भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने सत्यापन संस्थाओं से आधार के स्वच्छ उपयोग के निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया है

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने ऑफ़लाइन सत्यापन करने वाली संस्थाओं (ओवीएसईएस) के लिए दिशा-निर्देशों का एक सेट जारी किया है। इसमें कई स्वच्छ उपयोग के मुद्दों, उपयोगकर्ताओं के स्तर पर बेहतर सुरक्षा तंत्र और स्वेच्छा से आधार का कानूनी उद्देश्यों के लिए उपयोग करते समय नागरिकों के विश्वास को और बढ़ाने के तरीकों पर प्रकाश डाला गया है।

आधार संख्या धारक की स्पष्ट सहमति के बाद संस्थाओं को आधार का सत्यापन करने के लिए सूचित किया गया है। इन संस्थाओं को नागरिकों के प्रति विनम्र होना चाहिए और उन्हें ऑफ़लाइन सत्यापन करते समय अपने आधार की सुरक्षा एवं गोपनीयता के बारे में आश्वस्त करना चाहिए।

संस्थाओं को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण या किसी अन्य कानूनी एजेंसी द्वारा भविष्य में किसी भी ऑडिट के लिए नागरिकों से प्राप्त स्पष्ट सहमति का लॉग/रिकॉर्ड बनाए रखना आवश्यक है।

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने ऑफ़लाइन सत्यापन करने वाली संस्थाओं को पहचान के प्रमाण के रूप में आधार को भौतिक या इलेक्ट्रॉनिक रूप में स्वीकार करने के बजाय आधार के सभी चार स्वरूपों (आधार पत्र, ई-आधार, एम-आधार और आधार पीवीसी कार्ड) पर मौजूद क्यूआर कोड के माध्यम से आधार को सत्यापित करने के लिए कहा है।

ऑफ़लाइन सत्यापन भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की केंद्रीय पहचान डेटा कोष से जुड़े बिना पहचान सत्यापन और केवाईसी प्रक्रियाओं को स्थानीय रूप से करने के लिए आधार का उपयोग किया जाता है। एक वैध उद्देश्य के लिए आधार संख्या धारक का ऑफ़लाइन सत्यापन करने वाले संगठनों को ऑफ़लाइन सत्यापन करने वाली संस्था कहा जाता है।

संस्थाओं से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है कि किसी भी नागरिक को आधार के ऑफ़लाइन सत्यापन से इनकार करने या असमर्थ होने पर कोई भी सेवा देने से इनकार नहीं किया जाता है, बशर्ते निवासी अन्य व्यवहार्य विकल्पों के माध्यम से स्वयं की पहचान करने में सक्षम हो। यह रेखांकित किया गया है कि ऑफ़लाइन सत्यापन करने वाली संस्था को सेवा प्रदान करने के लिए निवासियों को आधार के अलावा पहचान के व्यवहार्य वैकल्पिक साधन प्रदान करने की आवश्यकता है।

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण-यूआईडीएआई ने ऑफ़लाइन सत्यापन करने वाली संस्थाओं को सूचित किया है कि सत्यापन संस्थाओं को आम तौर पर आधार के ऑफ़लाइन सत्यापन के बाद नागरिक की आधार संख्या एकत्र, उपयोग या संग्रहीत नहीं करनी चाहिए। सत्यापन के बाद, यदि ऑफ़लाइन सत्यापन करने वाली संस्था को किसी भी कारण से आधार की एक प्रति संग्रहीत करना आवश्यक लगता है, तो ऑफ़लाइन सत्यापन करने वाली संस्था को यह अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए कि आधार संख्या संशोधित/मास्क्ड और अपरिवर्तनीय है।

किसी भी आधार को एमआधार ऐप या आधार क्यूआर कोड स्कैनर का उपयोग करके आधार के सभी स्वरूपों (आधार पत्र, ई-आधार, आधार पीवीसी कार्ड, और एम-आधार) पर उपलब्ध क्यूआर कोड का उपयोग करके सत्यापित किया जा सकता है। आधार दस्तावेजों की छेड़छाड़ के बारे में ऑफ़लाइन सत्यापन द्वारा पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा छेड़छाड़ एक दंडनीय अपराध है और आधार अधिनियम की धारा 35 के अंतर्गत दंड का भागीदार हो सकता है।

यदि संस्थाओं को जानकारी के किसी भी दुरुपयोग की सूचना मिलती है, तो सत्यापन संस्थाओं को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण और नागरिक को इस बारे में 72 घंटों के भीतर सूचित करने की आवश्यकता होती है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा ऑफ़लाइन सत्यापन करने वाली संस्थाओं को किसी अन्य संस्था या व्यक्ति की ओर से ऑफलाइन सत्यापन नहीं करने और आधार के दुरुपयोग से जुड़ी किसी भी जांच के मामले में प्राधिकरण या कानून प्रवर्तन एजेंसियों को पूर्ण सहयोग सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है।

मोदी के मंत्री दें अपनी सम्पति का ब्यौरा – जगदानंद सिंह

बिहार की नीतीश सरकार अपने मंत्रियों और अधिकारीयों से हर साल के पहली तारीख को सम्पति का ब्योरा लेती है जो कई वर्षों से अनवरत जारी है अब राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने  मोदी के मंत्रियों से अपने अपने सम्पति का ब्योरा दिए जाने को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं

जैसा कि आपको मालूम होगा कि बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने बिहार के मंत्रियों द्वारा दिए गये सम्पति के  ब्योरा पर सवाल खड़ा करते हुए फर्जी करार दिया है और अब जगदानंद सिंह ने बीजेपी के सवालों और बयानों का करारा जवाब दिया है। राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री अपनी संपत्ति का ब्योरों क्यो नहीं दे रहे हैं। पहले वे अपनी संपत्ति का ब्योरा दें, उपमुख्यमंत्री एवं बिहार के मंत्रियों की संपत्ति पर सवाल खड़ा न करें। उन्होंने कहा कि शपथ पत्र देने के बाद अगर उससे कुछ अलग बात सार्वजनिक करते हैं तो वह अपराध की श्रेणी में है। आप न्यायालय का दरबाजा खटखटा सकते हैं। दरअसल, बीते साल 31 दिसंबर की देर रात कैबिनेट के सभी मंत्रियों कि कुल संपति को सार्वजनिक किया गया। इसमें कई मंत्रियों की संपत्ति राज्य के उपमुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री से अधिक दिखाया गया। सूबे के उपमुख्यमंत्री और लालू यादव के बेटे होने के बाबजूद तेजस्वी यादव के पास खुद को कोई भी गाड़ी नहीं बतायी गयी। इनकी कुल संपति भी करीब 6 करोड़ से कम कि बतायी गयी है। इसके बाद भाजपा ने इसे लेकर  सवाल उठाना शुरू कर दिया है।

इधर राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि, बिहार के सभी मंत्रियों ने ईमानदारी पूर्वक अपना संपत्ति का ब्यौरा दे दिया है। लेकिन भारत सरकार के किसी मंत्री ने अभी तक अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि, बिहार में मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को संपत्ति का ब्यौरा देने की बात कही है। हर साल जितने भी मंत्रिमंडल के सदस्य होते हैं वह अपनी संपत्ति का ब्यौरा देते हैं। लेकिन, ऐसी व्यवस्था केंद्र सरकार लागू नहीं कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, जहां तक बीजेपी के नेताओं की बात है तो बीजेपी के नेता अगर बिहार सरकार के किसी मंत्री के संपत्ति के विवरण पर बयान देते हैं तो उन्हें अच्छे से समझ लेना चाहिए कि जो संपत्ति का ब्यौरा मंत्रियों ने जारी किया है उन्हें भाजपा के लोगों को कोई शक लग रहा है तो वह कोर्ट में क्यों नहीं जाते हैं, उनलोगों को कोर्ट जाना चाहिए। इसके आलावा उन्होंने कहा कि, देश में एक परंपरा है, एक कानून है जिसके तहत सभी को विवरण देना होता है। बिहार के मंत्री यह काम कर रहे हैं, इससे बेहतर बात और क्या ही हो सकती है। सुशील कुमार मोदी को प्रधानमंत्री मोदी की स्थिति पूछनी चाहिए। अगर संपत्ति की जानकारी देने वाला कोई भी व्यक्ति गलत जानकारी देता होता तो उसके लिए कोर्ट है और कोर्ट में जाकर उसके खिलाफ केस करें।

क्या हिंदुओं को गाली देना धर्मनिरपेक्षता है?– नित्यानन्द राय

केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता नित्यानन्द राय ने सोमवार को महागठबंधन के नेताओं पर जोरदार निशाना साधते हुए सवाल पूछा कि क्या हिंदुओं को गाली देना ही धर्मनिरपेक्षता है। उन्होंने कहा कि भाजपा नीति सर्वधर्म समभाव की रही है, जिसमे सभी धर्मों का सम्मान करना है।

भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि सही अर्थों में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ सभी धर्मों का सम्मान करना है। उन्होंने कहा भाजपा की नीति सर्वधर्म समाज की रही है और भाजपा सभी धर्मों का सम्मान करती है।

उन्होंने विरोधी दलों पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि राजद वाले भाजपा को दंगाई कहते है ये उनकी तुष्टिकरण की राजनीति है। वे अपने फायदे के लिए भाजपा को दंगाई कहते है। उन्होंने कहा कि आजादी के समय में भी इसी तुष्टिकरण की नीति के कारण भारत का बंटवारा हुआ।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक बयान के संबंध में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि उनका बयान समय के साथ बदलता रहता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री खुद को अटल बिहारी वाजपेई का करीबी बताते हैं तो अटल जी को मानने वाले लोग यदि उनके मार्ग पर चले तो बेहतर होगा। लेकिन, उन्होंने अटल जी का मार्ग छोड़ दिया है।

उन्होंने नीतीश कुमार को नसीहत देते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की पांच कविताओं को पढ़ लेंगे तो उन्हें ज्ञान हो जाएगा।

हाल ही में राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के देश में माहौल खराब के बयान के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने दावा करते हुए कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए सबसे सुरक्षित भारत है। उन्होंने कहा कि भारत में रहने वाले सभी लोग सुरक्षित है और उन्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है।

 

उन्होंने कहा कि राजद के खोते जनाधार के कारण सिद्दीकी अलबला गए हैं, जिस कारण वे ऐसा बयान दे रहे हैं।

उन्होंने दावा करते हर कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में जदयू का सूपड़ा साफ हो जाएगा। उन्होंने नीतीश कुमार की प्रस्तावित यात्रा के विषय में कहा कि यह हताशा की यात्रा होने जा रही है। कुढ़नी और गोपालगंज के चुनाव परिणाम से नीतीश घबराए हुए हैं। उन्होंने कहा कि सूबे में जहरीली शराब का अवैध धंधा फल फूल रहा है।

छपरा शराब मौत मामले पर भी नीतीश कुमार के बयान ‘ पियोगे तो मरोगे ‘ को गृह राज्यमंत्री ने अनुचित बताया। राय ने कहा कि पेपर लीक मामले में सरकार पूरी तरह फेल साबित हो रही है।

उन्होंने कहा कि एनडीए के शासन में भले ही नीतीश मुख्यमंत्री रहें हों लेकिन भाजपा के मंत्रियों के लगन और कड़ी मेहनत से ही सूबे में विकास हुआ है।

