कवयित्री प्रीति सुमन व कवि कुंदन आनंद ने पटना के गाँधी घाट तट पर काव्यगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया

न्यूज़ डेस्क :-  नवभारती सेवा न्यास के तत्वावधान दिन रविवार को सुबह 10 बजे पटना गाँधी घाट के तट पर काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संयोजन कवयित्री प्रीति सुमन ने एवं संचालन कवि कुंदन आनंद ने किया।

कार्यक्रम की शुरुआत नालंदा के कवि नवनीत कृष्ण के द्वारा गाये सरस्वती वंदना ‘ वर दे वीणावादिनी वर दे’ से हुई। ‘याद करने की सहूलत तो मयस्सर थी मगर, भुल जाना ही उसे मैंने ज़रूरी समझा’ सलमान अशहदी साहिल के इस ग़ज़ल ने ख़ूब वाहवाही बटोरी।

कवि कुंदन आनंद की कविता ‘मुझे काँटों ने पाला पिता की तरह, मेरे काँटों को फूलों से मत तोलिये’ सुनाकर सबको भाव विभोर कर दिया।कवयित्री अभिलाषा सिंह ने ‘चलो जाओ जी साँवरिया न बोलूँगी मैं अब तुमसे’ जैसी श्रृंगार रचना से सबके दिलों में हलचल मचा दी। ‘जितना तड़पी तेरी ख़ातिर तुमको उतना जलना होगा’ सुनाकर प्रीति सुमन ने सबकी आँखें नम कर दी।

वरिष्ठ शायर समीर परिमल ने ‘क़िस्से हमारे इश्क़ के अब भी फ़िज़ा में हैं,नब्बे का दौर सच में मुहब्बत का दौर था’ सुनाकर ख़ूब तालियाँ बटोरी।तेरी बातो में हम रह गए,ख़ुद से ग़ाफ़िल सनम रह गए’ सुनाकर नवनीत कृष्ण से शमां बांध दिया। कुमार आर्यन की रचना ‘तान छेड़ी है मुख़ालिफ़ ज़ुल्म के,राग दरबारी कभी गाया नहीं’ से सबको ख़ूब आनंदित किया।

‘यह केशरी का सर कभी अरि के आगे नही झुकेगा’ जैसी वीर रचना से अभिमन्यु प्रजापति ने सबके भीतर वीर रस का संचार किया। कार्यक्रम में सम्मिलित होने वाले अन्य महत्वपूर्ण कवि नेहा भारती, सिमरन राज, सुशांत सिंह, मुकेश ओझा, जितांशु अंजन आदि।

रिपोर्ट :- प्रतिमा कुमारी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed