टीबी मरीजों को गोद लीजिये और टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाईये- रॉबर्ट एल. चोंगथू , प्रधान सचिव, महामहिम राज्यपाल, बिहार

भारत सरकार की महामहिम राष्ट्रपति महोदय द्वारा 9 सितम्बर, 2022 को प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान की शुरूआत की गई, जिसके तहत कई निक्षय मित्र जैसे जनप्रतिनिधि, गैर-सरकारी संगठन, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, सरकारी और निजी संस्थान इस पहल के माध्यम से, सरकार के साथ समन्वय स्थापित करते हुए टीबी रोगियों को गोद लेकर पोषण, जाँच, उपचार तथा सामजिक सहयोग के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रहें हैं।
इसी सन्दर्भ में, आज राज्य स्वास्थ्य स्वास्थ्य समिति, बिहार द्वारा राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन, राज्य टेक्निकल सपोर्ट यूनिट, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज, डॉक्टर फॉर यू, वर्ल्ड हेल्थ पार्टनर्स, रीच, केएचपीटी एवं सीफार संस्थाओं,सीआईआई-बिहार, रोटरी क्लब, भारतीय रेलवे (पूर्वी क्षेत्र), यूनिसेफ, अपोलो टायर्स सहित 45 से अधिक संगठनों और व्यक्तियों ने भाग लिया। कार्यशाला की अध्यक्षता बिहार के माननीय राज्यपाल के प्रधान सचिव श्री रॉबर्ट एल. चोंगथू ने की | इस अवसर पर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक श्री संजय कुमार सिंह और राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम) डॉ. बी के मिश्र सहित स्वास्थ्य विभाग के अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे | इसके अतिरिक्त राज्य के 38 जिलों के जिला यक्ष्मा पदाधिकारी भी वर्चुअल रूप से जुड़े थे | विशेष बात यह है कि इस महत्वपूर्ण कार्यशाला में उन लोगों ने भी अपने उदगार व्यक्त किये जिन्होंने टीबी मरीजों को गोद लिया है और निक्षय मित्र बनकर सेवा भाव से कार्य कर रहें हैं |


बिहार के माननीय राज्यपाल के प्रधान सचिव श्री रॉबर्ट एल. चोंगथू ने कहा कि “मेरा दृढ़ विश्वास है कि यह पहल टीबी रोगियों को अतिरिक्त पोषण और सामाजिक समर्थन प्रदान करेगी, साथ ही यह टीबी उन्मूलन लक्ष्य की दिशा में अधिक सामुदायिक समर्थन बनाने में भी मदद करेगी – जिससे टीबी के बारे में बातचीत सामान्य हो जाएगी और इससे जुड़े कलंक को कम किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इस पहल के माध्यम से, जन प्रतिनिधियों, कॉर्पोरेट संस्थाओं, गैर सरकारी संगठनों और नागरिकों सहित हितधारक टीबी रोगियों का सहयोग करने के लिए दाताओं के रूप में आगे आकर अतिरिक्त पोषण, जांच और व्यावसायिक प्रशिक्षण सहायता प्रदान कर सकते हैं।
राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक श्री संजय कुमार सिंह ने कहा कि टीबी के उपचार पूरा करने के महत्व पर जोर देने की जरूरत है क्योंकि उपचार पूरा न होने से टीबी रोगी दवाओं के लिए प्रतिरोधी बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि एंटी-टीबी दवाओं की प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के लिए पौष्टिक आहार को बनाए रखने का महत्व भी बहुत महत्वपूर्ण है। श्री सिंह ने कहा कि बिहार 2025 तक टीबी को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। टीबी उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (2017-25) के लॉन्च के बाद से, बिहार के राज्य टीबी कार्यालय ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से रोगियों को पोषण सहायता प्रदान करने के लिए स्थायी मॉडल और निक्षय पोषण योजना की शुरुआत के माध्यम से निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं को शामिल करने में अग्रणी नवाचारों सहित नई रणनीतियों को कार्यान्वित किया है। कार्यपालक निदेशक ने यह भी कहा ‘ टूटे नहीं, भूले नहीं, यानि निक्षय मित्रों के माध्यम से टीबी रोगियों का मनोबल बढेगा और पूर्ण उपचार करंगे


राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम) डॉ. बी.के. मिश्र ने बताया कि वर्ष 2022 में जनवरी से सितम्बर तक टीबी नोटिफिकेशन का 80 % उपलब्धि प्राप्त कर लिया है , साथ ही कोविड महामारी के बाद टीबी नोटिफिकेशन में आशातीत उपलब्धि हासिल करने वाला देश में पहला राज्य है, इसके लिए प्राइवेट पेशंट प्रोवाइडर सुपोर्ट एजेंसी (पीपीएसए) द्वारा प्राइवेट सेक्टर से नोटिफिकेशन बहुत महत्वपूर्ण रहा है। डॉ मिश्र ने सभी निक्षय मित्रों से अपील कि टीबी के अधिकांश रोगी आर्थिक रूप से पिछड़े होते हैं एवं मानसिक रूप से अवसाद से ग्रसित होते है, अतः टीबी रोगियों के प्रति व्यवहार में आदर एवं संवेदन शीलता अपेक्षित है। डॉ मिश्र ने कहा कि हमें विश्वास है कि यह निक्षय मित्र पहल हमें प्रत्येक रोगी तक पहुंचने में मदद करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि सभी टीबी रोगियों का सम्पूर्ण उपचार हो। कार्यशाला में कई प्रतिभागियों ने निक्षय मित्र बनने की प्रतिबद्धता प्रकट की साथ ही, आईटीसी मुंगेर के प्रतिनिधि वाई. पी.सिंह ने 1500 टीबी मरीजों को 6 महीने तक निक्षय मित्र के रूप में सहायता देने की घोषणा की |

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