गंगा नदी के जल-स्तर में अप्रत्याशित वृद्धि को देखते हुए पटना डीएम ने जारी किये निर्देश ‘‘क्या करें, क्या नहीं करें’’

जिला पदाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह ने आम जनता से गंगा नदी के जल-स्तर में अप्रत्याशित वृद्धि को देखते हुए सुरक्षा के दृष्टिकोण से निर्धारित मापदंडों का पालन करने का आह्वान किया है। जिलेवासियों के नाम एक संदेश में उन्होंने कहा कि संभावित बाढ़ के प्रभावी प्रबंधन एवं त्वरित प्रत्युत्तर हेतु जनहित में ‘‘क्या करें, क्या नहीं करें’’ जारी किया गया है। इसके अनुपालन से बाढ़ की विभीषिका को कम किया जा सकता है।

बाढ़ की स्थिति में क्या करें और क्या न करें

क्या नहीं करें:-

• बच्चों को बाढ़ के पानी में या उसके पास खेलने की अनुमति न दें।

• बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में न घूमें।

• अज्ञात गहराई और करंट के पानी में ड्राइव न करें।

• ऐसा भोजन न करें जो बाढ़ के पानी से प्रभावित हो।

• बाढ़ के पानी में चलने या ड्राइव करने की कोशिश न करें।

• पुलों के पार न चलें क्योंकि वे गिर सकते हैं। .

• संदूषण से बचने के लिए बाढ़ के पानी से संपर्क न करें।

• बहते पानी में न चलें – धाराएं भ्रामक हो सकती हैं, और उथला, तेज गति वाला पानी आपके पैरों को गिरा सकता है।

• तेज बहते पानी में न तैरें अन्यथा आप बह सकते हैं या पानी में किसी वस्तु से टकरा सकते हैं।

करने योग्य:-

• चेतावनियों और सलाह के लिए अपने स्थानीय रेडियो को ट्यून करें।

• उच्च भूमि पर ले जाएँ।

• वाहनों, उपकरणों, रसायनों, बुजुर्गों, बच्चों, गर्भवती महिलाओं आदि को ऊंचे और सुरक्षित स्थानों पर ले जाएं।

• सभी बिजली के उपकरणों को डिस्कनेक्ट कर दें।

• घर से निकलने से पहले बिजली और गैस बंद कर दें।

• अपने कीमती सामान या सामान को बांधकर सुरक्षित और ऊंचे स्थान पर रख दें या जमीन के नीचे गाड़ दें।

• पशुओं और मवेशियों को सुरक्षित स्थानों या ऊंची भूमि पर स्थानांतरित करना। उनके लिए कुछ चारा रखें।

• घरेलू सामान, पशुधन और फसल का बीमा करें।

• अपने घर से निकलने से पहले अपनी उत्तरजीविता किट या बुनियादी आवश्यक चीजें ले लें।

• बाढ़ के दौरान पहले सुरक्षा के बारे में सोचें।

• उथले पानी में चलते समय सावधानी बरतें।

डीएम डॉ सिंह ने कहा कि बाढ़ की स्थिति इन मापदंडों का पालन कर जान-माल की क्षति को रोका जा सकता है।

विदित हो कि गंगा नदी के जल स्तर में अप्रत्याशित वृद्धि को देखते हुए जिला प्रशासन पूर्णतः सजग एवं सक्रिय है। जिला पदाधिकारी, पटना डॉ. चंद्रशेखर सिंह के निर्देश पर पदाधिकारियों द्वारा लगातार क्षेत्र भ्रमण किया जा रहा है। सभी एजेंसियों को अलर्ट कर दिया गया है। स्थिति पर प्रशासन की पैनी नजर है। आम जनता को कोई असुविधा नहीं होने दी जाएगी।

वरीय पदाधिकारी, भूमि सुधार उप समाहर्ता, अंचलाधिकारी एवं अन्य क्षेत्रीय पदाधिकारी बाढ़ संभावित क्षेत्रों में निरंतर भ्रमणशील हैं।

गंगा नदी का वर्तमान में औसत जलस्तर उच्चतम जलस्तर से लगभग 0.96 से 1.89 मीटर नीचे है।

मनेर में उच्चतम जलस्तर 53.79 मीटर है जबकि आज सुबह 6:00 बजे यहां जलस्तर 52.59 मीटर रिकॉर्ड किया गया जो उच्चतम जलस्तर से 1.2 मीटर नीचे है।

