
बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष भारत और भारतीयता के पुनरुत्थान में एक मील का पत्थर है । 1925 ईसवी में विजयादशमी के दिन संघ की स्थापना महज एक संस्था का शुभारंभ नहीं था, बल्कि सदियों से भारतीय जनमानस में बह रही सांस्कृतिक एकात्मता का जयघोष भी था । इसीलिए स्वदेश और स्वदेशी के प्रति गौरव का भाव संघ के हर कार्यकर्ता की मौलिक पहचान रही है।
श्री सिन्हा ने आगे कहा कि अपने सौ वर्षों के सफर में संघ परिवार से जुड़े संगठनों ने अलग-अलग अवसरों पर अपनी राष्ट्रनिष्ठा का परिचय दिया है । प्राकृतिक आपदा से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक आयोजनों से लेकर पर्यावरण से जुड़े मामलों में संघ के ध्येयनिष्ठ अनुयायियों ने सराहनीय भूमिका निभाई है । 1962 के भारत-चीन युद्ध में संघ के स्वयंसेवकों को उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए 1963 के गणतंत्र दिवस के अवसर पर विशेष रूप से आमंत्रित भी किया गया था ।
श्री सिन्हा ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण के संकल्प के साथ आज से सौ साल पहले अपनी यात्रा शुरू की थी । उस संकल्प के सार्थक और सकारात्मक परिणाम आज दिखने लगे हैं । संघ परिवार के कार्यकर्ता आज राष्ट्रजीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में विविधतापूर्ण भूमिका निभा रहे हैं । जीवन का शायद ही ऐसा क्षेत्र है जहाँ संघ का कोई अनुषांगिक संगठन न हो । लेकिन संघ के सभी संगठन और सभी कार्यकर्ता और संगठन अपने विविध दायित्वों के साथ भारत को परमवैभव की ओर ले जाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं। वे चालाकी से दूर चालक बनकर राष्ट्र सेवा में अपना सार्थक योगदान दे रहे हैं। ‘चरैवेति’ के इसी भाव के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आगामी वर्षों में भी निरंतर कार्यरत रहेगा।