तेजस्वी यादव ने विधान सभा में स्वास्थ्य विभाग के विस्तृत बजट की चर्चा की

मंगलवार को बिहार विधान सभा में तेजस्वी यादव ने स्वास्थ्य विभाग के बजट के सन्दर्भ में अपनी बात कही आइये जाने उनके ही शब्दों में ………………….

माननीय अध्यक्ष महोदय,

राज्य में जनमानस को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार कृत संकल्पित है। इस उद्देश्य से चल रही योजनाओं की सूक्ष्म समीक्षा तथा नई योजनाओं की स्वीकृति के साथ हम लगातार कार्य कर रहे हैं। विगत वर्षों के दौरान नए युग के सुधारों से परिवर्तन हुआ है-इन सुधारों का उद्देश्य मौलिक एवं मूलभूत स्तर के स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता है तथा विशेष रूप से डिजिटल प्रोद्योगिकी का उपयोग इन सुधारों को रेखांकित करता है।

जनवरी 2020, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अधिसूचित कोविड-19 महामारी ने वैश्विक विकास को तो प्रभावित किया, किन्तु इसके प्रभाव ने स्वास्थ्य प्रक्षेत्र के आधारभूत संरचनाओं को ठोस एवं मजबूत बनाने के प्रयास को दृढ़ इरादा भी दिया। इस महामारी का प्रभाव पिछले दो वर्ष से अन्य राज्यों की भाँति बिहार राज्य पर भी पूर्ण तरीके से पड़ा है। इसको दृष्टिगत रखते हुए कई आधारभूत एवं मानव संसाधन से संबंधित योजनाओं की स्वीकृति दी गई है।

इन तमाम प्रयासों को बिहार राज्य में स्वास्थ्य प्रक्षेत्र के निम्नलिखित महत्वपूर्ण संकेतकों में सुधार के रूप में देखा जा सकता है:-

संकेतक NFHS-4(2015-16) NFHS-5 (2019-21)
कुल प्रजनन दर (प्रति महिला बच्चे) 3.4 3.0
परिवार नियोजन पद्धति का वर्तमान उपयोग- कोई भी विधि (प्रतिशत) 24.1 55.8

 

नवजात मृत्यु दर

(प्रति एक हजार जीवित जन्म)

36.7 34.5
शिशु मृत्यु दर

(प्रति एक हजार जीवित जन्म)

48.1 46.8
पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चे की मृत्यु दर (प्रति एक हजार जीवित जन्म) 58.1 56.4

 

चिकित्सा संस्थानों में जन्म (प्रतिशत)   63.8 76.2
12 से 23 महीने के उम्र के बच्चों का टीकाकरण या तो टीकाकरण कार्ड या मात्र स्मरण (प्रतिशत) की जानकारी के आधार पर पूरी तरह से टीका लगाया गया है। 61.7 71.0
पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चे जिनकी विकास वृद्धि दर कम है।

(उम्र के अनुसार कद) प्रतिशत

48.3 42.9

 

(स्त्रोत-राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 और 2019-21 स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार।)

          नमूना पंजीकरण प्रणाली (Sample Registration System) के आँकड़ों से स्पष्ट है कि बिहार राज्य में मातृ मृत्यु अनुपात, नवजात मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर में लगातार सुधार परिलक्षित हो रहा है तथा कुछ संकेतकों यथा शिशु मृत्यु दर एवं पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चे की मृत्यु दर में राज्य का औसत राष्ट्रीय औसत से भी बेहतर है।

स्वास्थ्य उपकेन्द्र/हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर:-

          आधारभूत संरचना- वर्ष 2021-22 में राज्य के प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र में 5-5 स्वास्थ्य उपकेन्द्रों का निर्माण कराने के निर्णय के क्रम में अब तक 5 स्वास्थ्य उपकेन्द्रों का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है, 604 स्वास्थ्य

उपकेन्द्रों का निर्माण कार्य प्रगति पर है एवं 71 स्वास्थ्य उपकेन्द्रों के निर्माण कार्य के लिए निविदा प्रक्रियाधीन है। इसके अतिरिक्त 56 स्वास्थ्य उपकेन्द्रों का निर्माण कार्य शीघ्र शुरू किया जाएगा।

          इस वित्‍तीय वर्ष में प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र में 7-7 तथा प्रत्येक विधान परिषद् क्षेत्र में 5-5 स्वास्थ्य उपकेन्द्रों के निर्माण कार्य का निर्णय लिया गया है जिसके आलोक में माननीय सदस्यों से अनुशंसा प्राप्त की जा रही है। शीघ्र ही प्राप्त अनुशंसाओं के आलोक में अग्रतर कार्रवाई की जाएगी।

          मानव संसाधन- राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से  स्वास्थ्य उपकेन्द्रों में 8517 ए०एन०एम० को संविदागत पदों पर राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार द्वारा नियुक्ति पत्र का वितरण दिनांक- 21 अक्टूबर, 2022 को माननीय मुख्यमंत्री, श्री नीतीश कुमार जी के कर कमलों द्वारा किया गया है। साथ ही हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर को सुचारू रूप से क्रियान्वित करने हेतु 2185 सी०एच०ओ० को हाल ही में पदस्थापित किया गया है। फलस्वरूप वर्तमान में 3500 से अधिक सी०एच०ओ० कार्यरत है।

          ग्रामीण क्षेत्र में दी जाने वाली सेवाओं का विस्तार-ग्रामीण क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने हेतु दिनांक 30.01.2023 तक कुल 10251 स्वास्थ्य संस्थानों यथा 1243 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, 8705 स्वास्थ्य उपकेन्द्रों तथा 197 आयुष स्वास्थ्य उपकेन्द्रों को हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर के रूप में विकसित किया जा चुका है। साथ ही 106 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को भी हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर के रूप में विकसित किया गया है। इन हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर पर निम्न प्रकार की सेवा दी जा रही है।

  1. सामान्य गर्भावस्था एवं सामान्य प्रसव सेवाएँ
  2. नवजात एवं शिशु सामान्य स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ
  3. बालावस्था एवं किशोर सामान्य स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ
  4. परिवार नियोजन, गर्भनिरोधक तथा सामान्य प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ
  5. राष्ट्रीय कार्यक्रमों के अनुसार संचारी रोगों का सामान्य प्रबंधन
  6. बीमारियों का वनजचंजपमदज के माध्यम से सामान्य प्रबंधन
  7. गैर संचारी रोगों की स्क्रीनिंग, सामान्य प्रबंधन, जीर्ण रोगों यथा- क्षय एवं कुष्ठ रोगों का सामान्य प्रबंधन

          नेत्र एवं ई०एन०टी०, मुख एवं दन्त देखभाल, वृद्धावस्था एवं प्रशामक स्वास्थ्य सेवाएँ (Palliative Health Care), सामान्य चिकित्सीय आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएँ तथा मानसिक स्वास्थ्य बीमारियों की स्क्रीनिंग एवं सामान्य प्रबंधन से संबंधित सामान्य देखभाल सेवाएँ शीघ्र इन केन्द्रों पर शुरू की जायेगी।

          इसके अलावा सभी स्वास्थ्य उपकेन्द्रों पर वर्तमान में सात प्रकार के पैथोलॉजिकल जाँच की सुविधा त्ंचपक क्पंहदवेजपब ापजे के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है।

          सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunization Programme) के अन्तर्गत नये टीकों को शामिल करते हुए वर्तमान में 12 जानलेवा बीमारियों यथाः टीबी/तपेदिक, पोलियो, हेपेटाईटिस बी’, गल-घोंटू, काली खांसी, धनुष्टंकार (टेटनस), हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा (हिब), निमोनिया, खसरा, रूबैला, रोटा वायरस, जापानी इंसेफलाइटिस (जे.ई.) से बचाव हेतु सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों एवं सभी आँगनबाड़ी एवं अन्य केन्द्रों में निःशुल्क टीके दिये जा रहे हैं। सभी लाभार्थियों तक ससमय टीकाकरण सुविधा की पहुँच सुनिश्चित करने के लिए राज्य में प्रतिमाह लगभग एक लाख से अधिक स्थलों पर टीकाकरण सत्र आयोजित किया जाता है। इन सत्रों में गुणवŸाापूर्ण वैक्सिन की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु राज्य में विभिन्न स्तरों पर 718 शीत्-श्रृंखला भंडार कार्यरत है।

          नियमित टीकाकरण के सुदृढ़ीकरण हेतु राज्य के विभिन्न जिलों में मुख्यालय स्तर पर 10 मॉडल टीकाकरण केन्द्र (Model Immunization Centre) तथा राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत 95 Model Immunization Centre (MIC) संचालित है।

          सघन मिशन इंद्रधनुष 4.0- कोविड वैश्विक महामारी के संक्रमण एवं कोविड टीकाकरण के कारण नियमित टीकाकरण का कार्य प्रभावित हुआ था, जिसके कारण भारत सरकार के निर्देशानुसार टीकाकरण से वंचित अथवा आंशिक रूप से प्रतिरक्षित बच्चे एवं गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण से आच्छादित किए जाने हेतु तीन चरणों में सघन मिशन इंद्रधनुष अभियान 4.0 का आयोजन क्रमशः  प्रथम चरण 07 मार्च 2022, द्वितीय चरण 04 अप्रैल 2022 तथा तृतीय चरण 02 मई 2022 में किया गया है, जिसके तहत टीकाकरण से वंचित अथवा आंशिक रूप से प्रतिरक्षित लाभार्थियों को टीकाकरण किए जाने हेतु कुल 24,395 सत्रों का निर्धारण करते हुए छूटे हुए 8,73,830 बच्चों एवं 1,67,911 गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण से आच्छादित किया गया है।

          खसरा-रूबैला टीकाकरण- राज्य में दिसम्बर 2023 तक खसरा के उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कोविड संक्रमण के कारण नियमित टीकाकरण प्रभावित होने से खसरा-रूबैला जैसी बीमारियों का संक्रमण फैलने के खतरे को ध्यान में रखते हुए राज्य स्तर से खसरा प्रभावित जिलों के प्रबंधित क्षेत्रों के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों, जहाँ खसरा का आच्छादन कम रहा है, वहाँ विशेष अभियान के तहत् घर-घर जाकर खसरा एवं रूबैला के टीकाकरण की स्थिति की जानकारी ली गई है। उक्त के आलोक में 4,38,271 बच्चे, जो टीके से वंचित पाये गये थे, में से 4,15,926 अर्थात् 95 प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण कर दिया गया है।

अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र

          आधारभूत संरचना- राज्य के प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र में 1-1 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के निर्माण का निर्णय वर्ष 2021-22 में लिया गया था। इस क्रम में 2 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है, 136 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का निर्माण कार्य प्रगति पर है एवं 11 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के निर्माण कार्य के लिए निविदा प्रक्रियाधीन है। इसके अतिरिक्त 10 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का निर्माण कार्य शीघ्र शुरू किया जाएगा।

प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र/सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र

          महोदय, आप अवगत हैं कि प्रखण्ड स्तर के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (अनुमण्डल तथा जिला मुख्यालय स्तर पर के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को छोड़कर) को 6 बेड से बढ़ाकर 30 बेड के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में उत्क्रमित करने का कार्य जारी है। कुल 434 ब्भ्ब् ;ब्वउउनदपजल भ्मंसजी ब्मदजतमद्ध का निर्माण किया जाना है, जिसमें से अब तक 261 का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है, 94 का निर्माण कार्य जारी है, 37 मामले में निर्माण कार्य शीघ्र शुरू किया जाएगा, 5 निविदा प्रक्रिया में है, तथा शेष में शीघ्र निविदा प्रक्रिया पूर्ण कर कार्य शुरू किया जाएगा।

अनुमण्डलीय अस्पताल

          राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था सुदृढ़ करने के उद्देश्य से गैर आच्छादित 16 अनुमण्डलों में अनुमण्डलीय अस्पतालों के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई है, जिसमें से 6 अनुमण्डलीय अस्पतालों का निर्माण कार्य पूर्ण कराया जा चुका है, 8 अनुमण्डलीय अस्पतालों का निर्माण कार्य प्रगति पर है तथा 2 के लिए भू-खण्ड चिह्नित करने की कार्रवाई की जा रही है।

सदर अस्पताल

आधारभूत संरचना

          महोदय, जैसा की आप अवगत हैं कि राज्य के 21 सदर अस्पतालों को मॉडल अस्पताल के रूप में उन्नयन करने का कार्य चल रहा है। सहरसा जिला के मॉडल अस्पताल का लोकार्पण माननीय मुख्यमंत्री के कर कमलों द्वारा दिनांक-02 फरवरी, 2023 को किया गया है। इसी तरह पूर्वी चम्पारण जिला के मॉडल अस्पताल के ओ०पी०डी० विभाग का लोकार्पण माननीय मुख्यमंत्री के कर कमलों द्वारा दिनांक-15 फरवरी, 2023 को किया गया है। आरा, अररिया, वैशाली, औरंगाबाद, बांका, पूर्वी चम्पारण (एम०सी०एच० एवं सर्विस विंग), सीतामढ़ी, मधुबनी, सहरसा, रोहतास, नालंदा, सीवान, गोपालगंज, मुंगेर, भागलपुर, गया, बेगूसराय एवं समस्तीपुर का भवन निर्माणाधीन है। पटना, मुजफ्फरपुर एवं मधेपुरा के भवनों के निर्माण हेतु आवश्यक प्रक्रियाएं पूर्ण करते हुए इनका निर्माण कार्य शीघ्र शुरू किया जाएगा।

          कुल 3 सदर अस्पताल (कटिहार, दरभंगा एवं जहानाबाद) की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से कटिहार एवं दरभंगा का निर्माण कार्य प्रगति पर है तथा सदर अस्पताल, जहानाबाद के नये भवन का निर्माण पुराने परिसर में ही करने का निर्णय लिया गया है। निर्माण कार्य की प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाएगी।

