वाहनों से लूटपाट करने वाले एक संगठित गिरोह का तीन लुटेरा गिरफ्तार

अनुमंडल के विभिन्न थाना क्षेत्रों में वाहनों के साथ लूटपाट करने वाले एक संगठित गिरोह का उद्भेदन करते हुए तीन लुटेरे को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने गिरफ्तार लुटेरों के पास से चोरी के दो बाइक एक लैपटॉप एवं साथ मोबाइल भी बरामद किया है। अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी कृष्ण मुरारी प्रसाद ले सोमवार की शाम अपने कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में उक्त आशय की जानकारी दिया। उन्होंने बताया कि हिलसा, चंडी, थरथरी, नगरनौसा थाना क्षेत्रों में सुनसान जगह पर आने जाने वाले वाहनों के साथ लूटपाट करने वाले एक संगठित गिरोह का उद्भेदन किया गया है। हिलसा थाना क्षेत्र  के खेवन बीघा गांव निवासी राजीव कुमार एवं अजय प्रसाद की मोटरसाइकिल की लूट बीते 16 मार्च को हुई थी। इस संबंध में हिलसा थाना में प्राथमिकी दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू की गई। इसी बीच चंडी थाना क्षेत्र में 30 मार्च को बाइक लूट की घटना घटी। तीनों घटना के पर्यवेक्षण के दौरान यह ज्ञात हुआ कि एक ही गिरोह के लुटेरों द्वारा इस घटना को अंजाम दिया गया है। इसके बाद नालंदा के पुलिस कप्तान अशोक मिश्रा के निर्देश पर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी कृष्ण मुरारी प्रसाद के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया। टीम में थानाध्यक्ष प्रकाश कुमार शरण, अवर निरीक्षक कुणाल चंद्र सिंह, चंदन कुमार, नीरज कुमार ,धर्मेश गुप्ता, मोहम्मद सद्दाम खान एवं डीआईयू के सदस्यों को शामिल किया गया। लूट के इस कांड की तकनीकी एवं मानवीय अनुसंधान के क्रम में लुटेरों के गिरोह से जुड़े 3 सदस्यों को हिलसा थाना क्षेत्र के भुडकूर गांव से गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार अपराधियों में मुन्ना कुमार पिता नहूं जमादार, नीतीश केवट पिता शिव कुमार केवट एवं आकाश केवट पिता स्वर्गीय हीरा केवट शामिल है। इनके पास से चोरी किया गया दो बाइक एक लैपटॉप एवं 7 मोबाइल भी बरामद किया गया है। पुलिस के समक्ष तीनों लुटेरे ले लूट की कई घटनाओं में अपनी संलिप्तता स्वीकार किया है। लुटेरे द्वारा इस गिरोह के सरगना समेत अन्य सदस्यों के बारे में भी पुलिस को जानकारी दी गई है। इस गिरोह से जुड़े अन्य अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है। अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी श्री प्रसाद ने बताया कि इस गिरोह से जुड़े लोग मुख्य सड़कों पर सुनसान आस्थान देखकर अपना शिकार चुनते थे। आने वाले राहगीरों को निशाना बनाते हुए उन्हें सुनसान स्थान पर ले जाकर उनके ही कपड़े से उनका हाथ पैर बांध देते थे। इसके बाद उसके पास पैसा मोबाइल बाइक समेत अन्य सामानों को लूट लिया जाता था। इस दौरान कुछ लुटेरे अगल बगल पुलिस की रेकी करते थे। लुटेरे सुरक्षित स्थान पर पहुंच जाने के बाद रेकी करने वाले लुटेरे भी भाग जाते थे। इधर लुटेरे के गिरोह का उद्भेदन होने से सड़क लूट की घटनाओं में कम होने की संभावना है।

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