
मगध और शाहाबाद की 48 विधान सभा सीट भाजपा के लिए पिछले दो चुनावों से परेशानी और पराजय का सबब बन गयी है। पूरी ताकत झोंकने के बाद भी भाजपा सम्मानजनक सीट नहीं जीत पाती है। 2015 में उसे मात्र 9 सीटों पर संतोष करना पड़ा तो 2020 में 5 सीटों पर सिमट गयी।
2015 के चुनाव का स्वरूप अलग था। उस चुनाव में भाजपा के साथ उपेंद्र कुशवाहा (रालोसपा), रामविलास पासवान (लोजपा) और जीतनराम मांझी (हम) थे। इस चुनाव में भाजपा का कुनबा 11 सीटों पर सीमट गया था। भाजपा की 9 सीटों के अलावा हम और रालोसपा ने 1-1 सीट जीता था। जबकि 2020 में भाजपा नीतीश कुमार के साथ थे और जीतनराम मांझी की हम और मुकेश सहनी की वीआईपी भी एनडीए कुनबा में शामिल थी। इसके बावजूद मगध और शाहाबाद की 48 सीटों में से भाजपा मात्र 5 सीट जीत पायी थी।
आखिर क्या वजह है कि मगध और शाहाबाद भाजपा की टोली के लिए अभिशाप साबित होता है। 2020 में भाजपा नीतीश कुमार के साथ थी, तब भी एनडीए कुनबे को परास्त होना पड़ा और 2015, जब भाजपा एनडीए को लीड कर रही थी तब भी औंधे मुंह गिरना पड़ा।
दरअसल भाजपा गैरसवर्णों के खिलाफ नफरत की राजनीति करती है। मंच से गैरसवर्णों की बात करती है और सत्ता और हिस्सेदारी की बात आती है तो सवर्णों के बीच बांट दिया जाता है। अभी सबसे अधिक मंत्री भाजपा के हैं, लेकिन मगध और शाहाबाद से मात्र एक मंत्री हैं। यही भाजपा का असली चरित्र है। जाति के हिसाब से सवर्ण और भौगोलिक बनावट के हिसाब से उत्तर बिहार को ज्यादा महत्व देती है।
2025 का सवाल है कि क्या भाजपा पिछले दो चुनावों का कलंक धो पायेगी। क्या वह सवर्णों की कीमत पर मगध और शाहाबाद में यादव, कुर्मी, कोईरी को टिकट देगी। त्रिवेणी संघ की उपजाऊ जमीन पर क्या रणवीर सेना और उसके समर्थकों की जाति से भाजपा बाहर निकल पायेगी। शायद नहीं। भाजपा का जाति चरित्र सवर्णपरस्ती से बंधा है। भाजपा के डीएनए में सवर्णों का हित पोषण है। वैसी स्थिति में भाजपा को फिर 2015 और 2020 का इतिहास दुहराने के लिए तैयार रहना चाहिए।
वैसे 2015 की त्रासदी थी कि भाजपा को उम्मीदवार नहीं मिल रहे थे। 2015 में सीट बंटवारे में भाजपा को 160 सीट मिली थी, लेकिन उम्मीदवार के अभाव में 157 उम्मीदवार ही दिये और एक-एक सीट तीनों सहयोगी दलों को बांट दिया था। उस चुनाव में भाजपा के 157, लोजपा के 43, रालोसपा के 23 और हम के 21 उम्मीदवार थे। 2015 में एनडीए गठबंधन को 58 सीटों पर संतोष करना पड़ा था।