बिन्द-बेलदार ने अपने अधिकार के लिए गांधी मैदान से भरी हुंकार ,राजनीतिक भागिदारी देने वाले को हमारा पूर्ण समर्थन : गणेश कुमार बिन्द

बिन्द विकास एवं सामाजिक सेवा संस्थान द्वारा राजधानी के ऐतिहासिक गांधी मैदान में बिन्द बेलदार चेतना दिवस विशाल सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में यूपी, पश्चिम बंगा एवं बिहार के कोने-कोने से हजारों की संख्या में समाज के लोग पहुंचे और अपने हक और हकूक के लिए गांधी मैदान में हुंकार भरी और चट्टानी एकता का परिचय दिया। अपने राजनीतिक एवं अन्य हिस्सेदारी के लिए गांधी मैदान की धरती से हुंकार भरी और सरकार को आगाह किया। बाबा ‘काशी’ की पूजा अर्चना के साथ सम्मेलन का उद्घटान संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष गणेश कुमार बिंद, विधायक भरत बिन्द, नेपाल के पूर्व ऊर्जा मंत्री सत्यनारायण भगत, पूर्व एमएलसी हीरा बिन्द, पूर्व मंत्री ब्रजकिशोर बिन्द, उपाध्यक्ष दशरथ प्रसाद सिंह आदि ने किया।

सम्मेलन को संबोधित करते राष्ट्रीय अध्यक्ष गणेश कुमार ने कहा कि बिहार में बिन्द-बेलदार की आबादी करीब एक करोड़ है। लेकिन आजादी के 75 वर्षों के बाद भी हमारी पहचान नहीं बन पायी है। आबादी के हिसाब से हमें सत्ता में हिस्सेदारी नहीं मिली है। विकास की मुख्य धारा से हम कोसों दूर हैं। हमें आरक्षण का उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने लोगों से एकजुट होकर अपने अधिकार के लिए लड़ने और संघर्ष करने की अपील की। कहा कि जब अन्य जातियां एकजुट हो सकते हैं तो हम एकजुट क्यों नहीं हो सकते हैं। उन्होंने अपने नाम के आगे बिन्द-बेलदार, निषाद, केवट लगाने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि अगर कोई हमें आंख दिखाने का प्रयास करे तों हमें उसकी आंख फोड़ने की हिम्मत दिखाना चाहिए। अपने समाज के लोगों को चुनाव में वोट जरूर करें। जनगणना में बिन्द एवं बेलदार जाति को अलग अलग स्वतंत्र जाति के रूप में जनगणना कराने की मांग सरकार से की गई। बिन्द एवं बेलदार जातियों को समाप्त कर निषाद शीर्ष में समावेशित करने का विरोध किया है। बिन्द जाति को अनुसूचित जाति की सूची में जल्द सम्मिलित करने की सरकार से मांग की।

उन्होंने कहा कि हालांकि हम भारत के मूलवासी है इसलिए अनुसूचित जाति जनजाति की सूची में शामिल करना ज्यादा श्रेष्कर बताया। उन्होंने कहा कि इथनोग्राफी सर्वेक्षण प्रतिवेदन वर्ष 2014 में ही भारत सरकार को भेजा गया था जिस पर भारत सरकार द्वारा मंतव्य रिपोर्ट वर्ष 2015 में ही बिहार सरकार से मांगा गया जो अभी तक बिहार सरकार के पास लम्बित है। निषादों के अन्य जातियों की स्थिति भी लगभग यही है। इसलिए सरकार इन्हें अविलंब अनुसूचित जाति की सूची में सम्मिलित करें। बिन्द, बेलदार, केवट आदि निषाद समुदाय की जातियों के गरीब भूमिहीन विस्थापित, परिवारों को भूमि एवं आवास उपलब्ध कराने की सरकार से मांग की।
मुख्य अतिथि नेपाल के पूर्व ऊर्जा मंत्री सत्यनारायण भगत बिन्द ने बिन्द-बेलदार और निषादों को एकजुट रहकर संघर्ष करने की अपील की।


शिक्षित और राजनीतिक रूप से हो सजग : भरत बिंद
भभुआ विधानसभा के राजद विधायक भरत बिंद ने शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए समाज में अभियान चलाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि हमारी जितनी संख्या है उस अनुपात में हमें हिस्सेदारी अबतक नहीं मिली। इसका मुख्य कारण एकजुटता नहीं है। अगर हम एकत्रित हो गये तो सरकार और राजनीतिक दलों की नींव हिला सकते हैं। राजनीतिक रूप से सजग होने की जरूरत बताया।


मान और सम्मान के लिए लड़ना होगा : ब्रज किशोर
पूर्व मंत्री ब्रज किशोर बिन्द ने कहा कि पूर्वजों एवं संतों की देन है कि आज हम इस ऐतिहासिक गांधी मैदान से अपने अधिकार के लिए ललकार भर रहे हैं। राजनीतिक इस शक्ति की देन है। जनता श्ािक्त का श्रोत है। हमे अपने मान और सम्मान के लिए लड़ना होगा। अपनों की कभी शिकायत नहीं करें।
विकासशील इंसान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बालगोबिंद एवं संगठन के सभी जिला अध्यक्ष एवं महासचिव ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किये । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दशरथ प्रसाद सिंह ने की। मंच का संचालन पत्रकार देशश जलज ने किया। बाल्मीकि कुमार, शिव रतन बिन्द बबन प्रसाद चिन्द, रामबली प्रसाद बिन्द, उमा शंकर आर्य, सरिता रानी बिन्द, डॉ अजय बिन्द, रामजन्म बिन्द, सतीश बिन्द, मीना देवी, रामाशंकर महतो, वृन्दा बिन्द, संजीत बिन्द, रामाशंकर निषाद, अनिल कुमार, बिक्रमादित्य बिन्द आदि ने भी सभा को सम्बोधित किया ।

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