
बिहार के उप मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि बिहार की कृषि में आधुनिक तकनीक और यांत्रिकरण ने नए आयाम स्थापित किए हैं। केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा किसानों की आय में वृद्धि और कृषि को आत्मनिर्भर व टिकाऊ बनाने के उद्देश्य से चलाई जा रही कृषि यांत्रिकरण योजनाओं के सफल क्रियान्वयन से कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिला है। बिहार में फार्म पावर की उपलब्धता वर्ष 2009-10 में मात्र 1.23 किलोवाट प्रति हेक्टेयर थी, जो बढ़कर वर्ष 2022-23 में 3.56 किलोवाट प्रति हेक्टेयर हो गई है।
श्री सिन्हा ने कहा कि बिहार के किसानों की मेहनत, कृषि यांत्रिकरण की योजनाओं और सरकार के प्रयासों से राज्य की कृषि व्यवस्था अधिक आधुनिक, सशक्त और लाभदायक बन रही है। हमारा लक्ष्य कृषि में नवाचार और तकनीकी सुदृढ़ता के माध्यम से किसानों की आय को दोगुना करना है। हमारा प्रयास है कि अब बिहार में कृषि केवल जीवन निर्वाह का नहीं उद्यमिता का प्रतीक बनकर उभरे
राज्य में कृषि यंत्रों की बढ़ती उपलब्धता से किसानों को न केवल आधुनिक खेती करने में सहूलियत मिली है, बल्कि उनकी उत्पादकता और आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ट्रैक्टर, पावर टिलर, थ्रेशर, हार्वेस्टर, ड्रिप और स्प्रिंकलर इरिगेशन जैसे उपकरण अब छोटे और सीमांत किसानों तक भी पहुंचने लगे हैं।
श्री सिन्हा ने कहा, किसान अब समय पर जुताई, बुवाई और कटाई कर पा रहे हैं, जिससे कृषि में लागत कम हुई है और उत्पादन में वृद्धि हुई है। राज्य सरकार कृषि यांत्रिकरण को अगले स्तर पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा स्पष्ट मानना है कि राज्य में कृषि और किसानों के सतत विकास से ही विकसित बिहार की राह सुनिश्चित होगी ।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा चलाई गई योजनाओं ने बिहार की कृषि को आधुनिक और टिकाऊ बनाने में अहम भूमिका निभाई है। मिसाल के तौर पर कस्टम हायरिंग सेंटर से छोटे किसानों को सस्ती दर पर आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के लिए 1000 से अधिक कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए गए हैं।
उसी तरह फार्म मशीनरी बैंक से छोटे एवं गरीब किसानों को सस्ते दर पर भाड़े पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराने हेतु फार्म मषीनरी बैंक की स्थापना की गई है। साथ ही यंत्रों पर सब्सिडी से किसानों को थ्रेशर, मल्टी-क्रॉप प्लांटर, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम सहित कुल 75 प्रकार के कृषि यंत्रों पर 40 प्रतिषत से 80 प्रतिषत तक अनुदान का प्रावधान किया गया है।
इतना ही नहीं किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत किसानों को आधुनिक कृषि यंत्रों के उपयोग में प्रशिक्षित कर तकनीकी रूप से सशक्त बनाया गया है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि यांत्रिकरण से भूमि की बेहतर जुताई, समय पर बुवाई, कटाई और फसल प्रबंधन संभव हुआ है। इसके परिणामस्वरूप फसलों की उत्पादकता में बढ़ोतरी हुई है। साथ ही, कृषि में लागत घटने से किसानों की शुद्ध आय में भी सुधार हुआ है।
श्री सिन्हा ने कहा कि कृषि यांत्रिकरण हमारी सरकार की प्राथमिकताओं में है। आने वाले वर्षों में किसानों को अत्याधुनिक कृषि यंत्रों पर अधिक अनुदान, कस्टम हायरिंग सेंटरों का विस्तार और नई तकनीकों की ट्रेनिंग देने पर जोर दिया जाएगा। हमारा लक्ष्य है कि बिहार की कृषि प्रणाली को पूरी तरह आत्मनिर्भर और आधुनिक बनाया जाए, जिससे किसान न केवल अपनी जरूरतें पूरी कर सकें, बल्कि देश-विदेश में भी अपनी फसलों की पहचान बना सकें।
उन्होंने आगे कहा कि बिहार सरकार किसानों की आर्थिक समृद्धि और कृषि के सशक्तिकरण के लिए निरंतर प्रयासरत है। राज्य में कृषि यांत्रिकरण की इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने यह साबित कर दिया है कि सरकार के सही प्रयासों और किसानों की मेहनत से कृषि क्षेत्र में क्रांति लाना संभव है।