विगत एक माह में पटना जिला में 15 बाल श्रमिकों को विमुक्त कराया गया

जिला पदाधिकारी, पटना-सह-अध्यक्ष, जिला टास्क फोर्स डॉ. चन्द्रशेखर सिंह के निदेश पर उप विकास आयुक्त, पटना श्री तनय सुल्तानिया की अध्यक्षता में आज समाहरणालय स्थित सभा कक्ष में बाल श्रम उन्मूलन हेतु गठित जिला-स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक हुई। इस बैठक में जिले में बाल श्रमिकों की पहचान, विमुक्ति, पुनर्वास एवं बाल श्रम के उन्मूलन हेतु की गई कार्रवाइयों की समीक्षा की गई तथा अद्यतन प्रगति का जायजा लिया गया। डीडीसी श्री सुल्तानिया ने बाल श्रम के उन्मूलन हेतु अन्तर्विभागीय समन्वय की आवश्यकता पर बल देते हुए विमुक्त बाल श्रमिकों तक सरकार के विभिन्न लोक कल्याणकारी एवं विकासात्मक योजनाओं का लाभ पहुँचाने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं, शिक्षा, पुलिस, स्वास्थ्य, विधि, समाज कल्याण विभाग सहित सभी भागीदारों को आपस में सार्थक समन्वय करते हुए बाल श्रम उन्मूलन हेतु प्रतिबद्ध रहना होगा।

इस बैठक में श्रम अधीक्षक, पटना द्वारा जिला टास्क फोर्स के गठन, संरचना एवं उद्देश्यों से सदस्यों को अवगत कराया गया। सहायक निदेशक, बाल संरक्षण इकाई, पटना द्वारा बाल श्रम उन्मूलन, विमुक्ति एवं पुनर्वास से संबंधित कार्य योजना पर प्रकाश डाला गया।

बैठक में श्रम अधीक्षक, पटना द्वारा चाइल्ड लेबर ट्रैकिंग सिस्टम (सीएलटीएस) के बारे में बताया गया। उनके द्वारा बताया गया कि बाल श्रम से विमुक्त बच्चों के बारे में सभी प्रकार की सूचना, नियोजक के विरूद्ध की गयी कार्रवाई एवं पुनर्वासन संबंधी कृत कार्रवाई को ऑनलाईन पोर्टल पर अपलोड किया जाता है।

श्रम अधीक्षक द्वारा बाल श्रम उन्मूलन हेतु कृत कार्रवाई से संबंधित अद्यतन प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। इस वर्ष अभीतक 32 बाल श्रमिकों को विमुक्त कराया गया है। विमुक्त कराए गए सभी 32 बाल श्रमिकों के नियोजकों के विरूद्ध बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 की सुसंगत धाराओं के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज की गई है। विदित हो की बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम के तहत बच्चो से कार्य कराना संज्ञेय अपराध है।

विगत एक माह में बाल श्रम उन्मूलन हेतु चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत कुल 15 बाल श्रमिकों को विमुक्त कराया गया है। 01 अप्रैल 2014 से अब तक पटना जिला से कुल 182 बाल श्रमिकों को विमुक्त कराया गया है। पटना जिला से विमुक्त कराए गए कुल 182 बाल श्रमिकों में से 54 विमुक्त बाल श्रमिक दूसरे जिला के निवासी है। डीडीसी श्री सुल्तानिया ने नियमित रूप से धावा दल का संचालन करने का निदेश दिया। उन्होंने विमुक्त बाल श्रमिकों के बारे में आंकड़ों को नियमित तौर पर अद्यतन करने का निदेश दिया। उन्होंने प्रखंड स्तर पर भी बाल श्रम उन्मूलन हेतु सघन अभियान चलाने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि दोषी नियोजकों के विरूद्ध यथाशीघ्र नियमानुकूल कार्रवाई कर दंडित किया जाय ताकि भविष्य में कभी बाल श्रम का नियोजन नहीं करे।

डीडीसी श्री सुल्तानिया ने प्रखंड स्तरों तथा पंचायत स्तरों पर टास्क फोर्स के गठन करने एवं नियमित अंतराल पर इस टास्क फोर्स के माध्यम से बाल श्रम उन्मूलन कार्यक्रम का अनुश्रवण करने का निदेश दिया। उन्होंने श्रम अधीक्षक को सभी प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के साथ संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित करने का निदेश दिया।

डीडीसी श्री सुल्तानिया ने विमुक्त बाल श्रमिकों का शत-प्रतिशत भौतिक सत्यापन कर मुख्यमंत्री राहत कोष से प्रति विमुक्त बाल श्रमिक रुपये 25,000/- की दर से विमुक्त बाल श्रमिक के नाम से सावधि जमा की प्रक्रिया को त्वरित गति से पूर्ण करने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि आवश्यकतानुसार आवंटन की अधियाचना कर लें।

डीडीसी श्री सुल्तानिया ने बाल श्रम से विमुक्त एवं सीएलटीएस में दर्ज विमुक्त बच्चों का शत-प्रतिशत भौतिक सत्यापन करने एवं प्राथमिक पुनर्वास राशि प्रति विमुक्त बाल श्रमिक रुपये 3,000/-, प्रति विमुक्त बाल श्रमिक रुपये 5,000/- की दर से जिला बाल श्रमिक पुनर्वास-सह-कल्याण कोष में जमा, दोषी नियोजक के द्वारा प्रति बाल श्रमिक रुपये 20,000/- की दर से जिला बाल श्रमिक पुनर्वास-सह-कल्याण कोष में जमा करने की प्रक्रिया को तत्परता से सम्पन्न करने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि आवश्यकतानुसार आवंटन की अधियाचना कर लें।

