भारत का संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि राष्ट्र के आदर्शों और उद्देश्यों का प्रतीक भी है – राज्यपाल, बिहार

बिहार के राज्यपाल, श्री आरिफ मोहम्मद खान ने आज पटना में 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (AIPOC) के समापन सत्र को संबोधित किया।

भारतीय लोकतंत्र की प्राचीन विरासत का उल्लेख करते हुए, श्री खान ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था की उत्पत्ति प्राचीन भारतीय गणराज्यों से हुई है, जहाँ शासन प्रणाली लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर आधारित थी। श्री खान ने कहा कि प्राचीन भारत में राजतंत्र के बजाय लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ प्रचलित थीं, जैसे वैशाली में, जहाँ शासकों को जनता द्वारा चुना जाता था। उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भारतीय संविधान के निर्माण के दौरान भारतीय लोकतंत्र की प्राचीन धरोहर को उद्धृत किया था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम और संविधान निर्माण में बिहार के योगदान की भी सराहना की, जिसकी 75वीं वर्षगांठ देशभर में मनाई जा रही है।

यह उल्लेख करते हुए कि भारतीय संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि देश के आदर्शों और उद्देश्यों का प्रतीक भी है, श्री खान ने कहा कि यह प्राचीन भारतीय मूल्यों और आदर्शों को दर्शाता है, जो आज भी प्रासंगिक और प्रेरणादायक हैं। उन्होंने मानवतावाद और समानता जैसे भारतीय मूल्यों की चर्चा की, जो प्राचीन गुरुओं जैसे आदि शंकराचार्य के कार्यों में निहित हैं, जिन्होंने देशभर में आध्यात्मिक एकता का प्रसार किया। उन्होंने कहा कि “विविधता में एकता” और “बंधुत्व, समानता, न्याय” जैसे मूल्य भारत के सभ्यतागत मूल्यों में समाहित है। आत्मा का उदाहरण देते हुए श्री खान ने कहा कि भारतीय सभ्यता, आत्मा की भाँति शाश्वत और अपरिवर्तनीय है जो उसे विश्व में एक अनुपम स्थान प्रदान करता है। उन्होंने विधायी निकायों से अपील की कि वे 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहे।

85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन ने संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि, संवैधानिक मूल्यों के प्रति सम्मान, विधानमंडलों में बाधा-मुक्त और व्यवस्थित बहस, संविधान के 75वें वर्ष के उत्सव और डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग पर पांच संकल्प अंगीकार किए – लोक सभा अध्यक्ष


सभी विधायी निकायों को 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में प्रभावी भूमिका निभानी चाहिए – लोक सभा अध्यक्ष


भारत की संसद प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में अग्रणी है – लोक सभा अध्यक्ष


भारत की संसद और सभी राज्यों के विधानमंडलों को स्थानीय निकायों की सक्रिय भागीदारी से संविधान की 75वीं वर्षगांठ मनानी चाहिए – लोकसभा अध्यक्ष


प्राइड सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं के सशक्तिकरण के लिए पूरे वर्ष विधायी प्रारूपण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करेगा – लोकसभा अध्यक्ष


लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने आज कहा कि विधानमंडलों में बाधा रहित एवं व्यवस्थित चर्चा तथा श्रेष्ठ संवाद की परंपरा बनाये रखना चाहिए। बैठकों की कम होती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि यह सभी पीठासीन अधिकारियों का प्रयास होना चाहिए कि सदनों में व्यवधान ना हो, सहमति असहमति के बावजूद हमारे सदन बेहतर वातावरण में व्यापक जनहित में कार्य निष्पादन करें ताकि हम अपने सदनों के माध्यम से अपने संवैधानिक दायित्वों का बेहतर निर्वहन कर जनसेवा एवं सुशासन में बेहतर योगदान दे पाए। उन्होंने बताया कि 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन ने संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि, संवैधानिक मूल्यों के प्रति सम्मान, विधानमंडलों में बाधा-मुक्त और व्यवस्थित बहस, संविधान के 75वें वर्ष के उत्सव और डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग पर पांच संकल्प अंगीकार किए हैं। श्री बिरला ने यह विचार पटना में आयोजित 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के समापन सत्र में व्यक्त किये ।

