जब-जब मुख्यमंत्री जी विशेष राज्य के दर्जे की मांग करते है अपनी कमजोरियों को भी दर्शाते है

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री चिराग पासवान ने पटना एयरपोर्ट पहुँचते ही प्रदेश के मुख्यमंत्री नितीश कुमार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि बिहार के मौजुदा मुख्यमंत्री नितीश कुमार बिहार के विषेश राज्य के दर्जे को लेकर कितने गम्भीर है, इस बात से स्पष्ट हो जायेगा की आज तक जितनी बार निति आयोग की बैठक हुई प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत विरोध को लेकर उस बैठक में जाना उन्होने स्वीकार नहीं किया । वहीं एक औपचारिक मंच था जहाँ वे जाकर अपनी बात को रखते हुए विशेष राज्य की मांग को पूरा करा सकते थे। जब-जब मुख्यमंत्री जी विशेष राज्य के दर्जे की मांग करते है अपनी कमजोरियों को भी दर्शाते है, आजादी के 75 वर्षो के बाद भी अगर कोई विशेष राज्य की मांग करता है तो वह उस राज्य के नेतृत्व की गलत नितियो को दर्शाता है। श्री चिराग ने कहा कि पिछले 33 सालो से सरकार चला रहे है, उसके बावजुद उन्होने क्या किया जो आज भी विशेष राज्य के दर्जे के मांग करनी पर रही हैं। 18 सालो से नितीश कुमार जी बिहार के मुख्यमंत्री रहे ,अपने शासन काल में उन्होने कौन सी आर्थिक निति लाई? प्रदेश अगर आर्थिक उन्नति नहीं कर पाया तो मुख्य कारण है कि इनकी आर्थिक और सामाजिक नीति पुरी तरह विफल रही, जिससे प्रदेश के प्रति व्यक्ति आय सबसे कम रहा। मुख्यमंत्री नितीश कुमार जी की विफल नितियों के कारण ही उन्हे विशेष राज्य के दर्जे की मांग करनी पड रही है।


चिराग मॉडल को लेकर पत्रकारो द्वारा पुछे गये सवालो का जवाब देते हुए कहा कि चिराग मॉडल जनभावनाओ का प्रतिबिम्ब है, मुझे खुशी है, कि जनता ने बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट का साथ दिया। जब-जब ये लोग चिराग मॉडल का जिक्र करते है तब-तब उनकी टीस सुनाई देती है। 2020 के विधानसभा में बिहार की जनता ने इन्हे सिरे से नकारते हुए तीसरे नम्बर की पार्टी बना दी। जब आधे से ज्यादा प्रत्याशी उनके हार गये थे । उनकी जब-जब टीस सुनाई देती है तब-तब चिराग मॉडल की ताकत महसूस होती है, चिराग मॉडल जनता के आक्रोश को रिफलेक्ट करती है। राहुल के फलाइंग किस को लेकर श्री चिराग ने कहा कि लोकसभा और संसद में मर्यादा होती है, उचित आचरण सदन के पटल पर होना बेहद जरूरी है। जब आप सदन में होते है तो आप एक आम नागरिक नहीं बल्कि ,आप माननीय है लोक सभा और राज्य सभा के आप सांसद होते है, ऐसे में आप का आचरण देश की भावनाओ को रिफलेक्ट करती है, और उसकी मर्यादा को बनाये रखना बेहद जरूरी है। लोकसभा में इस तरह का आचरण संसदीय मर्यादा के अनुकुल नहीं है।

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