महिला आरक्षण पर बोले शिवानन्द तिवारी ,राबड़ी देवी ने भी रखा अपना पक्ष

राष्ट्रीय जनता दल ने कभी महिला आरक्षण का विरोध नहीं किया है. हम हमेशा सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी का समर्थक रहे हैं. इस मामले में हमारा रुख़ शुरू से ही एक रहा है. हम सिर्फ़ महिलाओं के आरक्षण के भीतर पिछड़ी जाति के महिलाओं के लिए आरक्षण चाहते हैं. इसके पूर्व भी जब महिलाओं के आरक्षण का मामला आया है हमने इसी संशोधन के साथ उसके समर्थन का एलान किया है.
लेकिन जब हम लोक सभा के चुनाव में जाने वाले हैं उस समय अचानक संसद का विशेष सत्र बुलाकर महिला आरक्षण के बिल को पेश करने का मक़सद क्या है.! वह भी जब इस आरक्षण को अभी लागू नहीं किया जा सकता है!ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री जी अचानक महिलाओं के मामले में संवेदनशील हो गये हैं. अभी हाल में हमने महिला पहलवानों के मामले में मोदी सरकार की संवेदनहीनता को देखा है.
दरअसल यह विपक्षी एकता इंडिया के गठन की वजह से बेचैनी है. इसलिए संसद का विशेष सत्र बुलाकर महिला आरक्षण के सहारे मोदी जी लोकसभा चुनाव की वैतरणी पार करना चाहते हैं. लेकिन इस आरक्षण के भीतर पिछड़ी जाति की महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं करके मोदी सरकार ने अपना पिछड़ा विरोधी चरित्र ही उजागर किया है.

वही इस बिल का लेकर पूर्व मुख्य मंत्री राबड़ी देवी ने भी अपना वक्तव्य दिया है  और कहा है

महिला आरक्षण विधेयक में जो 33% आरक्षण दिया गया है उसमें SC, ST, OBC महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित नहीं की गयी है।

SC/ST वर्गों के लिए जो प्रावधान किया है वह उन वर्गों के लिए पहले से ही आरक्षित सीटों में से SC/ST की महिलाओं को 33% मिलेगा। यानि यहाँ भी SC/ST को धोखा।

SC/ST, पिछड़े/अतिपिछड़े एवं अल्पसंख्यक वर्गों की महिलाओं को ठेंगा दिखाने वाला महिला आरक्षण परिसीमन के बाद लागू होगा। परिसीमन जनगणना के बाद होगा।

और जातिगत जनगणना करवाने के दबाव में केंद्र ने जनगणना को ठंडे बस्ते में ही डाल दिया है। मतलब बस झाल बजाने और शोर मचाने के लिए शगूफा छोड़ा गया है।
महिला आरक्षण के अंदर वंचित, उपेक्षित,खेतिहर एवं मेहनतकश वर्गों की महिलाओं की सीटें आरक्षित हो।मत भूलो, महिलाओं की भी जाति है।

अन्य वर्गों की तीसरी/चौथी पीढ़ी की बजाय वंचित वर्गों की महिलाओं की अभी पहली पीढ़ी ही शिक्षित हो रही है इसलिए इनका आरक्षण के अंदर आरक्षण होना अनिवार्य है।

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