गंगा नदी के जल-स्तर में वृद्धि के मद्देनजर जिला प्रशासन सतर्क, सभी एजेंसी अलर्ट , एसओपी के अनुसार सभी व्यवस्था कर ली गई है: डीएम

जिलाधिकारी-सह-अध्यक्ष, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह ने कहा है कि गंगा नदी के जल-स्तर में अप्रत्याशित वृद्धि को देखते हुए जिला प्रशासन पूर्णतः सजग एवं तत्पर है। आपदा प्रबंधन तंत्र 24×7 सक्रिय है। सभी एजेंसियों को एलर्ट कर दिया गया है। स्थिति पर प्रशासन की पैनी नजर है। जिला-स्तरीय वरीय पदाधिकारी एवं क्षेत्रीय पदाधिकारी बाढ़ संभावित क्षेत्रों में लगातार घूम रहे हैं तथा स्थिति का जायजा ले रहें हैं। किसी भी आकस्मिक परिस्थिति से निपटने के लिए प्रशासन द्वारा पूरी तैयारी की गई है। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि आपदा की स्थिति में सामान्य जन-जीवन प्रभावित नहीं होने दी जाएगी। आम जनता को कोई समस्या नहीं होगी। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावितों के जान-माल की सुरक्षा एवं त्वरित तथा ससमय राहत पहुँचाना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार जिला प्रशासन द्वारा सभी व्यवस्था की गई है।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि त्रुटि-रहित आपदा प्रबंधन के लिए जन-सहभागिता आवश्यक है। उन्होनें सभी आपात-सहाय्य विभागों के बीच सार्थक समन्वय सुनिश्चित करने, सतर्कता एवं सजग रहने का निदेश दिया है।

विदित हो कि डीएम डॉ. सिंह द्वारा नियमित तौर पर संभावित बाढ़ से निपटने हेतु तैयारियों की समीक्षा की जाती है। पूर्व में अनेक बैठकों का आयोजन किया गया था। वर्षा मापक यंत्र एवं दैनिक वर्षापात आंकड़ों का त्वरित प्रेषण, तटबंधों की सुरक्षा, संसाधनों की उपलब्धता, सम्भावित बाढ प्रभावित क्षेत्रों एवं संकटग्रस्त व्यक्ति समूहों- भेद्य समूहों की पहचान, बाढ़ शरण स्थल, मानव दवा की उपलब्धता, पशुचारा, पशुदवा एवं पशु चिकित्सा शिविर की व्यवस्था, गोताखोरों का प्रशिक्षण, आकस्मिक फसल योजना का सूत्रण, क्षमता वर्धन बचाव दल का गठन/मॉकडिल,नाव, लाईफ जैकेट, मोटरबोट की आकस्मिक व्यवस्था, सड़कों की मरम्मति, जेनेरेटर सेट एवं महाजाल की व्यवस्था, सूचना व्यवस्था सहित सभी बिन्दुओं पर विस्तृत समीक्षा की गयी थी। सभी संबधित विभागों के पदाधिकारियों को तत्पर रहने का निदेश दिया गया था।

जिला प्रशासन द्वारा बाढ़ की स्थिति में त्रुटिहीन आपदा प्रबंधन के लिए सभी तैयारी सुनिश्चित की गयी है। मुख्य व्यवस्था तथा आंकड़ों का विवरण निम्नवत हैः-

1. संभावित बाढ़ प्रभावित क्षेत्र एवं संकटग्रस्त व्यक्ति-समूहों की पहचान – वर्ष 2021 में पटना जिलान्तर्गत 14 प्रखण्डों के 96 पंचायतों में 3.54 लाख लोग (84,243 परिवार) बाढ़ से प्रभावित हुए थे। संभावित बाढ़, 2022 के पूर्व तैयारी के तहत आपदा पीड़ित परिवारों को आनुग्रहिक राहत (जीआर) का भुगतान पीएफएमएस के माध्यम से करने हेतु सभी अंचलों द्वारा विभागीय निदेशानुसार आधार सत्यापन के पश्चात कुल 1,78,444 परिवारों की सूची आपदा सम्पूर्ति पोर्टल पर अपलोड कर ली गई है।

2. संसाधन – सरकारी नाव-10, निजी नाव-380 इन्फ्लेटेबल मोटर बोट-08, भण्डारित पोलीथीन शीट्स-37,922, टेन्ट-1,135, महाजाल-03, लाईफ जैकेट-508, इन्फ्लेटेबल लाईटिंग सिस्टम-06, प्रशिक्षित गोताखोरों की संख्या-164, चिन्हित शरण स्थलों की संख्या-209, खोज बचाव एवं राहत दलों की संख्या-188