श्री बिरला ने कहा कि संविधान की 75वीं वर्षगांठ को उत्सव के रूप में मनाने को लेकर सभी पीठासीन अधिकारियों ने creative ideas दिए हैं। उन्होंने कहा कि भारत की संसद और सभी राज्यों के विधानमंडल स्थानीय निकायों की सक्रिय भागीदारी से संविधान की 75वीं वर्षगांठ मनाएंगी और इसके लिए पूरे वर्ष देश के हर कोने में हमारे महान लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे ।


विधि निर्माताओं के लिए उत्कृष्ट रिसर्च सपोर्ट पर जोर देते हुए श्री बिरला ने कहा कि सदस्यों के क्षमता निर्माण और सहायता के लिए विधायी संस्थाओं में उत्कृष्ट रिसर्च और reference विंग होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमारी योजना है कि राज्‍यों की विधान सभाओं/विधान परिषदों के लिए हम लोक सभा में एक RESEARCH POOL स्‍थापित करें जिससे विधायिकाओं को संसद द्वारा RESEARCH SUPPORT की सुविधा भी उपलब्‍ध करवायी जा सके।

विधानमंडलों में समिति व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ करने पर जोर देते हुए श्री बिरला ने उल्लेख किया कि हमने संसदीय समितियों की कार्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए सार्थक पहल की है। देश के विभिन्‍न राज्‍यों की विधायिकाओं में PUBLIC ACCOUNTS COMMITTEE, ESTIMATE COMMITTEE व अन्‍य समितियां कार्यरत हैं। उन्होंने आगे बताया कि इस वर्ष AIPOC के बैनर के तहत सभी राज्‍य विधायिकाओं की समितियों के लिए भी TRAINING व CAPACITY BUILDING के कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे ।

प्रधान मंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी के विज़न – “ONE NATION ONE LEGISLATIVE PLATFORM” का उल्लेख करते हुए श्री बिरला ने कहा कि इस दिशा में पिछले वर्ष में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। जहां संसद की DEBATES को हिन्दी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में TRANSLATE कर ONLINE उपलब्ध करवाया जा रहा है, वहीं राज्यों की विधायिकाओं द्वारा भी अपनी वर्तमान व पूर्व की DEBATES के DIGITIZATION के कार्य में उल्‍लेखनीय प्रगति हासिल की गयी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वर्ष 2025 में हम माननीय प्रधानमंत्री जी के विज़न के अनुसार भारत के नागरिकों को एक ऐसा अद्वितीय PLATFORM उपलब्‍ध करवा पाएंगे जहां वे KEY WORD, META DATA व AI EMPOWERED SEARCH के माध्‍यम से किसी भी विषय पर न केवल संसद की DEBATES अपितु विधायिकाओं में होने वाली DEBATES को भी ACCESS कर पाएंगे।

लोकसभा अध्यक्ष ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत की संसद प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में अग्रणी है । उन्होंने बताया कि AI के उपयोग से भारत की संसद में 22 आधिकारिक भाषाओं में से दस में एक साथ अनुवाद किया जा रहा है और जल्द ही यह सुविधा सभी बाईस भाषाओं में सदस्यों के लिए उपलब्ध होगी। यह बताते हुए कि भारत की संसद में सदस्यों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से सभी प्रकार के संसदीय कागजात दस क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराए जा रहे हैं, श्री बिरला ने खुशी व्यक्त की कि भारत दुनिया का एकमात्र लोकतंत्र है जिसमें हम सभी बहसों का अनुवाद करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। श्री बिरला ने पीठासीन अधिकारियों को सूचित किया कि भारत की संसद उनकी दक्षता और उत्पादकता में सुधार के लिए राज्य विधानमंडलों के साथ तकनीक साझा करेगी।