राहुल गांधी के युद्ध के समय चीन और पाकिस्तान के साथ आने की संभावना और भारत के इसके नजरअंदाज करने के बयान पर गृह राज्यमंत्री ने कहा कि राहुल गांधी भारत को ही नजरअंदाज कर रहे है। उनको हर बात में चीन और पाकिस्तान ही होती है।

उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान अब भारत से युद्ध की बात तो दूर इस तरफ नजर उठाकर भी नही देख सकता है।

उन्हे मालूम है कि अब पहले वाला भारत नहीं है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि भारत बहुत मजबूत हैं और यदि युद्ध होता है तो परिणाम भारत के पक्ष मे होगा। राहुल गांधी को चिंता करने की की जरूरत नहीं।
प्रेस वार्ता में मुख्य रूप से भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सिद्धार्थ शंभू, विधायक पवन यादव, प्रदेश प्रवक्ता अरविंद सिंह, प्रदेश मीडिया प्रभारी राकेश कुमार सिंह, अशोक भट्ट और राजेश कुमार झा उपस्थित रहे।

समाचारों के सम्‍प्रेषण में गति के मुकाबले सटीकता अधिक महत्वपूर्ण है और यह बात संचारकों के मस्तिष्‍क में मुख्‍य रूप से होनी चाहिए : केंद्रीय मंत्री श्री अनुराग ठाकुर

केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने आज कहा कि प्रामाणिक जानकारी प्रस्तुत करना मीडिया की सबसे प्रमुख जिम्मेदारी है और उसे तथ्यों को सार्वजनिक क्षेत्र में डालने से पहले ठीक तरह से जांच कर लेनी चाहिए।

एशिया-पैसिफिक ब्रॉडकास्टिंग यूनियन जनरल असेंबली 2022 के उद्घाटन समारोह में संबोधित करते हुए श्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि जिस गति से सूचना को प्रसारित किया जाता है वह काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन सटीकता इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है और यह बात संचारकों के मस्तिष्‍क में मुख्‍य रूप से होनी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि सोशल मीडिया के प्रसार के साथ-साथ ही फर्जी खबरों का भी प्रसार हुआ है। इसके लिए उन्होंने एशिया-प्रशांत क्षेत्र के प्रसारकों के दर्शकों को बताया कि गैर-सत्यापित दावों से निपटने और जनता के सामने सच्चाई प्रस्‍तुत करने के लिए भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय में फेक्ट चैक यूनिट की स्थापना की है।

 ठाकुर ने इस बात पर जोर दिया कि जिम्मेदार मीडिया संगठनों के लिए जनता का विश्वास बनाए रखना भी सर्वोच्च मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए। उन्होंने सार्वजनिक प्रसारकों, दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो को हमेशा सच्चाई के साथ खड़े रहने और अपनी सत्‍य और सटीक रिपोर्टिंग के लिए जनता का विश्वास जीतने के लिए श्रेय दिया। उन्होंने स्‍पष्‍ट किया कि संकट के समय मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि त‍ब मीडिया की भूमिका सीधे तौर पर लोगों की जान बचाने से संबंधित हो जाती है और मीडिया राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजनाओं के मूल में है।

 

श्री अनुराग ठाकुर ने कोविड-19 महामारी के दौरान घरों में फंसे लोगों की मदद करने के लिए आगे आने का श्रेय मीडिया को देते हुए कहा कि यह मीडिया ही था जिसने ऐसे लोगों को बाहरी दुनिया से जोड़े रखा। उन्होंने दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो द्वारा विशेष रूप से किए गए बेहतर और शानदार तथा भारतीय मीडिया द्वारा आमतौर पर किए गए महत्‍वपूर्ण कार्यों के बारे में दर्शकों को सूचित करते हुए कहा कि दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो ने सार्वजनिक सेवा जारी रखते हुए बहुत ही संतोषजनक ढंग से कार्य किया और ये महामारी के समय में लोगों के साथ मजबूती से खड़े रहे। उन्होंने कहा कि भारतीय मीडिया ने आम तौर पर यह सुनिश्चित किया कि कोविड-19 जागरूकता संदेश, महत्वपूर्ण सरकारी दिशानिर्देश और डॉक्टरों के साथ मुफ्त ऑनलाइन परामर्श के बारे में जानकारी देश के कोने-कोने तक पहुंच सके। उन्‍होंने कहा कि प्रसार भारती ने सौ से अधिक सदस्य कोविड-19 में खो दिए, लेकिन इसके बावजूद भी इस संगठन अपनी सार्वजनिक सेवा को आगे बढ़ाना जारी रखा।

 ठाकुर ने मीडिया को शासन में भागीदार बनने का निमंत्रण दिया और उन्‍होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के इन शब्दों को दोहराने के लिए इस मंच का उपयोग किया कि “मीडिया को सरकार और जनता के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करना चाहिए और उसे राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दोनों स्तरों पर निरंतर फीडबैक देनी चाहिए”। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि प्रसारण संगठनों के एक संघ के रूप में एबीयू को संकट के समय में मीडिया की भूमिका के बारे में सर्वश्रेष्ठ पेशेवर कौशल वाले मीडियाकर्मियों को प्रशिक्षित और समर्थ बनाना जारी रखना चाहिए और उन्‍होंने यह वादा भी किया कि भारत ऐसे सभी प्रयासों के लिए तैयार है।