मिशन-60

          महोदय, 07 सितम्बर 2022 को संकल्प लिया गया कि राज्य के सभी सदर अस्पतालों की आधारभूत संरचनाओं में सुधार, दवा की उपलब्धता, ओ०पी०डी० सेवा तथा अन्य चिकित्सा सुविधाओं को एक निश्चित समय-सीमा के अन्तर्गत पूर्ण किया जायेगा। इस प्रयास को मिशन-60 के रूप में कार्यान्वित कराया गया। इस अभियान के अंतर्गत अस्पताल भवनों की साफ-सफाई, अस्पताल के प्रसाधनों की मरम्मति, प्रातःकालीन एवं संध्याकालीन ओ०पी०डी० की सेवा, दवाओं की उपलब्धता, विशेषज्ञ चिकित्सकों का पदस्थापन इत्यादि कार्य शामिल है। इस मिशन का सफलतापूर्वक संचालन करने में स्वास्थ्य विभाग के सभी पदाधिकारी, स्वास्थ्य कर्मी, चिकित्सकों ने एक टीम के रूप में कार्य किया और जिसके परिणामस्वरूप आज राज्य के सभी सदर अस्पताल का स्वरूप बदला हुआ है।

          अब मिशन-60 को दूसरे चरण में मिशन क्वालिटी के रूप में परिवर्तित कर कार्यान्वित कराया जा रहा है। इस मिशन का लक्ष्य सदर अस्पतालोें के द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं की गुणवत्ता राष्ट्रीय मानक के अनुरूप प्राप्त करने की है। इस मिशन के सफलता के पश्चात् इसे राज्य के चिकित्सा महाविद्यालय अस्पतालों एवं अन्य अस्पतालों में भी लागू किया जायेगा।

          महोदय, राज्य के सभी सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय अस्पतालों एवं सदर अस्पतालों में मरीजों को दी जाने वाली सेवाओं के सुदृढ़ीकरण हेतु मानक संचालन प्रक्रिया का निर्धारण किया गया है।

          उक्त परिपेक्ष्य में मरीजों को दी जाने वाली सेवाओं के सुदृढ़ीकरण एवं गुणात्मक सुधार हेतु प्रमुख बिन्दुओं पर निम्नरूपेण मानक संचालन प्रक्रिया निर्धारित की गयी है:-

  • रिसेप्शन एवं पूछताछ
  • प्रतीक्षा क्षेत्र तथा मरीजों के सहचर (Attendant) हेतु सुविधा
  • ओ०पी०डी० का समय
  • अंतःवासी मरीजों हेतु चिकित्सकों का परिभ्रमण (Round)
  • दवा वितरण की व्यवस्था
  • ऑपरेशन थियेटर
  • इमरजेन्सी कॉम्प्लेक्स 24ग्7 सेवा
  • रक्त अधिकोष की सेवा
  • इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले बोर्ड
  • संक्रमण नियंत्रण एवं बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन

          महोदय, उपरोक्त व्यवस्था से राज्य की जनता (विशेष रूप से गरीब लोगों) को 247 बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलने लगी है, जिसकी निरंतरता को जारी रखने हेतु लगातार अनुश्रवण किया जा रहा है।

          राज्य के सदर अस्पतालों के मरीजों को पटना के अस्पतालों/अन्य चिकित्सा महाविद्यालय अस्पतालों में अनावश्यक रूप से भेजने की सिफारिश को रोकने की नियत से एक नई रेफरल दिशा-निर्देश बनाई गई है जिसके अनुपालन हेतु आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।

          प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलेसिस कार्यक्रम अन्तर्गत राज्य के सभी जिलों के एक-एक स्वास्थ्य संस्थान में लोक निजी साझेदारी के तहत डायलेसिस इकाई की स्थापना एवं संचालन हेतु दो एजेंसियों का चयन कर राज्य के कुल 37 जिलों (जहानाबाद को छोड़कर) में डायलेसिस इकाई स्थापित कर संचालित किया जा रहा है। जहानाबाद जिला में भी यथाशीघ्र डायलेसिस इकाई स्थापित कर संचालित किये जाने का लक्ष्य है। राज्य के राशनकार्डधारी परिवारों को डायलेसिस की सेवा निःशुल्क उपलब्ध करायी जा रही है। अन्य व्यक्तियों को यह सुविधा निर्धारित दर पर जिलों में उपलब्ध करायी जा रही है।

          राज्य के सभी सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों एवं 30 सदर अस्पतालों में CT Scan जाँच की सुविधा उपलब्ध कराई जा चुकी है। शेष सदर अस्पतालों में CT Scan जाँच की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु कार्य प्रगति पर है। राज्य के सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों सहित चयनित कुल 155 स्वास्थ्य संस्थानों में In House मोड में एक्स-रे सेवा का संचालन किया जा रहा है, इसके अतिरिक्त सदर अस्पताल, अनुमण्डलीय अस्पताल, रेफरल अस्पताल एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों सहित कुल 143 संस्थानों में पी०पी०पी० मोड में एक्स-रे सेवा दी जा रही है। राज्य के सभी चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, सभी सदर अस्पताल एवं सभी क्रियाशील अनुमण्डलीय अस्पतालों में सभी बेडों पर ऑक्सीजन गैस पाईप लाईन का अधिष्ठापन कर लिया गया है। राज्य के प्रथम रेफरल इकाईयों (FRUS) यथा-जिला अस्पतालों, अनुमण्डलीय अस्पतालों एवं रेफरल अस्पतालों सहित चयनित कुल 93 स्वास्थ्य संस्थानों में In-house मोड में अल्ट्रासाउण्ड सेवा का संचालन किया जाना है। वर्तमान में 89 स्वास्थ्य संस्थानों में मशीन अधिष्ठापित है एवं शेष 4 स्वास्थ्य संस्थानों में अधिष्ठापन प्रक्रियाधीन है।

          राज्य के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में अधिष्ठापित चिकित्सीय उपकरणों के रख-रखाव हेतु पहली बार Biomedical Equipment Maintenance & Management Programme (BEMMP)  क्रियान्वित किया गया है, जिससे कि राज्य के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में अधिष्ठापित चिकित्सीय उपकरण निर्बाध रूप से क्रियाशील रहेंगे। इस हेतु सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में अधिष्ठापित उपकरणों का बार कोडिंग का कार्य पूर्ण किया जा चुका है एवं 24×7 Toll Free No. के माध्यम से complaint register करने की व्यवस्था लागू की गई है। इस कार्य हेतु Centralized Call Centre की स्थापना भी की गई है।

          महोदय, विगत छः माह में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए विभाग में पहली बार आवश्यक जाँच सूची एवं सदर अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के लिए आवश्यक उपकरण सूची बनाई गई है। इसके अतिरिक्त आवश्यक औषधि सूची में संशोधन भी किया गया है।

आवश्यक औषधि सूची (Essential Drug List)

          Essential Drug List (EDL) को संशोधित करते हुए आवश्यक दवाओं एवं Consumables की सूची में अब 611 प्रकार की दवाओं एवं 132 प्रकार के consumables/medical devices को सम्मिलित किया गया है, जिसमें मातृ, शिशु, मधुमेह, कैंसर, नेत्र देखभाल, गुर्दा, दौरा जैसी गंभीर बीमारियों हेतु दवाएँ/उपकरण शामिल हैं।

आवश्यक जाँच सूची (Essential Diagnostic List)

