बिहार में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत पटना जिला प्रथम स्थान पर पहुंचा

जिला पदाधिकारी, पटना-सह-अध्यक्ष, प्रबंध समिति, मत्स्य पालक विकास अभिकरण डॉ. चन्द्रशेखर सिंह की अध्यक्षता में आज समाहरणालय स्थित सभा कक्ष में मत्स्य पालक विकास अभिकरण की प्रबंध समिति एवं प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत जिला स्तरीय समिति की बैठक हुई। इस बैठक में विभिन्न योजनाओं में प्रगति की समीक्षा की गई।

जिला मत्स्य पदाधिकारी श्री मनीष कुमार श्रीवास्तव द्वारा बताया गया कि बिहार में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत पटना जिला प्रथम स्थान पर है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के विशिष्ट अवयवों यथा बायो फ्लॉक तालाब, मोबाइल फिश किओस्क, फिश फीड मिल इत्यादि का निर्माण किया गया। प्राप्त लक्ष्य के विरूद्ध सभी अवयवों में पटना जिला की उपलब्धि रही है। डीएम डॉ. सिंह ने इस पर प्रसन्नता जाहिर की एवं भविष्य में भी मत्स्य निदेशालय से प्राप्त होने वाले लक्ष्य एवं जिला के परिप्रेक्ष्य में योजनाओं के सफल क्रियान्वयन एवं सूत्रण का निर्देश दिया। विदित हो कि बिहार राज्य में मत्स्य आहार की आवश्यकता प्रतिवर्ष 60 हजार मैट्रिक टन है। राज्य में मत्स्य आहार का उत्पादन 1 टन भी नहीं हुआ करता था। इसी परिप्रेक्ष्य में जिला स्तरीय समिति की पूर्व में ली गई निर्णय के आलोक में गुणवत्तापूर्ण फिश फीड मिल के अधिष्ठापन हेतु लाभुकों का चयन किया गया था। इस क्रम में 20 मेट्रिक टन प्रतिदिन की क्षमता से उत्पादन करने वाली इकाई का अधिष्ठापन फतुहा अंचल अंतर्गत हरदास बीघा गांव में किया गया है। वहीं दूसरा 20 मेट्रिक टन क्षमता वाला मत्स्य आहार का प्लांट बख्तियारपुर में बनना प्रारंभ हो गया है। तीसरा 8 टन प्रतिदिन की क्षमता वाला प्लांट भी मसौढ़ी में बनकर तैयार हो गया है। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर छोटे और सीमांत कृषकों के लिए 2 टन प्रतिदिन क्षमता वाला उत्पादन इकाई का भी अधिष्ठापन प्रारंभ हो गया है। इसमें मसौढ़ी एवं पुनपुन लगभग बनकर तैयार हो गया है। इस तरह से बिहार की मांग के विरुद्ध एक चौथाई आहार की आपूर्ति पटना जिला करने में आगामी वर्षों में सक्षम होगा। इसी तरह सघन मत्स्य पालन व्यवस्था के अंतर्गत बायो फ्लॉक तालाबों का भी निर्माण प्रारंभ किया गया है। बख्तियारपुर एवं बाढ़ अंचल में इसका निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। ऐसे नौ अन्य इकाइयां पूरे जिले में बनाई जानी है। मछलियों के बढ़ते मांग को ध्यान में रखते हुए शीघ्र मछली के व्यंजनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मोबाइल फिश कियोस्क का भी अधिष्ठापन किया गया है जिसे संभवतः बिहार में पहली दफा पटना में उपयोग में लाया जा रहा है।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत जिले में 20 मेट्रिक टन क्षमता वाले आहार संयंत्र का अधिष्ठापन हुआ है।इसके अलावा 8 मेट्रिक टन क्षमता का एक एवं दो मेट्रिक टन क्षमता प्रतिदिन के दर से तीन संयंत्रों का भी अधिष्ठापन प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत जिले में किया गया है जो मील का पत्थर साबित हुआ है।

पके हुए मछली एवं मछली के अन्य व्यंजन के प्रारूप की मछलियों के खाने की इच्छा रखने वाले ग्राहकों तक शुद्ध एवं सस्ते दर पर उपलब्ध कराने हेतु मोबाइल फिश किओस्क की भी शुरुआत की गयी है।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि इस तरह की योजनाएं ना सिर्फ रोजगार सृजन में सहायक होती हैं वरन मछलियों के उत्पादक को अच्छी कीमत भी प्रदान करती हैं।

जिला मत्स्य पदाधिकारी ने वर्ष 2021-22 हेतु प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत प्राप्त आवेदनों को प्राथमिकता के आधार पर चयन करने हेतु समिति के सम्मुख प्रस्ताव रखा। इसे समिति ने सर्वसम्मति से अनुमोदित किया। इस वर्ष कुल 17 अवयवों में 189 आवेदनों का चयन किया गया है जिन्हें सत्यापनोपरांत कार्य-आदेश निर्गत कर दिया जाएगा। डीएम डॉ. सिंह ने आगामी महीनों में कार्य पूर्ण कराने का निदेश दिया है।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि मत्स्य एवं मत्स्य उत्पादों के ई-मार्केटिंग से इस क्षेत्र में उन्नति लाई जा सकती है। वैज्ञानिक पद्धति से योजना के क्रियान्वयन से मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि होगी। साथ ही ग्रामीण स्तर पर रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे तथा किसानों के आय में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि लघु एवं मध्यम आकार के अलंकारी मछलियों के संवर्द्धन इकाई से अधिक से अधिक महिलाओं को जोड़ा जाए। इसके बारे में लोगों को जागरूक करना आवश्यक है। उन्होंने मात्स्यिकी विकास योजना का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए मूल्य-संवर्द्धन एवं तकनीकी पहलुओं पर विशेष ध्यान देने को कहा। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि मत्स्य पालकों को तकनीकी सुविधा उपलब्ध कराया जाए ताकि उत्पादन में वृद्धि हो।

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