
22 अप्रैल को पहलगाम में आतंक का कहर था। पाकिस्तान समर्थित हमलावरों ने एक गांव में घुसकर लोगों से उनका धर्म पूछा और उन्हें मार डाला, जिसके परिणामस्वरूप 26 लोगों की मौत हो गई। स्पष्ट तौर पर यह सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का एक प्रयास था। यह सीमा पार से होने वाले हमलों से लेकर भारत को अंदर से विभाजित करने की दिशा में एक प्रयास था। इसके जवाब में, भारत ने हमले के पीछे के आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। लेकिन पाकिस्तान ने हमला कर दिया। अगले सप्ताह, उसने धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने के लिए ड्रोन और गोलाबारी का इस्तेमाल किया। जम्मू में शंभू मंदिर, पुंछ में गुरुद्वारा और ईसाई मठों पर हमला किया गया। ये कोई अचानक किए गए हमले नहीं थे। ये भारत की एकता को तोड़ने की योजना का हिस्सा थे।
ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य:
* आतंक के अपराधियों और आकाओं को दंडित करना
* सीमा पार आतंकी ढांचे को नष्ट करने का लक्ष्य
खुफिया जानकारी और लक्ष्य का चयन:
* आतंकी ढांचे का सूक्ष्म आकलन किया गया
* कई आतंकी शिविरों और प्रशिक्षण स्थलों की पहचान की गई
ऑपरेशन संबंधी नैतिकता और संयम:
* क्षति से बचने के लिए आत्म-संयम के तहत काम किया गया
* केवल आतंकवादी ठिकानों को तबाह किया जाना था, ताकि नागरिकों को कोई नुकसान ना हो
7 मई को पहली प्रेस ब्रीफिंग के दौरान, भारत ने अपनी कार्रवाई को केंद्रित, नपा-तुला और बिना भड़काऊ वाला बताया। यह विशेष रूप से बताया गया था कि पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना नहीं बनाया गया था। यह भी दोहराया गया कि भारत में सैन्य ठिकानों पर किसी भी हमले के लिए अनिवार्य रूप से सटीक कार्रवाई की जाएगी। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 8, 9 और 10 मई को कई प्रेस ब्रीफिंग में भारत की कार्य योजना की पूरी सीमा और पाकिस्तान के इरादों को उजागर किया।
भारत की जवाबी कार्रवाई: भारत ने लाहौर में रडार प्रतिष्ठानों पर जवाबी हमले किए और गुजरांवाला के पास रडार संयंत्र नष्ट कर दिए।
युद्धविराम: इस भारी क्षति से परेशान होकर, पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक (डीजीएमओ) ने भारतीय डीजीएमओ से बात की और उनके बीच यह सहमति हुई कि दोनों पक्ष 10 मई 2025 को भारतीय मानक समय के अनुसार 1700 बजे से जमीन, हवा और समुद्र में सभी गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद कर देंगे।
युद्धविराम के बावजूद पाकिस्तान का रवैया: युद्धविराम के बाद भी, यूएवी और छोटे ड्रोन भारतीय नागरिक और सैन्य क्षेत्रों में घुसपैठ करते रहे। इन ड्रोनों को सफलतापूर्वक रोक दिया गया।
भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान की घुसपैठ का मुंहतोड़ जवाब दिया। भारतीय सशस्त्र बल सीमा पार से किसी भी शरारती डिजाइन को विफल करने के लिए लगातार तैयार और सतर्क हैं।