श्री बिरला ने आगे कहा कि यह पीठासीन अधिकारियों का संकल्प है कि भारत की संसद, राज्यों की विधायिकाएं, पंचायती राज संस्थाएं, नगरीय निकाय, सहकारी संस्थाएं व समस्त लोकतान्त्रिक संस्थाओं के सशक्तीकरण के लिए हम निरंतर कार्य करते रहें। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोकतान्त्रिक संस्थाएं जितनीं सशक्त होंगी – उतना ही राष्ट्र के विकास एवं जनकल्याण में भारत के नागरिकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित हो पाएगी।

श्री बिरला ने कहा कि ये हमारा संकल्प होना चाहिए कि ये विधायी संस्थाएं देश में चर्चा, संवाद, सहमति, असहमति के साथ देश को आगे बढ़ाते हुए 2047 तक विकसित भारत का सपना पूरा करें।

सम्पूर्ण विश्व में विधि निर्माताओं और संसदीय अधिकारियों के प्रशिक्षण में लोक सभा सचिवालय की PRIDE संस्था की भूमिका की प्रशंसा करते हुए, श्री बिरला ने कहा कि PRIDE के माध्यम से हम 100 से अधिक विभिन्न राष्ट्रों की संसदों एवं लगभग सभी राज्य विधायिकाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर चुके हैं। हमने 25 राज्य विधायिकाओं के लिए Legislative Drafting पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए हैं। अब हम PRIDE के माध्यम से पंचायती राज संस्थाओं , नगरीय निकाय, सहकारी संस्थाओं व समस्त लोकतान्त्रिक संस्थाओं के सशक्तीकरण के लिए भी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। श्री बिरला ने कहा प्राइड सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं के सशक्तिकरण के लिए पूरे वर्ष विधायी प्रारूपण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करेगा ।

श्री बिरला ने बताया कि 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में सभी पीठासीन अधिकारियों ने व्यापक विचार विमर्श कर 5 महत्वपूर्ण संकल्प लिए हैं:

• संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धांजलि
• संविधान में निहित मूल्यों और आदर्शों के अनुरूप सदन का संचालन करने का संकल्प।
• विधायी संस्थाओं में बाधा रहित एवं व्यवस्थित चर्चा श्रेष्ठ संवाद का संकल्प
• संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर वर्ष भर अभियान व कार्यक्रम चलाने का संकल्प
• टेक्नॉलजी व AI के उपयोग से प्रभावी सेवाएं सुनिश्चित करने का संकल्प

पीठासीन अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी और उनके बीच सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने की सराहना करते हुए श्री बिरला ने कहा कि पटना में 85वां अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) पीठासीन अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों को और अधिक प्रभावी ढंग से निर्वहन करने में मार्गदर्शन करने में निर्णायक होगा तथा लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करेगा। श्री बिरला ने कहा कि सम्मेलन में सूचनाओं और अनुभवों को साझा करने से पीठासीन अधिकारियों को अपने-अपने सदनों में नवाचारों के लिए प्रेरणा मिलेगी जिससे शासन में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही आएगी।

राज्यसभा के उपसभापति ने 85वें एआईपीओसी के समापन सत्र को संबोधित किया


अपने संबोधन में, राज्य सभा के उपसभापति श्री हरिवंश ने विधायकों को सदन में अपने आचरण पर आत्मचिंतन करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पुराने समय में भारी बहुमत वाली सरकारें हुआ करती थीं, फिर भी विपक्ष में चुने हुए सदस्य अपने विचार प्रभावी ढंग से रखने और अपनी असहमति को गरिमापूर्ण तरीके से प्रस्तुत करने में सक्षम थे। आज व्यवधान की प्रकृति दर्शाती है कि हम सम्मानपूर्वक असहमति जताना भूल गए हैं। उपसभापति ने लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने में संविधान सभा के काम और इस प्रक्रिया में बिहार के सदस्यों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को याद किया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का संविधान लचीला रहा है और समय की जरूरतों के अनुकूल बना हुआ है। उन्होंने कहा कि विधानमंडलों को संविधान के इस विकास को एक सतत प्रक्रिया के रूप में देखना चाहिए और भविष्य के लिए कानूनों पर भी विचार-विमर्श करना चाहिए।