3. नाव की वर्तमान स्थिति, निबंधित नावों से एकरारनामा तथा नाव का निर्धारित दर – सरकारी नाव-10, पंजीकृत 380 निजी नावों के परिचालन हेतु एकरारनामा करा लिया गया है।

नाव का दर-
छोटी नाव-290 रुपये,
मंझौली नाव-420 रुपये एवं
बड़ी नाव-460 रुपये।

4. शरण स्थल- जिले में 209 शरण स्थलों को चिन्हित किया गया है। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि इन शरण स्थलों पर आवश्यकतानुसार सामुदायिक किचन का संचालन किया जाएगा। आधारभूत न्यूनतम व्यवस्था-शौचालय, पेयजल, स्वच्छता, प्रकाश आदि- उपलब्ध रहेगी।

5. एसडीआरएफ/एनडीआरएफ मोटरबोट की स्थिति- एसडीआरएफ की 01 कम्पनी 08 बोट, गायघाट, पटना सिटी में एवं एनडीआरएफ की 01 कम्पनी 06 बोट दीदारगंज बाजार समिति में पटना जिला हेतु सुरक्षित है। एसडीआरएफ गायघाट पटना सिटी को 02 (दो) फाईवर बोट एवं एनडीआरएफ बिहटा को 08 (आठ) इन्फलेटेबल बोट आपदा प्रबंधन शाखा, पटना द्वारा उपलब्ध कराया गया है।

6. कोषांगों का गठन एवं जिला स्तरीय 24×7 नियंत्रण कक्ष की स्थापना – डीएम डॉ. सिंह द्वारा तीन महीना पूर्व 11 बाढ़ राहत कोषांगों का गठन किया गया है। इसके साथ ही जिला-स्तरीय नियंत्रण कक्ष स्थापित है जिसकी दूरभाष संख्या 0612-2210118 है।

7. गोताखोरों का प्रशिक्षण – बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निदेशानुसार 164 गोताखोरों को प्रशिक्षित किया गया है।

8. राहत एवं बचाव दल का गठन – 188 राहत एवं बचाव दल गठित है।

9. मानव दवा की व्यवस्था एवं मोबाईल मेडिकल टीम –

* सिविल सर्जन की अध्यक्षता में नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई है।

* संभावित बाढ़ प्रभावित कमजोर नवजात शिशु को चिन्हित किया गया है।

* सरकारी तथा गैर सरकारी क्षेत्र के महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संस्थानों, ब्लड बैंकों की पहचान कर ली गई है।

* चलन्त मेडिकल टीम का गठन सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों द्वारा किया गया है।

* आपदा के कारण हुई मौतों तथा डायरिया इत्यादि बीमारियों के फैलाव के अनुश्रवण हेतु आईडीएसपी कोषांग का गठन किया गया है।

* प्रखण्डवार ब्लीचिंग पाउडर, हैलोजन टेबलेट एवं लाईम पाउडर उपलब्ध है।

* असैनिक शल्य चिकित्सक-सह- सिविल सर्जन से प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार 56 प्रकार की दवा उपलब्ध है। डी०सी०एस० पटना तथा 29 पी०एस०सी० में उपलब्ध दवाओं की विवरणी निम्नवत है-

सांप काटने की दवा (एएसवीएस) 910,

ब्लीचिंग पाउडर-236 बैग-25 कि.ग्रा.प्रति बैग,

लाईम-498 बैग- 40 कि.ग्रा.प्रति बैग,

एंटि रेविज वैक्सिन एआरवी-36,990,

जिंक सलफेट टैबलेट-2,670,

हैलोजेन टैबलेट-3,42,000,

ओ०आर०एस०-2,89,643 पैकेट,

मैट्रोनाईडाजोल टैबलेट-1,06,600,

मैट्रोनाईडाजोल इन्जेक्सन-178, पारासिटामोल-90,700, सोडियम क्लोराईड-2,715, कम्पाउण्ड सोडियम-1,395, सोडियम क्लोराईड एण्ड डेक्ट्रोज-5,250,

आई वी सेट-44,154

12. पशुचारा/चुन्नी-चोकर एवं पशुदवा की व्यवस्था –

*जिला स्तरीय बाढ़ सहाय्य कोषांग का गठन किया गया है जो 24 घंटे कार्यरत है।

* बाढ़ सहाय्य केन्द्रों/ उपकेन्द्रों की स्थापना तथा उक्त केन्द्रों पर चिकित्सकों/ कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है।

* लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा 12 जगहों पर पशुपेय जल सुविधा निर्मित है।

* पशु चिकित्सालयों में 42 प्रकार की दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।

* जिला पशुपालन पदाधिकारी, पटना से प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार संभावित बाढ़/सुखाड़, 2022 हेतु पशुचारा एवं चोकर का निर्धारित दर निम्नप्रकार है- पोआल कुट्टी-960/क्विंटल, गेहूँ भुंसा-1,070/क्विंटल, गेहूँ चोकर-2,380/क्विंटल।

11. पोलीथीन सीट्स/सतु/गुड़/चूड़ा की व्यवस्था-

* पोलीथीन शीट्स की आपूर्ति हेतु वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए दर 207/-निर्धारित है। पटना जिला में 37,922 पोलीथीन शीट्स उपलब्ध है।

* खाद्य एवं अन्य सामग्रियों का दर निर्धारित है।

12. नोडल पदाधिकारी/जिला स्तरीय टास्क फोर्स- पंचायत स्तरीय/प्रखण्ड स्तरीय नोडल पदाधिकारी/जोनल पदाधिकारी तथा सुपर जोनल पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की गई है। जिला स्तरीय टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है।

14. आकस्मिक फसल योजना का सूत्रण -जिला कृषि पदाधिकारी, पटना द्वारा आकस्मिक फसल योजना 2022-23 तैयार की गयी है।

धान बिचड़ा-लक्ष्य 10,900 हेक्टेयर/26,934.48 एकड़,

धान रोपनी-लक्ष्य 1,09,000 हेक्टेयर/2,69,344.8 एकड़,

मक्का-लक्ष्य 11,500 हेक्टेयर/28,417.11 एकड़।

15. शुद्ध पेयजल की व्यवस्था- कार्यपालक अभियंता लोक स्वास्थ्य प्रमण्डल, पटना पूर्वी के अन्तर्गत 11 प्रखण्ड एवं पश्चिमी अन्तर्गत 12 प्रखण्ड है।

* चालू चापाकलों की संख्या-पूर्वी-16,051, पश्चिमी-15,071 कुल-31,122

* चापाकलों की मरम्मती-
पूर्वी- 2321, पश्चिमी- 2709, कुल- 5030.

* टैंकर की संख्या-44,
वाटर एटीएम की संख्या-05, वाटर प्यूरिफायर की संख्या-06, चलंत शौचालय की संख्या-03, अस्थायी शौचालय एवं चापाकल का निर्माण किया गया है। हेलोजन टैबलेट/ब्लीचिंग पाउडर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।

विदित हो कि डीएम डॉ. सिंह द्वारा संभावित बाढ़ से निपटने हेतु तैयारी की नियमित समीक्षा की गयी है एवं तटबंधों का निरीक्षण किया गया है। उन्होंने तटबंधों की लगातार पेट्रोलिंग सुनिश्चित करने का निदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि संचार तंत्र एवं सूचना प्रणाली को सुदृढ़ रखें। शरण स्थलों पर मोबाइल मेडिकल टीम, शौचालय एवं पेयजल की समुचित व्यवस्था रहनी चाहिए। यहां मेडिकल कैंप, शिशु टीकाकरण, प्रसव, भोजन का उपस्कर, बच्चों हेतु विशेष भोजन, मच्छरदानी, सैनिटरी किट के लिए विशेष रूप से निर्मित योजनाओं का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित करें। उन्होंने पुल-पुलियों एवं मुख्य सड़कों विशेषकर जिला मुख्यालय से प्रखंड को जोड़ने वाले लिंक रोड की नियमानुसार मरम्मती एवं संधारण कार्य पर नियमित तौर पर विशेष ध्यान देने को कहा। डीएम डॉ. सिंह के निदेश पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में संकटग्रस्त एवं भेद्य समुदायों का प्रशिक्षण कर क्षमता वर्धन कार्य किया गया है।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि सार्थक संचार तंत्र सफल आपदा प्रबंधन की रीढ़ है। उन्होंने सभी पदाधिकारियों को इसे सुदृढ़ एवं सक्रिय रखने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन के विभिन्न चरणों यथा आपदा का निवारण, कमी एवं आपदा के प्रति प्रत्युत्तर के लिए सम्पूर्ण तंत्र सक्रिय है।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि संभावित बाढ़ से निपटने हेतु सरकार पूरी तरह सजग है। उन्होंने कहा कि प्रभावितों के जान-माल की सुरक्षा एवं ससमय राहत पहुँचाना प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है।

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