हिलसा में भी जल्द देखने को मिल सकता है बुलडोजर बाबा का आतंक ,खाली होगा माँ काली के नाम की अतिक्रमित जमीन

 जैसा कि बिहार सरकार ने सभी मठ मंदिर की जमीन को  न केवल अतिक्रमण मुक्त करने का फैसला लिया है बल्कि भगवान् के मंदिर की जमीन को उनके असली हकदार यानी भगवान् के नाम पर किये जाने की कारवाई भी शुरू कर दी है | इस प्रकार अगर कहीं भगवान् विष्णु का मदिर है तो वहां की पूरी जमीन भगवान् विष्णु के नाम पर रजिस्टर्ड कर दी जायेगी जो कि किसी भी कानून के तहत किसी दुसरे को नहीं दी जा सकती वो सदियों तक या फिर कहें जबतक सृष्टि रहेगी उस जमीन के मालिक भगवान् विष्णु ही होगें |

 यही वजह है कि हिलसा काली मंदिर की अतिक्रमित जमीन को अभ कब्जाधारियों से मुक्त करान के लिए स्थानीय लोगों ने पहल शुरू कर दी है जैसा कि आपको मोम होगा कि हिलसा स्थित महादेव महाकाली मंदिर एवं महंत विद्यानंद कॉलेज के बीच वर्षों से जमीn को लेकर विवाद चला आ रहा है जो अब नये सिरे से  पटना उच्च न्यायालय में पहुंच गया है। इस मामले में दायर सिविल रिट 4509/2022 में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश संजय करोल एवं न्यायमूर्ति एस कुमार की बेंच ने सभी संबंधित पदाधिकारियों से 4 महीने के अंदर जांच कर मामले का निष्पादन करने का आदेश दिया है। बताया जाता है कि महादेव महाकाली मंदिर एवं महंत विद्यानंद कॉलेज के बीच जमीन एवं रास्ता को लेकर बरसों से विवाद चला जा रहा है। इस मामले में स्थानीय पदाधिकारियों द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने के बाद महाकाली मंदिर के संरक्षक सुरेंद्र प्रसाद द्वारा पटना उच्च न्यायालय में सिविल रिट दायर किया था। इसमें राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष ,नालंदा के जिला पदाधिकारी, हिलसा के अंचलाधिकारी एवं महंत विद्यानंद कॉलेज के प्राचार्य को प्रतिवादी बनाया गया था। याचिका में याचिकाकर्ता ने ग्वालियर फर्जी दस्तावेज के आधार पर शासकीय भूमि गैरमजरूआ आम जमीन का अतिक्रमण कर कॉलेज संचालित करने एवं फर्जीवाड़ा करके सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त करने का आरोप लगाया था। याचिकाकर्ता ने कहा है कि खतियान के अनुसार महादेव महाकाली मंदिर के नाम से 17 डिसमिल जमीन दर्ज है। जबकि मंदिर मात्र 6 डिसमिल जमीन पर बना हुआ है। मंदिर की शेष जमीन को कॉलेज एवं आसपास के लोगों द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया है। इस मामले में पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं न्यायमूर्ति एस मूर्ति की बेंच ने सुनवाई करते हुए सभी संबंधित पदाधिकारियों को याचिकाकर्ता से संपर्क कर 4 महीने के अंदर मामले का निस्तारण करने का आदेश दिया है। इधर पटना उच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद कालेज कर्मियों के बीच हड़कंप मचा हुआ है। जानकार लोगों का कहना है कि यदि उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में कालेज के दस्तावेजों की जांच की गई तो दूध का दूध और पानी का पानी होने की प्रबल संभावना है।

ऐसे में हिलसा शहर में ये चर्चा जोरों से चल रही है कि काली मंदिर के अतिक्रमित जमीन पर जल्द ही बुलडोजर चलने वाला है और उसके आसपास की जमीन या फिर तालाब सभी भगवान् के नाम रजिस्ट्रर्ड करा दी जायेगी |

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