स्थानीय औद्योगिक इकाईयों व उद्यमों के साथ बिहार के स्टार्टअप को मिलेंगी कई प्रकार की छूट
उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि मंगलवार को राज्य कैबिनेट से बिहार खरीद अधिमानता नीति-2024 को स्वीकृत किया गया है। इसके लागू होने से जहां राज्य के स्थानीय औद्योगिक इकाईयों, उद्यमों का विकास होगा, वहीं उनमें प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेंगी। इसके साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अधिकाधिक अवसर सृजित होंगे। स्थानीय उत्पादों की खरीद को बढ़ावा मिलेगा, जिससे उद्यमियों को आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा।
उन्होंने कहा कि इस नीति के तहत वस्तु एवं सेवा से संबंधित खरीद के लिए स्थानीय सामग्री की न्यूनतम सीमा 30 प्रतिशत तय की गई है। यानी हर स्थिति में औद्योगिक इकाईयों व उद्यमों को कम से कम 30 प्रतिशत सामग्री व सेवा स्थानीय स्तर पर लेने की अनिवार्यता निर्धारित की गई है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि वस्तुओं के लिए स्थानीय उद्यम का मतलब बिहार में निबंधित इकाई और यहीं पर होने वाले उत्पादन से है। इसी प्रकार सेवा के मामले में स्थानीय उद्यम उसे माना जायेगा जो निविदा प्रकाशन की तिथि से कम से कम एक वर्ष पूर्व से बिहार में काम कर रहा हो तथा एक वर्ष से सुविधा एवं सेवा कर विवरणी दाखिल किया हो। इसके अलावा उस उद्यम में कुल काम करने वालों में कम से कम 50 प्रतिशत बिहार के निवासी हो।
श्री चौधरी ने कहा कि इस नीति में विशेष श्रेणी के उद्यम में बिहार में अवस्थित सूक्ष्म एवं लघु उद्यम इकाई तथा स्टार्टअप को रखा गया है। ऐसे उद्यमों को निविदा की अग्रधन राशि/प्रतिभूति राशि से छूट के साथ ही निविदा के सेट मुफ्त में दिए जायेंगे। बिहार के स्टार्टअप को नामांकन के आधार पर 10 लाख रुपये तक का कार्य दिया जा सकता है। इस नीति के अन्तर्गत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य खरीद अधिमानता स्थानीय समिति के गठन का प्रावधान किया गया है। प्रत्येक तीन महीने पर इसकी समीक्षा और नीति अनुपालन में कोताही पर उचित कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।