           आवश्यक औषधि सूची के तर्ज पर स्वास्थ्य प्रक्षेत्र में नये पहल के तहत् राज्य के चिकित्सा महाविद्यालय अस्पतालों से लेकर स्वास्थ्य उपकेन्द्र स्तर तक मरीजों के आवश्यक जाँच के लिए जाँच सूची तैयार कर इससे संबंधित पुस्तिका का विमोचन किया जा चुका है, जिसके तहत् अब मेडिकल कॉलेजों में 161, जिला अस्पतालों में 148, अनुमंडलीय अस्पतालों में 91, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं रेफरल अस्पतालों में 75, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में 66, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों/हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर/स्वास्थ्य उपकेन्द्रों में 9 प्रकार के जाँच का प्रावधान किया गया है।

आवश्यक उपकरण सूची (Essentail Equipment List)

          सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सेवाओं के विस्तारीकरण को दृष्टिगत रखते हुए जिला अस्पतालों के लिए 271, अनुमंडलीय अस्पतालों के लिए 227, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के लिए 291 एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के लिए 107 प्रकार के आवश्यक उपकरणों/उपस्करों की सूची (Essential Equipment List – EEL) को तैयार कर अधिसूचित किया गया है। अब इसी म्म्स् के अनुरूप सभी संस्थानों में उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी।

चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल

राजकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, पैठना- भागन बिगहा, रहुई, नालन्दा

          महोदय, राज्य में दंत चिकित्सा एवं शिक्षा को विस्तार प्रदान करते हुए राजकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, पैठना- भागन बिगहा, रहुई, नालन्दा का निर्माण ग्राम-पैठना के 19.23 एकड़ भू-खण्ड पर 404 करोड़ रूपये की प्रशासनिक स्वीकृति की लागत से कराया गया है। इस परियोजना में मुख्यतः तीन प्रकार के भवनों यथा शैक्षणिक भवन, अस्पताल भवन एवं आवासीय भवन का निर्माण कराया गया है। साथ ही नवनिर्मित दंत चिकित्सा अस्पताल के लिए आवश्यक उपकरणों की आपूर्त्ति की गई है, जिसमें से शैक्षणिक-सह-दंत अस्पताल, ऑडिटोरियम, प्राचार्य आवास, अधीक्षक आवास, नर्सेस छात्रावास का निर्माण पूर्ण कराया जा चुका है। इसका उद्घाटन माननीय मुख्यमंत्री, श्री नीतीश कुमार जी के कर कमलों द्वारा दिनांक-12 दिसम्बर, 2022 को किया गया है। दिनांक-09 जनवरी, 2023 से दंत अस्पताल में चिकित्सीय सुविधा प्रदान किया जाना प्रारंभ कर दिया गया है।

          महोदय, इस संस्थान में दंत चिकित्सा क्षेत्र में 100 छात्रों के लिए स्नातक ;ठक्ैद्ध के नामांकन की क्षमता निर्धारित है। इसके अतिरिक्त 9 (नौ) विभाग में स्नातकोत्तर का पाठ्यक्रम संचालित किये जाने हेतु प्रत्येक विभाग में दो यूनिट की स्थापना की जा रही है। इसके लिए 119 शैक्षणिक एवं 59 गैर शैक्षणिक पदों का सृजन किया गया है। इसके उपरांत 100 बेड के सामान्य अस्पताल हेतु 144 पदों का सृजन किया गया है अर्थात् कुल 322 पदों का सृजन किया गया है। इस संस्थान में वर्ष 2023-24 से शैक्षणिक सत्र प्रारंभ करने हेतु कार्रवाई की जा रही है।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), दरभंगा

          महोदय, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), दरभंगा के निर्माण हेतु भारत सरकार को पूर्व में दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल अंतर्गत संरचना सहित 200.02 एकड़ भूमि हस्तांतरित की गई थी। शहर के मध्य में होने, पहुँच पथ संकरा होने तथा ट्रैफिक जाम की संभावना के आलोक में हस्तांतरित भूमि के स्थान पर नये स्थान का चयन कर हस्तांतरित करने का निर्णय लिया गया है। नये स्थल पर 150 एकड़ भूमि उपलब्ध कराई जा रही है, जो दरभंगा शहर से लगभग 4 कि०मी० की दूरी पर है तथा एन०एच०-27 के East West Corridor से तीन कि०मी० की दूरी पर बहादुरपुर अंचल अंतर्गत शोभन बायपास सड़क के किनारे अवस्थित है। यह स्थल दरभंगा हवाई अड्डा से नजदीक है तथा यहाँ ट्रैफिक जाम इत्यादि की समस्या नहीं होगी। यह निर्माण Green Field Project के रूप में किया जायेगा। दरभंगा शहर के विस्तार में यह मील का पत्थर साबित होगा।

इन्दिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान

          महोदय, इन्दिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना में 100 बेड का स्टेट कैंसर इन्स्टीच्यूट क्रियाशील किया गया है। दिनांक-27 फरवरी 2023 को इस संस्थान के ट्रॉमा सेंटर के ट्राइएज एरिया, राज्य कैंसर संस्थान के मॉडयूलर ऑपरेशन थियेटर, आई०सी०यू० एवं इमरजेंसी का शुभारंभ हो चुका है। राज्य स्तर पर इन्दिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना में आई बैंक एवं आधुनिक किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट स्थापित किया गया है।

          इन्दिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना में रुपये 513.21 करोड़ की लागत से अतिरिक्त 1200 बेड के नये अस्पताल भवन का निर्माण कराया जा रहा है एवं इसका निर्माण 2024 तक पूर्ण करा लिया जाएगा। साथ ही रु० 284.18 करोड़ की लागत से अतिरिक्त 500 बेड के नये भवन का निर्माण कार्य भी अंतिम चरण में है। इससे राज्य के लोगों को अतिविशिष्ट चिकित्सा सुविधायें उपलब्ध कराई जा सकेगी।

पटना चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के पुनर्विकास की वृहत योजना का प्रारम्भ

          महोदय, जैसा कि आप अवगत हैं कि पटना चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, पटना को विश्वस्तरीय अस्पताल के रूप में उन्नयन के क्रम में 250 नामांकन एवं 5462 बेड के लिए मंत्रिपरिषद् द्वारा रु॰ 5540.07 करोड़ की पुनर्विकास योजना की स्वीकृति के उपरांत निर्माण कार्य कराया जा रहा है। विगत एक वर्ष मंे प्रगति उत्साहवर्द्धक रही है। चालू वित्तीय वर्ष में इस संस्थान में ब्ंजी स्ंइ की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है।

सभी जिलों में चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल की सुविधा

          सभी जिलों में चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल की सुविधा उपलब्ध कराने/सुदृढ़ कराने हेतु सरकार प्रतिबद्ध है। उक्त क्रम में पुराने सदर अस्पताल अथवा रेफरल अस्पताल की संरचना को जोड़कर नये चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल का निर्माण करने के निर्णय अंतर्गत राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय, छपरा (सारण), पूर्णियाँ, सीतामढ़ी, झंझारपुर (मधुबनी), सीवान, बक्सर, जमुई एवं श्री राम जानकी चिकित्सा महाविद्यालय, समस्तीपुर का निर्माण कराया जा रहा है। साथ ही सात निश्चय अंतर्गत राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय, बेगूसराय, महुआ (वैशाली) एवं राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय, भोजपुर (आरा) का निर्माण किया जा रहा है। राज्य स्कीम अंतर्गत राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय, मुंगेरमोतिहारी (पूर्वी चम्पारण) एवं लोहिया चिकित्सा महाविद्यालय, सुपौल के निर्माण हेतु निविदा की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। शेष जिलों में भी feasibility के आधार पर चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के निर्माण पर विचार किया जाएगा।