इसके अलावा, डिजिटल युग में, युद्ध पारंपरिक युद्ध के मैदानों से आगे बढ़ गया है। सैन्य अभियानों के साथ-साथ, ऑनलाइन एक भीषण प्रचार युद्ध भी चल रहा है। ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत के बाद, भारत ने खुद को पाकिस्तान द्वारा शुरू किए गए एक आक्रामक अभियान के निशाने पर पाया, जो झूठ और दुष्प्रचार से भरा हुआ था। इसका उद्देश्य सच्चाई को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, विश्व भर के लोगों को गुमराह करना और गलत प्रचार के माध्यम से खोई हुई कहानी को फिर से हासिल करना था। हालांकि, भारत तथ्यों, पारदर्शिता और मजबूत डिजिटल सतर्कता के साथ गलत सूचनाओं का सकारात्मक तौर पर जवाब दे रहा है और उन्हें दूर कर रहा है। भावनात्मक रूप से प्रतिक्रिया करने के बजाय, सूचना युद्ध के लिए एक संयमित और व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाया गया:
* ऑपरेशन की सफलता पर जोर: ऑपरेशन सिंदूर की प्रभावशीलता को सटीकता के साथ संप्रेषित किया गया, जिसमें सनसनीखेज बनाने के बजाय रणनीतिक परिणामों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
* स्रोतों को बदनाम करना: भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तान स्थित खातों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली हेरफेर की रणनीति को उजागर किया है, जिनमें से कई अब अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया प्लेटफार्म की जांच के दायरे में हैं।
* मीडिया साक्षरता को बढ़ावा: नागरिकों को फर्जी खबरों की पहचान करने के तरीके के बारे में शिक्षित करने के अभियानों ने एक अधिक लचीला डिजिटल वातावरण बनाने में मदद की है।
सैन्य और असैन्य साधनों के माध्यम से पाकिस्तान को दंड
ऑपरेशन सिंदूर भारत की सैन्य और सामरिक शक्ति का एक महत्वपूर्ण प्रदर्शन है, जिसे सैन्य और असैन्य साधनों के संयोजन के माध्यम से अंजाम दिया गया। इस बहुआयामी ऑपरेशन ने आतंकवादी खतरों को प्रभावी ढंग से बेअसर कर दिया, पाकिस्तानी आक्रामकता को रोक दिया और आतंकवाद के प्रति भारत के जीरो टॉलरेंस की नीति को मजबूती से लागू किया। इस ऑपरेशन ने अंतरराष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करते हुए रणनीतिक संयम बनाए रखा।
सैन्य कार्रवाई
भारत ने अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई सटीक और सुनियोजित सैन्य कार्रवाई की।
भारतीय सशस्त्र बलों ने 9 आतंकवादी ठिकानों – पाकिस्तान में 4 ठिकाने (बहावलपुर और मुरीदके सहित) और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 5 ठिकाने (जैसे मुजफ्फराबाद और कोटली) पर अपने मिसाइल से समन्वित और सटीक हमले किए।
ये ठिकाने जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख कमांड सेंटर थे, जो पुलवामा (2019) और मुंबई (2008) जैसे बड़े हमलों के लिए जिम्मेदार थे।
7, 8 और 9 मई, 2025 को भारतीय शहरों और सैन्य ठिकानों पर पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल हमलों के जवाब में, भारत ने लाहौर की वायु रक्षा प्रणाली को तबाह करने के साथ ही पाकिस्तान की वायु रक्षा क्षमताओं को बेअसर करने के उद्देश्य से कामिकेज ड्रोन तैनात किए।
भारत की वायु रक्षा प्रणालियों ने सभी संभावित खतरों को सफलतापूर्वक रोक दिया, जिसके परिणामस्वरूप जान-माल का न्यूनतम नुकसान हुआ। इसके विपरीत, पाकिस्तान की एचक्यू-9 वायु रक्षा प्रणाली कमजोर साबित हुई। 9 और 10 मई, 2025 की रात को भारत का जवाबी हमला एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बन गया, जब पहली बार किसी देश ने न्यूक्लियर हथियार वाले राष्ट्र के हवाई ठिकानों पर सफलतापूर्वक हमला किया।
