पटना उच्च न्यायालय के फैसले के बाद बिहार मे हो रहे नगर निकाय के चुनाव पर राज्य निर्वाचन ने लगाई रोक

 

पटना उच्च न्यायालय ने नगर निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के लिए सीटों के आरक्षण को अवैध बता दिया है ,जिसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने बिहार नगर निकाय चुनाव पर तत्काल रोक लगा दी है

गौरतलब है कि मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ में राज चुनाव आयोग को ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को फिर से अधिसूचित करके उन्हें सामान्य करने की सीटों में शामिल करके चुनाव कराने का निर्देश दिया है ,हाईकोर्ट ने कहा है कि अति पिछड़ा वर्ग OBC के लिए 20% आरक्षित सीटों को जनरल कर नए सिरे से नोटिफिकेशन जारी करें ,उच्च न्यायालय ने कहा  स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया था उसका बिहार में पालन नहीं किया गया है

 

इधर आयोग के सूत्रों के अनुसार राज्य में बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 के तहत नगर निकायों के चुनाव नगर निगम नगर, परिषद और नगर पंचायतों में कराए जाने हैं इस चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट नियम से ही ओबीसी आरक्षण को तय करने को कहा है यह आदेश सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि ओबीसी आरक्षण के मामले में दूसरे सभी प्रदेशों को भी इस नियम का पालन करने को हिदायत दी गई है ऐसे में राज्य सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के आलोक में ही राज्य में नगर निकायों के चुनाव कराए जाएंगे

पटना उच्च न्यायालय ने दशहरा पर्व के छुट्टी के दौरान नवी के दिन नगर निकाय चुनाव में ओबीसी ओबीसी को आरक्षण देने के मामले पर सियासत करने का अपना फैसला दिया है कोर्ट ने कहा है कि नगर पालिका के चुनाव में ओबीसी को दिया गया आरक्षण कानून के तहत गलत है आरक्षण देने के पहले सुप्रीम कोर्ट के 2010 के फैसले को नजरअंदाज किया गया जबकि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने की बात स्वीकारी थी हाईकोर्ट ने राज चुनाव आयोग को आदेश दिया है कि ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को अनारक्षित सीट घोषित कर चुनाव की अधिसूचना जारी करें

मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने एक साथ 17 मामले पर सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत बगैर ट्रिपल टेस्ट के ही ओबीसी को आरक्षण दे दिया जबकि आरक्षण देने के पहले राजनीतिक रूप से पिछड़े पनवारी जातियों को चिन्हित किया जाना चाहिए था सरकार ने ऐसा नहीं कर सीधे आरक्षण दे दिया न्यायालय ने ओबीसी को आरक्षण दिए जाने पर राज चुनाव आयोग के क्रियाकलापों पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकार के प्रभाव में आरक्षण दिया है जैसा कि आपको मालूम है पिछले 29 सितंबर को कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था इसे मंगलवार को सुनाया गया उच्च न्यायालय इससे पहले राज्य निर्वाचन आयोग को पहले चरण के चुनाव की तिथि आगे बढ़ाने की सलाह दे चुकी थी 2 चरणों में होने वाली नगर पालिका पहले चरण का चुनाव 10 अक्टूबर और दूसरे चरण का चुनाव आगामी 20 अक्टूबर को है

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया था कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण के अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती जब तक कि राज्य सरकार वर्ष 2010 में सुप्रीम कोर्ट के दिए गए फैसले के अनुसार सबसे पहले तीन जांच की अहर्ता पूरी नहीं कर लेती तीन जांच के प्रावधानों के तहत ओबीसी के राजनीतिक पिछड़ापन का आंकड़ा जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग की सिफारिशों के अनुसार नगर निकाय में आरक्षण देना है साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि एससी एसटी ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा उपलब्ध सीटों का 50% से अधिक नहीं हो

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