वज्रपात/ठनका से बचाव हेतु वृहत स्तर पर जन-जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकताः पी. एन.

पी. एन. राय,  सदस्य, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कहा है कि वज्रपात/ठनका से बचाव हेतु गाँव-गाँव तक जन-जागरूकता अभियान एवं क्षमतावर्धन कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है। वे आज समाहरणालय स्थित सभाकक्ष में इस विषय पर आयोजित एक कार्यशाला में पदाधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। सदस्य श्री राय ने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि राज्य में वज्रपात अन्य प्राकृतिक आपदा की तुलना में मानव जीवन का अधिक नुकसान कर रही है। पिछले पाँच वर्षों में राज्य में वज्रपात से लगभग 1000 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई है। संवेदीकरण (सेंसिटायजेशन) कार्यक्रमों के द्वारा इससे जान-माल की क्षति को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि अंतर्विभागीय समन्वय, सतर्कता एवं सजगता त्रुटि-रहित आपदा प्रबंधन के लिए अपरिहार्य है।

इस कार्यशाला में जिला के माननीय मुखियागण, सभी अनुमंडल पदाधिकारी एवं अंचलाधिकारी विस्वान के माध्यम से जुडे हुए थे जबकि सभाकक्ष में अपर समाहर्ता, आपदा प्रबंधन श्री संतोष कुमार झा, जिला पंचायत राज, स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि, जिला सांख्यिकी पदाधिकारी, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला पशुपालन पदाधिकारी सहित सभी संबंधित विभागों के पदाधिकारीगण उपस्थित थे।

अपर समाहर्ता, आपदा प्रबंधन श्री संतोष कुमार झा ने पावर प्वायंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से वज्रपात/ठनका से बचाव संबंधी कार्ययोजना के क्रियान्वयन हेतु विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। पटना वज्रपात/ठनका से प्रभावित अतिप्रवंण 15 जिलों में आता है। पालीगंज, दुल्हिनबाजार, फतुहा, बख्तियारपुर, बाढ़, पंडारक एवं मोकामा प्रभावित प्रखंड हैं। पटना जिले में वर्ष 2016 से 2020 तक इससे 42 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई। वर्ष 2021 में भी 19 लोग इसके शिकार हुए। अपर समाहर्ता श्री झा ने कहा कि पटना जिला में 23 प्रखंडों में 321 पंचायतों में 5,46,184 परिवारों के बीच कार्य योजना के अनुसार गतिविधियों का संचालन किया जाना है। अंचल क्षेत्र अंतर्गत वज्रपात/ठनका से बचाव हेतु सभी गतिविधियों के संचालन हेतु अंचल अधिकारी नोडल पदाधिकारी हैं। भूमि सुधार उप समाहर्ता एवं अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा इसका अनुश्रवण किया जाएगा।

माननीय सदस्य श्री राय ने कहा कि कार्य-योजना का मुख्य उद्देश्य वज्रपात की घटनाओं से प्रतिवर्ष होने वाली मानव क्षति को कम से कम करना है। अगले पाँच वर्षों में वज्रपात से होने वाली मानव क्षति को 70 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि वज्रपात/ठनका शहर या देहात हर जगह जानलेवा है।

वज्रपात/ठनका के कारणों पर प्रकाश डालते हुए माननीय सदस्य श्री राय ने कहा कि बिहार कर्क रेखा के उत्तर में स्थित है। इसके पश्चिमी भाग में आर्द्र तथा पूर्वी भाग में आर्द्र शुष्क जलवायु पाई जाती है। राज्य की जलवायु मानसूनी है जो गर्मी और नमी के लिए अतिसंवेदनशील है। बिहार में वर्षा ऋतु का आगमन दक्षिणी पश्चिमी मानसून से होता है। ये कारक राज्य में तीव्र गरज और वर्षा के साथ वज्रपात में योगदान करते है।

माननीय सदस्य श्री राय ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून जून के दूसरे सप्ताह के मध्य तक राज्य के पूर्वी भागों में प्रवेश करता है। जुलाई और अगस्त सबसे अधिक वर्षा वाले महीने हैं, दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम के दौरान एक महीने में बारिश के दिनों की संख्या 7 से 13 तक होती है, जबकि जुलाई के महीने में अधिकतम 13 दिन होते हैं जो इन महिनों में वज्रपात की ज्यादा सम्भावना में योगदान देता है।