महज तीन घंटे के भीतर भारत ने नूर खान, रफीकी, मुरीद, सुक्कुर, सियालकोट, पसरूर, चुनियन, सरगोधा, स्कर्दू, भोलारी और जैकोबाबाद समेत 11 सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया।
जैकोबाबाद में शाहबाज एयरबेस पर हमले से पहले और बाद में उपग्रह से ली गई तस्वीरों में विनाश का स्तर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
इस हमले में सरगोधा और भोलारी जैसे प्रमुख गोला-बारूद डिपो और एयरबेस को निशाना बनाया गया, जहां एफ-16 और जेएफ-17 लड़ाकू विमान तैनात थे। परिणामस्वरूप, पाकिस्तान की वायु सेना का लगभग 20 प्रतिशत इंफ्रास्ट्रक्चर नष्ट हो गया।
भोलारी एयरबेस पर बमबारी में स्क्वाड्रन लीडर उस्मान यूसुफ और 4 वायुसैनिकों सहित 50 से अधिक लोग मारे गए। कई पाकिस्तानी लड़ाकू विमान भी नष्ट हो गए।
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान में कई आतंकवादी ठिकानों और सैन्य ठिकानों पर सटीक हमले किये।
नियंत्रण रेखा पर पुंछ-राजौरी सेक्टर में नागरिक इलाकों को निशाना बनाकर पाकिस्तानी तोपखाने और मोर्टार हमलों के बाद, भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई की, तथा नागरिकों को निशाना बना रहे आतंकवादी बंकरों और पाकिस्तानी सेना के ठिकानों को नष्ट कर दिया।
रहीमयार खान एयरबेस के सुलगते मलबे से बरामद आसिफ अली जरदारी की आधी जली हुई तस्वीर पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि के विनाश का प्रतीक है।
असैन्य उपाय:
* भारत के गैर-गतिज प्रयासों ने रणनीतिक वातावरण को आकार देने और व्यापक तथा अंतरराष्ट्रीय समर्थन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रणनीतिक नीति निर्माण, सूचना प्रभुत्व और मनोवैज्ञानिक तौर पर ऑपरेशन के माध्यम से, भारत ने घरेलू तैयारियों और वैश्विक समर्थन को मजबूत करते हुए पाकिस्तान को कूटनीतिक और आर्थिक रूप से अलग-थलग कर दिया।
* ऑपरेशन सिंदूर के तहत एक निर्णायक कदम भारत द्वारा सिंधु जल संधि को समाप्त करना था। 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित रखा जाएगा, जब तक कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को विश्वसनीय और पूर्णतया त्याग नहीं देता। पाकिस्तान के लिए इसके दूरगामी परिणाम हैं, एक ऐसा देश जो अपनी 16 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि के 80 प्रतिशत और जल के अपने कुल उपयोग के 93 प्रतिशत के लिए सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों पर बहुत अधिक निर्भर है। यह प्रणाली 237 मिलियन लोगों का भरण-पोषण करती है और गेहूं, चावल और कपास जैसी फसलों के माध्यम से पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद में एक-चौथाई का योगदान देती है।
* मंगला और तरबेला बांधों में केवल 10 प्रतिशत लाइव स्टोरेज क्षमता (14.4 एमएएफ) होने के कारण, जल प्रवाह में कोई भी व्यवधान विनाशकारी कृषि नुकसान, खाद्यान्न की कमी, प्रमुख शहरों में पानी की राशनिंग और बिजली कटौती का कारण बन सकता है। कपड़ा और उर्वरक जैसे उद्योग पंगु हो सकते हैं। ये झटके पाकिस्तान की पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित करेंगे, जिससे यह राजकोषीय और विदेशी मुद्रा संकट की ओर बढ़ेगा।
