जिन लोगों ने आज़ादी की लड़ाई में कभी तिरंगा नहीं पकड़ा, आज उनको हाथ में तिरंगा लेकर आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाते देखकर अच्छा लगा.

बहुत महँगी थी अमित शाह जी की रैली. संभवतः बिहार की अब तक की सबसे महँगी रैली. जिन लोगों ने आज़ादी की लड़ाई में कभी तिरंगा नहीं पकड़ा, आज उनको हाथ में तिरंगा लेकर आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाते देखकर अच्छा लगा.
सोलह सत्रह वर्षों से बिहार के शासन का बागडोर हाथ में है. इसके बावजूद अमित शाह जी का लालू यादव का नाम लेकर लोगों को डराते हुए सुनकर हंसी आई. पिछले विधानसभा चुनाव में राजद गठबंधन की सरकार बनते बनते रह गई थी. अभी विधान परिषद के चुनाव में हमारी कामयाबी. और उसके बाद बोचहां की हमारी भारी जीत से अमित शाह जी सशंकित हो गये हैं यह तो उनके द्वारा लालू जी का नाम लेने से ही स्पष्ट हो गया है. लेकिन उन्होंने बहुत चतुराई दिखाई. तेजस्वी का नाम नहीं लिया. जबकि राजद का बागडोर तो लालू जी ने तेजस्वी के हाथों में ही सौंप दिया है. विधानसभा का पिछला चुनाव सहित अबतक सभी चुनाव राजद तेजस्वी के ही नेतृत्व लड़ा है. लेकिन राजद को संतोष है कि अमित शाह जी ने लालू जी का नाम लेकर बिहार में हमारी ताक़त और चुनौती को क़ुबूल किया है.

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