याद रहे हर बुखार डेंगू नहीं होता है, बचाव ही सर्वोत्तम उपाय है
जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह ने डेंगू के रोकथाम हेतु सिविल सर्जन, पटना तथा सभी नगर निकायों के कार्यपालक पदाधिकारियों को सभी तरह का निरोधात्मक एवं सतर्कतामूलक कार्रवाई सुनिश्चित करने का निदेश दिया है। उन्होंने कहा कि यद्यपि डेंगू जैसी बीमारी का अभी प्रकोप नहीं है फिर भी बरसात के कारण सतर्क रहने की आवश्यकता है। ज़िलाधिकारी ने सिविल सर्जन को निदेश दिया कि सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, रेफरल अस्पतालों तथा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में रैपिड रिस्पॉन्स टीम को सतत सक्रिय रखें। सभी भागीदारों (स्टेकहोल्डर्स) यथा जिला प्रशासन, नगर निकाय, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा, पंचायती राज, ग्रामीण विकास, पीएचईडी एवं अन्य द्वारा आपस में समन्वय स्थापित कर आवश्यक कार्रवाई किया जाए। शहर से लेकर गांव तक सघन एंटी लार्वा गतिविधियों के साथ घर-घर सर्वे, सोर्स रिडक्शन, जागरूकता, स्कूलों में क्विज पोस्टर मेकिंग गतिविधियों आदि का आयोजन करें। ‘‘क्या करें, क्या न करें’’ का वृहत स्तर पर प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करें। नगर निकाय विशेष अभियान चलाकर फॉगिंग कराएँ, जल-जमाव को रोकना सुनिश्चित करें। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी विभागीय दिशा-निदेशों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित करें। डेंगू बुखार के क्लिनिकल प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय दिशा-निदेशों के अनुरूप प्रतिबद्धता के साथ कार्य करें। डेंगू की पुष्टि होने पर मरीज के घरों के आस-पास एक्टिव सर्विलेंस करायी जाय ताकि नये मरीजों की पहचान हो सके।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि बरसात के कारण डेंगू ज्वर का प्रसार होने की संभावना है।सभी लोग वर्षा ऋतु में सावधानी बरतें। छात्र-छात्राओं को डेंगू के प्रकोप से बचाना अत्यंत आवश्यक है। सभी विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में हेल्थ एडवायजरी का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। विद्यार्थियों को पूरे शरीर को ढँकने वाले कपड़े/ड्रेस का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। शैक्षणिक संस्थानों में साफ-सफाई की उत्कृष्ट स्थिति सुनिश्चित की जाए। नालों में पर्याप्त मात्रा में एन्टी लार्वा रसायन (टेमीफॉस) का नियमित छिड़काव करें।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि जुलाई माह को एन्टी डेंगू माह (एडीएम) के रूप मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य आईईसी (सूचना, शिक्षा और संचार) एवं बीसीसी (व्यवहार परिवर्तन संचार) अभियान द्वारा आमजन को जागरूक कर डेंगू बुखार के बचाव के निरोधात्मक गतिविधियों में तेजी लाना है। एन्टी डेंगू माह (एडीएम) के दौरान डेंगू को मात देने के लिए सकारात्मक स्वास्थ्य व्यवहारों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस दरम्यान निम्नलिखित गतिविधियों का वृहत स्तर पर संचालन किया जा रहा हैः
1. योजनाबद्ध ढ़ंग से डेंगू रोकथाम गतिविधियों में जनसमुदाय की सहभागिता।
2. मच्छर प्रजनन स्थलों को चिन्हित कर मच्छर प्रजनन रोकने के उपायों के बारे में आम जनता को जागरूक करना।
3. पानी टंकी तथा घरों के अंदर साफ पानी जमा करने के बर्तनों को ढ़ककर रखने के लिए आम जनता को प्रेरित करना।
4. दिन में भी मच्छर काटने से बचने के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपायों को अपनाने के लिए आम जनता में जागरूकता बढ़ाना।
5. विभिन्न माध्यमों यथा प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक तथा सोशल मीडिया के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करना।
6. विद्यालयों में डेंगू पर आधारित विशेष गतिविधियों तथा क्विज, निबंध एवं चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया जाना।