* भारत के लिए, सिंधु जल संधि ने जम्मू-कश्मीर में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को लंबे समय तक बाधित किया था, जिससे परियोजनाओं को नदी के किनारे के डिजाइन तक सीमित कर दिया गया था। संधि के निलंबन ने भारत को झेलम और चिनाब जैसी पश्चिमी नदियों पर पूर्ण नियंत्रण दिया, जिससे जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पंजाब और हरियाणा में नए जलाशयों का निर्माण संभव हो सका। इसने सिंचाई और पनबिजली उत्पादन को बढ़ावा दिया और एक कूटनीतिक साधन को विकासात्मक संपत्ति में बदल दिया। संधि को निलंबित करके, भारत ने एक निर्णायक संदेश दिया- “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।”
* भारत ने अटारी-वाघा सीमा को बंद कर दिया। एकीकृत चेक पोस्ट अटारी को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया। वैध अनुमोदन के साथ सीमा पार करने वालों को 01 मई 2025 से पहले उसी रास्ते से वापस लौटना था। भारत ने पाकिस्तान के साथ सभी द्विपक्षीय व्यापार को भी निलंबित कर दिया। इसने प्याज जैसी प्रमुख वस्तुओं के निर्यात को रोक दिया और सीमेंट एवं वस्त्रों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया। इस कार्रवाई ने दोनों देशों के बीच प्राथमिक भूमि-आधारित व्यापार मार्ग को काट दिया, जिससे आर्थिक संबंधों में बड़ा व्यवधान पैदा हुआ।
* इस निलंबन ने पाकिस्तान पर तत्काल आर्थिक दबाव डाला, जो पहले से ही मुद्रास्फीति और ऋण संकट से जूझ रहा था। प्रत्यक्ष सैन्य संघर्ष को बढ़ाए बिना इन आर्थिक जीवन रेखाओं को काटकर, भारत ने आतंकवाद के प्रति अपने जीरो टॉलरेंस के रुख को मजबूत किया।
* आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन करते हुए, भारत ने पहलगाम आतंकवादी हमले के तुरंत बाद देश में रहने वाले सभी पाकिस्तानियों के वीजा रद्द कर दिए और उन्हें निर्वासित कर दिया। सार्क वीजा छूट योजना (एसवीईएस) वीजा के तहत पाकिस्तानी नागरिकों को भारत की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
* पाकिस्तानी कलाकारों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया, सभी प्रदर्शन, स्क्रीनिंग, संगीत रिलीज और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को निलंबित कर दिया गया। यह प्रतिबंध स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म तक बढ़ा दिया गया, जिससे भारत में पाकिस्तान का सांस्कृतिक प्रभाव पूरी तरह समाप्त हो गया।
* वैश्विक मंच पर, भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को उजागर किया और कूटनीतिक रूप से उसे अलग-थलग कर दिया।
* सामूहिक रूप से, इन कार्रवाइयों ने पाकिस्तान को गंभीर आर्थिक और कूटनीतिक क्षति पहुंचाई। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए इसके अंतरराष्ट्रीय अलगाव को और गहरा कर दिया।
* नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा/सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति घोषित किया गया है। उच्चायोगों की कुल संख्या को और अधिक कटौती के माध्यम से वर्तमान 55 से घटाकर 30 कर दिया जाएगा।
वैश्विक स्तर पर नेतृत्व का प्रदर्शन:
