बिहार में 65% आरक्षण व्यवस्था को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय जनता दल न्यायालय जायेगा : तेजस्वी प्रसाद यादव
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने आज अपने आवास 05 देशरत्न मार्ग, पटना में संवादाताओं सम्मेलन को संबोधित करते हुए राज्यवासियों को सावन महीने की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि राज्यसभा में बिहार में 65 प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था को नौवीं अनुसूची में शामिल करने के संबंध में प्रो0 मनोज कुमार झा के द्वारा जो प्रश्न किया गया था उसका जवाब भारत सरकार की ओर से जो आया है,उससे आशंका होती है कि डबल इंजन की सरकार इस मामले में ठीक ढंग से काम नहीं कर रही है और जवाब में जो बातें भारत सरकार ने कही है उससे ऐसा लगता है कि केन्द्र सरकार इस मामले को टाल रही है और केंद्र सरकार ने जवाब में कहा है इस मामले को राज्य सरकार देखेगी जबकि सब जानते हैं कि यह अधिकार भारत सरकार को है लेकिन इस मामले पर नीतीश कुमार और भाजपा के कोई नेता जवाब नहीं दे रहे हैं, और चुप्पी साधे हुए हैं। ऐसा लग रहा है कि उनके मुंह में दही जम गया है।
इन्होंने ने जनता दल यू से इस मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है, क्योंकि वो भारत सरकार के महत्वपूर्ण सहयोगी है। एनडीए सरकार आरक्षण व्यवस्था को नौवीं अनुसूची में डालना नहीं चाहती है क्योंकि डबल इंजन सरकार पिछड़ा, अतिपिछड़ा, दलित और आदिवासियों को अधिकार और हक नहीं देना चाहती है। मुख्यमंत्री और उनके सारे मंत्री इस मामले पर चुप हैं। वह लोग भी चुप हैं जब महागठबंधन सरकार के द्वारा आरक्षण व्यवस्था 65 प्रतिशत की गई थी तो जनता दल यू के नेता उस समय मेरे साथ पे्रसवार्ता में शामिल थे और इस मामले पर उनकी चुप्पी आखिर क्यों है, वह बताएं।
तेजस्वी जी ने आगे कहा कि भारत सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से इंकार कर दिया है और दूसरी ओर आरक्षण व्यवस्था को नौवीं अनुसूची में डाले जाने की बात पर टाल -मटोल की नीति अपनाकर इसे राज्य सरकार का मामला बताकर पिछड़ो, अतिपिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के हक और अधिकार से खिलवाड़ करना चाहती है जबकि सभी को पता है कि यह मामला केन्द्र सरकार के अधीन आता है।
इन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय जनता दल आरक्षण व्यवस्था को 65 प्रतिशत बनाए रखने के मामले पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखेगी और इस मामले पर अगले सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय भी जाएगी। साथ ही केन्द्र सरकार और राज्य सरकार की टाल-मटोल की नीति के खिलाफ राजद सदन से लेकर सड़क तक आन्दोलन भी करेगी। जनता दल यू के नेता इस मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें, क्योंकि वह केन्द्र में निर्णायक भूमिका में है। मुख्यमंत्री जी बतायें कि जातीय जनगणना पूरे देश में वो कराये जाने के पक्ष में है कि नहीं स्थिति को स्पष्ट करें, केवल सत्ता का वह मौज ले रहे हैं, लेकिन पिछड़ों, अतिपिछड़ों, दलितों और आदिवासियों को हक और अधिकार देने के लिए आनाकानी कर रहे हैं। 17 महीनों में महागठबंधन सरकार में रहकर हमलोगों ने नौकरी, नियोजित कर्मियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने से लेकर जनहित के सारे काम किये लेकिन महागठबंधन सरकार के अलग हो जाने के बाद सारे कामों पर ताला क्यों लग गए हैं ,आखिर इसकी क्या वजह है? भारत सरकार का मतलब भाजपा और जनता दल यू के साथ अन्य पार्टियां जो एनडीए से जुड़े हैं, बिहार की बड़ी हिस्सेदारी सत्ता में है लेकिन बजट में विशेष पैकेज के नाम पर सिर्फ कभर बदला गया है, योजना वही है जो हमारे उपमुख्यमंत्री रहते हुए भारत सरकार से मिलकर हमने करवाया था और स्वीकृति ली थी। 65 प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था लागू कराने के लिए हम पूरा दम लगा देंगे। एनडीए की नीयत खराब है। 17 वर्षों तक वो लोग सत्ता में थे ,लेकिन बिहार में जातीय गणना क्यों नहीं कराया इसका जवाब दें। सिर्फ अपने हित के लिए सत्ता में बने रहना ही एनडीए के लोगों का काम रहा है।
एक दूसरे सवाल के जवाब में अनुसूचित जाति जनजाति के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिये गये फैसले पर श्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि अनुसूचित जाति जनजाति के वर्गीकरण के पक्ष में राजद कभी नहीं रहा है। बाबा साहब डाॅ0 भीमराव अम्बेदकर ने भारत के संविधान में आरक्षण की व्यवस्था में सामाजिक भेदभाव, छुआछूत और विषमता को पाटने के लिए ही आरक्षण की व्यवस्था की थी। अगर केन्द्र सरकार आर्थिक तौर पर अनुसूचित जाति जनजाति को न्याय देना चाहती है तो उनके लिए नौकरी की व्यवस्था क्यों नहीं करती?
इन्होंने आगे कहा कि आज भी दलितों के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाता है यह सबको पता है। घोड़ी पर बैठने नहीं दिया जाता है और लोगों को मंदिर जाने पर रोका जाता है। इन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आवास से जब अखिलेश यादव जी निकले तो उनके आवास को गंगाजल से धोया गया और जीतनराम मांझी के मुख्यमंत्री रहते हुए जब वह मंदिर में गए तो उनके साथ कैसा व्यवहार हुआ ये सभी ने देखा है।
इन्होंने केन्द्र सरकार से इस मामले पर अविलंब अध्यादेश लाकर विसंगतियों को दूर करने की मांग की है और कहा कि जिस तरह से केन्द्र सरकार ने अनुसूचित जाति जनजाति निवारण कानून के लिए अध्यादेश लाकर अनुसूचित जाति जनजाति के पक्ष में फैसला लिया था आज पुनः इसी तरह के अध्यादेश लाकर विसंगति को दूर किया जा सकता है।
इस अवसर पर संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष श्री जगदानन्द सिंह, राष्ट्रीय प्रधान महासचिव श्री अब्दुलबारी सिद्दिकी, राष्ट्रीय महासचिव श्री श्याम रजक, पूर्व मंत्री श्री आलोक कुमार मेहता, विधान पार्षद डाॅ0 उर्मिला ठाकुर, प्रदेश मुख्य प्रवक्ता श्री शक्ति सिंह यादव, प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद एवं अरूण कुमार यादव भी उपस्थित थे।