किया। वहीं वामनीकॉम की निदेशक डॉ. हेमा यादव ने सहकारी आंदोलन को मजबूत करने और गहरा करने, कानूनी ढांचे और सहकारी समितियों के लिए समान अवसर को बढ़ावा देने, सहकारी समितियों और सामूहिकों की क्रेडिट संरचना और वित्तपोषण, बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी अपनाने, शासन पर नीति की मुख्य विशेषताएं और प्रमुख सिफारिशें प्रस्तुत कीं। और सेक्टर संगठनों के नेटवर्क, शिक्षा, प्रशिक्षण, अनुसंधान और विस्तार सेवाएं, सदस्यता और सामाजिक समावेशन और सेक्टर और विविध व्यावसायिक उद्यमों में जीवंतता को बढ़ावा देना।
मनरेगा आयुक्त संजय कुमार ने सहकारी पारिस्थितिकी तंत्र में मानकों और गुणवत्ता नियंत्रण विशेषताओं के बारे में महत्व दिया।
सिक्किम राज्य सहकारी अध्यक्ष ने चुनाव संरचना पर नीतिगत ढांचे, उत्तर पूर्वी क्षेत्रों से प्रतिनिधियों को बढ़ाने, उत्तर पूर्व राज्यों में क्षमता निर्माण गतिविधियों में वृद्धि और पर्यटन, तीर्थयात्रा, खेल और रोमांच आदि में सहकारी समितियों पर एक निर्धारित नीति बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया। हितधारकों ने नई सहयोग नीति के सक्षम प्रावधानों की सराहना की है, जिसने समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। क्षमता निर्माण को मजबूत करने, युवाओं और महिलाओं को मुख्यधारा में लाने पर कुछ सुझाव थे।
समापन संबोधन में, सुरेश प्रभु ने राज्य के अधिकारियों को आश्वासन दिया कि मसौदा समिति ने राज्यों की स्वायत्तता और संघीय चरित्र की रक्षा में अत्यधिक सावधानी बरती है। बेहतर अस्तित्व और व्यापक पहुंच के लिए सहकारी समितियों को सभी क्षेत्रों में प्रवेश करना चाहिए।


इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य हितधारकों को नई सहकारिता नीति 2023, इसकी मुख्य विशेषताओं और प्रमुख सिफारिशों के बारे में सूचित करना है। प्रदेश के अलावे झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, असम, त्रिपुरा, नागालैंड और सिक्किम के रजिस्ट्रार सहकारी समितियां, राज्य सहकारी संघ बैंक, यूसीबी, डीसीसीबी के अध्यक्ष, बोर्ड सदस्यों और मुख्य कार्यकारी अधिकारीगण कार्यशाला में पूर्वी और उत्तर पूर्व क्षेत्र के राज्यों की अग्रणी सहकारी समितियों के डेयरी संघ, नाफेड, इफको, एनसीयूआई, नॅफकब, आईसीए-एपी भाग लिए।

कार्यशाला में लगभग 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया तथा अन्य सदस्य ऑनलाइन मोड में भी जुडे‌। सभी क्षेत्रों अर्थात पश्चिमी, दक्षिणी, उत्तरी और मध्य और पूर्वी क्षेत्र हेतु कार्यशालाओं के पूरा होने पर राष्ट्रीय सहकारिता नीति का ड्राफ्ट, सेक्रेट्रीएट, वैमनीकॉम द्वारा सहकारिता मंत्रालय को प्रस्तुत किया जाएगा।
कार्यशाला के दौरान अन्य राज्यों के गणमान्य अतिथियों के साथ विभाग के अधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।

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