
बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि बिहार में अपराध का तांडव हो रहा है उस पर सरकार में बैठे हुए लोग चुप्पी साधे हुए हैं। उन्हें इस बात का जवाब देना होगा कि किसी को वो कुख्यात अपराधी कहते हैं वहीं अपने साथ वाले को बाहुबली कह के अपराध और अपराधी के नजरिये को दो तरीके से देखने का पैमाना सरकार में बैठे हुए लोग बनाए हुए हैं। आज बिहार में स्थिति ऐसी है कि कोई नहीं कह सकता है कि वो घर सुरक्षित लौटेगा कि नहीं। सत्ता प्रतिष्ठान में बैठे हुए लोगों के नकारेपन के कारण बिहार त्राहि-त्राहि कर रहा है। बिहार में व्यापारियों के द्वारा अपनी सुरक्षा के लिए व्यवसायिक सुरक्षा आयोग की मांग की जा रही है ।
बिहार के कानून व्यवस्था के सवाल पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान तीखा हमला कर रहे हैं । और बड़ी चालाकी से डबल इंजन सरकार में शामिल रहने पर भी सामूहिक जिम्मेदारी से भाग रहे हैं ,जबकि सबको पता है कि वह बिहार में सत्ता के साझेदार बने हुए हैं। और नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं । जिस तरह से बिहार में उन्होंने कानून व्यवस्था पर पर सवाल खड़ा किया है और कहा है कि कैसा शासन चल रहा है। यह दर्शाता है कि कैसा सुशासन है कि मुख्यमंत्री के गृह जिले नालंदा में ही आम लोग सुरक्षित नहीं है। चिराग के बयान पर भाजपा और जदयू के नेता खामोश क्यों है ?
नागपुरिया विचारों से लैस होकर सरकार में बैठे हुए लोग ऊंच-नीच का भेदभाव बढ़ा रहे हैं और भुंजा पार्टी वाले ही असली मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा के ईशारे पर डी के बोस के माध्यम से कार्य कर रहे हैं। लेकिन ऐसे लोगों को समझ लेना चाहिए कि बिहार में उनकी टेढ़ी चाल नहीं चलेगी।
एजाज ने आगे कहा कि बिहार में जिस तरह का तांडव हो रहा है उससे लोग मुक्ति चाहते हैं और तेजस्वी जी के प्रति लोगों का विश्वास और समर्थन इसलिए है कि वो सच और सच्चाई से लोगों को अवगत करा रहे हैं। और सरकार को आईना दिखाते हैं तो इन लोगों को बेचैनी हो जाती है।
इन्होंने ने कहा कि बिहार में सत्ता के संरक्षण में हत्याओं का दौर जारी है। नीतीश के नेतृत्व वाले एनडीए सरकार में राज गुण्डा और माफियाओं का राज स्थापित हो गया है। बिहार को आज गुंडा और अपराध राज के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है। बिहार में हर रोज क्राईम का ग्राफ बढ़ रहा है। जहां पूरे राज्य में 2 महीने में 1240 के करीब हत्या , लूट और अन्य तरह की घटनाएं हुई, वहीं पटना में 14 दिनों में 35 हत्याएं यह बताने के लिए काफी है कि बिहार में अपराधी मस्त हैं ,शासन और प्रशासन पस्त है और सत्ता में बैठे हुए नेता और रिटायर्ड पदाधिकारी मलाई काटने में व्यस्त हैं।
इन्होंने आगे कहा कि सत्ता के द्वारा जब फंसाने और बचाने की कार्रवाई होगी तो अपराध करने वाले का ग्राफ बढ़ेगा ही और अपराधियों को इस बात का एहसास है कि सत्ता के द्वारा उन्हें संरक्षित किया जा रहा जिस कारण से शासन और प्रशासन का मनोबल कमजोर हुआ है और अपराध करने वाले की सजा में भी कमी हुई है क्योंकि अनुसंधान के क्रम में सता संरक्षित अपराधियों को बचाने का कार्य किया जाता है। अब तो अपराधी यह कहने लगे हैं की सैंया भय कोतवाल तो अब डर काहे का।