अतिविशिष्ट अस्पताल

          इन्दिरा गाँधी हृदय रोग संस्थान, पटना में मरीजों की सुविधा हेतु न सिर्फ बेड की संख्या 120 बेड से बढ़ाकर 280 बेड की गयी बल्कि नये भवन में Turnkey basis पर हृदय रोग के सभी प्रकार के ईलाज से संबंधित 148 प्रकार के उपकरणों को उपलब्ध कराया गया है, जिसमें 256 स्लाईस का CT Scan मशीन Angiography के लिए अधिष्ठापित किया गया है जो पूरे देश में बहुत कम जगहों पर है। मरीजों के Heart एवं Lungs को Failure से बचाने के लिए ECMO (Extra Corporeal Membrane Oxygenation) – Life support सिस्टम की भी व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त इस संस्थान में OCT (Optical Coherence Tomography(, ROTA (Rotablator) एवं अन्य उपकरणों की सहायता से दो स्टेट ऑफ आर्ट Cath Labs की स्थापना भी की गई है।

नर्सिंग, फार्मेसी एवं पारा मेडिकल प्रशिक्षण संस्थान

          महोदय, ‘‘विकसित बिहार के सात निश्चयके अंतर्गत राज्य सभी अनुमण्डलों में ए०एन०एम० प्रशिक्षण संस्थान तथा सभी जिलों में जी०एन०एम० प्रशिक्षण संस्थान एवं पारा मेडिकल प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना के निर्णय के अनुसार 54 ए०एन०एम० प्रशिक्षण संस्थान-सह-छात्रावास भवन का निर्माण किया जा रहा है। इनमें से 48 ए०एन०एम० प्रशिक्षण संस्थान का निर्माण कार्य पूर्ण किया जा चुका है, जिसमें से 41 संस्थानों में नामांकन हो चुका है। शेष 6 संस्थानों का निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण कर लिया जायेगा।

          ‘‘विकसित बिहार के सात निश्चय’’ अंतर्गत ही राज्य के 23 जिलों में जी०एन०एम० प्रशिक्षण संस्थान-सह-छात्रावास भवन निर्माण किया जाना है, जिनमें से 16 जिलों में निर्माण कार्य पूर्ण किया जा चुका है, जिसमें से 13 संस्थानों में नामांकन हो चुका है। शेष 7 जिलों में निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण कर लिया जायेगा। इस योजना का उद्देश्य ग्रेड-। नर्स की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।

          ‘‘विकसित बिहार के सात निश्चयअंतर्गत ही राज्य के 16 चिकित्सा महाविद्यालयों में बी०एस०सी० नर्सिंग प्रशिक्षण संस्थान-सह-छात्रावास भवन का निर्माण किया जाना है, जिनमें से 5 चिकित्सा महाविद्यालयों यथा दरभंगा, भागलपुर, गया, पावापुरी (नालन्दा) एवं पूर्णियॉ में निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। इनमें से पूर्णियॉ को छोड़कर अन्य 4 चिकित्सा महाविद्यालयों में शैक्षणिक कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। अगले शैक्षणिक सत्र से पूर्णियॉ में भी शैक्षणिक सत्र प्रारंभ कर दिया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य नर्सिंग शिक्षा के फैकल्टी एवं नर्सिंग सेवाओं हेतु मानव बल की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।

          ‘‘विकसित बिहार के सात निश्चयअंतर्गत ही राज्य के 28 जिलों में पारामेडिकल प्रशिक्षण संस्थान-सह-छात्रावास भवन का निर्माण किया जाना है, जिनमें 23 जिलों में निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। इसमें 20 पारा मेडिकल प्रशिक्षण संस्थान-सह-छात्रावास में नामांकन का कार्य प्रारंभ किया जा चुका है। शेष 5 जिलों में निर्माण कार्य जारी/निविदा प्रक्रियाधीन है। इस योजना का उद्देश्य राज्य के अस्पतालों में तकनीकी सहायकों यथा लैब टेक्नीशियन, ओ०टी० असिस्टेंट, एक्स-रे टेक्नीशियन एवं डेंटल टेक्नीशियन आदि की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।

          पाँचों राजकीय फार्मेसी महाविद्यालय में डी० फार्मा के लिए कुल 300 सीट स्वीकृत किया गया है। इसके अतिरिक्त राजकीय फार्मेसी संस्थान, अगमकुआँ पटना में बी० फार्मा के लिए 100 सीट एवं एम० फार्मा के लिए 21 सीट स्वीकृत किये गये हैं। सरकार के सात निश्चय प्रथम चरण के अंतर्गत पाँच फार्मेसी संस्थानों में से चार संस्थानों में नामांकन का कार्य प्रारंभ है। शेष एक संस्थान (समस्तीपुर) में भी निर्माण कार्य शीघ्र पूरा कराकर पाठ्यक्रम संचालन की कार्रवाई की जाएगी।

महिला सशक्तिकरण

          महोदय, इस दिशा में उठाये गये सकारात्मक पहल के तहत् दीदी की रसोईकी स्थापना 36 सदर अस्पतालों, 21 अनुमण्डल अस्पतालों एवं 2 चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पतालों में कर दी गई है। इसके अतिरिक्त अन्य सभी चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पतालों में इसकी स्थापना की जा रही है। बिहार मानसिक स्वास्थ्य एवं सहबद्ध विज्ञान संस्थान, कोईलवर, भोजपुर में दीदी की रसोई की स्थापना के साथ-साथ जीविका की दीदियों को मरीजों के वस्त्र निर्माण का दायित्व दिया गया है, जिसके लिए उक्त परिसर में जीविका दीदी द्वारा संचालित सिलाई केन्द्र की स्थापना की गई है। सभी जिला अस्पतालों में सफाई, मरीजों के वस्त्रों की आपूर्त्ति तथा वस्त्रों की धुलाई का दायित्व जीविका की दीदियों को दिये जाने का निर्णय लिया गया है, जिसे लागू किया जा रहा है। चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पतालों में सफाई एवं मरीजों के वस्त्र आपूर्त्ति का दायित्व भी जीविका दीदी को दिया गया है।

          स्वास्थ्य विभाग में जी०एन०एम०, ए०एन०एम०, आशा, उषा एवं ममता के माध्यम से 1.5 लाख से अधिक महिलाओं को रोजगार प्राप्त है। राज्य सरकार द्वारा पहल करते हुए महिला स्वास्थ्य कर्मियों को डिजीटल तकनीक के उपयोग के उद्देश्य से आशा कार्यकत्ताओं को 88,657 स्मार्ट फोन एवं ए०एन०एम० के लिए 17,719 टैबलेट वितरित किये जा चुके हैं। अभी तक विभाग द्वारा 14,500 से अधिक ए०एन०एम० एवं 5700 से अधिक आशा कार्यकर्त्ताओं को प्रशिक्षित भी किया जा चुका है।