माननीय सदस्य श्री राय ने कहा कि वज्रपात से मृत्यु एवं बिजली के गिरने में अपेक्षित संबंध है।
पिछले कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि बिजली जितनी अधिक चमकती है उतना ही अधिक घातक परिणाम होता है। हालाकि इसे बिजली की चमक के स्थानिक और लोगों की गतिविधियों में क्षेत्रीय भिन्नताएं भी देखी गई है जिनको इसकी घातकता का जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

माननीय सदस्य श्री राय ने कहा कि वज्रपात से सुरक्षा संबंधी जागरूकता और पूर्व चेतना प्रणाली की आवश्यकता है, सुरक्षा संबंधी उपाय करने और बाहर खुले क्षेत्रों में जोखिम को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए सामाजिक दृष्टिकोण से लोगों के दैनिक गतिविधियों में उपायों का उपयोग एवं अपनाने का अभाव भी इसमें योगदान देता है।

माननीय सदस्य श्री राय ने कहा कि राज्य के निवासियों को ठनका(वज्रपात) से बचाव हेतु इसकी पूर्व चेतावनी देने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा एक मोबाईल ऐप का निर्माण किया गया है जिसका नाम इन्द्रवज्र है। इसे गूगल प्ले स्टोर से स्मार्ट फोन पर आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है। इस मोबाईल ऐप को डाउनलोड करने के उपरान्त स्मार्ट फोन यूजर के लगभग 20 किलोमीटर की परिधि में ठनका गिरने की स्थिति में उसे लगभग 40 से 45 मिनट पूर्व अलार्म टोन के साथ चेतावनी संदेश प्राप्त होता है। इस ऐप का मोबाईल पर डाउनलोड कर ठनका/वज्रपात से बचा जा सकता है। माननीय सदस्य श्री राय ने सभी जिलेवासियों से आह्वान किया कि अपने मोबाईल पर इन्द्रवज्र ऐप डाउनलोड करें, उससे प्राप्त सूचनाओं का पालन करें, अपने आस-पास के लोगों तक पहुँचाएँ एवं सरक्षित स्थान पर जाएँ। भारतीय मौसम विभाग द्वारा रेडियो एवं प्रिन्ट/इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से प्रसारित मौसम संबंधी जानकारी पर ध्यान दें।

माननीय सदस्य श्री राय ने कहा कि वज्रपात से बचाव एवं रोक थाम हेतु अभिमुखीकरण, क्षमतावर्धन एवं संवेदीकरण कार्यक्रम, आईईसी वितरण कार्यक्रम एवं लोक मीडिया प्रदर्शन कार्यक्रम को गाँव-गाँव तक पहुँचाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम में आपदा प्रबंधन को निश्चित रूप से शामिल किया जाना चाहिए। बाल विकास परियोजना एवं किसान चौपालों के माध्यम से लक्षित परिवारों के बीच प्रचार-प्रसार सामग्री का वितरण सुनिश्चित किया जाए। शिक्षा विभाग के माध्यम से विद्यालयों में जागरूकता अभियान चलाया जाए। स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रचार-प्रसार कार्यक्रम होना चाहिए। जन-सम्पर्क विभाग द्वारा लक्षित ग्राम पंचायतों में जन-जागरूकता अभियान चलाया जाए। 10 प्रतिशत पंचायतों में संवेदनशील स्थलों पर पूर्व चेतावनी प्रणाली का अधिष्ठापन सुनिश्चित करें। वज्रपात सुरक्षा सप्ताह का आयोजन जिला, प्रखंड एवं पंचायत स्तर पर किया जाए।

कार्यशाला में वज्रपात/ठनका के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया गया। यथा-

* वज्रपात की घातकता का आकलन-
i. ग्रामीण क्षेत्र शहरी क्षेत्र की तुलना में अधिक प्रभावित हुए हैं।

ii . कृषि संबंधी कार्य करने के दौरान एवं खुली जगहों पर मृत्यु अत्यधिक हुई है।

iii. वज्रपात की घटनाये अपराह्न 12.00 से 18.00 के मध्य ज्यादा घटित हो रही हैं।

iv. वज्रपात की घटनाये प्रत्येक वर्ष के अप्रैल से सितम्बर माह में ज्यादा घटित हो रही है।

* प्रस्तावित कार्य योजना- वज्रपात से हो रही क्षति को कम करने के लिए रोकथाम एवं जोखिम न्यूनीकरण की कार्य योजना बनायी गयी है।