एबीयू सदस्यों के साथ भारत के सहयोग और भागीदारी के बारे में चर्चा करते हुए उन्‍होंने कहा कि प्रसार भारती का शीर्ष प्रशिक्षण संस्थान एनएबीएम प्रसारण उद्योग के विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हुए प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन में एबीयू मीडिया अकादमी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। भारत ने लगभग 40 देशों के साथ सामग्री आदान-प्रदान, सह-उत्पादन, क्षमता निर्माण आदि के क्षेत्रों में द्विपक्षीय समझौते कर रखे हैं। इन देशों में कई सहयोगी एबीयू देश – ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, फिजी, मालदीव, नेपाल, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं। हमने कार्यक्रम साझा करने के लिए प्रसारण के क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया के साथ मार्च 2022 में भागीदारी की है। दोनों देशों के प्रसारक कई विधाओं में फैले कार्यक्रमों के सह-निर्माण और संयुक्त प्रसारण में मौजूद अवसरों का भी पता लगा रहे हैं।

इस अवसर पर बोलते हुए, श्री मसागाकी ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में एबीयू द्वारा निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में प्रकाश डालते हुए क्षेत्र के सभी सार्वजनिक सेवा प्रसारकों द्वारा आपस में सार्वजनिक महत्व के समाचारों को साझा करने के लिए किए जा रहे सहयोग पूर्ण प्रयासों की सराहना की।

श्री जावद मोट्टाघी ने इस अवसर पर कहा कि यह क्षेत्र विविधता से भरा है फिर भी हम सभी सदस्य देश समानता प्राप्‍त करते हुए इतनी व्यापक विविधता में सच्ची एकजुटता प्रदर्शित करते हैं। प्रसार भारती के सीईओ श्री गौरव द्विवेदी ने अपने स्वागत भाषण में टेलीविजन और रेडियो प्रसारकों के सामूहिक हितों को बढ़ावा देने और एशिया प्रशांत क्षेत्र में प्रसारकों के बीच क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में एबीयू द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि भारत वर्ष 2022 को विभिन्न क्षेत्रों में आजादी का अमृत महोत्सव पहल के माध्यम से औपनिवेशिक शासन से आजादी की 75वीं वर्षगांठ के रूप में बड़े गर्व से मना रहा है। यह सम्मेलन मीडिया और संचार के क्षेत्र में देश की उपलब्धियों को साझा करने और दुनिया के सामने भारत की समृद्ध विरासत, विशाल विविधता और प्रगतिशील भारत का प्रदर्शन करने का भी एक शानदार अवसर है।

प्रसार भारती, भारत का लोक सेवा प्रसारक है, जो 59वीं एबीयू महासभा 2022 की मेजबानी कर रहा है। इस वर्ष की महासभा का विषय है – “लोगों की सेवा : संकट के समय में मीडिया की भूमिका”। इस महासभा का उद्घाटन आज नई दिल्ली में सूचना और प्रसारण मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने किया। इस अवसर पर सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल मुरुगन, सूचना औार प्रसारण सचिव श्री अपूर्व चन्द्रा, एबीयू के अध्यक्ष श्री मसागाकी सटोरू और एबीयू के महासचिव श्री जावद मोट्टागी भी उपस्थित थे। एबीयू (एशिया पैसिफिक ब्रॉडकास्टिंग यूनियन) एशिया और प्रशांत क्षेत्र के प्रसारण संगठनों का एक गैर-लाभकारी, पेशेवर संघ है। चालीस देशों के 50 संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले 300 से अधिक अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं।

कश्मीर फाइल्स ने कश्मीरी पंडितों की त्रासदी का दस्तावेजीकरण करके उनके लिए एक हीलिंग प्रोसेस शुरू किया है: अनुपम खेर

‘द कश्मीर फाइल्स’ के मुख्य अभिनेता अनुपम खेर ने कहा कि 32 साल बाद इस फिल्म ने दुनिया भर के लोगों को 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के साथ हुई त्रासदी के बारे में जागरूक होने में मदद की है। वे पणजी, गोवा में 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में आयोजित इफ्फी टेबल टॉक्स में हिस्सा ले रहे थे।

उन्होंने कहा, “ये सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्म है। निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने इस फिल्म के लिए दुनिया भर से लगभग 500 लोगों का साक्षात्कार लिया था। 19 जनवरी 1990 की रात को बढ़ती हिंसा के बाद 5 लाख कश्मीरी पंडितों को कश्मीर घाटी में अपने घरों और यादों को छोड़ना पड़ा था। एक कश्मीरी हिंदू के रूप में मैंने उस त्रासदी को जिया है। लेकिन उस त्रासदी को कोई कुबूल करने को तैयार नहीं था। दुनिया इस त्रासदी को छिपाने की कोशिश कर रही थी। इस फिल्म ने उस त्रासदी का दस्तावेजीकरण करके एक हीलिंग प्रोसेस शुरू किया।”

एक त्रासदी को परदे पर जीने की प्रक्रिया याद करते हुए अनुपम खेर ने कहा कि “द कश्मीर फाइल्स” उनके लिए सिर्फ एक फिल्म नहीं है, बल्कि एक भावना है जिसे उन्होंने निभाया है। उन्होंने कहा, “चूंकि मैं उन लोगों का प्रतिनिधित्व करता हूं जिन्हें उनके घरों से निकाल दिया गया है, इसलिए मैं सर्वोत्तम संभव तरीके से इसे व्यक्त करने को एक बड़ी जिम्मेदारी मानता हूं। मेरे आंसू, मेरी मुश्किलें जो आप इस फिल्म में देख रहे हैं, वे सब असली हैं।”

अनुपम खेर ने आगे कहा कि इस फिल्म में एक अभिनेता के रूप में अपने शिल्प का इस्तेमाल करने के बजाय, उन्होंने असल जिंदगी की घटनाओं के पीछे की सच्चाई को अभिव्यक्ति देने के लिए अपनी आत्मा का इस्तेमाल किया। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि फिल्म के पीछे मुख्य विषय ये है कि कभी हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने कहा, “उम्मीद हमेशा आसपास ही कहीं होती है।”