7. इन्टर-सेक्टोरल कन्वर्जेन्स गतिविधि के अंतर्गत सरकारी विभाग, एनजीओ, स्थानीय जन-प्रतिनिधियों एवं अन्य स्टेकहोल्डर्स को शामिल करते हुए बैठक एवं कार्यशाला का आयोजन किया जाना जिसमें आईईसी/बीसीसी पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
8. डेंगू एवं चिकनगुनिया विषयक फ्लेक्स/बैनर एवं पैम्फ्लेट्स का सभी प्रखंडों में वितरण।
डीएम डॉ. सिंह ने वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम, बिहार के गाईडलाईन्स के अनुसार डेंगू नियंत्रणार्थ गतिविधियों में अपेक्षित गतिशीलता लाने का निदेश दिया है।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि डेंगू बीमारी के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के मकसद से हर साल की तरह इस वर्ष भी 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया गया है। डेंगू की गंभीर बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करने के मकसद से राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि डेंगू को नियंत्रित करने के लिए संदिग्ध मरीजों की निगरानी रखना आवश्यक है। निरोधात्मक कार्रवाई के तहत लाईन लिस्ट प्राप्त होने पर सूक्ष्म कार्य योजना बनाकर डेंगू के सम्पुष्ट मरीज के आस-पास 500 मीटर रेडियस में तुरंत टेक्निकल मालाथियोन की फॉगिंग कराना सुनिश्चित करें। उन्होंने निर्देश दिया कि फागिंग एवं टेमीफॉस का नियमित छिड़काव किया जाए। स्वास्थ्य प्रशिक्षकों द्वारा नगर निकायों में फॉगिंग का निरंतर पर्यवेक्षण कराया जाए। आशा/आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा डेंगू मरीज के क्षेत्र में एक्टिव सर्विलान्स कराने को निर्देशित किया गया है।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि डेंगू के प्रसार को रोकने के लिए जिला प्रशासन प्रतिबद्ध है। सभी निरोधात्मक एवं सतर्कतामूलक कार्रवाई की जा रही है। आवश्यकतानुसार अस्पतालों में डेंगू वार्ड बनाया जाएगा एवं बेड रिजर्व रखा जाएगा। सभी बेडों को मच्छरदानीयुक्त एवं डेंगू नियंत्रण हेतु आवश्यक व्यवस्था किया जाएगा।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि डेंगू के उपचार हेतु सभी सरकारी अस्पतालों में दवा, ब्लड आदि की व्यवस्था हमेशा उपलब्ध रहनी चाहिए। प्लेटलेट्स की व्यवस्था पर्याप्त मात्रा में रहे तथा आवश्यकता होने पर रोगियों को उपलब्ध कराया जाए।
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डेंगूः कारण एवं लक्षण
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डेंगू बीमारी एडिज नामक मच्छर के काटने से होती है, एडिज मच्छर दिन के समय काटता है।
डेंगू के लक्षणः
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अचानक तेज सिर दर्द व तेज बुखार
मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना
आँखों के पीछे दर्द होना, जो कि आँखों को घुमाने से बढ़ता है
जी मिचलाना एवं उल्टी होना
गंभीर मामलों में नाक, मुँह, मसूड़ों से खून आना
त्वचा पर चकत्ते उभरना
बचाव के उपाय
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एडिज का मच्छर स्थिर साफ पानी में पनपता है
कूलर, पानी की टंकी, पक्षियों के पीने के पानी का बर्तन, फ्रिज की ट्रे, फूलदान इत्यादि को प्रति सप्ताह खाली करें व धूप में सुखाकर प्रयोग करें
नारियल का खोल, टूटे हुए बर्तन व टायरों में पानी जमा न होने दें।
घरों के दरवाजे व खिड़कियों में जाली/परदे लगायें।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि डेंगू से बचाव हेतु जन-सहभागिता आवश्यक है। आम जनता के बीच जागरूकता उत्पन्न करने के लिए वृहत स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाए। स्वास्थ्य केंन्द्रो, विद्यालयों एवं अन्य स्थानों पर आईईसी सामग्री का प्रदर्शन किया जाए।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि डेंगू बुखार के लक्षण एवं बचाव के उपायों यथा कूलर, फ्रिज के ट्रे में एक सप्ताह से अधिक पानी न रहने देना, प्रयोग में न लाये जाने वाले पात्र, टॉयर, नारियल के खोखे आदि नष्ट करना, सोते वक्त मच्छरदानी का प्रयोग, दिन के वक्त मच्छर से बचने के लिए पूरी आस्तिन वाले व शरीर को ढकने वाले वस्त्र पहनना तथा घर के आस-पास साफ-सफाई रखना एवं पानी की टंकियों व पात्र आदि को ढक कर रखने आदि से जनता को अवगत कराने हेतु आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं पंचायतीराज प्रतिनिधियों की बैठक में नियमित कार्रवाई की जाय।
