सहोदय के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिये 101 प्राचार्यों का “शिक्षायान राष्ट्रीय सम्मान” से अलंकरण
सीबीएसई पटना क्षेत्र के आर्यावर्त सहोदय व नालन्दा सहोदय स्कूल कॉम्प्लेक्स के संयुक्त तत्वावधान में पटना के चाणक्या होटल के दरबार हॉल में आज प्रथम शिक्षायान राष्ट्रीय सम्मान 2023 का आयोजन किया गया, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिये देश के छः राज्यों से चयनित 101 प्राचार्यों को सम्मानित किया गया। विशिष्ट अतिथि व सम्मान सभा के मुख्य कन्फरर के रूप में आये हुए मेघालय, मणिपुर व सिक्किम के पूर्व राज्यपाल श्री गंगा प्रसाद, मुख्य अतिथि के रूप में पधारीं बिहार सरकार में मत्स्य व पशुपालन की प्रधान सचिव एन विजयलक्ष्मी व कला के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित कपिलदेव प्रसाद के कर कमलों द्वारा संयुक्त रूप प्राचार्यों का अभिनन्दन किया गया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में आर्यावर्त सहोदया के संस्थापक डॉ सी बी सिंह ने शिक्षा जगत को गौरव मंडित करने वाले प्राचार्यगणों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की और विश्वास दिलाया कि उनके उत्कृष्ट प्रयासों से शिक्षा का भावी जगत जगमग हो उठेगा।
इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में एस बी राय, डायरेक्टर, बी डी पब्लिक स्कूल, पटना, जय राम शर्मा, चेयरमैन मे फ्लावर ग्रुप्स आफ स्कूल, कर्नल आर एस नेहरा, फाउण्डर, सैनिक स्कूल, गोपालगंज और नालंदा, एस के झा, रीजनल ऑफिसर, डी ए वी, बिहार प्रक्षेत्र, डा बी प्रियम, प्रेमनाथ, प्रेमालोक मिशन, डॉ श्याम नारायण यादव, मेनेजिंग डायरेक्टर, होली मेरी ग्रुप, दरभंगा और सीतामढ़ी कार्यक्रम में विद्यमान रहे।
इस प्रथम शिक्षायान राष्ट्रीय सम्मान समारोह में देश के छः राज्यों, क्रमशः बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक से सम्मानार्थ 101 चयनित प्राचार्यों को आमंत्रित किया गया था।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में नॉलेजग्राम स्कूल के बच्चों के द्वारा स्वागतगान का सुरमय गायन किया गया।
यह कार्यक्रम आर्यावर्त सहोदय की अध्यक्षा राधिका के, नालन्दा सहोदय के अध्यक्ष अरविंद सिंह तथा उनकी टीमों के समन्वित प्रयासों द्वारा किया गया। ज्ञातव्य है कि देश में पहली बार किसी सहोदय संगठन ने राष्ट्रीय स्तर पर प्राचार्यों का सम्मान समारोह आयोजित किया है।
पूर्व राज्यपाल गंगाप्रसाद जी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विशिष्ट तत्वों को शिक्षा में सोत्साह सम्मिलित करने की सलाह दी तथा भारत को विश्वगुरु बनाने का संकल्प दुहराया।
एन विजयलक्ष्मी ने विद्यालयों के प्राचार्यों को अपने गुरुतर दायित्व का बोध कराते हुए कहा कि कल का विश्व आज के प्राचार्यों के संकल्पों तथा प्रयत्नों का प्रतिफल बनेगा, अतः प्राचार्यों का जीवन प्रेरणादायी होना चाहिए। बच्चों को साहित्य, संगीत एवं कला की ओर प्रेरित किया जाना चाहिए ताकि भावी भारत सुन्दर और स्वस्थ बने।