कोविड महामारी और उसके बाद लगे लॉकडाउन ने लोगों के फिल्में देखने के तरीके को प्रभावित किया है। अनुपम खेर ने इस तथ्य पर जोर देते हुए कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म से दर्शकों को विश्व सिनेमा और विभिन्न भाषाओँ की फिल्में देखने की आदत पड़ गई है। उन्होंने कहा, “दर्शकों को यथार्थवादी फिल्मों का स्वाद मिला। जिन फिल्मों में वास्तविकता का अंश होगा, वे निश्चित रूप से दर्शकों के साथ जुड़ेंगी। कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्मों की सफलता इसका प्रमाण है। गाने और कॉमेडी के बगैर भी यह फिल्म कमाल की साबित हुई। यह वास्तव में सिनेमा की जीत है।”

उन्होंने उभरते फिल्म निर्माताओं को सलाह देते हुए कहा कि किसी को भी अपने जेहन से यह धारणा निकाल देनी चाहिए कि वे किसी भाषा विशेष के फिल्म उद्योग से आते हैं। श्री खेर ने कहा, “इसके बजाय, सभी फिल्म निर्माताओं को खुद की पहचान भारतीय फिल्म उद्योग के एक ऐसे फिल्म निर्माता के रूप में करनी चाहिए जोकि एक खास भाषा की फिल्म कर रहा है। यह फिल्म उद्योग जिंदगी से भी बड़ा है।”

इफ्फी के साथ अपनी यात्रा को याद करते हुए अनुपम ने कहा कि उन्होंने पहली बार 1985 में 28 साल की उम्र में अपनी फिल्म सारांश के लिए इफ्फी में भाग लिया था। उन्‍होंने कहा, “चूंकि मैंने उस फिल्म में 65 साल की उम्र के व्‍यक्ति का किरदार निभाया था, इसलिए उस समय इफ्फी में मुझे किसी ने नहीं पहचाना। 37 साल बाद 532 से अधिक फिल्मों के साथ इफ्फी के लिए फिर से गोवा में होना, मेरे लिए एक महान क्षण है, जो एक प्रतिष्ठित महोत्‍सव बनकर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ महोत्‍सवों में शुमार हो चुका है।”

बातचीत में अनुपम खेर ने यह भी घोषणा की कि वह उड़िया फिल्म प्रतीक्षा का हिंदी में निर्माण करेंगे, जो – पिता-पुत्र की एक जोड़ी की कहानी है, जिसमें बेरोजगारी एक प्रमुख विषय है। उन्‍होंने कहा कि वह स्‍वयं भी इसमें एक मुख्य भूमिका निभाएंगे। प्रतीक्षा के निदेशक अनुपम पटनायक भी महोत्‍सव स्थल पर पीआईबी द्वारा कलाकारों और फिल्मकारों की मीडिया और प्रतिनिधियों के साथ आयोजित बातचीत के दौरान मंच साझा कर रहे थे। कश्मीर फाइल्स के निर्माता अभिषेक अग्रवाल ने बातचीत में शामिल होते हुए कहा कि यह फिल्म थी जिसने उन्हें चुना था, न कि उन्‍होंने इस फिल्‍म को चुना था।

सारांश

कृष्णा पंडित एक युवा कश्मीरी पंडित शरणार्थी हैं जो अपने दादा पुष्करनाथ पंडित के साथ रहते हैं। उनके दादा ने 1990 में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को देखा था। उन्हें कश्मीर से भागना पड़ा था और उन्‍होंने जीवन भर धारा 370 को निरस्‍त किए जाने के लिए संघर्ष किया था। कृष्‍णा का मानना है कि उनके माता-पिता की मौत कश्मीर में एक दुर्घटना में हुई थी। जेएनयू के छात्र के रूप में, अपनी गुरु प्रोफेसर राधिका मेनन के प्रभाव में वह इस बात पर यकीन करने से इंकार करते हैं कि कोई नरसंहार हुआ था और वह आज़ाद कश्मीर के लिए लड़ता है। अपने दादा की मृत्यु के बाद ही उन्‍हें सच्चाई का पता चलता है।

राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर महाप्रबंधक ने अधिकारियों एवं कर्मचारियों को दिलायी एकता शपथ

‘राष्ट्रीय एकता दिवस‘ के अवसर पर महाप्रबंधक श्री अनुपम शर्मा ने आज निर्माण संगठन, महेन्द्रूघाट, पटना में भारत रत्न लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर उनका नमन किया । तत्पश्चात् महाप्रबंधक ने अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सत्यनिष्ठा, राष्ट्र की एकता, अखण्डता और सुरक्षा को बनाये रखने के लिये स्वयं को समर्पित करने की शपथ दिलायी । इस अवसर पर महापबंधक ने ‘‘सरदार पटेल-एकीकरण के शिल्पी‘‘ थीम पर आयोजित फोटो प्रदर्शनी का शुभारंभ किया एवं प्रदर्शनी का अवलोकन किया । प्रदर्शनी में चित्रों और लेखों के माध्यम से लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन और देश के एकीकरण में उनके योगदान के बारे में विस्तार से बताया गया है । इस अवसर पर अपर महाप्रबंधक, प्रधान मुख्य कार्मिक अधिकारी सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे ।

इसके उपरांत पाटलिपुत्र रेल परिसर, दीघाघाट, पटना में ‘राष्ट्रीय एकता दौड़‘ का अयोजन किया गया । ‘राष्ट्रीय एकता दौड़‘ का शुभारंभ महाप्रबंधक श्री अनुपम शर्मा द्वारा किया गया। इस एकता दौड़ में महाप्रबंधक महोदय सहित अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया ।

जनस्‍वास्‍थ्‍य व पोषण के लिए पोषक-अनाज के उत्‍पादों को बढ़ावा देगा भारत- श्री तोम