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हो कोई ट्रेवल हिस्ट्री
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जिन क्षेत्रों में डेंगू बुखार फैला हुआ हो अगर उस स्थान की आपने यात्रा की है और वहां से लौटने के दो सप्ताह के अंदर कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपको तुरंत ही जांच करानी चाहिए।
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डीएम डॉ. सिंह ने आम जनता में डेंगू बुखार के बारे में जागरूकता अभियान के तहत आशा, ए.एन.एम. तथा जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर चर्चा एवं गोष्ठी का आयोजन करने का निदेश दिया। सभी अंचलों को डेंगू प्रतिवेदित मरीजों की लाईन लिस्ट निरोधात्मक कार्रवाई के तहत टेक्निकल मालाथियोन की फॉगिंग कराने हेतु ससमय उपलब्ध करा दी जाए। लार्वानाशी कार्रवाई के तहत जल-जमाव वाले स्थानों तथा डेंगू प्रतिवेदित मुहल्लों में टेमीफॅास का छिड़काव सघन रूप से टीमों के द्वारा फाइलेरिया निरीक्षक के देखरेख में किया जाए।
याद रहे हर बुखार डेंगू नहीं होता है
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डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि कतिपय निजी जाँच घरों एवं अस्पतालों द्वारा डेंगू की जाँच रैपिड डायग्नोस्टिक कीट (RDT Kit) से कर Ns1 Positive परिणाम परिदर्शित होने पर उसे डेंगू बुखार घोषित कर दिया जाता है जिससे लोगों में भय एवं भ्रांति की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना रहती है। रैपिड डायग्नोस्टिक कीट जाँच से संदिग्ध डेंगू चिन्हित किए जा सकते हैं किन्तु यह जाँच रोग को सम्पुष्ट (Confirm) नहीं करता है।
भारत सरकार के निर्देशानुसार डेंगू बुखार की सम्पुष्ट जाँच (Confirmation test) सिर्फ ELISA based NS1 एवं IgM कीट से ही किया जाना है।
निम्नलिखित चिन्हित मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में ELISA based NS1 एवं IgM कीट से निःशुल्क जाँच की व्यवस्था उपलब्ध हैः
✓ पटना चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल, अशोक राजपथ, पटना
✓ नालन्दा चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल, पटना
✓ इन्दिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान, बेली रोड, पटना
✓ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, फुलवारीशरीफ, पटना
✓ राजेन्द्र स्मारक चिकित्सा विज्ञान अनुसंधान संस्थान (RIRIM), अगमकुआं पटना
डीएम डॉ. सिंह ने आम जनता से आह्वान करते हुए कहा है कि रैपिड डायग्नोस्टिक कीट (RDT Kit) से यदि Ns1 Positive हो तो उसकी सम्पुष्टि (Confirmation) निःशुल्क रूप से मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में अवश्य करायें।
‘‘असामाजिक तत्वों के बहकावे में न आयें, सरकारी अस्पतालों में डेंगू की निःशुल्क जाँच एवं उपचार कराएँ’’
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डीएम डॉ. सिंह ने निर्देश दिया कि डेंगू के रोकथाम के लिए प्रत्येक प्रखंड में ’रोगी कल्याण समिति के माध्यम से रैपिड टेस्ट किट की उपलब्धता सुनिश्चित रहनी चाहिए। सभी शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी रैपिड टेस्ट किट से डेंगू की स्क्रीनिंग सुविधा उपलब्ध रहनी चाहिए। मेडिकल, पारा मेडिकल एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मियों यथा डॉक्टर, एएनएम, जीएनएम, आशा का उन्मुखीकरण कर डेंगू बुखार के संबंध में सतर्क एवं जागरूक किया जाए ताकि मरीजों की पहचान कर ससमय उपचार सुनिश्चित किया जा सके।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि डेंगू के प्रसार पर नियंत्रण के लिए सम्पूर्ण प्रशासनिक तंत्र सजग, तत्पर एवं प्रतिबद्ध है।