सीबीआई ने ऑपरेशन चक्र-II चलाकर ऑनलाइन निवेश से संबन्धित धोखाधड़ी का किया खुलासा

ऑपरेशन चक्र-II की कड़ी के तौर पर, सीबीआई ने साइबर-सक्षम वित्तीय अपराधों पर अपनी कार्रवाई जारी रखी एवं दो अन्य मामलों में व्यापक सफलता हासिल की।

पहला मामला: वर्ष 2022 में, गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) द्वारा दी गई सूचना सहित विभिन्न सूचनाओं के आधार पर, सीबीआई ने विदेशी घोटालेबाजों द्वारा निवेश, ऋण और नौकरी के अवसरों के नाम पर भारतीय नागरिकों पर किए जा रहे जटिल(sophisticated), संगठित साइबर अपराध के विरुद्द मामला दर्ज किया।

धनराशि के इधर उधर होने के जटिल जाल का विस्तृत विश्लेषण करने के पश्चात, सीबीआई ने हाल ही में संदिग्धों के ठिकानों पर छापेमारी की।

जालसाजों ने कथित तौर पर पोंजी योजनाओं एवं बहु-स्तरीय विपणन पहलों(multi-level marketing initiatives) के माध्यम से आकर्षक अंशकालिक नौकरियों के वादे के साथ पीड़ितों को लुभाने के लिए विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों एवं उनके विज्ञापन पोर्टलों, एन्क्रिप्टेड चैट एप्लिकेशन(Encrypted chat applications), एसएमएस का लाभ उठाया। पहचान को छुपाने के लिए, इन अपराधियों ने यूपीआई खातों, क्रिप्टो मुद्राओं व अंतरराष्ट्रीय धन हस्तांतरण से जुड़े बहुस्तरीय तरीके का प्रयोग किया।

कथित तौर पर, जालसाज एक प्रसिद्ध सर्च इंजन के विज्ञापन उपकरण के साथ-साथ थोक एसएमएस भेजने के लिए किराए के हेडर का उपयोग कर रहे थे, जिससे धोखाधड़ी का तंत्र तैयार हो रहा था। पीड़ितों को उच्च मुनाफा वापसी की उम्मीद में यूपीआई खातों के माध्यम से धन जमा करने का लालच दिया गया। गलत तरीके से कमाए गए धन को यूपीआई खातों के एक जटिल नेटवर्क के माध्यम से धनशोधन किया गया, जो अंततः फर्जी प्रमाण-पत्रों का उपयोग करके क्रिप्टो मुद्रा या सोने की खरीद में परिवर्तित हो गया।

सीबीआई ने धोखाधड़ी वाले गतिविधियों में संलिप्त 137 मुखौटा कंपनियों की पहचान की। इनमें से बड़ी संख्या में संस्थाएँ बैंगलोर में कंपनी रजिस्ट्रार के साथ पंजीकृत थीं। व्यापक स्तरीय जांच से इन कंपनियों के निदेशकों की पहचान हुई, जिनमें से अधिकांश बैंगलोर में स्थित थे। इनमें से कुछ निदेशक बेंगलुरु स्थित एक भुगतान आधारित व्यापारी (Payout merchant) से भी जुड़े थे। यह व्यापारी, धोखाधड़ी के संचालन के केंद्र में, लगभग 16 अलग-अलग बैंक खातों को नियंत्रित करता था, जहां पर 357 करोड़ रु. (लगभग) की भारी मात्रा में धनराशि हस्तांतरित(funneled) किया गया । फिर धोखाधड़ी को छुपाने के प्रयास में जानबूझकर धनराशि को विभिन्न खातों में भेजा गया। बेंगलुरु, कोचीन और गुड़गांव में की गई तलाशी में मुखौटा कंपनियों के निदेशकों की कथित गतिविधियों पर जानकारी देने वाले पर्याप्त सबूत मिले।

आरोपियों के एक विदेशी नागरिक से संबंध का भी पता चला है। इन धोखाधड़ी वाली संस्थाओं से जुड़े निदेशकों और संपर्क जानकारी को बदलने में बैंगलोर के दो चार्टर्ड अकाउंटेंट की भूमिका पाई गई। उनके परिसरों की तलाशी से कुछ दस्तावेज़, ईमेल संवाद एवं व्हाट्सएप चैट बरामद हुए, जिससे इन अभियानों में उक्त विदेशी नागरिक की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने में उनकी कथित भूमिका के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली।

दूसरा मामला सिंगापुर के नागरिकों को निशाना बनाने वाले साइबर सक्षम वित्तीय अपराधों के आरोप में अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध दर्ज किया गया। इस मामले में इंटरपोल चैनलों के माध्यम से सिंगापुर पुलिस बल से दस (10) राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में फैले 100 से अधिक भारतीय बैंक खातों से जुड़े, सिंगापुर के नागरिकों के विरुद्ध 300 से अधिक साइबर-सक्षम धोखाधड़ी से संबंधित सूचना प्राप्त हुई थी। आगे यह भी आरोप है कि इन अपराधियों ने 400 से अधिक सिंगापुर नागरिकों को निशाना बनाते हुए विभिन्न प्रकार की साइबर तकनीकों का प्रयोग किया, जिनमें फ़िशिंग(Phishing), विशिंग(Vishing), स्मिशिंग(Smishing) एवं धोखाधड़ी वाली तकनीकी सहायता जैसी सोशल इंजीनियरिंग तरीके शामिल थे।

उक्त मामला दर्ज करने के पश्चात, सीबीआई ने सिंगापुर के नागरिकों को निशाना बनाने वाले एक विशाल साइबर धोखाधड़ी के नेटवर्क का खुलासा किया एवं उस पर कार्रवाई की। यह आरोप है कि आरोपियों ने विभिन्न प्रकार की साइबर तकनीकों का उपयोग किया, जिसमें फ़िशिंग(Phishing), विशिंग(Vishing), स्मिशिंग(Smishing) एवं धोखाधड़ी वाली तकनीकी सहायता जैसी सोशल इंजीनियरिंग तरीके शामिल थे। इन तकनीकों का फायदा उठाकर, आरोपियों ने पीड़ितों के सिस्टम तक अनधिकृत पहुंच हासिल कर ली एवं बाद में सिंगापुर के खातों से भारत के विभिन्न खातों में धनराशि स्थानांतरित कर दी। धोखाधड़ी की गई धनराशि को अन्य खातों में भेज दिया गया या इन साइबर अपराधियों द्वारा निकाल लिया गया।

गहन प्रयास में, लगभग 150 बैंक खातों का विश्लेषण किया गया, और धनराशि के लेन-देन के साक्ष्यों की पहचान की गई। वित्तीय लेन देन के आधार पर परस्पर जुड़ी संस्थाओं के एक जटिल तंत्र का पुनर्निर्माण किया गया।

पटना, कोलकाता, लखनऊ, वाराणसी, चंडीगढ़, जालंधर, भोपाल, चेन्नई, कोच्चि एवं मदुरै सहित लगभग 35 स्थानों पर स्थित आरोपियों के परिसरों की तलाशी के दौरान, पहचान प्रमाण पत्र, धोखाधड़ी वाले बैंकिंग लेनदेन व अन्य महत्वपूर्ण साक्षों से संबंधित आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए। ऑपरेशन के माध्यम से सिंगापुर के नागरिकों को निशाना बनाने में संलिप्त कई गिरोहों का पता चला एवं जांच के दौरान उनकी पहचान सुनिश्चित की गई।

इस मामले में जाँच जारी है।

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