
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) ने महागठबंधन में सम्मानजनक सीटों की मांग की है। भाकपा के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय और माकपा के राज्य सचिव ललन चैधरी ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को सत्ता से हटाकर महागठबंधन की सरकार बनाने के लिए सीटों के बंटवारे में बड़ी पार्टियाँ राजद और कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाना होगा। भाकपा-माकपा की समझ है कि महागठबंधन के अंदर सीट समझौता में विलंब से परेशानी बढ़ रही है। संशय और ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है।
राज्य में सीपीआई एवं सीपीआईएम का सभी जिलों के विधानसभा क्षेत्रों में मजबूत जनाधार एवं प्रतिबद्ध कार्यकर्ता होने के चलते अधिक से अधिक वोटों का ट्रान्सफर करने की क्षमता प्राप्त है। ऐसी परिस्थिति में संगठन की व्यापकता एवं क्षमता को देखते हुए गठबंधन में अधिक से अधिक सीटों पर लड़ने का सीपीआई एवं सीपीआईएम दोनों पार्टी का अधिकार बनता है।
सबसे बड़े दल राष्ट्रीय जनता दल की बड़ी जवाबदेही है कि बिहार में डबल इंजन की सरकार को हटाने के लिए घटक दलों से बेहतर समन्वय स्थापित करें और अविलंब सीटों का समझौता हो ताकि संपूर्ण बिहार में शानदार चुनावी माहौल बने। वाम नेताओं ने कहा कि आरएसएस-भाजपा द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए बिहार में एक मजबूत विपक्ष की एकता की जरूरत है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक राजनीतिक दलों को एक साथ लाने में भाकपा और माकपा की भूमिका महत्वपूर्ण थी, क्योंकि यह जरूरी था, ताकि संवैधानिक मूल्यों की रक्षा और भाजपा की विभाजनकारी राजनीति का बिहार में व्यापक विरोध किया जा सके, लेकिन सीट बंटबारे में भाकपा और माकपा को सम्मानजनक सीटें नहीं मिली। भाकपा की सीटों पर कांग्रेस के बागी भी मैदान में उतर गए। जिसका असर चुनाव परिणाम पर भी पड़ा और महागठबंधन की सरकार बनते बनते रह गई। यही हाल लोकसभा चुनाव के दौरान भी देखने को मिली। गठबंधन को कई बाधाओं का सामना करना पड़ा, जिसने इसकी प्रभावशीलता को सीमित कर दिया। सीट बंटवारे पर बातचीत लगातार विवाद का विषय बना रहा। सीटों के बंटवारे के अलावा, गठबंधन अकुशल समन्वय तंत्रों से भी जूझ रहा था जो अभियान रणनीतियों, संदेश और संसाधनों के प्रभावी उपयोग में सामंजस्य स्थापित करने में विफल रहा।
कई दल कुछ क्षेत्रों में मनमाने ढंग से या एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा में काम करते रहे, जिससे उस सामूहिक शक्ति को नुकसान पहुंचा। सबसे गंभीर बात यह थी कि गठबंधन वैचारिक सुसंगतता के मूलभूत अभाव से जूझ रहा था। हालांकि सभी पार्टियां भाजपा के अधिनायकवाद और सांप्रदायिक एजेंडे का विरोध करते थे। गत विधानसभा और लोकसभा चुनाव से सबक लेते हुए इस बार सीटों के बंटवारे में किसी की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए और भाकपा एवं माकपा को सम्मानजनक सीटें मिले ताकि पूरे बिहार में एनडीए के खिलाफ व्यापक माहौल बनाया जा सके।
बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में मजबूती प्रदान करने के लिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी एवं भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) सभी जिलों में 06 से 08 अक्टूबर, 2025 तक संयुक्त कार्यकर्ताओं की बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया है। संवाददाता सम्मेलन में भाकपा के राज्य सचिव राम नरेश पाण्डेय, माकपा के राज्य सचिव ललन चैधरी, माकपा के केन्द्रीय कमिटि सदस्य अवधेश कुमार, भाकपा के राष्ट्रीय सचिव संजय कुमार, भाकपा राष्ट्रीय परिषद सदस्य ओम प्रकाश नारायण मौजूद थे।