इस स्थिति के मद्देनजर, राष्ट्रीय संकट के इस क्षण में न केवल समाधान बल्कि ऐतिहासिक नेतृत्व की आवश्यकता थी। इस चुनौती का सामना करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आगे आए, जिनकी निर्णायक भूमिका ने ऑपरेशन सिंदूर में भारत के हाल के इतिहास में सबसे साहसिक सैन्य जवाबों में से एक को चिह्नित किया। पूर्व-निर्धारित राजनयिक यात्रा पर विदेश में होने के बावजूद, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने तेजी से कमान संभाली, एक ऐसी प्रतिक्रिया की योजना बनाई, जो रणनीतिक संयम और जोरदार कार्रवाई के बीच संतुलन बनाती है। उन्होंने तेजी से प्रतिक्रिया करने के लिए भारी दबाव के तहत अत्यधिक संयम दिखाया और यह सुनिश्चित किया कि सिंधु जल संधि को निलंबित करने से लेकर सैन्य कार्रवाई तक हर कदम अच्छी तरह से योजनाबद्ध और सटीक समय पर उठाया जाना चाहिए।
* रणनीतिक योजना और लक्षित प्रतिक्रिया ने ऑपरेशन के ढांचे को साकार किया। भावनात्मक या प्रतिक्रियात्मक हमले में जल्दबाजी करने के बजाय, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने पाकिस्तान या उसके आतंकी समर्थकों को जवाबी कार्रवाई की तैयारी करने से रोकने के लिए रणनीतिक अप्रत्याशितता बनाई। हमले सावधानीपूर्वक आतंकी ढांचे पर केंद्रित थे, और उद्देश्य की इस स्पष्टता की सभी दलों ने सराहना की, जिसमें विपक्षी नेता पी. चिदंबरम भी शामिल थे, जिन्होंने नागरिक क्षेत्रों को पूरी तरह से छोड़कर केवल बड़े-बड़े आतंकी ठिकानों को लक्षित करने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी की प्रशंसा की।
* पाकिस्तान के साथ घटनाक्रम के दौरान, आतंकवाद के खिलाफ केंद्रित उद्देश्य अपरिवर्तित रहा। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने दृढ़ और स्पष्ट प्रतिक्रिया देने पर ध्यान केंद्रित किया। वैश्विक खतरे के रूप में देखे जाने वाले आतंकवाद के खिलाफ उनके निरंतर प्रयासों ने भारत को व्यापक अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने में मदद की। उनके नेतृत्व में, भारत ने इस सिद्धांत को दृढ़ता से स्थापित किया कि आतंकवाद और उसके प्रायोजकों के साथ समान व्यवहार किया जाएगा।
* एक संतुलित, लेकिन शक्तिशाली प्रतिक्रिया के साथ, यह सुनिश्चित किया गया कि पाकिस्तान की ओर से बार-बार उकसावे के बावजूद, पाकिस्तानी नागरिकों को कोई नुकसान न पहुंचे। भारत की सैन्य कार्रवाई आतंकी शिविरों और आतंकवाद को सहायता देने वाली विशिष्ट सैन्य सुविधाओं तक ही सीमित थी। इस सावधानीपूर्वक लक्ष्यीकरण ने भारत की क्षमता और जिम्मेदार युद्ध के प्रति उसकी प्रतिबद्धता, दोनों को दर्शाया।
* लंबे समय से चली आ रही चिंताओं का समाधान करते हुए, सिंधु जल संधि को निलंबित करने का प्रधानमंत्री श्री मोदी का फैसला एक ऐतिहासिक कदम था, जिससे न केवल पाकिस्तान के हितों को नुकसान पहुंचा, बल्कि भारत को भी फायदा हुआ। उन्होंने एक नया राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत स्थापित किया: भविष्य में होने वाले किसी भी आतंकी हमले को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा। इससे आतंकवादियों और उनके राज्य प्रायोजकों के बीच का गलत भेद खत्म हो गया।
12 मई की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने यह स्पष्ट किया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सिर्फ एक नाम नहीं है, बल्कि यह देश के लाखों लोगों की भावनाओं का प्रतिबिंब और न्याय की अखंड प्रतिज्ञा है। उन्होंने कहा, “हम भारत और उसके लोगों की सुरक्षा के लिए मजबूत कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। युद्ध के मैदान में, हमने हमेशा पाकिस्तान को हराया है और इस बार ऑपरेशन सिंदूर ने एक नया आयाम जोड़ा है।”