कृषि‍ एवं वानिकी के संबंध में 7वीं आसियान–भारत मंत्रीस्तरीय बैठक (एआईएमएमएएफ) आज वर्चुअल रूप से आयोजित की गई। बैठक की सह अध्यक्षता केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने की। बैठक में ब्रुनेई दारुस्सलाम, कंबोडि‍या, इंडोनेशि‍या, लाओ पी डी आर, मलेशि‍या, म्यांमार, फि‍लीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम के कृषि‍ ‍मंत्रियों ने भी भाग लिया।

केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने बैठक के दौरान अपने प्रारंभि‍क संबोधन में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के उस विज़न को दोहराया, जिसमें भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी में आसियान को केंद्र बिंदु में रखा गया है तथा उन्होंने क्षेत्र में टि‍काऊ एवं समावेशी विकास सुनिश्चित करने हेतु, कृषि‍ विकास के लिए आसियान के साथ परस्पर घनिष्ठ क्षेत्रीय सहयोग पर जोर दिया। श्री तोमर ने पोषक खाद्य के रूप में मिलेट (पोषक-अनाज) तथा अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष 2023 के महत्व का उल्लेख करते हुए आसियान सदस्य देशों से आग्रह किया कि वे मिलेट के उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन एवं उपभोग को बढ़ाने में भारत के प्रयासों में सहयोग करें। श्री तोमर ने कहा कि लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य और पोषण के लिए पोषक-अनाज के उत्‍पादों को भारत बढ़ावा देगा। पोषक-अनाज पौष्टिक, कम संसाधन आवश्‍यकता वाले व अधिक अनुकूल कृषि-खाद्य प्रणालियों के सृजन में सहायक होते हैं।

बैठक में, आसियान-भारत सहयोग की मध्यावधि‍ कार्ययोजना (वर्ष 2021-2025) के तहत विभि‍न्न कार्यक्रमों तथा गतिविधि‍यों के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा की गई। बैठक में आसियान–भारत संबंधों की 30वीं वर्षगांठ का भी स्वागत किया गया। बैठक में, कृषि‍ एवं वानिकी में आसियान-भारत सहयोग की प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई। बैठक में कहा गया कि आसियान और भारत में सुरक्षि‍त तथा पौष्टिक कृषि‍ उत्पादों का निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित करके कोविड-19 महामारी के अभूतपूर्व असर को समाप्त करने के लिए, महामारी के बाद किए जाने वाले रिकवरी उपायों के कार्यान्वयन हेतु आसियान-भारत सहयोग के तहत निरंतर उपाय करना आवश्यक है। केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने खाद्य सुरक्षा, पोषण, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, डि‍जिटल कृषि‍, प्रकृति-हितैषी कृषि‍, खाद्य प्रसंस्करण, वैल्यू चेन, कृषि‍ विपणन व क्षमता निर्माण में आसियान के साथ भारत के सहयोग को बढ़ाने में प्रतिबद्धता जताई।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यूनाइटेड इंडिया स्वच्छता वीक पर किया विशेष जागरूकता कार्यक्रम

भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के केन्द्रीय संचार ब्यूरो, क्षेत्रीय कार्यालय, भागलपुर द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत यूनाइटेड इंडिया स्वच्छता वीक (26 सितंबर – 2 अक्टूबर) को मनाते हुए भागलपुर के नया बाजार स्थित डैफोडिल्स स्कूल में आज विशेष जागरूकता कार्यक्रम किया। इस कार्यक्रम के दौरान स्कूल के छात्रों द्वारा नया बाजार तथा आसपास के क्षेत्रों में स्वच्छता श्रमदान के माध्यम से सफाई करते हुए स्वच्छता का संदेश दिया गया।


इस अवसर पर आयोजित परिचर्चा कार्यक्रम का उदघाटन डैफोडिल्स स्कूल के निदेशक तन्मय तरुण द्वारा किया गया। प्रमुख वक्ता के रूप में बोलते हुए उन्होंने स्वच्छता तथा स्वास्थ्य के अनेक आयामों की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि स्वच्छता को लेकर आम नागरिक को जागरूक करने का भारत सरकार का प्रयास सराहनीय है और इसे घर घर तक ले जाया रहा है. ऐसे जागरूकता कार्यक्रम नियमित रूप से होते रहने चाहिए।


स्कूल की प्राचार्य रजनी गंधा ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी अभिषेक कुमार ने आजादी का अमृत महोत्सव के बारे में विस्तार से चर्चा की तथा स्वच्छता ही सेवा के अंतर्गत सार्वजनिक स्थलों की सफाई, अब तक की उपलब्धियों , स्वच्छ भारत अभियान, यूनाइटेड इंडिया स्वच्छता वीक तथा स्वच्छ भारत दिवस के बारे में विस्तार से बताया।


कार्यक्रम के दौरान परिचर्चा में छात्र-छात्राओं ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। इसके अलावा भाषण व प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी आयोजित की गयी जिसमें यश, सोवृत , मानवी, स्वेच्छा, नूर मोहम्मद, विंनम्र जैन सक्षम कुमार को पुरस्कृत किया गया। मोहित कुमार को ‘स्वच्छता ही सेवा’ थीम पर विशेष चित्र के लिए पुरस्कृत किया गया।


इस अवसर पर प्रतिमा अग्रवाल , संध्या रानी ,पल्लवी अग्रवाल , साधना सिंह तथा सज्जन कुमार सहित स्कूल के सभी शिक्षक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन सहायक क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी राजा आलम ने किया।
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आशा पारेख को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, 2020 से सम्मानित किया जाएगा

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने आज घोषणा की है कि वर्ष 2020 के लिए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख को दिया जाएगा। ये पुरस्कार नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में प्रदान किया जाएगा।