* वज्रपात से बचाव एवं रोकथाम संबंधी गतिविधियाँ-

i. अभिमुखीकरण एवं संवेदीकरण कार्यक्रम- बामेती में 1326 कृषि समन्वयक/सलाहकार कर्मियों का संवेदीकरण एवं इन्द्रव्रज के संचालन की जानकारी संबंधी गतिविधियों का प्रदर्शन, 5071 जीविका दीदीयों/कर्मियों के साथ वेबीनार/वर्चुअल मीटिंग एवं इन्द्रव्रज के संचालन की जानकारी संबंधि गतिविधियों का प्रदर्शन, 1045 सामुदायिक वालंटियर के प्रशिक्षण में संवेदीकरण एवं इंद्रव्रज के संचालन की जानकारी संबंधी गतिविधियों का प्रदर्शन

ii . सूचना, शिक्षा एवं संचार (आईईसी) वितरण कार्यक्रम

iii. लोक मीडिया प्रदर्शन कार्यक्रम

iv. पूर्व चेतावनी एवं सुरक्षा प्रणाली

v . वज्रपात सुरक्षा सप्ताह

माननीय सदस्य श्री राय ने कहा कि सार्थक संचार तंत्र सफल आपदा प्रबंधन की रीढ़ है। मौसम की जानकारी एवं बचाव के उपायों का व्यापक प्रचार-प्रसार, वीडियों मिल्म, लिफ्लेट, पैम्फ्लेट के माध्यम से किया जाए। क्या करें, क्या न करें के बारे में जनता को जागरूक करना आवश्यक है।

जब आसमान में घने बादल हो, वर्षा व वज्रपात होने की आशंका हो तो- क्या न करें

यदि खुले में हैं तो

> खेती से जुड़े कार्यो को तत्काल बंद कर दें ।

> तालाब, नदी, नहर या किसी भी जल निकाय में जानवरों को धोने या मछली पकड़ने गये हो तो यह कार्य बंद कर दें ।

> नौका का परिचालन बंद कर दें ।

यदि घर के अंदर हों

> छत पर न जाएं।

> यदि आप घर में हैं तो खिड़की के पास या दरवाजे के बाहर न खड़े हों।
>बिजली के उपकरणों के प्लग निकाल दें।

> ऐसी वस्तुएँ, जो बिजली की सुचालक हैं, उससे दूर रहें। जैसे प्लग, फ्रीज, कूलर, हीटर इत्यादि।
> लोहे की पाइप को न छूएं । नल से बहते पानी का उपयोग न करें।

– धातु से बनी छत वाले घर के अंदर शरण न लें।
> बच्चो को खुले स्थानों में न जाने दें।

> स्थानीय रेडियो, मोबाइल फोन या अन्य संचार के साधनों से मौसम की जानकारी प्राप्त करते रहें।

यदि घर से बाहर हो तो सुरक्षित स्थान से बाहर नहीं जाएं

जितना जल्दी हो सके सुरक्षित मकान में शरण लें।

> बिजली के खम्भों के नजदीक न जाएं।

> पेड़ के नीचे शरण न लें। खुले में अकेले पेड़ के नीचे तो कदापि न जाएं।

> लोहे की डंडी वाले छाते का प्रयोग न करें।

>पानी भरे खेतों, तालाब, नदी, नहर या किसी भी जल निकाय में जानवरों को धोने, मछली पकड़ने या खेती करने न जाएं।

समूह में नहीं रहें अर्थात लोगों से दूरी बना लें और सभी को दूरी बनाने के लिए कहें।

> यदि आप खुले में हैं तो जमीन पर कदापि न लेटें ।

जब बिजली गिर रही हो तब क्या करें ?

> बिजली गिरने के दौरान किसान / मजदूर कभी खुले मैदान या खेत में न खड़े हों। किसी सुरक्षित घर में पहुँच जाएँ।

> यदि आप खुली जगह / खेतों में है तो, अपने शरीर को उकडू कर एड़ियों को सटा कर कान बंद कर बैठ जाएं।

कार्यक्रम के प्रारंभ में अपर समाहर्ता श्री झा ने माननीय सदस्य श्री पी एन राय एवं अन्य उपस्थित व्यक्तियों का स्वागत करते हुए कहा कि जिला प्रशासन त्रुटि-रहित आपदा प्रबंधन के लिए प्रतिबद्ध है। माननीय सदस्य के मार्ग-दर्शन से हमसब में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। नागरिकों की सुरक्षा के लिए सम्पूर्ण तंत्र सजग एवं सक्रिय है।

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