सम्राट चौधरी अपने परिवारवाद और किस आरक्षण व्यवस्था के तहत मंत्री बने उसे भी सार्वजनिक करते तो अच्छा होता : एजाज अहमद

बिहार प्रदेश राजद के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि सम्राट चौधरी को यह भी बताना चाहिए था कि उन्हें किस आरक्षण व्यवस्था के तहत नाबालिग होते हुए भी कि आरक्षण व्यवस्था के तहत उन्हें मंत्री बनाया यह बताना चाहिए था। उन्हें अपने घर के परिवारवाद पर भी बोलना चाहिए था, कि वह कैसे मंत्री बने, उनके पिताजी कैसे मंत्री बने और उनकी स्वर्गीय मां कैसे विधायक बनी? और उन्हें जब और उनके परिवार को श्री लालू प्रसाद जी ने जब उपकृत किया था, तब उन्हें परिवारवाद की याद क्यों नहीं आई,तब उस समय उन्होंने मना क्यों नहीं किया । यह उस कहावत को चरितार्थ कर रहा है कि अपने घर में सब कुछ रख लो और दूसरे को आलोचना का पात्र बनाओ।
इन्होंने आगे कहा कि बिहार में जातीय गणना के बाद से भाजपा को इस बात का एहसास हो रहा है कि उनकी राजनीतिक जमीन खिसक गई है और वह हाशिये की राजनीति पर चले हैं। तभी तो भाजपा जातीय गणना के मामले में दोहरी राजनीति करती रही है एक और दिखावे का समर्थन और दूसरी और इसका विरोध। इसका सबसे स्पष्ट प्रमाण है कि जब कोर्ट के माध्यम से स्टे आर्डर आया तो भाजपा कार्यालय मिठाइयां बंटी। बिहार ने 1931 के बाद पहली बार बेहतर ढंग से शिक्षकों के माध्यम से जिन्हें प्रगणक बनाकर गणना कराई गई थी, उन्हीं शिक्षकों के द्वारा सच और सच्चाई पर आधारित आंकड़े लोगों के सामने इकट्ठा करके दिए गये,उसी के बाद से राज्य सरकार ने अपने संकल्प को पूरा किया।


इन्होंने आगे कहा कि जातिय गणना का जो संकल्प था और खास तौर से नेता प्रतिपक्ष रहते हुए भी श्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने इस मामले में जिस तरह से आंदोलन और संघर्ष के साथ-साथ गंभीरता से अपनी बातें रखी ,उसे पर बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी ने सहमति व्यक्त करके न सिर्फ प्रधानमंत्री से सभी दलों का शिस्टमंडल मिला बल्कि सभी दलों की सहमति के उपरांत जातिय गणना अपने स्तर से बिहार सरकार ने कराने का फैसला लिया ।लेकिन उसको पिछले दरवाजे से रोकने के लिए जिस तरह से साजिश भाजपा ने की उसकी पोल खुल गई और जब इस मामले में कोर्ट ने रोक लगाई तो भाजपा के कार्यालय में मिठाइयां बांटी गई और केंद्र सरकार के स्तर से तुषार मेहता के माध्यम से शपथ पत्र देकर इसे रोकने का भरसक प्रयास किया लेकिन जब कोर्ट ने अनुमति प्रदान कर दी तब भाजपा इस मामले में राजनीति करने लगी, जबकि भाजपा कभी गरीबों , वंचितों, पिछड़ों अतिपिछड़ों , दलितों और आदिवासियों के साथ-साथ अल्पसंख्यकों को हक और अधिकार देना नहीं चाहती है, क्योंकि इन वर्गों को विकास के श्रेणी से दूर रखा जाए यही इनकी नीतियां हैं,और इन वर्गों को हक और अधिकार देने की जो बात करें उसको मकड़जाल में फंसा दिया जाए, यही कारण है कि भाजपा की ओर से तरह-तरह के बयान आ रहे हैं।

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