इस निर्णय की घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने कहा, “मुझे ये घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की जूरी ने भारतीय सिनेमा में आशा पारेख जी के जीवन भर के अनुकरणीय योगदान को मान्यता देने और उन्हें पुरस्कृत करने का निर्णय लिया है।” मंत्री महोदय ने ये भी घोषणा की कि 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह का आयोजन 30 सितंबर, 2022 को होगा और इस समारोह की अध्यक्षता भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु करेंगी।

सुश्री आशा पारेख एक प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री, निर्देशक, निर्माता और एक कुशल भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना हैं। एक बाल कलाकार के रूप में अपना करियर शुरू करते हुए उन्होंने फिल्म ‘दिल दे के देखो’ में मुख्य नायिका के तौर पर अपनी शुरुआत की और 95 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया। उन्होंने कटी पतंग, तीसरी मंजिल, लव इन टोक्यो, आया सावन झूम के, आन मिलो सजना, मेरा गांव मेरा देश जैसी मशहूर फिल्मों में अभिनय किया है।

सुश्री पारेख पद्मश्री से सम्मानित हैं जो उन्हें 1992 में दिया गया था। उन्होंने 1998-2001 तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के प्रमुख के रूप में भी काम किया है।

श्री अनुराग ठाकुर ने ये भी घोषणा की कि सुश्री पारेख को पुरस्कार देने का निर्णय पांच सदस्यों की जूरी द्वारा लिया गया था। 52वें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के चयन के लिए इस जूरी में फिल्म उद्योग के ये पांच सदस्य शामिल थे:

सुश्री आशा भोसले
सुश्री हेमा मालिनी
सुश्री पूनम ढिल्लों
श्री टी. एस. नागभरण
श्री उदित नारायण

200 से ज्यादा चैनल और ऊंची गुणवत्ता वाली फिल्में जल्द ही मोबाइल फोन पर बिना किसी डेटा का इस्तेमाल किए देखा जा सकता है जासकता

केंद्रीय सूचना और प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने मीडिया और मनोरंजन उद्योग से आह्वान किया कि साल 2030 तक इस उद्योग को 100 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित करें। आज 27 सितंबर, 2022 को मुंबई में फिक्की फ्रेम्स फास्ट ट्रैक 2022 के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए सचिव महोदय ने कहा, “भारत अगले 10 वर्षों में 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था होगी। ऐसे में हमें ये लक्ष्य तय करना चाहिए कि मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र 2030 तक 100 बिलियन डॉलर से ज्यादा का हो जाए। सूचना और प्रसारण मंत्रालय मीडिया एवं मनोरंजन क्षेत्र को सहायता देने और इसे विकसित करने में मदद करने के लिए जो भी मुमकिन हो वो करेगा।”

श्री चंद्रा ने घोषणा की कि भारत में फिल्म क्षेत्र में ज्यादा विदेशी निवेश लाने के लिए इन्वेस्ट इंडिया का लाभ उठाया जाएगा। उन्होंने कहा, “मंत्रालय ने विभिन्न फिल्म इकाइयों का एक के अंतर्गत विलय कर दिया है। मुंबई स्थित एनएफडीसी, सरकार की सिनेमाई शाखा का केंद्र बनने जा रहा है। इसके साथ ही हम फिल्म सुविधा कार्यालय को नया रूप देना चाहते हैं। हम इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा बनाई गई मुख्य निवेश शाखा इन्वेस्ट इंडिया को सौंपने जा रहे हैं ताकि फिल्म उद्योगों को भारत में आकर्षित किया जा सके। इस साल भारत में 100 अरब डॉलर से ज्यादा का एफडीआई आ रहा है। हम विदेशी निवेश लाने के लिए इन्वेस्ट इंडिया का लाभ उठाना चाहते हैं, हम विदेशी फिल्मकारों तक पहुंचेंगे ताकि वे भारत आ सकें।”

 

सचिव महोदय ने बताया कि भारत में फिल्म शूटिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार राज्यों के साथ मिलकर काम करेगी। उन्होंने कहा, “हाल ही में कान फिल्म फेस्टिवल में हमने भारत में विदेशी फिल्मों की शूटिंग के लिए प्रोत्साहन योजना और ऑडियो-विजुअल सह-निर्माण के लिए प्रोत्साहन योजना की घोषणा की। राज्यों द्वारा दिए गए प्रोत्साहन के साथ ये फिल्म निर्माताओं के लिए एक लाभदायक और आकर्षक पैकेज बन जाता है।”

अपूर्व चंद्रा ने घोषणा की कि भारत सरकार राज्यों के साथ मिलकर काम करेगी और एक मॉडल थियेटर नीति तैयार करेगी। उन्होंने बताया, “पिछले 5-6 वर्षों में सिनेमाघरों की संख्या में गिरावट आई है। हमें इस प्रवृत्ति को उलटने की जरूरत है। हम फिल्म सुविधा कार्यालय को इन्वेस्ट इंडिया के साथ मिलकर काम करने का जिम्मा देंगे ताकि थिएटर खोलने के लिए सिंगल-विंडो पोर्टल बनाया जा सके, ताकि ज्यादा से ज्यादा थिएटर बन सकें और जनता को सिनेमाघरों में फिल्मों का जादू देखने के ज्यादा मौके मिल सकें। हम राज्यों के साथ मिलकर एक मॉडल थिएटर पॉलिसी भी बनाएंगे, ताकि राज्य इसे अपना सकें और उस पर काम कर सकें।”

कोविड-19 महामारी के कारण लोगों की देखने संबंधी आदतें भी बदल गई हैं, इस पर टिप्पणी करते हुए सचिव महोदय ने कहा कि जब तीन दिन पहले टिकटों की कीमतें 75 रुपये कर दी गईं तो सभी शो हाउसफुल गए। उन्होंने कहा, “इससे पता चलता है कि अगर कीमतें सही हों तो लोग थिएटर का खर्च उठा सकते हैं। लोगों में सिनेमाघर जाने की लालसा अब भी है, इसलिए हमें इस चीज पर काम करने की जरूरत है कि हम लोगों को सिनेमाघरों में वापस कैसे ला सकते हैं।”