बिहार विधान परिषद के सभापति ने स्वागत भाषण दिया


स्वागत भाषण देते हुए बिहार विधान परिषद के सभापति श्री अवधेश नारायण सिंह ने लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला को उनके मार्गदर्शन और प्रेरणादायक उपस्थिति के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और श्री ओम बिरला का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने हाल ही में आयोजित 10वें संविधान दिवस समारोह में संसद के केन्द्रीय कक्ष में भारतीय संविधान के संस्कृत और मैथिली संस्करण जारी किए। AIPOC के विषय पर, श्री सिंह ने कहा कि संवैधानिक प्रावधानों के संदर्भ में केंद्र और राज्यों के आपसी संबंधों पर चर्चा होनी चाहिए है, विशेषतः राज्यों के विधान मंडलों की स्वायत्तता विषय में। यह कहते हुए कि विधानमंडल का मूल्यवान समय जनकल्याण और विधायी कार्यों में उपयोग किया जाना चाहिए, न कि राजनीतिक दबाव बनाने के लिए, श्री सिंह ने कहा कि सदन की कार्यवाही में जनहित को प्राथमिकता देना सार्वजनिक सेवा के लिए आवश्यक है। उन्होंने विधायी और राजनीतिक प्रक्रियाओं में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रयोग पर भी जोर दिया। उन्होंने प्रधान मंत्री द्वारा लॉन्च किए गए राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन (NeVA) की सराहना की, जिसने संसदीय प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी और डिजिटल बना दिया है। उन्होंने इसका उपयोग स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं में विस्तार करने का सुझाव दिया।


बिहार विधान सभा के अध्यक्ष ने समापन सत्र को संबोधित किया


इस अवसर पर बिहार विधान सभा के अध्यक्ष श्री नंद किशोर यादव ने कहा कि इस सम्मेलन का उद्देश्य न केवल हमारी संसदीय प्रक्रियाओं को अधिक प्रभावी और उत्तरदायी बनाना है, बल्कि हमारी संसदीय प्रणाली की पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ावा देना भी है। उन्होंने आगे कहा कि पूर्व में इस सम्मलेन में विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों, जैसे कि विधाायी कार्यों की गुणवत्ता में सुधाार, संसदीय आचार संहिता का पालन, और विधायिकाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने, पर चर्चा होती रही हैं और यह सम्मेलन निश्चित रूप से पीठासीन अधिकारियों को सदन की कार्यवाही को अधिक सुचारू रूप से संचालित करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन हमें इस बात की याद दिलाता है कि हम सभी, चाहे किसी भी स्तर पर हों, एक ही लक्ष्य की ओर कार्य कर रहे हैं और वह है एक सशक्त, पारदर्शी, और न्यायपूर्ण लोकतंत्र का निर्माण। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे सामने जो चुनौतियाँ हैं, वे किसी एक व्यक्ति या संगठन की नहीं हैं, बल्कि हम सभी को मिलकर इनका समाधाान निकालना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे कार्य संविधान के मूल्यों और आदर्शों के अनुरूप हों, और हम जनता का विश्वास बनाए रखें।

इस अवसर पर बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा ने भी अपने विचार रखे।

बिहार विधान परिषद के उपसभापति श्री रामवचन राय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

सम्मेलन का एजेंडा था:

‘संविधान की 75वीं वर्षगांठ: संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने में संसद और राज्य विधान निकायों का योगदान’।

दो दिवसीय चर्चा के दौरान 23 विधान निकायों के 41 पीठासीन अधिकारियों ने चर्चा में भाग लिया।

नेवा सेवा केंद्र (NeVA) का उद्घाटन

इस अवसर पर, श्री बिरला ने बिहार विधानमंडल परिसर में नेवा सेवा केंद्र (NeVA) का उद्घाटन भी किया।


भारत में लोकतंत्र की गौरवशाली यात्रा पर प्रदर्शनी

85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन (एआईपीओसी) के अवसर पर, संसद संग्रहालय और अभिलेखागार, लोकसभा सचिवालय द्वारा भारत में लोकतंत्र की गौरवशाली यात्रा पर एक प्रदर्शनी लगाई गई।

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