          महोदय, मुझे यह बताने में बेहद खुशी हो रही है कि स्वास्थ्य विभाग के सभी शिक्षण संस्थानों में महिलाओं के लिए सैनिटेरी नैपकिन वेंडिंग मशीन तथा सैनिटेरी नैपकिन इनसिनरेटर मशीन के अधिष्ठापन की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। दिनांक-09.03.2023 तक 78 वेंडिंग मशीन तथा 25 इनसिनरेटर मशीन अधिष्ठापित हो चुके हैं।

डिजीटल प्राद्यौगिकी आधारित परियोजनाएं

मुख्यमंत्री डिजिटल हेल्थ योजना

          महोदय, स्वास्थ्य सुविधाओं को आमजनों तक सुगमतापूर्वक उपलब्ध कराने हेतु देश में बिहार पहला ऐसा राज्य है जहाँ डिजिटल प्राद्यौगिकी का प्रयोग करते हुए मुख्यमंत्री डिजिटल हेल्थ योजनालागू किया गया है। दिनांक-29.04.2022 को मंत्रिपरिषद् द्वारा इसकी स्वीकृति प्रदान की गई थी। यह नूतन एवं अभिनव प्रयोग एक तरफ बिहार में डिजिटल हेल्थ केयर तंत्र के विभिन्न हितधारकों के बीच मौजूदा अंतर को दूर करेगा तथा दूसरी तरफ स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करेगा। इस योजना के अंतर्गत अस्पताल में ऑनलाईन ओ०पी०डी० Appointment की सुविधा, नजदीकी अस्पतालों एवं उपलब्ध चिकित्सकों की जानकारी, घर बैठे आयुष्मान भारत हेल्थ आई०डी० (ABHA ID) बनाने की सुविधा प्राप्त होगी। इसके तहत् आमजनों को 24×7 आपातकालीन चिकित्सीय सुविधा एवं विशेषज्ञ चिकित्सकों का परामर्श प्राप्त करने की व्यवस्था की गई है। प्रथम चरण में इस योजना का कार्यान्वयन मुजफ्फरपुर, नालंदा, गोपालगंज एवं सीवान जिला में किया जा रहा है। वर्तमान में मुजफ्फरपुर जिला का कार्य अंतिम चरण में है। आगामी वर्ष में राज्य के अन्य सभी जिलों में चरणवार लागू किया जाना है। 

इस नवाचार से स्वास्थ्य व्यवस्था के क्षमता एवं संस्थागत संवर्द्धन से निम्नलिखित लाभ होंगेः-

  • चिकित्सकों को रोगियों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड तक पहुंचने की सुविधा, जिससे चिकित्सक बेहतर निर्णय लेने में सक्षम होंगे।
  • मेडिकल रिकॉर्ड को सुरक्षित रूप से स्टोर और एक्सेस करने की सुविधा।
  • स्वास्थ्य संस्थाओं और सेवा प्रदाताओं के बारे में सटीक जानकारी होगी।
  • सेवाओं में पारदर्शिता एवं स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करेगा।
  • विभाग में अधिष्ठापित कमाण्ड एण्ड कंट्रोल सेंटर के द्वारा विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में ओ०पी०डी० में चिकित्सक एवं अन्य कर्मियों की उपस्थिति की जानकारी।
  • इसके तहत् अस्पतालों में उपचार हेतु प्रयोग होने वाले विभिन्न उपकरणों की जानकारी उपलब्ध होना।
  • सभी स्वास्थ्य संस्थानों में औषधि उपलब्धता की जानकारी।
  • मरीजों के लिए आवश्यकतानुसार विशेषज्ञ/उच्च चिकित्सीय सुविधा केन्द्रों पर रेफर करने एवं उनके आवागमन की निर्बाध सुविधा प्रदान करना।
  • डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड तक आसान पहुँच।
  • बीमा एजेंसियों और टी०पी०ए० आदि के साथ Empanelment में आसानी।
  • डायग्नोस्टिक रिपोर्ट, डिस्चार्ज समरी, प्रिस्क्रिप्शन आदि के लिए पेपरलेस सुविधा।

          मुख्यालय स्तर पर पूर्व से स्थापित कमाण्ड एण्ड कंट्रोल सेंटर को इस योजना के साथ सहबद्ध किया जा रहा है ताकि इस डिजिटल प्लेटफार्म पर राज्य के स्वास्थ्य प्रक्षेत्र से जुड़ी सारी जानकारियों का सतत् अनुश्रवण तथा तत्पश्चात् त्वरित तरीके से आवश्यक निर्णय लिया जा सके।

टेलीमेडिसीन

          जनमानस को घर बैठे चिकित्सकीय परामर्श उपलब्ध कराने के उद्देश्य से e-Sanjeevani टेलीमेडिसीन का प्रारंभ वर्ष 2021 में किया गया है। इसके अंतर्गत राज्य में वर्तमान में कुल 11,238 ‘स्पोकएवं 1,274 चिकित्सा पदाधिकारी हबमें पंजीकृत हैं। इसके अंतर्गत दिनांक 15 मार्च, 2023 तक ई-संजीवनी डॉट इन के माध्यम से 33,95,608 व्यक्तियों को चिकित्सीय परामर्श एवं ई-संजीवनी ओ.पी.डी. के माध्यम से 68,315 व्यक्तियों को चिकित्सीय सेवा प्रदान की जा चुकी है।

टेली मानस

          राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को आमजनों तक 24 घंटे योग्य, किफायती एवं गुणवतापूर्ण स्वास्थ्य परामर्श सेवा हेतु टेली मानस की स्थापना निम्नांकित केन्द्रों में की गई है।

          (1)      इन्दिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान, शेखपुरा, पटना

          (2)      बिहार मानसिक स्वास्थ्य एवं सहबद्ध विज्ञान संस्थान, कोईलवर, तथा

          (3)      जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, भागलपुर

          उपर्युक्त तीनों टेली मानस कोषांगों पर कुल 60 परामर्शी को पदस्थापित किया गया है तथा अब तक कुल 1130 टेलीफोन कॉल के माध्यम से परामर्श उपलब्ध कराया जा चुका है। इसके अतिरिक्त उपरोक्त संस्थानों को मार्गदर्शन देने हेतु इन्दिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान, शेखपुरा, पटना में टेली मानस मार्गदर्शक केन्द्र की स्थापना की गई है।

नवाचार

          बिहार राज्य में दी जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं में आने वाली चुनौतियों यथा डॉक्टरों की कमी, हर घर स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुँचाना, चिकित्सा महाविद्यालयों में शिक्षकों की कमी इत्यादि के मद्देनज़र स्वास्थ्य विभाग, बिहार सरकार के द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं में गुणवत्ता लाने हेतु Artificial Intelligence (AI) का उपयोग किये जाने का निर्णय लिया गया है।

          इस पहल में Microsoft Corporation के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग के द्वारा Digital Optometry (सदर अस्पताल, वैशाली एवं गुरू गोविन्द सिंह अस्पताल, पटना), Pre-Surgical Planning (इन्दिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना), Medical Education & Anatomy Labs (पटना चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, पटना) एवं HD Medical के सहयोग से AI-enabled Stethoscope (राधोपुर, वैशाली) जैसे क्षेत्रों में Pilot Basis पर परियोजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस तरह Artificial Intelligence (AI) का इस्तेमाल करते हुए स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकेगी एवं बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ आमजन को उपलब्ध कराई जा सकेगी।