सचिव महोदय ने उद्योग जगत को बताया कि सिनेमैटोग्राफ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों पर कल फिल्म उद्योग के कुछ दिग्गजों के साथ उनकी एक उपयोगी बैठक हुई। उन्होंने बताया, “सभी हितधारकों ने यूए श्रेणी के साथ आयु वर्गीकरण और एंटी-पायरेसी प्रावधानों को लाने से जुड़े प्रस्तावित संशोधनों का समर्थन किया।” उन्होंने कहा कि फिल्म उद्योग के समर्थन से हम संसद के शीतकालीन सत्र में संशोधित विधेयक पेश करने की उम्मीद कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा गठित एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग एंड कॉमिक्स (एवीजीसी) प्रमोशन टास्क फोर्स अगले 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। एवीजीसी को भविष्य बताते हुए सचिव महोदय ने उद्योग जगत से कहा कि, “हम सब टास्क फोर्स की रिपोर्ट संकलित कर रहे हैं, और उसके बाद हम सिफारिशें जमा करेंगे और रिपोर्ट को अपनाने की प्रक्रिया से गुजरेंगे। हॉलीवुड की सर्वश्रेष्ठ फिल्में अब बेंगलुरु और अन्य जगहों पर बन रही हैं। एवीजीसी अब आने वाली क्रांति है, जैसे कि 20 साल पहले आईटी क्रांति हुई थी।”

सचिव महोदय ने बताया कि निजी क्षेत्र के सहयोग से एवीजीसी के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की जा रही है। उन्होंने कहा, “मुझे आपको ये बताते हुए खुशी हो रही है कि हमने निजी क्षेत्र के सहयोग से एवीजीसी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने का सैद्धांतिक निर्णय लिया है। हम सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के लिए 48 प्रतिशत हिस्सेदारी, फिक्की के लिए 26 प्रतिशत और सीआईआई के लिए 26 प्रतिशत हिस्सेदारी का प्रस्ताव कर रहे हैं ताकि सरकार के बजाय निजी क्षेत्र एवीजीसी से जुड़े बदलाव का नेतृत्व करे। हमें उम्मीद है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय मीडिया और मनोरंजन उद्योग में उछाल के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा।”

भारतीय नागरिक जल्द ही अपने मोबाइल फोन पर ऊंची गुणवत्ता वाली फिल्में और मनोरंजन संबंधी कंटेंट देख सकेंगे वो भी बिना डेटा की खपत के। सचिव श्री चंद्रा ने बताया कि, “भारत में हम डेटा लागत के बारे में कभी नहीं सोचते हैं, क्योंकि डेटा अन्य देशों की तुलना में यहां बहुत सस्ता है। ये मीडिया और मनोरंजन उद्योग को एक बड़ा अवसर देता है। 5जी आने के साथ, डायरेक्ट-टू-मोबाइल प्रसारण के लिए एक और मौका है। आईआईटी कानपुर के सहयोग से प्रसार भारती एक प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट लेकर आया है, जहां 200 से ज्यादा चैनल देखे जा सकते हैं और ऊंची गुणवत्ता वाली फिल्में मोबाइल फोन पर बिना किसी डेटा का इस्तेमाल किए, डायरेक्ट-टू-मोबाइल प्रसारण का इस्तेमाल करके देखी जा सकती हैं।” उन्होंने भरोसा जताया कि ये परिवर्तन अगले 3-4 वर्षों के भीतर हो जाएगा।

सूचना और प्रसारण सचिव ने इस क्षेत्र में ज्यादा रोजगार सृजित करने में मीडिया और मनोरंजन कौशल परिषद के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “कई लोग अब ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कंटेंट देख रहे हैं, लेकिन कंटेंट क्रिएशन की रफ्तार में बढ़ोतरी हुई है जिससे ज्यादा लोगों को ज्यादा नौकरियां मिल रही हैं। इसमें मीडिया और मनोरंजन कौशल परिषद् की बड़ी भूमिका है, क्योंकि ज्यादा नौकरियां पैदा करने का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है कौशल युक्त करना।”

इस उद्घाटन समारोह में फिल्म निर्माता रमेश सिप्पी; ब्रिटेन के वेस्ट यॉर्कशायर की मेयर ट्रेसी ब्रेबिन; प्रसिद्ध फिल्मी हस्ती रणवीर सिंह; पुनर्युग के संस्थापक और फिक्की एवीजीसी फोरम के अध्यक्ष आशीष कुलकर्णी; संचार और आईटी पर स्थायी समिति की सदस्य, सांसद सुमलता अंबरीश; परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर स्थायी समिति की सदस्य, सासंद प्रियंका चतुर्वेदी; संचार और आईटी पर स्थायी समिति के सदस्य, सांसद संजय सेठ और फिक्की के महानिदेशक अरुण चावला उपस्थित थे।

फिक्की फ्रेम्स फास्ट ट्रैक में फिल्म, प्रसारण (टीवी और रेडियो), डिजिटल मनोरंजन, एनिमेशन, गेमिंग और विजुअल इफेक्ट्स जैसे मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं को शामिल करने वाले मुद्दों/विषयों पर कार्यशालाओं और मास्टर-क्लास के साथ-साथ पूर्ण और समानांतर सत्र होंगे। इस उद्योग के हितधारक- जैसे कि मीडिया और मनोरंजन कंपनियों के सीईओ, फिल्म निर्माता, निर्देशक और उद्योग के अन्य व्यवसायी और रचनात्मक प्रतिभाएं, केंद्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों के साथ हर साल इस कार्यक्रम में भाग लेते हैं।