“स्त्री ही अन्नपूर्णा है, जो परिवार के ईश्वर रूपी सदस्यों को प्रेमपूर्वक अपने अक्षय पात्र से ब्रह्मानंद प्रदान करती है और मानव जीवन को रसमय बनाती है” – विजय श्री

राष्ट्रीय पोषण माह के अवसर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के केंद्रीय संचार ब्यूरो, छपरा द्वारा 15 सितंबर को जय प्रकाश महिला महाविद्यालय, छपरा में “महिला और स्वास्थ्य” व “बच्चा और शिक्षा” विषय पर संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

संगोष्ठि को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के आयोजक एवं सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के छपरा स्थित केंद्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी) के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी सह सीबीसी, पटना के कार्यक्रम प्रमुख पवन कुमार सिन्हा ने कहा कि 5वें राष्ट्रीय पोषण माह में माननीय प्रधानमंत्री ने सुपोषित भारत के विजन को पूरा करने के लिए जन आंदोलन को जनभागीदारी में बदलने का लक्ष्य रखा है और इन्हीं उद्देश्यों के साथ किशोंरियों के बीच पोषण एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से संगोष्ठि का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में खासकर महिलाओं एवं किशोरियों में कुपोषण की समस्या सबसे अधिक है। इन समस्याओं के समाधान के लिए ही सितंबर का पूरा महीना राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पोषण माह पोषण और अच्छे स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।

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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सारण की जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (आईसीडीएस) कुमारी अनुपमा ने कहा कि सही उम्र में उचित पोषण एक स्वस्थ मां और उसके बच्चे के लिए बेहद आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारतीय नारियों में खासकर ग्रामीण महिलाओं में एनीमिया की समस्या सबसे अधिक देखने को मिलती है। उन्होंने छात्राओं और उनके अभिभावकों से आग्रह करते हुए कहा कि वे आयरन युक्त पोषक तत्वों का सेवन खुद भी करें और बच्चियों को भी कराएं। यह उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए बेहद जरूरी है। उन्होंने माताओं से विशेष रूप आग्रह करते हुए कहा कि उनसे ही उनका परिवार बना है, अतः अपना ख्याल सर्वप्रथम रखा करें।

 

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट), सारण की व्याख्याता विजय श्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अन्न ब्रह्म स्वरूप है। जब हम भोजन करते हैं तो हमें तृप्ति मिलती है। वास्तव में, ब्रह्म स्वयं हमारे अंदर उतरता है, इसलिए हमें ब्रह्मानंद प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि हम जैसा अन्न खाते हैं, वैसा ही हमारा मन होता है। उन्होंने कहा कि ब्रह्म को सच्चिदानंद कहा गया है, जो अन्न रूप में हमारे अंदर उतरता है। इसलिए भोजन चुनने, पकाने, परोसने, खाने तथा पचाने की समस्त पोषण प्रक्रिया का आध्यात्मिक महत्व है। इसलिए भोजन और भजन परिवार के साथ मिल बैठकर करने से परिवार में खुशी और आनंद बना रहता है। घर की स्त्री ही अन्नपूर्णा है, जो परिवार के ईश्वर रुपी सदस्यों को प्रेमपूर्वक अपने अक्षय पात्र से ब्रह्मानंद प्रदान करती है और मानव जीवन को रसमय बनाती है। उन्होंने कहा कि हमारे भारतीय परंपरा में 16 संस्कार हमारी समृद्ध पोषण परंपरा, महिला स्वास्थ्य और बच्चे की शिक्षा से जुड़े हुए।

यूनिसेफ पटना के पोषण सलाहकार राघवेंद्र कुमार ने कहा कि जिसके शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा अच्छी होगी उसके शरीर में ऑक्सीजन का संचरण बहुत अच्छे तरीके से होगा। ऑक्सीजन का सही तरीके से संचरण नहीं हो पाने की वजह से ही व्यक्ति शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होता है। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति को एक दिन में कम से कम चार प्रकार के आहार समूह अवश्य खाना चाहिए जिनमें- अनाज, दलिया, फलियां, हरी साग सब्जियां, पीली साग सब्जियां, दूध से बने उत्पाद आदि शामिल हों। उन्होंने कहा कि देश में लगभग 67 फ़ीसदी किशोरिया आयरन की कमी से ग्रसित हैं।

जयप्रकाश महिला महाविद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ मंजू सिन्हा ने कहा कि जो भोजन हम करते हैं उसका हमारे शरीर पर नकारात्मक और सकारात्मक दोनों ही असर पड़ता है। हमें नियमित रूप से संतुलित भोजन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंकुरित भोजन स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा होता है।

छपरा सदर की सीडीपीओ ममता कुमारी ने कहा कि जैसा आप आहार करेंगे, वैसा ही आपका व्यवहार बन जाएगा। लिहाजा आप संतुलित और पोषण युक्त आहार करना भविष्य का निर्माण करने जैसा है। उन्होंने कहा कि महिला अगर स्वस्थ हो तो बच्चा भी स्वस्थ होगा और तब परिवार स्वस्थ होगा।

छपरा ग्रामीण की सीडीपीओ जया कुमारी ने कहा कि बच्चों को बचपन से ही सही पोषण देना चाहिए क्योंकि वह पोषण ही उसके भविष्य का निर्माण करेगा। उन्होंने कहा कि हमें अपने भोजन में संतुलित आहार लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों को भी स्वस्थ रहने और सही पोषण करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

सारण के जिला युवा समन्वयक मयंक भदोरिया ने कहा कि एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ आत्मा का विकास होता है। अगर हमें एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण करना है स्वस्थ शरीर से ही कर सकते हैं।

कार्यक्रम का संचालन जय प्रकाश महिला महाविद्यालय की व्याख्याता सबाना ने किया। मौके पर विभाग के शशिकांत महतो, अशोक कुमार और निशांत कुमार सहित कॉलेज की छात्राएं, सभी शिक्षकगण बड़ी संख्या में मौजूद थीं।

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