भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने फेसबुक के जरिये राहुल गाँधी पर साधा निशाना, कहा “बोया पेड़ बबुल का, तो आम कहां से होए”

राहुल गाँधी की लोकसभा सदस्यता समाप्त होने पर प्रसिद्ध लोकोक्ति “बोया पेड़ बबुल का, तो आम कहां से होए” के साथ निशाना साधते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने आज फेसबुक पर लिखा कि अंग्रेजी माहौल में पले-बढ़े राहुल जी ने शायद यह कहावत नहीं पढ़ी होगी. अगर पढ़ते तो न तो वह पूरे देश में फ़ैले और पिछड़े समाज के महत्वपूर्ण अंग ‘मोदी समाज’ को गाली देने की हिमाकत करते और न ही उन्हें आज का दिन देखना पड़ता.

उन्होंने लिखा कि राहुल गाँधी की लोकसभा सदस्यता समाप्त होना अहंकार से भरे उन सभी परिवारवादी दलों और राजनेताओं के लिए एक सबक है, जो जनता को अपने पैर की जूती समझते हैं. उन्हें लगता है कि वह राज करने के लिए पैदा हुए हैं और देश/राज्य उनकी जागीर है. सत्ता की हनक में इन युवराजों को लगता है कि वह कुछ भी बोलकर निकल जाएंगे और कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा. चारो तरफ से घेरे चापलूसों का गिरोह इनकी इस ‘हनक को सनक’ में बदल देता है जिससे इनका मन और बढ़ जाता है

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भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने लिखा कि राहुल, तेजस्वी या अखिलेश सरीखे सारे युवराज इसी रोग के मारे हैं. एक लंबे समय तक सत्ता और सिस्टम इनके इर्दगिर्द नाचते रहे, जिसके कारण इन्हें सब कुछ अपने मनमाफ़िक देखने की आदत हो गयी है. इन्हें लगता है कि वह जनता के सेवक नहीं बल्कि मालिक हैं.

उन्होंने आगे लिखा कि लेकिन अब जमाना बदल चुका है. समय मोदी राज का है, वक्त जनता का है. अवसर लोकतांत्रिक मूल्यों के सशक्तिकरण का है. बेला जनता के सर्वोपरि होने की है. ऐसे में पिछड़े समाज को गाली देकर आप बच जायेंगे, ऐसा सोचना भी भूल है.

राजद-कांग्रेस पर तंज करते हुए उन्होंने लिखा कि हंसी राजद-कांग्रेस के नेताओं पर आती है जो न्यायालय के फैसले को गैर लोकतांत्रिक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन बता रहे हैं. उन्हें बताना चाहिए कि पिछड़े समाज को गाली देने के लिए किसी को कैसे और क्यों स्वतंत्रता दे देनी चाहिए? वह बताएं कि पिछड़े समाज को भरे मंच से गाली देने से भला लोकतंत्र कैसे मजबूत होता है?

बहरहाल राहुल जी ने पिछले दिनों एक प्रेसवार्ता में कहा था कि “दुर्भाग्य से मैं एक सांसद हूं”, आज उन्हें और पूरी कांग्रेस को माननीय न्यायालय को धन्यवाद देना चाहिए कि उन्होंने उनका ‘दुर्भाग्य’ मिटा दिया.

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