प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान और सीमा पार आतंकवाद के संबंध में निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया।
* पहला, अगर भारत पर कोई आतंकी हमला होता है, तो उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
* दूसरी बात, भारत किसी भी परमाणु ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं करेगा। भारत परमाणु ब्लैकमेल की आड़ में विकसित हो रहे आतंकी ठिकानों पर सटीक और निर्णायक हमला करेगा।
* तीसरी बात, हम आतंकवाद को प्रायोजित करने वाली सरकार और आतंकवाद के मास्टरमाइंड के बीच कोई अंतर नहीं करेंगे। हम भारत और अपने नागरिकों को किसी भी खतरे से बचाने के लिए निर्णायक कदम उठाते रहेंगे।
* भारत का रुख बिल्कुल साफ है… टेरर और टॉक साथ-साथ नहीं चल सकते… टेरर और ट्रेड साथ-साथ नहीं चल सकते… पानी और खून साथ-साथ नहीं बह सकते।
* अगर पाकिस्तान से बातचीत होगी तो सिर्फ आतंकवाद पर होगी और अगर पाकिस्तान से बातचीत होगी तो सिर्फ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर होगी।
ऑपरेशन सिंदूर से क्या हासिल हुआ
ऑपरेशन सिंदूर के नतीजे इसके असर के बारे में बहुत कुछ बताते हैं:
1. नौ आतंकी शिविरों का सफाया: भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के ठिकानों को निशाना बनाकर नौ बड़े आतंकी ठिकानों को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया। कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए।
2. सीमा पार सटीक हमले: भारत ने युद्ध के नियमों को फिर से परिभाषित किया, पंजाब प्रांत और बहावलपुर सहित पाकिस्तान के अंदरूनी इलाकों में हमला किया, जिसे कभी अमेरिकी ड्रोन के लिए भी सीमा से बाहर माना जाता था। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया: अगर आतंक वहां से शुरू होता है तो न तो नियंत्रण रेखा और न ही पाकिस्तानी क्षेत्र अछूता रहेगा।
3. एक नई रणनीतिक रेड लाइन: ऑपरेशन सिंदूर ने एक नई रेड लाइन खींची- अगर आतंक राज्य की नीति है, तो इसका स्पष्ट और सशक्त जवाब दिया जाएगा। इसने बचाव की तुलना में प्रत्यक्ष कार्रवाई की ओर बदलाव को चिह्नित किया।
4. आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों के लिए समान सजा: भारत ने आतंकवादियों और उनके समर्थकों के बीच कृत्रिम विभाजन को खारिज कर दिया, और दोनों पर एक साथ हमला किया। इससे पाकिस्तान स्थित कई अभिनेताओं को मिलने वाली छूट खत्म हो गई।
5. पाकिस्तान की वायु रक्षा संबंधी कमियों का पर्दाफाश: भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान की चीन द्वारा आपूर्ति की गई वायु रक्षा प्रणालियों को दरकिनार कर दिया और उन्हें जाम कर दिया, राफेल जेट, स्कैल्प मिसाइलों और हैमर बमों का उपयोग करके केवल 23 मिनट में मिशन पूरा किया, जिससे भारत की तकनीकी बढ़त का प्रदर्शन हुआ।
6. भारत की वायु रक्षा श्रेष्ठता का प्रदर्शन: स्वदेशी आकाशतीर प्रणाली सहित भारत की बहुस्तरीय वायु रक्षा ने सैकड़ों ड्रोन और मिसाइलों को मार गिराया। इसने उन्नत रक्षा प्रणालियों के निर्यात में भारत की बढ़ती क्षमताओं को भी प्रदर्शित किया।
7. बिना किसी तनाव के सटीकता: भारत ने नागरिक या गैर-आतंकवादी सैन्य लक्ष्यों से परहेज किया, जिससे स्थिति को पूर्ण पैमाने पर युद्ध में बढ़ने से रोका गया और साथ ही आतंक के प्रति अपने जीरो टॉलरेंस की पुष्टि की।