कैंसर चिकित्सा के क्षेत्र में प्रगति

          श्री कृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, मुजफ्फरपुर के परिसर में टाटा मेमोरियल हॉस्पीटल, मुम्बई के सहयोग से स्थापित भाभा कैंसर अस्पताल एवं रिसर्च सेन्टर के द्वारा वर्ष 2021-22 में राज्य के 14 जिलों में कैंसर स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गई थी। इसकी सफलता को देखते हुए वर्ष 2022-23 में पूरे राज्य में कैंसर स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गई है, जिसमें 4.04 लाख से अधिक लोगों की जाँच की गयी, जिसमें से 3238 मरीजों में कैंसर के लक्षण पाये गए। उक्त मरीजों में से 552 मरीजों में कैंसर की बीमारी की पुष्टि की गई, जिसमें से आवश्यकतानुसार 213 मरीजों का उपचार मुजफ्फरपुर में ही किया गया। कैंसर की चिकित्सा सुविधा का विस्तार करते हुए नालंदा चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, पटना, श्री कृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, मुजफ्फरपुर तथा जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, भागलपुर में डे-केयर कीमोथेरेपी सेंटर की शुरूआत की गई है तथा अनुग्रह नारायण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, गया एवं दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, दरभंगा एवं राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, पूर्णियाँ में डे-केयर कीमोथेरेपी सेंटर की स्थापना की जा रही है।

          महोदय, आपके माध्यम से सदन को अवगत कराना चाहूँगा कि अब कैंसर की सर्जरी एवं अन्य ईलाज की सुविधा राज्य के अन्दर उपलब्ध है जिसका लाभ आमजनों को प्राप्त हो रहा है।

          इस क्षेत्र में क्षमता संवर्धन हेतु प्रशिक्षण शिविर भी लगाए गए हैं जिनमें 11,455 स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है जो इस रोग के प्रति जागरूकता पैदा करने एवं निदान कराने में आमजनों के लिए सहायक सिद्ध होंगे।

मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं

बिहार राज्य मानसिक स्वास्थ्य एवं सहबद्ध विज्ञान संस्थान (BIMHAS), कोईलवर, भोजपुर

          महोदय, राज्य विभाजन के पश्चात राज्य में मानसिक आरोग्यशाला नहीं था। वर्ष 2002 में यक्ष्मा अस्पताल, कोईलवर, भोजपुर के भवन के एक भाग में मानसिक आरोग्यशाला की स्थापना की गई। मानसिक आरोग्यशाला को विस्तार प्रदान करने के उद्देश्य से वर्ष 2005 में बिहार राज्य मानसिक स्वास्थ्य एवं सहबद्ध विज्ञान संस्थान (BIMHAS) की स्थापना, कोईलवर, भोजपुर में की गई। वर्ष 2018 में नये परिसर के निर्माण की स्वीकृति मिली, जिसका उद्घाटन माननीय मुख्यमंत्री के कर-कमलों द्वारा 16 सितम्बर, 2022 को किया गया।

          इस मानसिक आरोग्यशाला के निर्माण से जहां एक ओर छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के उच्चत्‍तर पाठ्यक्रमों में शिक्षण की सुविधा उपलब्ध हो रही है। वहीं दूसरी ओर राज्य एवं निकटवर्ती राज्यों के मानसिक रोगियों को आधुनिक मानसिक रोग की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। इस अस्पताल में ओ०पी०डी०, आई०पी०डी०, विभिन्न प्रकार की जाँच की सुविधा सहित ई०सी०टी० की सुविधा उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त संस्थान में साईकोलॉजिस्ट के माध्यम से काउन्सलिंग की सुविधा, अकुपेशनलथेरापिस्ट की सुविधा एवं मानसिक रोगियों को टेलीमेडिसिन के माध्यम से काउन्सलिंग की सुविधा भी ‘‘टेली मानसके रूप में उपलब्ध है।

          मानसिक आरोग्यशाला में ‘‘दीदी की रसोई’’ के माध्यम से ही अंतःवासी मानसिक रोगियों को भोजन की व्यवस्था उपलब्ध है तथा यहाँ के अंतःवासी मरीजों को पोशाक सिलाई हेतु 50 अदद् सिलाई मशीन की व्यवस्था एवं अस्पताल की साफ-सफाई एवं कपड़ों की धुलाई की व्यवस्था भी जीविका के स्वयं सहायता समूहों द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है।

          बिहार राज्य मानसिक स्वास्थ्य एवं सहबद्ध संस्थान नियमावली 2005 के अधीन प्रावधानित प्रबन्धन समिति में विभिन्न क्षेत्रों के सदस्यों को शामिल करने हेतु समिति की संरचना में संशोधन करते हुए बिहार राज्य मानसिक स्वास्थ्य एवं सहबद्ध संस्थान (संशोधन) नियमावली 2023 बनाई गई है।

मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017

          इसके अंतर्गत राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन किया जा चुका है। इस अधिनियम के तहत् नियमावली बनाने की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। अधिनियम के प्रावधानों के आलोक में सभी प्रमण्डल मुख्यालय स्तर पर उस प्रमण्डल के अधीन सभी जिलों के लिए एक स्वास्थ्य पुनर्विलोकन बोर्ड की स्थापना से संबंधित कार्रवाई सम्प्रति प्रक्रियाधीन है।

मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम

          राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत् राज्य में जिला मानसिक स्वास्थ्य इकाई के द्वारा मानसिक बीमारी की रोकथाम, इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एवं मानसिक बीमारी के रोगियों को सही समय पर उच्च गुणवत्‍तायुक्‍त ईलाज प्रदान करने की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। इसके लिए सामाजिक कार्यकर्ता, मनोवैज्ञानिक तथा मनोचिकित्सकों की भर्ती प्रक्रिया जारी है, जिसके तहत अब तक कुल 23 लोगों को जिलों में पदस्थापित किया जा चुका है।

बिहार नेत्र ज्योति अभियान

          महोदय, बिहार नेत्र ज्योति अभियान के तहत फरवरी एवं मार्च 2023 में एक लाख मोतियाबिन्द के ऑपरेशन का लक्ष्य स्वास्थ्य विभाग के द्वारा तय किया गया है, जिसमें अबतक 81,943 मोतियाबिन्द का ऑपरेशन किया गया है।

ड्यूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी रोग के ईलाज हेतु चिकित्सकीय अनुदान

          राज्य में ड्यूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Duchenne Muscular Dystrophy – DMD) एवं अन्य आनुवांशिक मस्कुलर डिस्ट्रॉफी रोग से ग्रसित मरीजों को आर्थिक रूप से संबल व सहायता उपलब्ध कराया जाना है। राज्य में 05 अगस्त, 2022 से यह योजना लागू है। इसके तहत लाभार्थी की चिकित्सा एवं देख-रेख हेतु एकमुश्त रु० 6.00 लाख की राशि लाभार्थी या लाभार्थी के प्राकृतिक/वैधानिक अभिभावक के खाते में राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार, पटना के द्वारा डायरेक्ट बेनफिट ट्रांसफर (डी०बी०टी०) के माध्यम से भुगतान किया जाता है।