डीडीसी ने कहा कि सहायक निदेशक बाल संरक्षण इकाई, विमुक्त बाल एवं किशोर श्रमिकों के शैक्षणिक एवं आर्थिक पुनर्वास हेतु राज्य कार्य योजनान्तर्गत नोडल पदाधिकारी के रूप में नामित हैं। उनको निदेश दिया गया कि सीएलटीएस में दर्ज विमुक्त बच्चों की सूची के आधार पर उनके एवं उनके परिवार की आवश्यकता के अनुसार विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर सरकारी योजनाओं से जोड़ने का कार्य करेंगे।

डीडीसी ने जिला पंचायती राज पदाधिकारी को निदेश दिया कि ग्राम पंचायतों से बाहर जाने वाले बच्चों एवं किशोरों तथा बाल एवं किशोर श्रमिकों से संबंधित पंचायत कार्यालय में रजिस्टर संधारित कराना सुनिश्चित करेंगे। बाल एवं किशोर श्रमिकों के नामांकन व उनके परिवार के पुनर्वास से संबंधित अद्यतन प्रविष्टि इसमें की जाएगी ताकि बच्चे पुनः काम पर वापस न लौटे । डीडीसी ने कहा कि त्रि-स्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के जन प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में बाल श्रम उन्मूलन, विमुक्ति एवं पुनर्वास विषय को अनिवार्य रूप से शामिल कर गॉव-गॉव तक संवेदीकरण एवं जन-जागरूकता उत्पन्न की जाए।

डीडीसी ने पात्रता रखने वाले बाल एवं किशोर श्रमिकों के परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर जन वितरण प्रणाली से जोड़ते हुए राशन कार्ड निर्गत करने का तथा उनके परिवार को प्राथमिकता के आधार पर मनरेगा के अंतर्गत जॉब कार्ड उपलब्ध कराने हेतु निदेश दिया।

डीडीसी ने शिक्षा विभाग को निदेश दिया कि विमुक्त बाल एवं किशोर श्रमिकों को उच्च प्राथमिकता के आधार पर प्रारंभिक एवं बुनियादी शिक्षा उपलब्ध कराया जाए, उनका नामांकन विद्यालय में कराने तथा उनको मुफ्त पाठ्य पुस्तक मध्याह्न भोजन, छात्रवृति, साईकिल एवं पोशाक उपलब्ध कराया जाए। जिला कार्यक्रम समन्वयक, बिहार शिक्षा परियोजना, पटना को निदेश दिया कि श्रम संसाधन विभाग और समाज कल्याण विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर बाल श्रमिक सहित विद्यालय से बाहर रह गये बच्चों का सर्वेक्षण करना, साथ ही साथ विद्यालय से बाहर रह गये सभी बच्चों का विद्यालय में नामांकन करवाना सुनिश्चित करें। उन्होंने बच्चों को कैचअप कोर्स से जोड़ने का निदेश दिया। स्वास्थ्य विभाग को निदेश दिया गया कि विमुक्त बाल एवं किशोर श्रमिकों तथा उनके माता-पिता को प्राथमिकता के आधार पर निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने हेतु स्वास्थ्य कार्ड/आयुष्मान कार्ड उपलब्ध कराया जाए।

डीडीसी श्री सुल्तानिया ने कहा कि बाल श्रम जैसे सामाजिक बुराई को जड़ से समाप्त करने के लिए सघन जन-जागरूकता अभियान चलाने का आवश्यकता है। उन्होंने बाल श्रम उन्मूलन पर आधारित चलचित्रों एवं वृतचित्रों का प्रदर्शन करने का निदेश दिया। नियमित तौर पर जागरूकता अभियान चलाने एवं व्यापक प्रचार-प्रसार करने, किशोर श्रम के मुद्दों को लक्ष्य में रखकर प्रशिक्षण, सूचना, प्रचार-प्रसार अभियान के लिए संसाधन सामग्रियों, अद्यतन हस्तकों, यूजर मित्रवत मानक बुकलेट आदि का वितरण कराने का निदेश दिया।

डीडीसी ने कहा कि जिन परिवारों के बच्चों को मजबूरन बाल श्रमिक बनने की सम्भावना है, उनपर ध्यान केन्द्रित करते हुए ऐसे परिवारों के बच्चे को चिन्हित करते हुए आईसीडीएस केन्द्रों में नामांकित करने की कार्रवाई की जाए। उन्होंने जिला कल्याण पदाधिकारी को निदेश दिया कि प्राथमिकता के आधार पर अर्हता प्राप्त कोटियों के बाल/किशोर श्रमिकों को किसी अन्य विद्यमान कल्याण योजनाओं के अधीन लाभ प्रदान करने हेतु आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करें।

डीडीसी श्री सुल्तानिया ने कहा कि बाल श्रम उन्मूलन, विमुक्ति एवं पुनर्वास हेतु सभी भागीदारों (स्टेक होल्डर्स) को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।

बैठक में उप विकास आयुक्त के साथ जिला पंचायती राज पदाधिकारी, शिक्षा, पुलिस, स्वास्थ्य, कल्याण, सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण इकाई, जिला विधिक सेवा प्राधिकार के प्रतिनिधि एवं अन्य भी पदाधिकारी उपस्थित थे।

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