8. प्रमुख आतंकवादी कमांडरों का सफाया: भारत की सर्वाधिक वांछित सूची में शामिल कई हाई-प्रोफाइल आतंकवादियों को एक ही रात में मौत के घाट उतार दिया गया, जिससे उसके बड़े ऑपरेशन मॉड्यूल अपंग हो गए। मारे गए हाई प्रोफाइल आतंकवादियों में यूसुफ अजहर, अब्दुल मलिक रऊफ, मुदस्सिर अहमद शामिल हैं। ये व्यक्ति आईसी-814 अपहरण और पुलवामा विस्फोट से जुड़े थे।
9. पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों पर हवाई हमले: 9-10 मई को, भारत एक ही ऑपरेशन में परमाणु-सशस्त्र राष्ट्र के 11 एयरबेस पर हमला करने वाला पहला देश बन गया, जिसने पाकिस्तान की वायु सेना की 20 प्रतिशत संपदा को नष्ट कर दिया। भूलारी एयरबेस पर भारी हताहत हुए, जिसमें स्क्वाड्रन लीडर उस्मान यूसुफ की मौत और प्रमुख लड़ाकू जेट विमानों का विनाश शामिल है।
10. तीनों सेनाओं की समन्वित कार्रवाई – भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना ने पूर्ण समन्वय में काम किया, जिससे भारत की बढ़ती संयुक्त सैन्य शक्ति का प्रदर्शन हुआ।
11. एक वैश्विक संदेश दिया गया – भारत ने दुनिया को दिखाया कि उसे अपने लोगों की रक्षा के लिए किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। इसने इस विचार को पुष्ट किया कि आतंकवादी और उनके मास्टरमाइंड कहीं भी छिप नहीं सकते हैं, और यदि पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई करता है, तो भारत निर्णायक जवाबी हमले के लिए तैयार है।
12. व्यापक वैश्विक समर्थन – पिछले संघर्षों के विपरीत, इस बार कई वैश्विक नेताओं ने संयम बरतने के बजाय भारत का समर्थन किया। इस बदलाव ने भारत के बेहतर दर्जे और कथानक संबंधी नियंत्रण को दर्शाया।
13. कश्मीर कथानक का नया स्वरूप – पहली बार, भारत की कार्रवाइयों को पूरी तरह से आतंकवाद-रोधी दृष्टिकोण से देखा गया, जिसमें कश्मीर मुद्दे को हमले के कथानक से पूरी तरह अलग रखा गया। यह ऑपरेशन सिंदूर की सटीकता और स्पष्टता के कारण संभव हुआ।
निष्कर्ष:
पहलगाम हमले के प्रति भारत की जवाबी कार्रवाई कानूनी और नैतिक आधार पर पूरी तरह से खड़ी थी। इतिहास इसे नेतृत्व, नैतिकता और रणनीतिक सटीकता द्वारा आकार दिए गए एक सैद्धांतिक और संतुलित प्रतिशोध के रूप में याद रखेगा। ऑपरेशन सिंदूर ने दक्षिण एशिया के भू-राजनीतिक और रणनीतिक परिदृश्य को नया रूप दिया है। यह केवल एक सैन्य अभियान नहीं है, बल्कि भारत की संप्रभुता, संकल्प और वैश्विक स्थिति का बहुआयामी दावा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के निर्णायक नेतृत्व में, भारत ने एक नया प्रतिमान प्रदर्शित किया, जो संयम को शक्ति और सटीकता को उद्देश्य के साथ जोड़ता है। आतंकी नेटवर्क और उनके राज्य प्रायोजकों को अभूतपूर्व स्पष्टता के साथ निशाना बनाकर, भारत ने एक स्पष्ट संदेश दिया: आतंकवाद का सामना सीमाओं या कूटनीतिक जटिलताओं की परवाह किए बिना, त्वरित और आनुपातिक प्रतिक्रिया के साथ किया जाएगा। सीमाओं पर युद्ध विराम की घोषणा की गई है, लेकिन सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई का प्रतीक ऑपरेशन सिंदूर जारी रहेगा। भारत के सशस्त्र बल सीमा पार से किसी भी शरारती साजिश को विफल करने के लिए लगातार तैयार और सतर्क हैं।