दीघा घाट में उच्चतम जलस्तर 52.52 मीटर है जबकि आज 6:00 बजे प्रातः यहां का जलस्तर 50.63 मीटर था जो उच्चतम जलस्तर से 1.89 मीटर नीचे है। गांधी घाट में उच्चतम जलस्तर 50.52 मीटर है जबकि आज सुबह 6:00 बजे यहां का जलस्तर 49.55 मीटर दर्ज किया गया जो उच्चतम जलस्तर से 0.97 मीटर नीचे है।

केन्द्रीय जल आयोग के अनुसार गंगा का जलस्तर अगले 30 घंटे बढ़ने की संभावना है।

डीएम डॉ सिंह ने कहा कि परेशान होने की कोई बात नहीं है। बाढ़ संभावित क्षेत्रों की सतत निगरानी की जा रही है। प्रशासन पूर्णतः मुस्तैद है।

डीएम डॉ सिंह ने कहा कि आपदा प्रबंधन तंत्र पूर्णतः सक्रिय एवं तत्पर है।

गौरतलब है कि जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह द्वारा गंगा नदी में नाव दुर्घटनाओं के रोकथाम एवं सुरक्षित परिचालन हेतु पूर्व में महत्वपूर्ण निदेश जारी किया गया था। उन्होंने कहा है कि गंगा नदी के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि होने के कारण आवश्यक सतर्कता बरती जाए। नाव दुर्घटनाओं के रोकथाम एवं सुरक्षित परिचालन हेतु सभी तरह की कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

सभी अनुमंडल पदाधिकारियों, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारियों, जिला परिवहन पदाधिकारी, अंचलाधिकारियों एवं थानाध्यक्षों को निदेश देते हुए डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि गंगा नदी के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है। कई स्थानों पर गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर अथवा करीब है। ऐसी परिस्थिति में सभी स्तर पर सतर्कता बरतना अपेक्षित है। खासकर गंगा नदी के दियारा क्षेत्रों में विशेष निगरानी की आवश्यकता है। नदियों के जलस्तर में वृद्धि होने के कारण निजी नाव मालिकों द्वारा क्षमता से अधिक व्यक्तियों को बैठाकर नाव का परिचालन न कराया जाए ताकि नाव दुर्घटना की संभावना नहीं रहे।

सुरक्षा के दृष्टिकोण से नाव के परिचालन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि कोई अप्रिय घटना नहीं हो।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि गंगा नदी में सुरक्षित नाव परिचालन हेतु पूर्व में भी विभिन्न पत्रों के माध्यम से विस्तृत निदेश दिया गया है। वर्तमान परिवेश में सुरक्षा दृष्टिकोण से निम्नलिखित एहतियात/उपाय/कार्रवाई किया जाना अत्यावश्यक है:-

(1) नाव परिचालन के दौरान आदर्श नौका संचालन नियमावली, 2011 के प्रावधानों के अनुसार सुरक्षा संबंधी सभी उपकरण एवं व्यवस्थाएं परिचालन होने वाले नावों पर सुनिश्चित कराया जाय।

(2) किसी भी परिस्थिति में नाव की लदान क्षमता से अधिक संख्या में लोग नाव पर सवार नहीं हो, इसे सुनिश्चित कराया जाय।

(3) आपातकालीन स्थिति को छोड़कर किसी भी परिस्थिति में सूर्यास्त होने के पश्चात नाव का परिचालन प्रतिबंधित है।

(4) गंगा नदी के महत्वपूर्ण घाटों पर जहाँ से सवारी को लेकर नावें परिचालित होती हैं वहाँ आमजन के लिए आवश्यक सूचनाएं यथा नाव के आकार के अनुरूप लदान क्षमता, क्षमता से अधिक की संख्या में लोग नाव पर सवार न हों एवं अन्य आवश्यक सुरक्षात्मक उपाय से संबंधित सूचना का प्रचार-प्रसार कराया जाय।

(5) नाव पर ओवरलोडिंग रोकने एवं आमजन को घाटों के किनारे नहीं जाने हेतु संबंधित घाटों पर पूरी निगरानी रखी जाय। आवश्यकतानुसार चौकीदार/पुलिस बल आदि की प्रतिनियुक्ति की जाय।

(6) ओवरलोडिंग अथवा अंधेरा के पश्चात नाव परिचालन के मामले में नाविक / नौका मालिक के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई किया जाय।

(7) सभी महत्वपूर्ण घाटों पर गश्ती एवं अनुश्रवण कर यह सुनिश्चित किया जाए कि लोग अनावश्यक नदी में ना जाएँ। इसका व्यापक प्रचार-प्रसार भी कराया जाए।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि गंगा नदी के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि को देखते हुए नाव दुर्घटनाओं के रोकथाम एवं सुरक्षित परिचालन हेतु सम्पूर्ण प्रशासनिक तंत्र सजग, सक्रिय एवं तत्पर है।

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