          इसके तहत 17 मार्च, 2023 तक कुल 149 लाभार्थियों को रु० 6.00 लाख की दर से कुल रु० 8.94 करोड़ का भुगतान किया गया है।

बाल हृदय योजना (नन्हें दिलों की मुस्कान)

          महोदय, राज्य में हृदय में छेद के साथ जन्में बच्चों के इलाज के लिए 01 अप्रैल, 2021 से बाल हृदय योजना (नन्हें दिलों की मुस्कान) लागू है। इसके तहत 07 मार्च, 2023 तक प्रशांति मेडिकल एवं रिसर्च फाउण्डेशन, राजकोट एवं अहमदाबाद, इन्दिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान एवं इन्दिरा गाँधी हृदय रोग संस्थान द्वारा कुल 708 बच्चों का सफल ईलाज (निःशुल्क) किया गया है। इनमें से 1 अप्रैल, 2021 से अब तक 615 बच्चों को निःशुल्क उपचार प्रशान्ति मेडिकल एवं रिसर्च फाउण्डेशन, राजकोट एवं अहमदाबाद द्वारा किया गया है।

          प्रशान्ति मेडिकल एवं रिसर्च फाउण्डेशन, राजकोट के साथ MOU का अवधि विस्तार अगले दो वर्षो के लिए फरवरी, 2025 तक किया गया है।

बाल श्रवण योजना

          शिशुओं के सुनने की क्षमता के ईलाज को दृष्टिगत रखकर इनके मामले में Cochlear Implant Surgery हेतु राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार, पटना एवं इस प्रक्षेत्र में विशिष्टता रखने वाले प्रख्यात संस्थान- Mehtotra ENT Foundation, Kanpur के बीच दिनांक-20 जनवरी 2023 को एकरारनामा किया गया है। इस योजना के अंतर्गत Mehrotra ENT Foundation के द्वारा राज्य के 9 जिलों यथा पटना, नालंदा, गया, भागलपुर, पूर्णियाँ, वैशाली, दरभंगा, मुजफ्फरपुर एवं पूर्वी चम्पारण में जाँच शिविर लगा कर रोगियों की पहचान की जा रही है तथा उनका निःशुल्क ईलाज Mehrotra ENT Foundation के कानपुर में अवस्थित अस्पताल में किया जाएगा।

कोविड-19

कोविड-19 जाँच की सुविधा

          कोविड संक्रमण नियंत्रण के क्रम में संक्रमण की लगातार एवं अधिक-से-अधिक संख्या में जाँच को प्राथमिकता देते हुए प्रतिदिन RT-PCR मशीन, Rapid Antigen Kit एवं TrueNAT मशीन के माध्यम से एक से डेढ़ लाख की संख्या में जाँच कराई गई, ताकि संक्रमितों की तुरंत पहचान हो सके एवं उनका उपचार किया जा सके। इसके लिए सभी जिला मुख्यालयों में एवं सभी सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों में कोविड जाँच की सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई है। वर्तमान में राज्य में कुल 44 सरकारी एवं 29 निजी RT-PCR लैब कार्यरत है। दिनांक-15 मार्च, 2023 तक जहाँ भारतवर्ष में हर दस लाख की आबादी पर 6,66,668 कोविड जाँच किया गया है। वहीं बिहार राज्य में हर दस लाख की आबादी पर 8,45,655 कोविड-19 की जाँच की गई है।

कोविड-19 टीकाकरण

          राज्य में दिनांक 15 मार्च, 2023 तक कुल 15 करोड़ 72 लाख से ज्यादा टीके लगाये जा चुके हैं, जिसके तहत् 7.34 करोड़ लाभार्भियों को प्रथम खुराक से 6.79 करोड़ को दोनों खुराक से एवं 1.58 करोड़ precautionary डोज से आच्छादित किये जा चुके हैं।

कोविड-19 से संक्रमित मृतकोें के आश्रित को अनुग्रह अनुदान

          मुख्यमंत्री राहत कोष के माध्यम से कुल 18,999 कोरोना से मृतक के आश्रितों को 4 लाख रुपये की दर से कुल 7,59,96,00,000 रुपये के भुगतान की अनुशंसा आपदा प्रबंधन विभाग को की गई है, जिसमें 14,628 लाभुकों को भुगतान किया जा चुका है।

          SDRF मद के माध्यम से 50 हजार रुपये की दर से कुल 18,999 मृतक के आश्रितों को अनुग्रह अनुदान के तहत् कुल राशि 94,99,50,000 रुपये भुगतान की अनुशंसा आपदा प्रबंधन विभाग को की गई है, जिसमें 14,628 लाभुकों को भुगतान किया जा चुका है।

          इस प्रकार अब तक बिहार में 14,628 मृतकों के आश्रितों को अनुग्रह अनुदान की कुल राशि 6,58,26,00,000 रुपये का भुगतान किया जा चुका है।

घोषणा

  • दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय के प्रशासनिक, अस्पताल एवं अन्य भवनों का नव निर्माण।
  • पश्चिम चम्पारण तथा पूर्णियाँ जिला के सदर अस्पतालों का निर्माण।
  • मिशन-60 का चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पतालों में तथा सदर अस्पताल से निम्न स्तर के संस्थानों में संचालित करना।
  • राष्ट्रीय उच्च पथों पर 11 स्थानों यथा झझवा (गोपालगंज), रजौली (नवादा), महेशखूंट (खगड़िया), अरड़िया संग्राम (मधुबनी), मोहनियाँ (कैमूर), रहुई (नालन्दा), चकिया (पूर्वी चम्पारण), शेरघाटी (गया), नरपतगंज (अररिया), गरौल (वैशाली) एवं रजौन (बांका) पर ट्रॉमा सेन्टर का निर्माण।
  • पटना शहरी क्षेत्र में संक्रामक बीमारियों के सर्वेक्षण को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से डमजतवचवसपजंद ैनतअमपससंदबम यूनिट की स्थापना।
  • ए०एन०एम० एवं स्टाफ नर्स ग्रेड-। (जी०एन०एम०) के द्वारा किये गये सराहनीय एवं उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें राज्य स्तर पर फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार सम्मान समारोह का आयोजन।
  • स्वास्थ्य प्रक्षेत्र में 1.5 लाख रोजगार का सृजन।
  • आशा कार्यकर्त्‍ता, आशा फैसिलिटेटर एवं ऊषा के 5,874 रिक्तियों को भरने के साथ 22,235 नये पद का सृजन।
  • पब्लिक हेल्थ मैनेजमेन्ट कैडर के अंतर्गत लगभग 50,000 नये पदों का सृजन।
  • विभिन्न पदों अंतर्गत 72,897 रिक्तियों को भरा जाना।

          अध्यक्ष महोदय, आपकी अनुमति से अब मैं वित्‍तीय वर्ष 2023-24 के लिए अनुदान मांग संख्या-20 के अनुसार स्वास्थ्य विभाग का रूपये 16966.42 करोड़ (सोलह हजार नौ सौ छियासठ करोड़ बयालीस लाख) की अनुदान मांग स्वीकृति हेतु सदन के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ।

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